2006

जिन्दगी की शायरी और शेर


अक्सर जब हम किसी महफिल, समारोह या फिर किसी भी प्रकार के आयोजन में जाते हैं तो हम देखते हैं कि कुछ लोग बहुत ही जल्दी सबको अपनी बातों से प्रभावित कर के वहां पर अपना प्रभाव छोड़ जाते हैं। 

ऐसे लोग जिन्दगी की बातों के उपर कुछ ऐसे शेर शायरी वाक्य या सूक्ति का प्रयोग करते हैं जिससे लोग उनसे अत्यंत ही प्रभावित हो जाते हैं। 

ये भी देखें - प्यार की शेरो शायरी

मैने भी कई ऐसे सामाजिक, राजनैतिक, तकनीकी या फिर पारिवारिक आयोजनों मे भाग लिया है जहां पर कोई वक्ता अपने संबोधन में कुछ ऐसी लच्छेदार बाते करते हैं कि लोग वाह वाह कर उठते हैं। 

कुछ लोग उर्दू भाषा की ऐसी शेरो शायरी का प्रयोग करते हैं जो कि जिन्दगी के कई पहलूओं को छू जाती है, कई लोग हिंदी और अंग्रेजी के कुछ प्रसिद्ध वाक्यों को बोलते हैं।

Manisha शुक्रवार, 7 जुलाई 2006

प्यार की शायरी

प्यार की शायरी

Shayari of Love

ये किन नज़रों से आज तुमने देखा,
के तेरा देखना देखा न जाये
अहमद फ़राज


उनको आता है प्यार पे गुस्सा,
हमें गुस्से पे प्यार आता है
अमीर मिनाई


क्या नज़ाकत है, कि आरिज उनके नीले पढ़ गये
हमने तो बोसा लिया था तसवीर का
उन्हें खत में लिखा था के "दिल मुज़तरीब है"
ज़वाब उनका आया " मुहब्बत न करते,
तुम्हें दिल लगाने को किसने कहा था?
बहल भी जायेगा दिल, बहलते बहलते"
आंखों में जो भर लोगे, तो कांटों से चुभेंगे
ये ख्वाब तो, पलकों पे सजाने के लिये हैं
जनाजा रोक कर मेरा वो कुछ अन्दाज से बोले
"गली हमने कही थी, तुम तो दुनिया छोड़ जाते हो"
सफी लखनवी


तिरछी नज़र से न मारो, आशिके दिलगीर को
कैसे तीरन्दाज हो, सीधा तो कर लो तीर को
ख्वाजा वजीर


हुस्न-ओ-जवानी हो तो हर एक को गुरूर आता है
तेरे इन बहार आदों को देख कर हमें सरूर ता है
तझे बहार कहा तो फकत इस लिये के हर मौसम
शजर से रूठ भी जाये तो लौटकर जरूर आता है
हाले-दिल यार को लिखूं क्यों कर
हाथ दिल से जुदा नहीं होता
मोमिन


आज वो काली घटाओ पे नाजान लेकिन
चांद सी रोशनी बालों में उतर आयेगी
डा. जरीना सानी


हम भी कुछ खुश नहीं वफा करके
तुमने अच्छा किया, निबाह न की
मोमिन


हम भी वहीं मौजूद थे, हम से भी सब पूछा किये
हम हंस दिये, हंम चुप रहे, मंजूर था परदा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी, शब भर रहा चेहरा तेरा
किसने कहा ये चांद है, किसने कहा चेहरा तेरा
इब्नेइंशा



रहा ना दिल में वो बेदर्द, और दर्द रहा
मकीन कौन हुआ है, मकां किस का था
दाग देहलवी


रात यूं दिल में, तेरी खोई हुइ याद आई
जैसे वीराने में, चुपके से बहार आ जाये
जैसे शहरों में, हौले से चले बादे-नसीम
जैसे बीमार को, बे-वजह करार आ जाये
कर रहा था गम-ए-जहां का हिसाब
आज तुम याद, बेहिसाब आये
तुम्हारी याद के जब जख्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं


Manisha सोमवार, 26 जून 2006