जनवरी 2009

मैकाले की शिक्षा का विकल्प क्या है? 


श्रीमान जी.कें. अवधिया जी ने अपने चिठ्ठे धान के देश में मैकाले द्वारा भारत के विषय में उसके विचार तथा मैकाले के द्वारा भारत में प्रारम्भ की गई शिक्षा प्रणाली के बारे में कहा गया है। 

मैं बचपन से समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में इस तरह के लेख पढ़ती आ रही हूं जिनमें यह बताया जाता रहा है कि मैकाले ने भारत में अंग्रेजी शासन को मजबूत करने और भारत के लोगों को क्लर्क बनाने लायक ही शिक्षा देने के उद्देश्य से ऐसी शिक्षा-प्रणाली लागू करी जिसे भारत में लोगों का नैतिक ह्रास हो गया और केवल क्लर्कों की फौज तैयार हो गई। 

हो सकता है ये सही बात हो, क्योंकि अंग्रेज शासक थे और वो अपने हिसाब से ही शिक्षा देना चाहते थे। 

लेकिन मुझे आज तक कोई ऐसा लेख पढ़ने को नहीं मिला जो मैकाले से पहले की शिक्षा-प्रणाली के बारे में विस्तार से बताये और साथ ही ये भी बताये कि अगर मैकाले की शिक्षी-प्रणाली में इतनी खराबियां हैं तो उसकी वैकल्पिक शिक्षा-प्रणाली क्या हो? 

विद्वान लोग इस बारे में कुछ बता पायें को कुछ पता चले।  


मैंने तो ये देखा है कि यहां पर कई तरह कि शिक्षा दी जा रही है, मदरसों की, आरएसएस की, राज्यों के बोर्डों की, केन्द्रीय सीबीएसई की, आईसीएससी की, गरीबों की अलग और मंहगे पब्लिक स्कूलों और बोर्डिंग स्कूलों की अलग। 

अगर ये सब मैकाले का ही सिस्टम लागु कर रहे हैं तो इन्हीं में से तो हमारे इंजीनियर, डाक्टर, शिक्षाविद, अर्थशास्त्री इत्यादि निकल रहे है जो पूरी दुनिया में काम पाते हैं और तीसरी दुनिया के कई देशों के बच्चे इसी शिक्षा के लिये भारत आते हैं। 

कहीं ऐसा तो नहीं कि हमें पूरी प्रणाली को बदलने  के बजाय उसको स्तरीय बनाना चाहिये। आप लोग बतायें कि आखिर हमारी शिक्षा-प्रणाली कैसी होनी चाहिये?

Manisha सोमवार, 26 जनवरी 2009

गणित का प्रश्न : राजनीति में कौन किसके साथ है?


आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक दांव-पेंच, उठा पटक और आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। आम मतदाता के लिये भ्रम की स्थित बन रही है। आइये देखिये कि क्या स्थिति है : 

Indian Parliament भारतीय संसद

  •  समाजवादी पार्टी की कहना है कि भाजपा और बसपा मिले हुये हैं।
  • बसपा का कहना है कि कांग्रेस, सपा और भाजपा मिले हुये हैं।
  • भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस के इशारे पर बसपा वरुण गांधी पर रासुका लगा रही है।
  • मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस से बिना समझौते के अलग चुनाव लड़ रही है लेकिन संयुक्त प्रगतिशील मोर्चे (संप्रग - UPA)  को उसका समर्थन है और उसका कहना है कि देश में धर्मनिरपेक्षी सरकार बिना कांग्रेस के नही बन सकती। 
  • लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान के दल बिहार में कांग्रेस को हटाकर अलग से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन संप्रग  के घटक दल हैं।
  • लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान के दल संप्रग  के घटक दल  हैं लेकिन मुलायम सिंह यादव के साथ मिलकर एक नया चौथा मोर्चा भी बना लिया है
  • अन्नाद्रमुक की जयललिता कांग्रेस के साथ जाना चाहती हैं और भाजपा को खुश करने के लिये कुछ कुछ हिन्दुत्व समर्थक बयान भी जारी कर देती हैं।
  • शरद पवार का दल संप्रग  का घटक दल है लेकिन वो खुद भी प्रधानमंत्री बनना चाहते है
  • वामपंथी दल अब संप्रग  के घटक दल नहीं हैं, अलग से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन चुनावों के बाद परिस्थितियों को देखते हुये सरकार में शामिल हो सकते हैं।
  • मायावती की पार्टी तीसरे मोर्चे के साथ भी है और देश भर में अकेले चुनाव भी लड़ रही है।


मेरी तो समझ में नही आ रहा कि कौन किसके साथ है?  कोई बता सकता है कि कौन सी पार्टी किस से मिली हुई है और किसके विरोध में है। यह एक गणित का प्रश्न का बन गया है कि राजनीति में कौन किसके साथ है।

Manisha रविवार, 4 जनवरी 2009