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एयरकंडीशनर का तापमान 24 डिग्री रखने पर हमारे अनुभव


भारत में इस समय गर्मियों का मौसम है। अधिकांश जगहों पर दिन का तापमान 45-47 डिग्री के करीब चल रहा है। करीब-करीब हर घर में एसी (Air Conditioner - AC) का इस्तेमाल हो रहा है। गर्मियों से बचने के लिए लोग एयर कंडीशनर का सहारा ले रहे हैं।

आखिर लोग करें भी क्या जब इतनी गर्मी पड़ रही है। सब से बड़ी मुसीबत तो ये है कि कोरोना वायरस के चलते भारत में लॉकडाउन लगा हुआ है और लोगों को घरों मे ही रहना है।

ऐसे में देश में बिजली की खपत भी तेजी से बढ़ रही है। हालांकि घर-ऑफिस में एसी का आदर्श तापमान कितना रखा जाए, इसकी जानकारी भी लोगों को कम ही होती है इसीलिए अब भारत सरकार ने इसको लेकर एक नियम बना कर एयर कंडीशनर (एसी) के लिए तापमान का सामान्य स्तर 24 डिग्री नियत कर दिया है

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सरकार के अनुसार अगर इससे देश भर में सालाना 20 अरब यूनिट सालाना बिजली की बचत होगी साथ ही लोगों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

सरकार के आधिकारिक बयान के अनुसार, बिजली मंत्रालय के अधीन आने वाला ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) ने इस संदर्भ में एक अध्ययन कराया था और एयर कंडीशनर में तापमान 24 डिग्री सेल्सियस निर्धारित करने की सिफारिश की थी। इस दिशा में शुरुआत करते हुए हवाईअड्डा, होटल, शापिंग मॉल समेत सभी वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और विनिर्माताओं को परामर्श जारी किया गया है।



विनिर्माताओं को एयर कंडीशन में 24 डिग्री सेल्सियस तापमान निर्धारित करने का सुझाव दिया गया। साथ ही उस पर लेबल लगाकर ग्राहकों को यह बताने को कहा गया है कि उनके पैसे की बचत और बेहतर स्वास्थ्य के नजरिए से कितना तापमान नियत करना बेहतर है. यह तापमान 24 से 26 डिग्री के दायरे में होगा।

इस अधिसूचना के द्वारा बीईई स्टार-लेबलिंग कार्यक्रम के दायरे में आने वाले सभी रूम एयर कंडीशनरों के लिए 24 डिग्री सेल्सियस डिफॉल्ट सेटिंग को अनिवार्य कर दिया गया है।

इस से कमरे के एयर कंडीशनरों (एसी) का डिफॉल्ट (अपने आप में तय) तापमान अब 24 डिग्री सेल्सियस होगा। इसका मतलब है कि कमरे का तापमान 24 डिग्री रखने के हिसाब से ही एसी चलेगा। हां, व्यक्ति जरूरत के हिसाब से इसे ऊपर नीचे कर सकता है। फिलहाल एसी का डिफाल्ट तापमान 18 डिग्री सेल्सियस है।

एयरकंडीशनर का तापमान 24 डिग्री करने का क्या फायदा होगा?


लेकिन असल सवाल है कि ऐसा करने से हासिल क्या होगा? क्या वाकई एसी के तापमान से बिजली की खपत निर्धारित होती है?

दरअसल ऊर्जा मंत्रालय का सुझाव था कि 'एसी पर 1 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ाने से 6% एनर्जी बचती है। न्यूनतम तापमान को 21 डिग्री के बजाय 24 डिग्री पर सेट करने से 18% एनर्जी बचेगी।'

भारत के ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक कमरे में तापमान कम पर रखने के लिए कम्प्रेसर ज़्यादा काम करेगा। 24 से 18 डिग्री पर सेट करने के पर एसी का तापमान कम करने से कंप्रेसर को ज्यादा लंबे समय तक काम करना पड़ता है। अगर एसी के तापमान को 25 डिग्री के बजाए 18 डिग्री पर कर दिया जाता है तो बिजली की खपत भी बढ़ जाती है।  एसी का तापमान 24 डिग्री पर रखने से बिजली की बचत भी होगी और आपकी सुविधा में भी कोई कमी नहीं आएगी।

किसी कमरे या जगह का तापमान 18 डिग्री करने के लिए एसी को लगातार काफी देर तक काम करते रहना पड़ता है। इससे एयर कंडीशनर की सेहत पर खराब असर के साथ बिजली की खपत भी ज्यादा होती है.

सबसे खास बात ये है कि इससे वहां मौजूद व्यक्ति के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है। दरअसल एसी कमरे में मौजूद नमी को सोखता है। इसलिए इसका नकारात्मक प्रभाव आपकी त्वचा पर पड़ता है। ऊपर से यह आपके शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने वाले प्राकृतिक तंत्र को प्रभावित करता है।

कई देशों में एयरकंडीशनर का तापमान 24 डिग्री करने के नियम पहले से लागू है


जापान और अमेरिका जैसे देशों ने एयर कंडीशनर के प्रदर्शन के लिए पहले ही इस तरह के नियम बना दिए हैं। जापान में एसी का डिफाल्ट तापमान 28 डिग्री सेल्सियस है। वहीं, अमेरिका में कुछ शहरों में एसी का तापमान 26 डिग्री सेल्सियस से कम पर नहीं चलाने की सीमा तय है।

हार्वर्ड के मुताबिक 23.3 और 25.6 डिग्री सेल्सियस और लंदन स्कूल इकनॉमिक्स के मुताबिक तापमान 24 डिग्री होना चाहिए।


एयर कंडीशनर को लेकर हमारे अनुभव


एयर कंडीशनर (एसी) का प्रयोग हम भी कई सालों से कर रहे हैं। हमारे अनुभव कुछ हद तक सरकार के साथ हैं और कई मामलों में सरकार से उलट हैं।

सबसे पहले जब हम ने अपने घर पर एसी लगवाया था तब हम सबसे ऊपर के तल वाले घर पर रहते थे। यकीन मानिये 40-45 डिग्री के तापमान के समय छत इतनी गर्म हो जाती थी कि अधिकांश समय हमको अपना एयर कंडीशनर 18-20 डिग्री पर चलाना पड़ता था।

दूसरी बात ये देखी कि अलग-अलग कंपनियों के समान एयर कंडीशनर (जैसे कि 1.5 या 2.0 टन) भी समान ठंडक नहीं करते हैं जिससे अलग-अलग तापमान पर  एसी चलाने पड़ते हैं। एयर कंडीशनर की बनावट का भी असर होता है, कोई एसी 2 कोईल वाला होता है कोई 3 कोईल वाला। इससे भी एयर कंडीशनर की ठंड़ पर असर पड़ता है।

तो अगर किसी का घर एक मंजिल का है या फिर कोई किसी बिल्डिंग में इस तरह की छत वाली सबसे ऊपरी  मंजिल पर रहता है तो उसके लिये तो सरकार का इस तरह 24 डिग्री वाला एयर कंडीशनर ज्यादा काम नहीं आयेगा। सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिये।

तीसरी बात जो हमने देखी वो ये थी कि जबसे सरकार मे एसी में स्टार श्रेणी मूल्यांकन (* रेटिंग) किया है तो हमने भी एक कमरे के लिये एक 5 स्टार श्रेणी का एसा खरीद लिया। लेकिन हमने पाया कि इस तरह के एसी कम ठंडा करते हैं। शायद इनको बनाया ही बिजली बचाने के लिये है।

चौथी बात ये कि हमारे अनुभव में खिड़की वाले एयर कंडीशनर की तुलना में दीवार पर लगने वाले स्प्लिट एसी (Split AC) ज्यादा ठंडा करते हैं। भले ही दोनो की समान क्षमता हो (1.5 Ton or 2.0 Ton).

आखिरी बात ये कि बाद में हमने एक बहुमंजिली इमारत में अपना घर ले लिया और वहां हमारा घर बीच की  मंजिलों पर है। यहां पर एसी 25 डिग्री में भी काफी ठंडा कर देता है। ऐसी बहुमंजिली इमारतों में भारत सरकार का 24 डिग्री तापमान वाला एसी कामयाब रहेगा।

अत: सरकार को सब प्रकार के घरों को ध्यान में रखकर इस नियम को बनाना चाहिये था। वैसे कुल मिलाकर बिजली बचाने की बात तो ठीक है।

Manisha शुक्रवार, 29 मई 2020

लू लगने से मृत्यु क्यों होती है?


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देश में इन गर्मियों में तापमान औसत रुप से 45 डिग्री के आस पास पहुंच गया है और कई हिस्सों में में तो 47 से 51 डिग्री तक तापमान है। रोजाना तापमान के उच्चतम रिकार्ड बन रहे हैं।  

जोधपुर के फलोदी में तापमान 51 डिग्री सेल्सियस रहा जो कि देश में 1951 के बाद सबसे ज्यादा है।  

इस भयंकर गर्मी में जबर्दस्त लू चल रही है और दिल्ली से आंध्रप्रदेश तक सैकड़ो लोग लू लगने से मर रहे हैं। 

मौसम विभाग ने लोगों को सचेत करते हुये ऑरेंज एलर्ट जारी किया है और सुबह 11 बजे से दोपहर के बाद 3 बजे तक बाहर धूप में बहुत जरुरी होने पर ही बाहर सावधानी से निकलने की सलाह दी है।

हम सभी धूप में घूमते हैं फिर कुछ लोगो की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है? 

आइये देखें
  • हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है।
  • पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है।
  • पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है।( बंद कर देता है )
  • जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है।
  • शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त मे उपस्थित प्रोटीन पकने लगता है I( जैसे उबलते पानी में अंडा पकता है )
  • स्नायु कड़क होने लगते है इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं।
  • शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग (विशेषतः ब्रेन ) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है।
  • व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक- एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है।


लू से बचने के लिये क्या करें? 


  • गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिए लगातार थोडा थोडा पानी पीते रहना चाहिए, और हमारे शरीर का तापमान 37° मेन्टेन किस तरह रह पायेगा इस ओर ध्यान देना चाहिए।
  • कृपया 12 से 3 बजे के बीच ज्यादा से ज्यादा घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें।
  • कृपया स्वयं को और अपने जानने वालों को पानी की कमी से ग्रसित न होने दें।
  • किसी भी अवस्था मे कम से कम 3 ली. पानी जरूर पियें। किडनी की बीमारी वाले प्रति दिन कम से कम 6 से 8 ली. पानी जरूर लें।
  • जहां तक सम्भव हो ब्लड प्रेशर पर नजर रखें। किसी को भी हीट स्ट्रोक हो सकता है।
  • ठंडे पानी से नहाएं।
  • मांस का प्रयोग छोड़ें |
  • फल और सब्जियों को भोजन मे ज्यादा स्थान दें।
  • एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है तो ये गंभीर स्थिति है।
  • शयन कक्ष और अन्य कमरों मे 2 आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्रों को रख कर कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है।
  • अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें।

हीट वेव (लू) कोई मजाक नही है। बचाव में ही सावधानी है। कुछ दिन धूप में बाहर न निकलें।

Manisha शुक्रवार, 20 मई 2016