अज्ञात टिप्पणीकार पर रोक सही नहीं है

अज्ञात टिप्पणीकार पर रोक सही नहीं है


हिंदी चिठ्ठा जगत में इस समय अज्ञात टिप्पणाकारों द्वारा छद्म नामों से टिप्पणी करके लड़ाई-झगड़े कराने की कोशिश को लेकर हंगामा मचा हुआ। 

इस को लेकर आशीष खंडेलवालजी ने हिंदी ब्लॉग टिप्स के अपने चिठ्ठे पर कल काफी अच्छा व्यंग भी लिखा था। 

शास्त्रीजी और सुरेश चिपलूकरजी भी अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। 

मेरे विचार में परेशानी अज्ञात टिप्पणीकारों से न होकर उनके द्वारा की गई अनाप-शनाप टिप्पणियों को लेकर होनी चाहिये। 

अज्ञात या Anonymous पर रोक होना इंटरनेट की मुल अवधारणा के खिलाफ है। इंटरनेट के संस्थापकों ने इंटरनेट पर स्वतंत्र चिंतन और अभिव्यक्ति की अवधारणा को मजबूत करने के लिये ही इंटरनेट पर गुमनाम रहकर अपनी बात कहने की आजादी दी थी। इसका दुरुपयोग भी हुआ है लेकिन इसका फायद भी बहुत है। 

गुमनाम रहकर ही कई ब्लॉगर दुनिया में अपनी बात कह पाये हैं। क्या ईराक, ईरान, अफगानिस्तान, चीन या ऐसे कई देश जहां बोलने की आजादी नहीं है वहां पर लोग अपनी बात दुनिया के दूसरे हिस्सों में पहुंचा पाते? नहीं। 

कई बार अपनी बात आप अज्ञात रह कर ही कर सकते हैं। टिप्पणियों की भी ऐसी ही बात है। हम लोगों को अज्ञात टिप्पणी पर रोक के बजाय उस पर मोडरेशन लगा कर पहले उसे पढ़ कर आगे बढा़ना चाहिये।

 टिप्पणी अवांछित है, अश्लील है या किसी और को बदनाम करने के लिये की गई है, ऐसी टिप्पणी को हर हाल में रोका जाना चाहिये और इसके लिये कमेंट मोडरेशन काफी है। 

अज्ञात टिप्पणी पर रोक न लगाकर इसे सेंसर करना ज्यादा ठीक है।  अत: अज्ञात टिप्पणीकार पर रोक सही नहीं है।


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11 टिप्‍पणियां

  1. सही बात है। हम खुद टिप्पणियों पर मोडरेशन नहीं रखते दोष अज्ञात टिप्पणीकारों को देते हैं। यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि यदि कोई खराब टिप्पणी किसी ब्लाग पर प्रकाशित होती है और उस से किसी को किसी प्रकार की क्षति होती है तो ब्लाग स्वामी उतना ही जिम्मेदार है जितना कि टिप्पणीकार। इस से टिप्पणी मॉडरेशन आवश्यक हो चुका है। पर होता यह है कि बहुत से ब्लागरों को लगातार नैट की सुविधा नहीं है। वे दिन के किसी एक हिस्से में ही नैट संपर्क कर पाते हैं। लेकिन वे चाहते हैं कि उन के आलेख पर आई टिप्पणियाँ लगातार प्रकाशित होती रहें। इस कारण से वे टिप्पणियों पर मॉडरेशन रखते ही नहीं है। यह सही नहीं है। यदि टिप्पणी देर से दिखती है तो उस से क्या फर्क पड़ता है? 24 घंटे में तो मॉडरेशन कर ही सकते हैं। मुझे लगात है कि यह कोई देरी नहीं है।

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  2. आपका कथन बिल्कुल सही है...यदि शिष्टाचार का ध्यान रखते हुए अपनी बात रखी जाती है तो किसी को ऎतराज नहीं होना चाहिए।

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  3. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ लगता है अभी समझ नहीं आया है। एक ओर अभिव्यक्ति की स्व्तंत्रता की बात की जाती है दूसरी ओर बंधन भी लगाना चाहते हैं। सुरक्षा कवच से लैस हो कुछ भी लिखना ही क्या सही होगा? लेख पर आयी टिप्पड़ी, दूसरे कैसे सोंचते है क्या यह जाननें का अवसर नहीं देती?

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  4. सही है. परेशानी अज्ञात की जगह असभ्य टिप्पणियों से है.

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  5. एक निवेदन:

    कृप्या वर्ड वेरीफीकेशन हटा लें ताकि टिप्पणी देने में सहूलियत हो. मात्र एक निवेदन है बाकि आपकी इच्छा.

    वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:

    डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?> इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये!!.

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  6. vaise agar gaur se dekhe to pareshani sirf aath das logo ko ho rahi hai .vahi lagatar lekh likh rahe hai .sach to ye hai ab dal me kuch kala najar aane laga hai.

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  7. हां, आपकी बात ठीक है, फिलहाल मैंने अज्ञात टिप्‍पणी पर रोक लगा रखी है, लेकिन अब उसकी जगह मॉडरेशन का विकल्‍प चुनना ही बेहतर लग रहा है।

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