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Company name full form in Hindi


Company Name Full Form in Hindi : भारत में कंपनियों के पंजीकरण के लिये कंपनी रजिस्ट्रार कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत पंजीकृत करता है। कई कंपनिया अपने पूरे नाम से पंजीकरण करती हैं और बाद में उनका छोटा नाम (Acronym) जो कि पूरे नाम के पहले अक्षरों से मिलकर बना होता है, प्रसिद्ध हो जाता है।

कई बार कंपनियां अपने छोटे नाम की प्रसिद्धि के बाद छोटे Acronym वाले नाम से ही कंपनी का नाम बदल कर नवीन पंजीकरण करवा लेती हैं।

भारत में काम करने वाली ऐसी ही कुछ कंपनियों के प्रसिद्ध छोटे नामों के पीछे उनके पूरे नाम की सूची (list of Full Form of Company names) यहां पर हमने बनाई है। वैसे ये बताना जरूरी रहेगा कि भारत में पंजीकृत कंपनियां आमतौर पर अंग्रेजी भाषा में ही अपने नाम रखती हैं।


भारत की कंपनियों के प्रसिद्ध छोटे नामों पूरे नाम की सूची


  • AIASL - Air India Airport Services Limited एयर इंडिया एयरपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड
  • ALIMCO - Artificial Limbs Manufacturing Corporation of India भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम
  • AMUL - Anand Milk Union Limited आनन्द मिल्क यूनियन लिमिटेड
  • APEPDCL - Eastern Power Distribution Company of Andhra Pradesh Limited ईस्टर्न पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ऑफ आन्ध्रा प्रदेश लिमिटेड
  • APPCL - Aravali Power Company Pvt. Ltd. अरावली पॉवर कंपनी लिमिटेड
  • APPCPL - Arunachal Pradesh Power Corporation Private Limited अरूणाचल प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड
  • APPCL - Assam Power Production Company Limited आसाम पॉवर प्रोडक्शन कंपनी लिमिटेड
  • APSFC - Andhra Pradesh State Financial Corporation आंध्रा प्रदेश स्टेट फाइनेंशियल कॉरपोरेशन
  • AYCL - Andrew Yule & Co. Ltd एण्ड्रू यूल एंड कंपनी लिमिटेड
  • BECIL - Broadcast Engineering Consultants India Limited प्रसारण इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड
  • BEL - Bharat Electronics Limited भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड
  • BEML - Bharat Earth Movers Limited भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड बीईएमएल लिमिटेड
  • BFSL - BOB Financial Solutions Limited बॉब फाइनेंशियल सोल्यूशन्स लिमिटेड
  • BHEL - Bharat Heavy Electrical Limited भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड
  • BMW - Bayerische Motoren Werke बायरिच मोटोरेन वर्क
  • BPL - British Physical Laboratories ब्रिटिश फिजीकल लैबोरेटरीज
  • BSNL - Bharat Sanchar Nigam Limited भारत संचार निगम लिमिटेड
  • CCL - Central Coalfields Limited सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड
  • CEAT - Cavi Elettrici  E Affini Torino कावि इलेटरिसी इ अफीनी टोरीनो
  • CIL - Coal India Limited कोल इण्डिया लिमिटेड
  • CIPLA - The Chemical, Industrial & Pharmaceutical Laboratories द केमिकल, इण्डस्ट्रियल एण्ड फार्मासियूटिकल लैबोरेटोरीज
  • CISCO - Computer Information System Company कंप्यूटर इन्फोरमेशन सिस्टम कंपनी
  • CNBC - Consumer News and Business Channel कंज्यूमर न्यूज एण्ड बिजनेस चैनल
  • COMPAQ - Compatibility and Quality कोम्पैटिबिल्टी एण्ड क्वालिटी
  • CPCL - Chennai Petroleum Corporation Limited सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड
  • CSL - Cochin Shipyard Limited (CSL) कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड



  • DABUR - Doctor Burman (Pronounce Daktar Burman) डॉक्टर बर्मन
  • DENA (Bank) - Devkaran Nanjee Bank देवकरन नन्जी बैंक
  • DFCCIL - Dedicated Freight Corridor Corporation of India Limited डेडीकेटेड फ्रेट कोरीडोर कार्पोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड
  • DHBVN -Dakshin Haryana Bijli Vitran Nigam दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम
  • DHFL - Dewan Housing Finance Corporation Limited दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड
  • DLF - Delhi Land & Finance देहली लैंड एंड फाइनेंस
  • DOCOMO - Do Communication Over Mobile Network डू कम्यूनिकेशन ओवर मोबाइल नेटवर्क
  • EBAY - Echo Boay इको बॉय
  • ECIL -Electronics Corporation of India Limited इलेक्ट्रानिक्स कारपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड
  • EIL - Engineers India Limited इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड
  • ETV - Eenadu Television ईनाडु टेलीविजन
  • EXIDE - Excellent Oxide एक्सीलेंट ऑक्साइड
  • EXIM - Export-Import Bank of India इंडिया एक्ज़िम बैंक
  • FACT - Fertilisers And Chemicals Travancore Ltd. दि फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स ट्रावनकोर लिमिटेड
  • GAIL - Gas Authority India Limited गैस अथारिटी इंडिया लिमिटेड
  • GIC - General Insurance Corporation of India भारतीय साधारण बीमा निगम
  • GMR - Grandhi Mallikarjuna Rao ग्रांधी मल्लीकार्जुन राव
  • GRASIM - Gwalior Rayon & Silk Mills ग्वालियर रेयान एंड सिल्क मिल्स
  • GRSE - Garden Reach Shipbuilders & Engineers Limited गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एण्ड इंजीनियर्स लिमिटेड
  • HAL - Hindustan Aeronautics Limited (HAL) हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड
  • HARTRON - Hartron Informatics Limited हरियाणा इन्फोर्मेटिक्स लिमिटेड
  • HCL - Hindustan Computer Limited हिन्दुस्तान कंप्यूटर लिमिटेड
  • HCL - Hindustan Copper Limited हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड
  • HDFC - Housing Development Finance Corporation हाउसिंग डवलपमेंट फाईनेंस कॉरपोरेशन
  • HDIL - Housing Development and Infrastructure Limited हाउसिंग डवलपमेंट एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड
  • HII - Huntington Ingalls Industries हंटिंगटन इंगाल्स इंडस्ट्रीज
  • HIL - Hindustan Insecticides Limited हिन्दुस्तान कीटनाशक लिमिटेड
  • HIL - Hyderabad Industries Limited हैदराबाद इंडस्ट्रीज लिमिटेड
  • HMT - Hindustan Machine Tools हिंदुस्तान मशीन टूल्स
  • HP - Hewlett Packard हैलट पैकार्ड
  • HP - Hindustan Petroleum हिंदुस्तान पेट्रोलियम
  • HPCL - Hindustan Petroleum Corporation Limited हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड
  • HRRL - HPCL Rajasthan Refinery Ltd. एचपीसीएल राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड
  • HSDIIC - Haryana State Industrial & Infrastructure Development Corporation Limited हरियाणा राज्य औद्योगिक और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड
  • HSL - Hindustan Shipyard Limited हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड
  • HVPN -Haryana Vidhyut Prasaran Nigam Limited हरियाण विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड
  • IBN - Indian Broadcasting Network इंडियन ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क
  • ICICI - Industrial Credit and Investment Corporation of India इंडस्ट्रियल क्रेडिट एंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया
  • IDBI - Industrial Development Bank of India इंडस्ट्रियल डवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया
  • IFB - Indian Fine Blanks Limited इंडियन फाइन ब्लैंक्स लिमिटेड
  • IFFCO - Indian Farmers Fertiliser Cooperative Limited इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड
  • IIFCL - India Infrastructure Finance Company Limited इंडिया इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर फाइनेंस लिमिटेड
  • IIFL - India Infoline Finance Limited इंडिया इन्फोलाइन फाइनेंस लिमिटेड
  • IL&FS - Infrastructure Leasing & Financial Services इंफ्रास्टक्चर लीजिंग एवं फाइनेंशियल सर्विसेज
  • INFOSYS - Information Systems इन्फोर्मेशन सिस्टम्स
  • IOCL - Indian Oil Corporation Limited (IOCL) इडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड
  • IRCON - Indian Railway Construction Limited भारतीय रेलवे निर्माण निगम लिमिटेड
  • IRCTC - Indian Railway Catering and Tourism Corporation इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड
  • ITC - Imperial Tobacco Company इम्पीरियल टोबैको कंपनी
  • ITDC - India Tourism Development Corporation Limited भारत पर्यटन विकास निगम लिमिटेड
  • ITI - Indian Telephone Industries Limited इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज लिमिटेड
  • JMRC - Jaipur Metro Rail Corporation Ltd. जयपुर मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड
  • JSW - Jindal South West Group जिंदल साउथ वेस्ट ग्रुप
  • KEI - Krishna Electrical Industries कृष्णा इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्रीज
  • KRBL - Khushi Ram Behari Lal खुशी राम बिहारी लाल
  • L&T - Larsen & Toubro Limited लारसन एंड टुब्रो लिमिटेड
  • LG - Lucky Goldstar (Life's Good) लकी गोल्डस्टार
  • LIC - Life Insurance Corporation लाइफ इंश्योरेंस कार्पोरेशन
  • LIC - Life Insurance Corporation of India भारतीय जीवन बीमा निगम लिमिटेड
  • LML - Lohia Machines Limited लोहिया मशीन्स लिमिटेड
  • MDH - Mahashian Di Hatti महाशियां दी हट्टी
  • MDNL - Mishra Dhatu Nigam Ltd. मिश्र धातु निगम लिमिटेड
  • MECL - Mineral Exploration Corporation Limited मिनरल एक्सप्लोरेशन कार्पोरेशन लिमिटेड
  • MFL - Madras Fertilizers Limited मद्रास फर्टिलाइजर्स लिमिटेड
  • MMRCL - Mumbai Metro Rail Corporation Limited मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड
  • MOIL - Manganese Ore India Limited मैंगनीज ओर इंडिया लिमिटेड
  • MRF - Madras Rubber Factory मद्रास रबड़ फैक्टरी
  • MRPL - Mangalore Refinery and Petrochemicals Limited मैगलौर रिफािनरी एंड पेटेरोकेमिकल्स लिमिटेड
  • MSPGCL - Maharashtra State Power Generation Company Limited  (MahaGenco) महाराष्ट्र राज्य पॉवर उत्पादन निगम लिमिटेड
  • MTNL - Mahanagar Telephone Nigam Limited महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड
  • NABARD - National Bank for Agriculture and Rural Development राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक
  • NALCO - National Aluminium Company Limited नेशनल अल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड
  • NBCC  - National Buildings Construction Corporation Ltd. नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लिमिटेड
  • NCL - Northern Coalfield Limited नोर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड
  • NDTV - New Delhi Television न्यू देहली टेलीविजन
  • NFL - National Fertilizers Limited नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड
  • NHB - National Housing Bank नेशनल हाउसिंग बैंक
  • NHPC - National Hydroelectric Power Corporation Limited नेशनल हाईड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड
  • NIIT - National Institute of Information Technology नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफोर्मेशन टेक्नोलोजी
  • NLC - NLC India Limited (Formerly Neyveli Lignite Corporation) नेवेली लिगनाइट लिमिटेड
  • NMDC - National Mineral Development Corporation नेशनल मिनरल डेवेलपमेंट कारपोरेशन
  • NMRCL - Noida Metro Rail Corporation नोयडा मेट्रो रेल कारपोरेशन
  • NPCC - National Projects Construction Corporation Limited नेशनल प्रोजेक्ट्स कंसट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड
  • NSIL - NewSpace India Limited न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड
  • NTPC - National Thermal Power Corporation नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन
  • OMC - Odisha Mining Corporation Limited ओडिशा माइनिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड
  • ONGC - Oil and Natual Gas Corporation ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड
  • OPaL - ONGC Petro Additions Limited ओएनजीसी पेट्रो एडीशन्स लिमिटेड
  • OYO - On Your Own Rooms ऑन योअर ओन रूम्स
  • PayTM - Pay Thru Mobile पे थ्रू मोबाइल
  • PCJ - Padam Chand Jewellers पदम चंद ज्वैलर
  • PGCIL - Power Grid Corporation of India Limited पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
  • PNB - Punjab National Bank पंजाब नेशनल बैंक
  • PPCL - Pragati Power Corporation Limited प्रगति पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड
  • PSPCL - Punjab State Power Corporation Limited पंजाब राज्य पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड
  • PVR - Priya Village Roadshow Limited प्रिया विलेज रोड शो लिमिटेड
  • RANBAXY - Randhirsinh Gurubax रन्धीरसिंह गुरूबक्स
  • RBL (Bank) - Ratnakar Bank Limited रत्नाकर बैंक लिमिटेड
  • RCFL - Rashtriya Chemicals and Fertilizers Limited राष्ट्रीय केमिकल्स एण्ड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड
  • RGPPL - Ratnagiri Gas and Power Private Limited रत्नागिरी गैस एण्ड पॉवर प्राइवेट लिमिटेड
  • RINL - Rashtriya Ispat Nigam Limited  राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड
  • RITES Limited - Rail India Technical and Economic Service रेल इंडिया टेक्नीकल एण्ड इकोनोमिक सर्विस
  • RPG - Rama Prasad Goenka राम प्रसाद गोयनका
  • SAIL - Steel Authority of India Limited स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड



  • SBI - State Bank f India भारतीय स्टेट बैंक
  • SCIL - Shipping Corporation of India Limited भारतीय नौवहन निगम लिमिटेड
  • SEBI - Security and Exchange Board भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड
  • SIDBI - Small Industries Development Bank of India भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक
  • SJVN - Satluj Jal Vidyut Nigam Limited सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड
  • SPMCIL - Security Printing and Minting Corporation of India Limited भारत प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड
  • SYSKA - Shree Sant Kripa Group श्री संत कृपा ग्रुप
  • TAFE - Tractors and Farm Equipment Limited ट्रैक्टर्स एण्ड फार्म इक्विपमेंट लिमिटेड
  • TCI - Transport Corporation of India ट्रांस्पोर्ट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया
  • TCIL - Telecommunications Consultants India Ltd. टेलीकम्यूनिकेशन कंसल्टेंट इंडिया लिमिटेड
  • TCS - Tata Consultancy Service टाटा कंसल्टेंसी सर्विस
  • TELCO - Tata Engineering and Locomotive Company टाटा इंजीनियरिंग एण्ड लोकोमोटिव कंपनी
  • THDC - Tehri Hydro Development Corporation Limited टेहरी हाइड्रो डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड
  • TISCO - Tata Iron and Steel Company टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी
  • TNPL - Tamil Nadu Newsprint and Paper Limited तमिलनाडु न्यूज प्रिंट एण्ड पेपर लिमिटेड
  • TOI - Times of India टॉइम्स ऑफ इंडिया
  • TSECL - Tripura State Electricity Corporation Limited त्रिपुरा राज्य इलेक्ट्रिसिटी कॉर्पोरेशन लिमिटेड
  • TSSPDCL -Southern Power Distribution Company of Telangana Limited साउदर्न पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ऑफ तेलंगाना लिमिटेड
  • TVS - Thirukkurungudi Vengaram Sundaram Iyengar थिरूक्कुरूंगुडी वेंगरम अयंगर
  • UCO (Bank) - United Comercial Bank Limited यूनाईटेड कोमर्शियल बैंक लिमिटेड
  • UHBVNL  -Uttar Haryana Bijli Vitran Nigam Limited
  • UPMRC - Uttar Pradesh Metro Rail Corporation Limited उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड
  • UPMSCL - Uttar Pradesh Medical Supplies Corporation Ltd. उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाइज कॉर्पोरेशन लिमिटेड
  • UPPCL - Uttar Pradesh Power Corporation Limited उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड
  • UPRVUNL - Uttar Pradesh (UP) Rajya Vidyut Utpadan Nigam Limited उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत निगम लिमिटेड
  • UUIC - United India Insurance Company Limited युनाइटेड इंडिया इंश्यूरेन्स कंपनी लिमिटेड
  • WIPRO - Western India Palm Refined Oil Limited वेस्टर्न इंडिया पॉम रिफाइन्ड ऑयल लिमिटेड

Manisha मंगलवार, 22 सितंबर 2020
Garibi ke karan गरीब कैसे बनें


आपने आज तक बहुत से लेख और ब्लॉग पोस्ट पढ़े होंगे कि गरीब से अमीर कैसै बनें? लेकिन कभी आपने ये नहीं पढ़ा होगा कि मध्यम वर्ग से या धनी वर्ग से गरीब कैसे बनें। किन कारणों से आप गरीब बन सकते हैं। जी हां आपने सही पढ़ा कि भारत में गरीब कैसे बनें इस के उपर कभी कोई चर्चा नहीं होती है।

लेकिन हम बहुत से ऐसे कारणों को जान गये हैं जिसकी वजह से गरीब लोग अत्यधिक गरीबी में चले जाते हैं, कम आय वर्ग और मध्यम वर्ग गरीबी में चला जाता है। आपने देखा होगा कि कई मध्यम वर्ग के परिवारों ने तो पूरे परिवार सहित आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लिये।

इसलिये जरूरी है कि हम सब उन कारणों को जाने जिससे भारत में गरीबी फैलती है, तभी हम उस के प्रति सचेत रह कर गरीबी के जाल से बाहर निकलने की कोशिश कर पायेंगे। इनमें से कई कारण गरीबों के खुद के हैं, कुछ अल्प आय और मध्यम वर्ग से संबंधित हैं।

यूं कहने को तो भारत में गरीबी को कम करने के लिये केन्द्रीय और राज्य सरकारों द्वारा ढेरों योजनायें चलाई जाती हैं जिससे गरीबी आंकड़ों में कम होती जाती है पर वास्तविक रूप से कम नहीं होती। इन योजनाओं द्वारा देश का बहुत पैसा खर्च होता है (कुछ भाग भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है) और गरीबी के रेखा के नीचे के निर्धन उपर उठकर वास्तविक गरीबी में आ जाते हैं।


गरीबी क्या है?


एक बात ये है कि हम यहां पर गरीबी की सरकारी परिभाषा जिसमें शहरों में 33 रुपये और गांवों में 27 रुपये से कम कमाने वाले को गरीब माना जाता है, को न मान कर वास्तविक रूप से गरीबी को देखेंगे क्योंकि भारत में दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाली वस्तुओं की जो कीमत है और इसके लिये जिस हिसाब से लोगों का खर्चा है और जिस प्रकार से लोगों की क्रय क्षमता है उसके हिसाब से तो कम से कम सरकारी तंत्र के चतुर्थ और तृतीय वर्ग के लोग भी गरीबी ही कहलायेंगे।

परिभाषा के अनुसारी तो गरीबी उस समस्या को कहते हैं जिसमें व्यक्ति अपने और अपने परिवार के जीवन की मूलभूत आवश्यकताएँ जैसे कि रोटी, कपड़ा और मकान को पूरा करने में असमर्थ होता है । अधिक दृष्टिकोण से उस व्यक्ति को गरीब या गरीबी रेखा के नीचे माना जाता है जिसमें आय का स्तर कम होने पर व्यक्ति अपनी भौतिक आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ होता है ।


भारत में गरीब कैसे बनते हैं? गरीबी के कारण



1. उचित शिक्षा का अभाव


गरीब लोगों के लिये शिक्षा की व्यवस्था करने के लिये सरकारें अपने विभिन्न प्रकार के विद्यालय चलाती हैं। सभी लोग शिक्षा की इस सरकारी व्यवस्था के बारे में जानते हैं। इसी कारण से उचित प्रकार की शिक्षा गरीबों को मिल नहीं पाती है।

शिक्षा के अभाव में गरीब लोग जिन्दगी में मिलने वाले मौके नही भुना पाते हैं और न ही कोई नया मौका खुद बना पाते हैं। उनको ये पता ही नहीं चलता कि किस तरह से एक या दो पीढ़ी में गरीब अपनी गरीबी के कुचक्र को तोड़ सकते हैं।

कुछ गरीब शिक्षा को महत्वहीन मानते हैं। वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय उनसे काम करवा कर परिवार की आमदनी बढ़ाना पसंद करते हैं।

ये बात कुछ हद तक कम गरीब और निम्म मध्यम वर्ग के लोगों के लिये भी लागू होती है। ये लोग प्रारम्भिक और आगे की शिक्षा तो पा जाते हैं लेकिन विशेषज्ञता वाली शिक्षा जो कि या तो सरकारी सरकारी क्षेत्र में सीमित है या फिर बहुत ही मंहगी है। कई प्रकार के आगे बढ़ने के अवसर उचित शिक्षा के अभाव में लोगों के हाथ से निकल जाते हैं।

2. स्वास्थ्य में बहुत खर्च होना


अधिकांश गरीबों का रहन सहन ऐसी जगहों पर होता है जो कि बहुत स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत अच्छी नहीं होती हैं। ऐसे में आये दिन कुछ न कुछ बामारी लगी रहती है जिससे रोजाना की आय तो जाती ही जाती है बल्कि आय का बहुत बड़ा हिस्सा मेडिकल के खर्चे में चला जाता है।

अल्प आय वर्ग और मध्यम वर्ग भी स्वास्थ्य में बहुत होने वाले खर्चे की वजह से अस्पतालों के बिल चुकाते चुकाते कब गरीबी में बहुंच जाते हैं पता ही नहीं चलता है। इन वर्ग के लोगों को तो खास तौर पर अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिये सतर्क रहना चाहिये।

हमने अपने जीवन में बहुत सारे मध्यम वर्ग के लोगों के स्वास्थ्य समस्याओं में बहुत खर्चा होने का कारण लोन लेते हुये देखा है। जिससे फिर से रहन सहन का स्तर नीचे आ जाता है।

नये गरीब बनने में उचित दर पर अच्छी स्वास्थ्य सेवायें न मिलना और अपने स्वास्थ्य को लेकर लोगों की लपरवाही बहुत बड़ा कारण है।


3. शराब की लत


मैंने अपने जीवन में अब तक ऐसे बहुत सारे लोगों को देख लिया है जो कि शराब की लत के कारण अपना पैसा और स्वास्थ्य गंवा रहे हैं। बहुत सारे लोगों को शराब के कारण अल्प आयु में ही मौत के आगोश में जाते देखा है।

चाहे शराब पीकर कोई अपराध करना हो, कहीं कोई दुर्घटना में चोटिल होना हो या मौत हो जानी हो या फिर स्वयं शराब के कारण खराब स्वास्थ्य के कारण कोई ढंग का काम न करना या फिर लिवर की खराबी के कारण मौत होना हो, हर हाल में लोगों का बहुत सारा पैसा खर्च होता है।

जिस पैसे ले लोग अपना जीवन स्तर सुधार सकते हैं, उस पैसे को शराब के उपर खर्च करके लोग वापस वहीं वापस आ जाते हैं जहां से गरीबी के खिलाफ संघर्ष आरम्भ होता है। शराब को लेकर समाज अब आमतौर पर शराब के ही साथ है। कोई भी शराब के दुष्परिणामों पर बात नहीं करना चाहता है।

शराब अब लोगों के जीवन का हिस्सा बनकर उनकी आय और आयु दोनो को चाट रही है। अब तो महिलायें भी शराब पीने में पूरूषों का पूरी तरह साथ दे रही हैं

4. सरकारी योजनायें भी लोगों को गरीब बना रही हैं


भारत की केन्द्रीय सरकार हो या फिर राज्यों की सरकारें, सब गरीबों के लिये दम भरते हैं और गरीबों के लिये कई कल्याणकारी योजनाओं को चलाते रहते हैं। इन सब योजनाओं से थोड़ा बहुत लाभ गरीबों का होता है और बहुत सारा फायदा बीच के दलालों, सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों और नेताओं को होता है।

इन योजनाओ को चलाने के लिये अनेक कंपनियां, स्वयं सेवी संस्थायें और कर्मचारी लगते हैं और वे ही इसके वास्तविक लाभार्थी बनते हैं।

दूसरी तरफ गरीब लोगों के लिये जो ये कल्याणकारी योजनायें चलती हैं इनमें गरीबों को गरीब ही रहने का पुरस्कार मिलता है। अधिकांश सरकारी गरीबी को योजनाओं मे गरीब के किसी न किसी पैमाने के अन्दर होने के कारण लाभार्थियों को तरह तरह की राशन, घर, पढ़ाई इत्यादि की सुविधायें मिलती हैं।

अगर कोई गरीब अपनी मेहनत से गरीबी के पैमाने से ऊपर आ गया तो उसको मिलने वाली सारी सुविधायें बंद हो जाती हैं। गरीबी के पैमाने से उपर आने पर भी गरीब आदमी कोई अमीर व्यक्ति नहीं बन जाता है। लेकिन सरकार उसकी फ्री मिलने वाली सुविधायें बन्द कर देती है। इसलिये भी गरीब अपने आप को गरीब बनाये रखने में ठीक महसूस करता है।

दूसरी बात ये कि जब सब कुछ सरकार दे ही रही है तो गरीब लोग सोचते हैं फिर गरीबी से उपर उठ कर मेहनत कर के कमाने की व्यवस्था करने से क्या फायदा?

क्या आपने कोई ऐसी सरकारी योजना देखी है जो लोगों से कहती हो कि यदि आप अपनी मेहनत और सरकारी सहायता से अपनी गरीबी से निकल कर कम से कम अल्प आय वर्ग में आ जाओगे तो आपको कई प्रकार की विशेष सुविधायें मिलेंगी? नहीं न।

5. गलत सरकारी नीतियां


भारत की धरती जिस पर भगवान ने इतने प्राकृतिक संसाधन जिसमें लंबे मैदानी क्षेत्र, नदियां, जिनमें एक अच्छी जलवायु और ढेर सारे प्राकृतिक संसाधन शामिल हैं, दिये हैं कि अगर ढंग से सरकारी नीतियां रहें तो ये देश वापस प्राचीन काल की तरह सोने की चिड़िया बन सकता है।

फिर भी सवाल यह है कि आज़ादी के 74 साल बाद भी भारत एक बेहद गरीब देश क्यों है? दरअसल भारत में मेहनत करके गरीबी से ऊपर आने को कभी प्रोत्साहित नहीं किया गया। लोगों को उत्पादकता के कामों में लगने के बजाय केवल नौकरी करने को ही रोजगार का माध्यम बना दिया।

सरकारों ने सोशलिस्ट समाजवादी नीतियां बना कर ऐसे श्रम कानून और नीतियां बनाईं कि लोगों के लिये मेहनत करके अपना काम करना मुश्किल हो गया।

इस दौरान अच्छे पढ़े लिखे लोग उचित अवसरों की तलाश में भारत से बाहर जाते रहे। मानव संपदा जो कि भारत को आगे लो जाती वो दूसरे देशों के विकास में काम आती रही।

भारत में अधिकांश लोगों खास कर व्यवसायीओं पर इतने प्रकार के टैक्स (कर) लगा दिये गये कि लोग कर बचाने के लिये बड़े पैमाने पर काला धन बनाने लगे। और इस प्रकार जो धन भारत में लगता और देश को आगे ले जाता वो विदेशी बैंकों में जमा होने लगा।

इस प्रकार भारत की सरकारी नीतियों के कारण भी लोग गरीब होते जाते हैं। हालांकि अब सरकारें नींद से जागी हैं और अपनी नीतियों में परिवर्तन कर रही हैं।

6. सामाजिक परिस्थितियां


भारत में गरीबी का बहुत बड़ा कारण सामजिक परिस्थितियां और सामाजिक रूप से विभेद भी है। सामाजिक विभेद को तो राजनैतिक रूप से भारत में विभिन्न स्वरूपों में के आरक्षण और गरीबी हटाओ योजनाओं के द्वारा दूर किया गया है। लेकिन सामाजिक स्थितियों पर अभी भी कुछ नहीं किया गया है।

भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल सामाजिक आधार आज तक भी पुरानी सामाजिक संस्थाएं तथा रूढ़ियां हैं। यह वर्तमान समय के अनुकूल नहीं है। ये संस्थाएं हैं - जातिप्रथा, संयुक्त परिवार प्रथा और उत्तराधिकार के नियम आदि। ये सभी भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से होने वाले परिवर्तनों में बाधा उपस्थित करते हैं।

चाहे तड़क भड़क भरी शादी में होने वाला खर्चा हो, शादी में दिये जाना वाला दहेज हो, मृत्यु भोज हो या फिर आये दिन आने वाले तीज-त्यौहार हों, सब पर समाज में अपना मुंह दिखाने और अपनी हैसियत बताने के नाम पर बहुत खर्चा होता है।

बहुत से लोगों को तो हमने इन सब खर्चों के लिये लोन लेते हुये देखा है। गरीबी का कुचक्र इसी प्रकार के खर्चों के कारण बना रहता है।

इन खर्चों में मध्यम आय वर्ग भी शामिल है। मध्यम आय वर्ग में तो आजकल अपनी सामाजिक हैसियत में दिखावा करने के लिये अपनी क्षमता से ज्यादा खर्च करके बच्चों को मंहगी शिक्षा, कार खरीदना, विदेश यात्रा करना इत्यादि भी शामिल हो गये हैं।

उधार चुकाते चकाते अपनी मेहनत की कमाई लोग ऐसे ही कामों मे लगा देते हैं और गरीबी में आ जाते हैं।


7. बढ़ती मंहगाई


बुनियादी वस्तुओं की लगातार बढ़ती कीमतें भी गरीबी का एक प्रमुख कारण हैं। गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले व्यक्ति के लिए जीवित रहना ही एक चुनौती है। भारत में गरीबी का एक अन्य कारण जाति व्यवस्था और आय के संसाधनों का असमान वितरण भी है।

इसके अलावा पूरे दिन मेहनत करने वाले अकुशल कारीगरों की आय भी बहुत कम है। असंगठित क्षेत्र की एक सबसे बड़ी समस्या है कि मालिकों को उनके मजदूरों की कम आय और खराब जीवन शैली की कोई परवाह नहीं है। उनकी चिंता सिर्फ लागत में कटौती और अधिक से अधिक लाभ कमाना है।

उपलब्ध नौकरियों की संख्या के मुकाबले नौकरी की तलाश करने वालों की संख्या अधिक होने के कारण अकुशल कारीगरों को कम पैसों में काम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है।

सरकार को इन अकुशल कारीगरों के लिए न्यूनतम मजदूरी के मानक बनाने चाहिये। इसके साथ ही सरकार को यह भी निश्चित करना चाहिये कि इनका पालन ठीक तरह से हो।

Poor गरीब


8. भारत की बढ़ती जनसंख्या


भारत में गरीबी का एक बड़ा कारण बढ़ती जनसंख्या है। इससे निरक्षरता, खराब स्वास्थ्य सुविधाएं और वित्तीय संसाधानों की कमी भी बढ़ती जाती है। इसके अलावा उच्च जनसंख्या दर से प्रति व्यक्ति आय भी प्रभावित होती है और प्रति व्यक्ति आय घटती है।

एक अनुमान के अनुसार के भारत भारत पूरी दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने की ओर अग्रसर है। भारत की आबादी जिस रफ्तार से बढ़ रही है उस रफ्तार से भारत की अर्थव्यवस्था नहीं बढ़ रही है। अब तो भारत की सड़कों पर बढ़ती हुई जनसंख्या महसूस होने लगी है।

भारत में जनसंख्या इस गति से बढ़ रही है कि कुल उत्पादन बढ़ने पर प्रत्येक व्यक्ति के हिस्से में अधिक धन नहीं हो पाता, जिससे जीवन-स्तर ऊंचा नहीं हो पाता। इसी वजह से बेराजगारी बढ़ती है।

बढ़ती जनसंख्या पर रोक लगाने के लिये कठोर कदम उठाने का समय आ गया है ताकि गरीबी को भी काबू में किया जा सके

9. प्राकृतिक आपदायें


भारत में गरीबी के अनेक कारणों में से एक भारत के विभिन्न भागों में किसी न किसी समय आने वाली प्राकृतिक आपदायें भी कहीं न कहीं दोषी हैं। कहीं अत्यधिक ठंड का मौसम रहता और वर्ष के अधिकांश समय बर्फ रहती है, कहीं ज्यादा बारिश से बाढ़ रहती है, कहीं सूखा रहता, कहीं जमीन रेगिस्तानी है, कहीं जंगल हैं। कभी कभी भूकम्प भी आ जाता है।

इन सब प्राकृतिक कारणों से बड़ी जनसंख्या प्रभावित होती है। जब काम करने का मौका प्राकृतिक आपदाओं की वजह से चला जाता है तो लोगों की आय भी गिर जाती हैं अतः गरीबी बनी रहती है।

10. प्रेरणा की कमी - गरीबी का महिमा मंडन


जैसा कि हमने ऊपर क्रम संख्या 4 में भी बताया था कि गरीबी उन्मूलन के फार्मूले में काम करने के प्रोत्साहन के अभाव की भी है। गरीब को सहज ही भोजन मिल जाए, तो श्रम करने की रुचि नहीं रह जाती है। लोगों को सरकारी योजनाओं की वजह से काफी वस्तुयें निशुल्क मिल रही हैं जिससे उनकी श्रम करने की चाहत समाप्त हो गई है।

यदि समाज का एक बड़ा वर्ग इस प्रकार निष्क्रिय हो जाएगा, तो फिर उनका उत्थान तो नहीं हो पायेगा।

इन कारणों से बढ़ती असमानता के साथ गरीबी उन्मूलन हो जाए, तो भी वह सफल नहीं होगा। हमारे सामने विकट समस्या उपलब्ध है, विकास की प्रक्रिया में असमानता में वृद्धि होती ही है।

इसके अलावा समाजवादी सोशलिस्ट सोच के कारणों से भारत के राजनैतिक दलों ने और साहित्यकारों, महात्माओं व फिल्मों ने भी गरीबी का महिमा मंडन ही किया है। लोगों को ये ही बताया गया कि पैसे वाले और उद्योगपति चोर और बेईमान होते हैं, वे गरीबों का खून चूस कर अमीर बने हैं, गरीब ईमानदार होते हैं इत्यादि ही बताया गया है।

किसी ने भी गरीबों का आव्हान नहीं किया कि गरीबी के चक्र को तोड़ो। इसलिये लोगों को कोई भी इच्छा नहीं होती है कि गरीबी से बाहर निकलें।


निष्कर्ष


ऊपर बताये गये कारणों के अलावा भी कई कारण हैं जिसकी वजह से न तो गरीबी कम होती है बल्कि बढ़ती भी जाती हैं। भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार, राजनीतिक दलों द्वारा गरीबों को वोट बैंक बनाये रखना, भारत की अर्थव्यवस्था की तेजी से न बढ़ना, जलवायु की वजह से लोगों की कार्यकुशलता में कमी होना, देश का चारों ओर से दुश्मनों से घिरा होना और इस कारण सुरक्षा पर बहुत ज्यादा खर्च करना इत्यादि कई अन्य कारण हैं जिनसे भी भारत में गरीबी दूर नहीं हो रही है।

भारत की गरीबी केवल एक व्यक्ति, परिवार, समाज की की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय समस्या बन चुकी है। गरीबी एक ऐसी मानवीय परिस्थिति है जो हमारे जीवन में निराशा, दुख और दर्द लाती है।

लोगों, अर्थव्यवस्था, समाज और देश के सतत और समावेशी विकास के लिए गरीबी का उन्मूलन आवश्यक है। यदि भारत के लोग ठान लें को कुछ किया जा सकता है।

Manisha सोमवार, 14 सितंबर 2020

 केरल के वर्कला बीच की यात्रा 


Varkala Beach


पिछले साल के अंत में (दिसम्बर) हम लोग केरल राज्य के तिरुवनंतपुरम और वहां से कन्याकुमारी की यात्रा पर गये थे। तिरुवनंतपुरम में हमने प्रसिद्ध पद्मनाभ मंदिर, मंदिर के पास का संग्रहालय, शहर के अन्य मंदिर और वहां पर स्थित समुद्र तटों की यात्रा की। तिरुवनंतपुरम या त्रिवेंद्रम में हम लोग शंगमुखम बीच, प्रसिद्ध कोवलम बीच और बहुत ही सुंदर वर्कला बीच गये। Trip to Varkala Beach in Kerala. 

यूं केरल की खूबसूरती के बारे में जितना कहा जाए उतना ही कम है, लेकिन जब हम वर्कला बीच की यात्रा (Keral ke Varkala Beach ki Yatra) कर के वहां पहुंचे तो हम लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वर्कला बीच हमारे द्वारा देखे गये आज तक के सभी समुद्र तटों में से सबसे ज्यादा खूबसूरत है। 

केरल के खूबसूरत बीचों की लिस्ट में सबसे पहले नाम वर्कला बीच का आता है। वर्कला उन लोगों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है, जो प्रकृति की गोद में आध्यात्मिक शांति की तलाश करते हैं। दक्षिणी केरल के इस छोटे से गांव में ऐसी शांति और सुकून है, जो और जगहों पर नहीं मिलती।

हमने भारत के बहुत से समुद्र तटों की यात्रा की है,  लेकिन हमारे अनुसार वर्कला बीच इन सब से ज्यादा सुंदर है।


वर्कला बीच की भौगोलिक स्थिति


वर्कला बीच, जिससे पापनासम बीच का नाम से भी जाना जाता है, तिरुवनंतपुरम के  उत्तर में करीब 40 किलोमीटर की दुरी पर स्थित समुंदर-तट है। यह अरब सागर और हिन्द महासागर का हिस्सा है। 'पापनासम' शब्द का अर्थ है 'पापों का विनाश'। ऐसा माना जाता है कि पापनासम बीच में स्नान करने से पापों का विनाश हो जाता है।

वर्कला अपने  2,000 वर्ष पुराने जनार्दन स्वामी मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है जो कि भगवान विष्णु का मंदिर है। वर्कला में एक अन्य प्रसिद्ध स्थल है समाज सुधारक श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित सिवगिरी मठ। पहाड़ी की चोटी पर स्थित श्री नारायण गुरु की समाधि केरल में सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है।

सर्दियों का मौसम इस जगह की यात्रा के लिए सबसे अच्‍छा समय होता है। वर्कला ही केरल में एकमात्र ऐसी जगह है जहां पहाड़ियां, समुद्र के निकट हैं।  यहां पर समुद्र बीच पर जाने के लिये नीचे जाना पड़ता है। 

समुद्र किनारे बसा और विदेशियों का पसंदीदा वर्कला बीच असल में समुद्र तल से खासी ऊंचाई पर है। वर्कला के आसपास पश्चिमी घाट की चट्टानें समुद्र से थोड़ी दूरी पर न होकर बिल्कुल किनारे पर हैं। इन्हीं में से दो चट्टानों पर बसा है वर्कला। इनमें से एक है नॉर्थ क्लिफ और दूसरी साउथ क्लिफ और तीखी ढलान वाली इन चट्टानों की तलहटी में हैं चमचमाती रेत वाले किनारे।


उपर चट्टानी टीले पर बहुत सी कपड़ों की और अन्य उपयोगी सामान की दुकानें हैं। इन दुकानों के पीछे बहुत सारे होटल और रेस्टोरेंट हैं। इन सब के बीच में जो बीच पर जाने का रास्ता है उसके बांयी तरफ नीचे खूबसूरत बीच और दांयी और दुकानें और होटल स्थित हैं। 

जब आप वर्कला पहुंचते हैं तो सबसे पहले पार्किंग से ही नीचे की सुंदर बीच दिखता है। पूरा नजारा ऐसा है कि यदि आप नीचे समुद्र को देखेंगे तो देखते ही रह जायेंगे। आप को ऐसा लगेगे कि काश समय थम जाये और आप जी भर के इस खूबसूरत नजारे को देखते रहें।


Varkala Beach Kerala वर्कला बीच

वर्कला समुद्र तट कैसे पहुंचे?


 वर्कला बीच तिरुवनंतपुरम (त्रिवेंद्रम) के उत्तर में करीब 40 किलोमीटर और कोल्‍लम शहर से 37 किमी. दूर दक्षिण - पश्चिम में स्थित है। दक्षिण भारत के सभी महत्‍वपूर्ण शहरों से वर्कला के लिए बस सेवाएं चलाई जाती हैं। वर्कला में रेलवे स्‍टेशन भी है और यहां का निकटतम हवाई अड्डा तिरूवंनतपुरम में है। 

हम लोगों ने त्रिवेंद्रम से वर्कला पहुंचने के लिये ओला टैक्सी की थी। 

वर्कला भारत के दक्षिण-पश्चिमी छोर पर स्थित है। यहाँ का मौसम उष्ण-कटिबंधीय है। मार्च और मई के बीच के महीनों में यहाँ का मौसम बहुत ही गर्म और आर्द्र रहता है, जिसके कारण इसकी एक अनुपयुक्त पर्यटन स्थल के रूप में गणना की जाती है। 

पर्यटक दिसंबर से लेकर मार्च के महीनों में यहाँ की यात्रा करना काफी पसंद करते हैं। इस समय यहाँ मौसम सुखद रहता है। हम लोग भी दिसंबर माह में ही वहां घूमने गये थे।

Varkala Beach View

वरकला बीच का वर्णन


त्रिवेंद्रम का वर्कला बीच एक लंबा साफ सुथरा ऐसा समुद्र तट है जिस पर समुद्र का पानी बहुत ही साफ हैं। भारत के अन्य समुद्र तटों से अलग यहां पानी बहुत ही साफ है और उसमें बालू बहुत ही कम मिश्रित है। किनारे की बालू भी एक दम साफ है और लगभग सफेद और सनहरे रंग की है। वरकला का बीच बहुत ही सुंदर करीब एक से ढेड़ किलोमीटर तक जहां तक कि निगाह जाती है, लंबा और बिलकुल सीधा है। 

बीच के एक ओर उूंचे चट्टानी टीले पर स्थित मुख्य जमीन है और दूसरी और लंबा उथला समुद्र है जिसमें आप काफी अंदर तक आराम से जा के समुद्री पानी में नहाने का मजा ले सकते हैं।

उूंची चट्टानी वाली मुख्य भूमि पर ही पूरा वर्कला बसा हुआ है और वहां पर सैंकड़ों की संख्या में होटल, रेस्टोरेंट, होम स्टे, अतिथि गृह इत्यादि बने हुये हैं। हमें ऐसा लगा कि हनीमून वाले जोड़ों के लिये ये बिलकुल अच्छी जगह है जहां कम से कम एक रात तो रूका ही जा सकता है।


View from Varkala Beach


वर्कला बीच पर हमें भारतीयों के मुकाबले विदेशी सैलानी ज्यादा दिखे। भारत के समुद्री बीचों का मजा भारतीयों से ज्यादा विदेशी ही लेते हैं। 

सुंदरता में विदेशी सागर तटों को मात देता  है केरल राज्य के तिरुवनंतपुरम का  वर्कला बीच।

वरकला बीच पर आनंद की कई मनोरंजक गतिविधियों जैसे सूरज स्नान, नाव की सवारी, सर्फिंग और आयुर्वेदिक मालिश की सुविधा आराम से मिल जाती है। 

वर्कला बीच से ही लगे हुये  हैं 'पापनासम'  और 'कप्पिल' बीच, समय निकाल कर आप वहां भी जा सकते है।




 वर्कला बीच पर हमारी गतिविधियां


त्रिवेंद्रम से  वर्कला बीच हम लगभग 1.30 (डेढ़) घंटे में पहुंच गये। रास्ते में हमने आईटी इंडस्ट्री के लिये बनाया गया आधुनिक टैक्नो पार्क देखा। यहां पर बहुत सारे उत्तर भारतीय तकनीकि इंजीनियर काम कर रहे हैं।

पहले इसी टैक्नो पार्क के सामने स्थित सरवणा भवन शाकाहारी रेस्त्ररां (Restaurant) में हमने दोपहर का खाना (लंच) खाया और त्रिवेंद्रम टैक्नो पार्क के सामने खड़े होकर सेल्फी लेकर चल पड़े वरकला समुद्र तट की और।

जब हमारी टैक्सी वरकला पर समुद्र किनारे उूंचे टीले पर स्थित पार्किंग पर पहुचे तो वहां से वर्कला बीच का पानी धूप की वजह से सुनहरा चमक रहा था। उस वक्त सूरज ढलान पर था और उसकी सुनहरी आभा से वर्कला का सफेद रेत वाला समंदर तट चमक रहा था।

 कुछ देर वहां से सुंदर नजारा देख कर हम लोगों ने नीचे बीच पर जाने की शुरूआत की।


रास्ते में हमने बच्चों के लिये समुद्र में नहाने के लिये कुछ कपड़ों को खरीदने के लिये दुकानों में सामान देखना शुरू किया। एक दुकान में हमें कुछ अच्छा सामान देख कर रुक कर आपस में बात करना शुरु किया तो दुकान में अपने छोटे बच्चे के साथ बैठी महिला ने शुद्ध उत्तर भारतीय हिंदी में हमसे पूछना शुरू कर दिया कि हम क्या खरीदना चाह रहे हैं और कैसा चाहते हैं। 

उससे बात करते करते पता चला कि उसका पूरा परिवार वहां रह रहा है और वो लोग अक्टूबर से मार्च के दौरान पर्यटन सीजन में दुकान किराये पर लकर वहां पर पर्यटकों को बने बनाये कपड़ों को बेचने का काम करते हैं। वो लोग राजस्थान से थे। वाकई लोग किस किस तरह का और कहां कहां पर अपना व्यवसाय करते हैं। 

वर्कला बीच पर हमने जम के समुद्र के साफ पानी में बच्चों के साथ नहाने का और पानी में मस्ती करने का आनंद लिया। पानी में ही नहाते नहाते वहां के बहुत ही सुंदर सूर्यास्त के दृश्य को देखा और साथ ही साथ हमने जम कर फोटोग्राफी भी की।

Varkala Beach Sunset


भारत के समुद्र तटों पर अभी अच्छी मूलभूत सुविधाओं की कमी है जैसे कि समुंदर के नमकीन पानी में नहा कर जब निकलते हैं तो आपके लिये साफ ताजे नहाने के पानी की व्यवस्था नहीं होती है। वर्कला बीच पर आश्चर्यजनक रूप से चट्टानी पहाड़ियों में से प्राकृतिक रूप से झरने हैं, जिसमें आप अपने को साफ कर सकते हैं। 

हम लोगों ने भी ऐसे ही एक प्राकृतिक झरने में नहा कर अपने को साफ किया और कपड़े बदल कर वर्कला बीच की अपनी यात्रा पूरी की। लोगों से पूछने पर पता चला कि ये झरने पूरे साल भर पानी देते हैं।

वर्कला के सागर किनारे खाने-पीने के कई अच्छे ठिकाने हैं, जहां ठंडी हवा के झोंकों के बीच डिनर किया जा सकता है। हम ने भी ऐसे ही एक रेस्टोरेंट में अपना डिनर किया और वापस अपने त्रवेंद्रम स्थित होटल के लिये  अपनी टैक्सी जो कि पार्किंग में हमारी प्रतीक्षा कर रही थी के द्वारा चल पड़े। 

वर्कला बीच की हमारी यात्रा यादों मे हमेशा रहेगी।

Manisha शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

बाढ़ आपदा प्रबंधन पर कैसे ध्यान दें और क्या करें? 


आजकल भारत में मानसून की बारिश का मौसम है। भारत के मौसम विभाग ने अप्रैल माह में ही बताया था कि भारत में इस बार अच्छी बारिश होगी। ऐसे में स्वाभाविक है कि इस समय वर्षा होगी कहीं कम और कहीं ज्यादा।

जहां ज्यादा बारिश होगी वहां बाढ़ का भी खतरा रहेगा। इस बाढ़ को लेकर हम हर साल समाचार पत्रों में और टीवी पर देखते रहते हैं। ये बाढ़ लोगों की जान और माल को भारी नुकसान पहुंचाती है। ऐसी खबरों को हर साल देख कर मन में ख्याल आता है कि शायद बाढ़ प्रबंधन पर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है। तो हमें बाढ़ आपदा प्रबंधन पर कैसे ध्यान देना चाहिये और क्या करें?

Flood Management
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बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र


इस समय भारत में बिहार, असम, अरुणाचल प्रदेश एवं उत्तर-पूर्व के कई क्षेत्रों में बिहार की बयावह स्थिति है। इसी बाढ़ के बीच मानसून की वजह से और रोजाना होने वाली और बारिश भी प्रशासन के सामने चुनौती बनी हुई है। भारी बारिश से देश के कई अन्य इलाकों भी में हाल खराब है।

मुंबई, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान के कई इलाकों में भी बारिश होने से पानी भरने से कई जगहों पर बाढ़ आई हुई है।

ऐसे में मौसम विभाग द्वारा काफी इलाकों में भारी से भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। इससे हालात और खराब होने की संभावना है।

वर्तमान में भारत के कई क्षेत्रों के बारे में लगभग पहले से ही पता होता है कि बरसात के मौसम में थोड़ी सी ठीक बारिश होने पर बाढ़ आ सकती है। अब तो हालत ये हो गई है बाढ़ आपदा प्रबंधन न होने की वजह से बड़े बड़े शहरो जैसे कि चेन्नई, मुंबई, अहमदाबाद, श्रीनगर कहीं भी अचानक बाढ़ आ जाती है और जान माल का भारी नुकसान होता है।

भारत में प्रमुख बाढ़ क्षेत्रों में गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और बिहार में नेपाल से लगता हुआ क्षेत्र जिसमें कोसी नदी का डूब क्षेत्र शामिल है। देश में नदियों के बहाव से आने वाली कुल बाढ़ का करीब 60 प्रतिशत इसी क्षेत्र में आती है।

देश के बाढ़ की सर्वाधिक आशंका वाले क्षेत्रों में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के हिमालयी नदियों के थाले में आने वाले क्षेत्र शामिल हैं। जम्मू कश्मीर, पंजाब के कुछ हिस्से, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश को कवर करने वाले कुछ उत्तर-पश्चिमी नदी थालों में भी बाढ़ की आशंका रहती है। झेलम, सतलुज, व्यास, रावी और चेनाब मुख्य नदियां हैं जो इस क्षेत्र में बाढ़ का कारण बनती हैं।

मध्य प्रदेश, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र मध्यवर्ती एवं प्राय:द्वीपीय नदी थालों के अंतर्गत आते हैं, जहां नर्मदा, ताप्ती, चम्बल और महानदी जैसी नदियां बाढ़ लेकर आती हैं। गोदावरी, कृष्णा, पेन्नार और कावेरी में भी भारी बाढ़ आने से विस्तृत भूभाग जलमग्न हो जाते हैं और बाढ़ की समस्या आमतौर पर गंभीर होती है।
राष्ट्रीय बाढ़ आयोग द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार देश में करीब चार करोड़ हेक्टेयर भूमि ऐसी है, जिसमें बाढ़ की आशंका रहती है। औसतन हर वर्ष करीब 80 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में वार्षिक बाढ़ आती है, जिससे करीब 37 लाख हेक्टेयर फसल क्षेत्र प्रभावित होता है।

एक अनुमान के अनुसार, देश में 60 प्रतिशत से अधिक नुकसान नदियों में आने वाली बाढ़ के कारण होता है। 40 प्रतिशत क्षति भारी वर्षा और तूफानों के कारण होती है। हिमालयी नदियां देश में होने वाले कुल नुकसान में करीब 60 प्रतिशत योगदान करती हैं।

प्रायद्वीपीय नदी थालों में अधिकतर क्षति चक्रवातों के कारण और हिमालयी नदियों में करीब 66 प्रतिशत नुकसान बाढ़ से और 34 प्रतिशत भारी वर्षा के कारण होता है। राज्यवार अध्ययन से पता चलता है कि देश में बाढ़ से करीब 27 प्रतिशत क्षति बिहार में, 33 प्रतिशत उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड मेें तथा 15 प्रतिशत पंजाब और हरियाणा में होती है।

भारत में अधिकतर बाढ़ भारी वर्षा या पर्वतीय और नदी धारा क्षेत्रों में बादल फटने के कारण आती है। एक दिन में करीब 15 सेंटीमीटर वर्षा होने पर नदियां उफनने लगती हैं। यह धारणा पश्चिमी घाटों के पश्चिमी तटवर्ती क्षेत्रों, असम और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और भारत के गंगा के मैदानों को प्रभावित करती है।

क्या बाढ़ का कारण बारिश है?


भारत में आने वाली विभिन्न आपदाओं में बाढ़ सर्वाधिक सामान्य है और इसके संकट बार बार आते रहते हैं। परंपरागत दृष्टि से यह कहा जाता है कि बाढ़ आने के लिए भारी वर्षा जिम्मेदार है।

यह बात भारत के संदर्भ में विशेष रूप से लागू होती है जहां कृषि क्षेत्र के लिए मानसून अनिवार्य है। यह सार्वभौमिक सत्य है कि बाढ़ भारी वर्षा के कारण आती है, जबकि समूचे वर्षा जल को धारण करने की प्राकृतिक जलमार्गों की क्षमता से अधिक जल गिरता है।

परंतु, कुछ अन्य तथ्य भी हैं, जो यह सुझाव देते हैं कि बाढ़ हमेशा भारी वर्षा से ही नहीं आती है। हाल ही में यह नई और गंभीर आयाम वाली धारणा सामने आई है कि बाढ़ में मानव का भी योगदान है, जो मानव निर्मित आपदा में परिणत होता है।

इस तरह बाढ़ के दो पहलू हैं - प्राकृतिक और मानव निर्मित। मानव निर्मित घटक अत्यंत खतरनाक है जो प्राकृतिक घटकों के साथ मिल कर प्राकृतिक आपदा को अधिक घातक आयाम प्रदान करता है।

बाढ़ का कारण बनने वाले अप्राकृतिक घटकों में धरती का तापमान बढऩा, पर्यावरणीय ह्रास, नगरीय और खेती संबंधी उपयुक्त योजना का अभाव, उपलब्ध जमीन के प्रत्येक इंच पर अमीर होने का लालच, विशेषकर ऐसे क्षेत्रों में, जो वर्षा ऋतु के दौरान जल निकासी का मार्ग प्रदान करते हैं, आदि प्रमुख हैं।

अन्य अप्राकृतिक घटकों में तूफान या उष्णकटिबंधीय चक्रवात, सुनामी या सामान्य नदी स्तरों से ऊंची लहरें उठना शामिल हैं, जिनके कारण मुख्य रूप से तटवर्ती क्षेत्रों में भारी मात्रा में पानी जमा हो जाता है और व्यापक क्षेत्र डूब जाते हैं।

बांधों को क्षति पहुंचाने वाले भूकंप, खुश्क मौसम के दौरान भी, निम्नवर्ती धारा क्षेत्र में बाढ़ का कारण बन सकते हैं। लेकिन यह कोई नियमित घटना नहीं है और कभी-कभार ऐसा हो जाता है।

इधर हाल में मौसम वैज्ञानिकों को मानसून की पद्धति में अनियमितता का आभास हुआ है, जिसे देखते हुए यह आपदा घटक और भी चिंताजनक हो गया है।

वर्षा का मौसम तीन से चार महीने की अल्पावधि में अधिक संकेंद्रित रहता है, जिससे इन महीनों में नदियों में विनाशकारी बाढ़ आती है। कई बार देखा गया है कि पूरे महीने की बारिश उस क्षेत्र में 1-2-3 दिन में ही लगातार गिर जाती है, इससे क्षेत्र विशेष का बारिश का औसत तो बना रहता है लेकिन खूब सारी बारिश एक साथ होने से वहां पर बाढ़ आपदा का खतरा बन जाता है।

एक नया आयाम और भी है, जो पिछले कुछ वर्षों से दिखाई दे रहा है, कि बेमौसम की बरसातें होती हैं और यहां तक कि मॉनसून की जो परंपरागत अवधि है, उसमें भी बदलाव दिखाई देता

बाढ़ में योगदान करने वाले अन्य घटकों में नदी तल में वृद्धि, जो गाद और रेत जमने के कारण होती है, शामिल हैं, क्योंकि बरसों तक नदियों की सफाई के लिए कोई अभियान नहीं चलाया जाता है।

हिमालयी नदियां अपने साथ भारी सामग्री लेकर चलती हैं, जिसमें गाद और रेत की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो अंतत: निचले जलग्रहण क्षेत्रों में जमा हो जाती है। नतीजतन नदियों की जलवहन क्षमता कम हो जाती है और निकटवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती है।

कई बार लोग नदियों के किनारे के क्षेत्रों में घर और अन्य निर्माण कर लेते हैं इससे भी नदी को बारिश के पानी को निकालने के लिये अधिक जगह नहीं मिल पाती है। नदियों में जल के मुक्त प्रवाह में तटबंधों, नहरों और रेलवे संबंधी परियोजनाओं के निर्माण के कारण भी रुकावट पैदा होती है।

2013 की उत्तराखण्ड की विनाशकारी बाढ़ इसी कारण से थी। इसका एक और गंभीर उदाहरण झेलम नदी है, जिसके किनारों पर श्रीनगर और अन्य कस्बेे स्थित हैं। दीर्घावधि वर्षा से नदी में आने वाले आकस्मिक और भारी जलप्रवाह को झेलम नियंत्रित नहीं रख पाती है, क्योंकि पिछले 5 दशकों से नदी क्षेत्र में एकत्र गाद और रेत की सफाई के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए हैं।

बाढ़ के अन्य कारण


बाढ़ का एक बहुत बड़ा कारण नदी तल में वृद्धि, जो गाद और रेत जमना है, शामिल है, क्योंकि बरसों तक नदियों की सफाई के लिए कोई अभियान नहीं चलाया जाता है। हिमालयी नदियां अपने साथ भारी सामग्री लेकर चलती हैं, जिसमें गाद और रेत की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो अंतत: निचले जलग्रहण क्षेत्रों में जमा हो जाती है।

नतीजतन नदियों की जलवहन क्षमता कम हो जाती है और निकटवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती है। नदियों में जल के मुक्त प्रवाह में तटबंधों, नहरों और रेलवे संबंधी परियोजनाओं के निर्माण के कारण भी रुकावट पैदा होती है। पिछले कई दशकों से नदी क्षेत्रो में एकत्र गाद और रेत की सफाई के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए हैं।

वनों की कटाई का प्राकृतिक जलवायु परिवर्तन पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है, जिससे वैश्विक तापमान में इजाफा हो रहा है। पर्वतीय ढलानों पर वनों के काटने से मैदानों की ओर नदियों के प्रवाह में रुकावट आती है, जिससे उनकी जलवहन क्षमता पर असर पड़ता है, जिससे पानी तेजी से नीचे की तरफ आता है।

वनों के ह्रास के कारण भूमि कटाव की समस्या भी पैदा होती है क्योंकि वृक्ष पर्वतों की सतह को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और तेजी से नीचे आने वाले वर्षा जल के लिए प्राकृतिक बाधाएं पैदा करते हैं। नतीजतन नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ जाता है, जिससे बाढ़ आती है।

शहरी क्षेत्रों में बाढ़ का मूल कारण यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों में अंधाधुंध पलायन हो रहा है, जिससे आवास और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए भूमि पर दबाव बढ़ता है। जमीन, विशेषकर ऐसे क्षेत्रों जो नदियों और उनकी सहायक नदियों के बाढ़ के पानी की परंपरागत निकासी का स्रोत होते हैं, पर अतिक्रमण रोकने में नगर प्राधिकारियों और यहां तक कि सरकारों की विफलता और अधिकतर मामलों में जटिलता से शहरों में अभूतपूर्व बाढ़ आती है।

देश के अधिकांश बड़े शहरों को जलभराव के खतरे का सामना करना पड़ रहा है। इसके कारणों में कुप्रशासन, आयोजना का अभाव, भूमि के अतिक्रमण संबंधी भ्रष्टाचार और अंधाधुंध अनधिकृत निर्माण शामिल है।

चेन्नई और श्रीनगर में पिछले दिनों आई अभूतपूर्व बाढ़ इसी तरह की बर्बरता का उदाहरण है। इससे पहले मुम्बई में भी इन्हीं कारणों से बाढ़ आई थी। आवास और आर्थिक कारणों के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण के नाम पर अनियोजित वाणिज्यीकरण से शहरों में प्राकृतिक आपदाओं को सहने की क्षमता कम होती जा रही है।

वर्तमान बाढ़ आपदा प्रबंधन


वर्तमान में कटाव नियंत्रण सहित बाढ़ प्रबंधन का विषय राज्‍यों के क्षेत्राधिकार में आता है। बाढ़ प्रबंधन एवं कटाव-रोधी योजनाएँ राज्‍य सरकारों द्वारा प्राथमिकता के अनुसार अपने संसाधनों द्वारा नियोजित, अन्‍वेषित एवं कार्यान्वित की जाती हैं। इसके लिये केंद्र सरकार राज्‍यों को तकनीकी मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

पिछले कई बर्षों से देखने में आया है कि बाढ़ के पैटर्न में निश्चित रूप से परिवर्तन हुआ है, जो वर्षा की बदलती पद्धति से सम्बद्ध है। दशकों पहले मानसून मॉडल की तुलना में परिवर्तन स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर हो रहा है।

प्रौद्योगिकी उन्नयन के चलते मौसम विशेषज्ञ या जिन्हें हम लोकप्रिय रूप में वैदरमैन कहते हैं, वे आज मानसून या अन्य मौसम स्थितियों की भविष्यवाणी लगभग शत प्रतिशत यथार्थ रूप में कर देते हैं। भारत का मौसम विभाग अब लगभग सही भविष्यवाणी कर पा रहा है। इससे केंद्र और राज्य, दोनों ही सरकारों को निश्चित रूप से आपदा प्रबंधन कार्रवाइयों को अंजाम देने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।

इससे न केवल असामान्य भारी वर्षा के कारण आने वाली बाढ़ से बल्कि बारिश की कमी के कारण पडऩे वाले सूखों से भी लोगों को निजात दिलाने की तैयारी जा सकती है।

परंतु, वैज्ञानिक साधनों से वर्षा पद्धतियों पर नियंत्रण करना या ऐसा कोई डिजाइन तैयार करना संभव नहीं है। अत: बाढ़ प्रबंधन के लिए परिवर्तित वर्षा पद्धतियों के अनुरूप बहु-आयामी रणनीति अपनाने की आवश्यकता है।

वनों के ह्रास को रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। अनेक हिमालयी राज्यों में पिछले दशकों के दौरान वनों का राष्ट्रीयकरण किया गया है ताकि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगाई जा सके।

सभी स्तरों पर पौधे लगाने या वनरोपण के व्यापक अभियान चलाना भी सही दिशा में एक कदम है। बाढ़ नियंत्रण के संदर्भ में इन उपायों का अपेक्षित लाभ तभी मिल सकता है जबकि वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर सतत और दीर्घावधि योजना के अनुसार ये प्रयास जारी रखे जाएं।

अतिक्रमण रोकने में नगर प्राधिकारियों और यहां तक कि सरकारों की विफलता और अधिकतर मामलों में जटिलता से शहरों में अभूतपूर्व बाढ़ आती है। देश के अधिकांश बड़े शहरों को जलभराव के खतरे का सामना करना पड़ रहा है। इसके कारणों में कुप्रशासन, आयोजना का अभाव, भूमि के अतिक्रमण संबंधी भ्रष्टाचार और अंधाधुंध अनधिकृत निर्माण शामिल है।

चेन्नई और श्रीनगर में पिछले दिनों आई अभूतपूर्व बाढ़ इसी तरह की बर्बरता का उदाहरण है। इससे पहले मुम्बई में भी इन्हीं कारणों से बाढ़ आई थी। आवास और आर्थिक कारणों के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण के नाम पर अनियोजित वाणिज्यीकरण से शहरों में प्राकृतिक आपदाओं को सहने की क्षमता कम होती जा रही है।

यदि सम्बद्ध अधिकारियों ने निहित स्वार्थों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की होती और बाढ़ से होने वाली आकस्मिकताओं के लिए निवारक उपायों की पूरी तरह तैयारी की होती तो ऐसी आपदाओं को रोका जा सकता था।

ये निहित स्वार्थ नगर योजनाकारों, नौकरशाहों और यहां तक कि राजनीतिज्ञों की भी मिलीभगत होते हैं। इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि मकान की जरूरत या अन्य कारणों से आम नागरिक भी इसमें एक घटक बनते हैं।

तो ये ऊपर लिखे हुये जो भी वर्तमान बाढ़ आपदा प्रबंधन के उपाय किये जा रहे हैं वो अपर्याप्त हैं। सरकारें बाढ़ प्रबंधन को लेकर देर से जागती हैं और संबंधित जिलों को प्रशासनिक अधिकारियों के भरोसे छोड़ देती हैं। ज्यादा हालात खराब होने पर सरकारों के मुखियाओं द्वारा हैलीकॉप्टर से दौरा कर के कुछ बाढ़ सहायता राशि की घोषणा कर दी जाती हैं और उसके बाद धीरे धीरे सब भुला दिया जाता है और ये सिलसिला साल दर साल चलता रहता है।

जबकि होना तो ये चाहिये कि वर्तमान बाढ़ प्रबंधन जिस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है को केवल बाढ़ प्रबंधन के विशेषज्ञों के द्वारा ही किया जाना चाहिये।

बाढ़ आपदा प्रबंधन के लिये और क्या किया जा सकता है


बाढ़ नियंत्रण एक ऐसा विषय है, जिसके लिए कोई स्पष्ट विधायी दायरा तय नहीं किया जा सकता। एक विषय के रूप में यह देश की किसी भी विधायी सूची अर्थात् केंद्रीय, राज्य या समवर्ती सूची में शामिल नहीं है।

यह अलग विषय है कि जल निकासी और तटबंध संबंधी मुद्दों का उल्लेख राज्य सूची की द्वितीय सूची की प्रविष्टि संख्या 17 के रूप में किया गया है। इसका यह निहितार्थ है कि बाढ़ को रोकना और उसका मुकाबला करना मुख्य रूप से राज्य सरकारों का दायित्व है। कई राज्यों ने बाढ़ संबंधी मुद्दों से निपटने के प्रावधानों के साथ कानून बनाए हैं।

केंद्र सरकार मुख्य रूप से परामर्शी क्षमता में भूमिका अदा करती है अथवा राज्यों के राहत और पुनर्वास प्रयासों में पूरक मदद करती है।

एक विस्तृत टिप्पणी के अनुसार वर्तमान में बाढ़ प्रबंधन की देखरेख के लिए दो स्तरीय प्रणाली कायम है। राज्य के स्तर पर जल संसाधन विभाग, बाढ़ नियंत्रण बोर्ड और राज्य तकनीकी परामर्शी समितियां स्थापित की गई हैं।

केंद्रीय व्यवस्था के अंतर्गत संगठनों का एक नेटवर्क शामिल है और बाढ़ प्रबंधन के बारे में परामर्श देने के लिए समय समय पर विशेषज्ञ समितियों का गठन किया जाता है।

ये व्यवस्था कागजों मे तो अच्छे से काम कर रही है परंतु हमारे अनुसार बाढ़ आपदा प्रबंधन के लिये ये किया जाना चाहिये ---

  • अधिक समन्वय पर ध्यान देते हुए केंद्र, राज्य तंत्र को अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। यह व्यवस्था एक सतत और निरंतर प्रणाली के रूप में होनी चाहिए, न कि केवल आपदा के समय काम करने वाली प्रणाली। 
  • आधुनिक प्रौद्योगिकी के सहारे संकट प्रबंधन नेटवर्क हेतु ढांचे का निर्माण करना चाहिये। अब तो भारत के पास खुद के मौसम सेटेलाइट भी हैं। इसरो (ISRO) की सहायता से अंतरिक्ष से अच्छी गुणवत्ता की फोटो लेकर उनका विश्लेषण विशेषज्ञों द्वारा किया जाना चाहिये।
  • पर्यावरण के मोर्चे पर नई चुनौतियों और कुप्रशासन के मुद्दों को देखते हुए राज्यों के लिए यह कठिन है कि वे स्वयं बाढ़ प्रबंधन की योजना बनाएं। केंद्र और राज्य सरकारों को एक संयुक्त योजना के जरिए विभिन्न बाढ़ नियंत्रण उपायों को अंजाम देना  चाहिए। 
  • तटबंधों, बाढ़ रोकने वाली दीवारों, रिंग बांधों, बाढ़ नियंत्रण जलाशयों के निर्माण से बाढ़ के लिये व्यवस्था की जानी चाहिये ताकि नीचे जाने वाले पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षित सीमाओं के भीतर बाढ़ के जल की कुछ मात्रा को अस्थाई तौर पर एकत्र किया जा सके।
  • एक अन्य महत्वपूर्ण उपाय में नदी चैनलों और सतही नालों में सुधार और नदी किनारों पर भूमि कटाव रोकना शामिल है। इससे भले ही पूरी तरह बाढ़ रोकना संभव न हो, लेकिन बाढ़ के पानी को फैलने से रोकने में अवश्य मदद की जा सकती है।
  • उदाहरण के तौर पर मैं ये बताना चाहुंगी कि दुनिया के सभी बड़े देशों और शहरो को देखना चाहिये कि उन्होंने अपने यहां आने वाली बाढ़ आपदा का प्रबंधन कैसे किया। 
  • अगर आप बैंकाक, लंदन, मास्को, न्यूयार्क, शंघाई इत्यादि शहरों को देखेंगे तो पायेंगे कि वहां पर नदियों को गहरा कर कर के दोनों ओर के किनारों पर पक्का कर दिया गया है और साथ ही जमीन को नदी से निकाल कर वहां निर्माण कार्य किया गया है जिससे नदी में पाना बना रहता है और वो कटाव भी नहीं कर पाती है।
  • ऐसी गहरी करी गई नदियों में जल यातायात भी यात्रियों और सामान को ढोने के लिये किया जाता है। 
  • यही करने से काफी हद तक हम बाढ़ की समस्या से बच सकते हैं यानी कि नदियों कि सफाई कर के उनको गहरा करते रहना चाहिये।
  • वर्तमान में प्रचलित परिस्थितियों और नई चुनौतियों को देखते हुए यह जरूरी है कि बाढ़ प्रबंधन को एक पृथक विषय के रूप में देखना उचित होगा। यह जरूरी है कि बाढ़ नियंत्रण और प्रबंधन प्रणाली को सुदृढ़ बनाया जाए लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण यह भी है कि इसे पर्यावरणीय ह्रास, वैश्विक तापमान और विभिन्न स्तरों पर कुप्रशासन के संदर्भ में भी देखा जाए।
  • बाढ़ प्रबंधन के प्रति किसी भी दृष्टिकोण में इन सभी महत्वपूर्ण घटकों को शामिल किया जाना चाहिए। बाढ़ प्रबंधन केवल पुराने सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभागों के माध्यम से नहीं किया जा सकता। 
  • शहरी बाढ़ का मुख्य कारण निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा भूमि का अतिक्रमण करना और बरसात के मौसम से पहले अग्रिम आयोजना का अभाव है। शहरों के निकट नालों और नालियों की सफाई को उच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में भी नदियो को गहरा करके बाढ़ आपदा का प्रबंधन किया जा सकता है। 
  • जैसा कि वर्तमान में जो वृक्षारोपण वगैरह का सरकारी कार्यक्रम चलता रहता है, उसको ठीस से देखने की जरूरत है। केवल वृक्षारोपण उद्देश्य न होकर पेड़ को बड़ा करने का उद्देश्य होना चाहिये।


अधिक ध्यान बाढ़ से संबंधित दीर्घावधि योजना पर केंद्रित किया जाना चाहिए ताकि निवारक और राहत पहलुओं को भी शामिल किया जा सके।

लोग कह सकते हैं कि ये तो बहुत मंहगा समाधान है, लेकिन अगर हम भारतीय अपने आप को दुनिया के विकसित देशों में देखते हैं तो हमें पक्के समाधान निकलने ही होंगे भले ही वो मंहगे हों।

मुझे यहां पर आपके विचारों और टिप्पणियों का स्वागत रहेगा ताकि हम लोग परंपरागत बाढ़ प्रबंधन की बजाए कुछ अलग उपाय करके बाढ़ आपद प्रबंधन की दिशा में विचार विमर्श कर सकें।

Manisha सोमवार, 27 जुलाई 2020

खेल की संस्कृति बढ़ाने की जिम्मेदारी सरकार की है


भारत सरकार के खेल मंत्री किरन रिजिजू को लगता है कि भारतीयों में खेल की समझ न के बराबर है इसके लिये उनके खेद है। माननीय  मंत्री जी का कहना है कि भारत में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने ये भी कहा कि आम भारतीयों में और यहां तक कि संसद के सदस्यों को भी खेलों जी ज्यादा समझ नहीं है। मंत्री जी को मलाल  है कि भारतीय समाज में खेल ज्ञान बहुत कम है। केवल क्रिकेट के खेल को ही अधिकांश भारतीय जानते हैं

मंत्री जी बात तो आपकी कुछ हद तक सही है पर आपको ये भी मानना पड़ेगा कि खेल की संस्कृति बढ़ाने की जिम्मेदारी आप ही की है। आप ही लोग केवल क्रिकेट के खेल को बढ़ाते हो। क्या कारण है कि भारत के हर जिले और शहर में ढंग के स्टेडियम तक नहीं हैं? क्यों भारत के अधिकांश स्टेडियमों में हॉकी के खेल के लिये एस्ट्रो टर्फ नहीं है?

ये एक मानी हुई बात है कि खेलों में भारत को प्रतिभायें छोटे शहरों, कस्बों और गांवों से ही मिलती हैं। लेकिन वहां पर उनको ढंग की खेल सुविधाओं का अभाव ही मिलते है। मंत्री जी, खेलों की सुविधाओं को छोटी जगह तक ले जाओ फिर देखो कैसे खेलो को बढ़ावा मिलता है।

आप को ये याद दिला दूं कि हरियाणा को लड़को ने मुक्केबाजी (बॉक्सिंग) कुश्ती और झारखण्ड की लड़कियों ने हॉकी में सुविधाओं के बल पर पदक लाने शुरु किये तो कैसे एकदम से वहां प्रतिभाये भी विकसित होने लगीं और खेलों को लेकर लोगों में विश्वास भी पैदा हुआ।

मंत्री जी, खेलों की संस्कृति का विकास खेलों की जबर्दस्त सुविधाओं के बूते ही हो सकता जो कि केवल सरकार ही कर सकती है।

Manisha बुधवार, 15 जुलाई 2020

भारतीय संविधान का निर्माण कैसे हुआ?


भारत देश में सबसे ऊंचा पद भारतीय संविधान का है। सरकार, सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रपति, प्नधानमंत्री कोई भी इससे ऊपर नही है। सब इसके दायरे में रहकर काम करना होता है।

भारत के वर्तमान संविधान को बनाने के लिये आजादी के पहले से ही प्रयास किये जा रहे थे। दरअसल अंग्रेजी सरकार को ये पता था कि उन्हें जल्दी ही भारत को छोड़ना ही होगा। इसलिये उन्होंने भारत के संविधान के निर्माण के लिये काम करना शुरु कर दिया था। हम सब को ये पता होना चाहिये कि भारत के संविधान का निर्माण कैसे हुआ (Bharat ke samvidhan ka nirman kaise hua)?

Manisha शनिवार, 11 जुलाई 2020

भारत के राज्यों के पर्यटन विभागों की टैगलाइनें


भारत के सभी राज्य और भारत सरकार सभी यह प्रयास कर रहे हैं उनके यहां पर्यटन का विकास हो जिससे लोगों को रोजगार मिले और आर्थिक तरक्की हो सके। इस दिशा में काम करते हुये भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय एवं विभिन्न राज्यों के पर्यटन विभागों ने अपनी वेबसाइटों, विज्ञापनों इत्यादि में बहुत ही रोचक टैगलाइनें (Taglines) या नारे बनाकर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करके लुभाने की कोशिश की है।

ये नारे कहीं कहीं तो बहुत ही लोकप्रिय हो गये हैं जैसे कि गुजरात पर्यटन विभाग के ब्रांड अंबेसडर (Brand Ambassador) या उत्पाद दूत प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन के द्वारा कहा गया नारा 'कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में ' बहुत ही प्रसिद्ध हुआ। एक और उदाहरण राजस्थान की टैग लाइन 'पधारो म्हारे देस' का है जो कि लोगों की जुबान पर चढ़ गया है।
भारत के राज्यों के पर्यटन विभागों की टैगलाइनें और नारे Indian Tourism department Taglines


पर्यटन विभागों की टैगलाइन्स की सूची


हमने यहां पर भारत के राज्यों के पर्यटन विभागों की टैगलाइन्स की लिस्ट यानी की सूची बनाने की कोशिश की है। हमें उम्मीद थी कि शायद भारत के राज्यों ने पर्यटन नारे हिंदी भाषा या संस्कृत भाषा में बनाये होंगे पर हमारा अंदाजा गलत निकला। अधिकांश पर्यटन टैगलाइन अंग्रेजी भाषा में हैं।

एक और महत्वपूर्ण बात ये है कि अधिकांश राज्यों की पर्यटन विभागों की वेबसाइटों के हिंदी संस्करण नहीं हैं। आप हिंदी मे उस राज्य की पर्यटन जानकारी प्राप्त नहीं कर सकते।

खैर, यहां पर इनको यह सोच कर नजरअंदाज किया जा सकता है कि शायद भारत के राज्य विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करना चाहते होगें। देसी पर्यटक के लिये शायद इन्हें लगता होगा कि ये लोग इतना खर्चा नहीं करते हैं तो इनको लुभाने की आवश्यकता ही क्या है?


अधिकांश राज्यों के पर्यटन विभागों द्वारा उनकी सार्वजनिक क्षेत्र की पर्यटन कंपनियों राज्य पर्यटन विकास निगम (State Tourism Development Corporation) के माध्यम से पर्यटकों को होटल बुकिंग, टैक्सी बुकिंग, खरीददारी आदि की सुविधाये प्रदान की जा रही हैं। अगर हमें किसी राज्य के इन पर्यटन विकास निगमों के भी टेगलाइन मिले तो इसी यहां सूची में शामिल किया गया है। जिन राज्यों के पर्यटन विभागों की कोई टैगलाइन हमको नहीं मिली उसको यहां पर खाली छोड़ दिया गया है। जब कभी ये राज्य अपना कोई पर्यटन नारा बनायेंगे तो उसे यहां अद्यतन (Update) किया जायेगा।

तो लीजिये देखिये मई 2021 तक अद्यतन की गई भारत के राज्यों के पर्यटन विभागों की टैगलाइनों की लिस्ट -

  1. भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय (Ministry of Tourism, GoI) - अतिथि देवो भव: (Incredible India! Atithi Devo Bhava)
  2. अंडमान एवं निकोबार (Andaman & Nicobar)  - Emerald. Blue. And You
  3. आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) - Everything Possible
    • Andhra Pradesh Tourism Development Corporation (APTDC) - The more you see it. The more you love it...
  4. अरूणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh)  - Gateway to Serenity
  5. आसाम (Assam) - Awesome Assam
  6. बिहार (Bihar) - Blissful Bihar
  7. चंडीगढ़ (Chandigarh) - The City Beautiful
  8. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)  - Full of Surprises
  9. दादरा - नागर हवेली और दमन एवं दीव  (Dadra Nagar Haveli and Daman & Diu)  - Small is Big
  10. गोवा (Goa)  - See More. Be More.
  11. गुजरात (Gujarat)  - कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में
  12. हरियाणा (Haryana) - Come, holiday with us!
  13. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh
  14. जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) - See J&K in a new light
    • Jammu & Kashmir Tourism Development Corporation (JKTDC) - Proud to serve you
  15. लद्दाख (Ladakh
  16. झारखण्ड (Jharkhand)  - Nature's hidden jewel
  17. कर्नाटक (Karnataka Tourism) - One State. Many Worlds
  18. केरल (Kerala) - God's own Country
  19. लक्षद्वीप (Lakshadweep
  20. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)  - The heart of Incredible India
  21. महाराष्ट्र (Maharashtra)  - Maharashtra Unlimited
  22. मणिपुर (Manipur
  23. मेघालय (Meghalaya)  - Check into Nature
  24. मिजोरम (Mizoram
  25. नागालैण्ड (Nagaland)  - Land of Festivals
  26. दिल्ली (Delhi
  27. ओडिशा (Odisha) - India's Best Kept Secret
  28. पुडुचेरी (Puducherry) - Peaceful Puducherry - Give time a break
  29. पंजाब (Punjab) - India begins here
  30. राजस्थान (Rajasthan) - पधारो म्हारे देस! The Incredible State of India
  31. सिक्किम (Sikkim) - Sikkim, where Nature smiles
  32. तमिलनाडु (Tamil Nadu) - Enchanting Tamil Nadu - Experience Yourself
  33. त्रिपुरा (Tripura)  - Tripura: Where Culture Meets Nature
  34. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) - यूपी नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा
  35. उत्तराखण्ड (Uttarakhand) - Simply Heaven
  36. पश्चिम बंगाल (West Bengal) - Experience Bengal - The Sweetest part of India

हिंदी भाषी राज्यों के पर्यटन नारे भी अंग्रेजी में हैं।

यहां नीचे 👇 कमेंट टिप्पणी कर के बताइये आपको किस राज्य का पर्यटन नारा सबसे अच्छा लगा।

Manisha शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

कोरोना मास्क से अपना ब्रांड चमका रही हैं कंपनियां Corona Mask become Brand Tool for Fashion Companies


Fashion houses have turned Coronavirus face masks as branding tools and made them power billboards for brand logos.

कोरोना की महामारी के बीच कोरोना वायरस से बचने के लिये चेहरे पर हमेशा एक मास्क या हिंदी में कहें तो आवरण या नकाब को लगाने का सरकार की ओर से लोगों को निर्देश है।

लोगबाग भी इस कोरोना की गंभीरता को समझ रहे हैं और जब भी घर से बाहर निकल रहे हैं तो चेहरे पर मास्क लगा कर जा रहे हैं।
जैसा कि हमारे प्रधान मंत्री जी ने भी कहा था कि विपदा में भी संभावना देखनी चाहिये, लगता है इस बात को दुनिया भर की फैशन कंपनियों ने समझ लिया है और चेहरे पर लगाने वाले मास्क को ही अपना ब्रांड प्रसिद्ध करने का जरिया बना लिया है।

Corona Mask become Brand tool कोरोना मास्क से अपना ब्रांड चमका रही हैं कंपनियां


लगभग हर बड़ी फैशन एक्सेसरीज़ सामान बनाने वाली कंपनी इस समय चेहरे पर लगाने वाले मास्क बना रही हैं।

इन नकाबों पर वो अपने लोगो (Logo) को इस तरह से लगा रही हैं कि वो मास्क पर खास तौर पर चमके।

इस तरह से फैशन कंपनियां अदृश्य रुप से अपनी बांड वैल्यू या ब्रांड ताकत बढ़ा रही हैं।

भारत में बड़ी कंपनियों के ब्रांडेड सामान को खरीद कर प्रयोग करने वालों की तादात अच्छी खासी है। भारत में ब्रांड अपनी हैसियत दिखाने का एक मौका है। लोग अपने आप को समाज में स्थापित हुआ दिखाने के लिये बड़े ब्रांड का सामान लेकर उस को दिखाने में पड़े रहते हैं।

बड़ी अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय कंपनियां इस बात को जानती और पहचानती हैं इसलिये उन्होंने कोरोना की महामारी के दौरान मास्क लगाने के मौके को अपनी ब्रांड इमेज बढ़ाने के रुप में लिया है।

भारत की लगभग हर फैशन और कपड़े बनाने बनाने वाली कंपनी इस समय मास्क बना रही है।

Corona Mask as Branding Tool for Fashion Companies


लोगों के लिये भी कोरोना मास्क एक मौका लेकर आया है जब कि वो ब्रांडेड मास्क लगा कर अपनी माली हालत और हैसियत का प्रदर्शन कर सकते हैं। भारत के लोगों मे ब्रांडेड सामान को लेकर जबर्दस्त आकर्षण है।

सामने वाले व्यक्ति की पहली निगाह आपके चेहरे पर ही जाती है जो कि उसकी आंखों के ठीक सामने ही होता है। ऐसे में स्वाभाविक है कि वो आपके मास्क को और उस पर लगे ब्रांड के लोगो (Logo) के देख ले।

भारत में अगर आप देखें तो प्रसिद्ध कंपनी लेवि (Levis), गिरोडानो (Girodano), वाइल्डक्राफ्ट (Wildcraft), पूमा (Puma), आदीदास (Adidas), बनाना रिपब्लिक (Banana Republic), एसेल वर्ल्ड (Essel World), निनोश्काइंडिया (NinoshkaIndia) जैसी बड़ी नामी गिरामी और अन्य छोटी बड़ी लगभग सभी फैशन, पोषाक और परिधान बनाने वाली कंपनियां इस मैदान में उतर चुकी हैं।

ब्रांड की प्रसिद्धि के अलावा मुनाफा भी इस मास्क बनाने के धंधे में उतरने का एक कारण है। मास्क बहुत ही कम लागत में बन जाता है और कंपनियां तो अपने बचे हुये कपड़े से ही मास्क बना देती हैं।

फैशन कंपनियों के मास्क 150 रूपये से लेकर 500 रूपये तक में मिल रहे हैं जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस कदर मुनाफे का धंधा है मास्क बनाना।

नकली सामान बनाने वाले भी बड़ी कंपनियों के मास्क की नकल बाजार में ले आये हैं।

मास्क नकली हो या असली, फैशन कंपनियों के ब्रांड की पहचान तो कोरोना काल में चेहरे का मास्क से बढ़ ही रही है। इसलिये कोरोना मास्क से अपना ब्रांड चमका रही हैं फैशन कंपनियां।

Manisha रविवार, 21 जून 2020

घिसी पिटी भारतीय नीतियां जिनसे भारत को घाटा हो रहा है


जब से भारत ने अंग्रेजों से स्वाधीनता प्राप्त करी है तब से ही हम भारत के लोग एक ऐसी काल्पनिक दुनिया की सोच में रहते हैं जहं पर सब कुछ अच्छा होता है और सारे देश और वहां के लोग सीधे और सच्चे होते हैं। इन्हीं ख्यालों में हमने कुछ नीतियां और जुमले बनाये हुये हैं और समय समय पर उनकी बात करते रहते हैं।


आजादी के बाद से दुनिया कहां से कहां पहुंच गई पर हम अभी भी इन्हीं नीतियों और जुमलों के जाल में फंसे हुये हैं। एक-आधा नीति को शायद हमने छोड़ा होगा या नई कोई नीति बनाई होगी वर्ना तो बस पुराने रिकार्ड की तरह हम हमेशा वही बातें दोहराते रहते हैं।


Outdated Indian Policies घिसी पिटी भारतीय नीतियां


घिसी पिटी नीतियां और जुमले


आइये आपको बताते हैं ऐसी ही कुछ घिसी पिटी नीतियां और जुमले जो भारत में चलती हैं -

  1. हम दुनिया के जिम्मेदार लोकतांत्रिक देश हैं - जब आप पिट गये और कोई कार्रवाई न करने का बहाना है
  2. वसुधैव कुटुंबकम - इस का फायदा उठा कर सब देशों के लोग अवैध तरीके से भारत में रह रहे हैं
  3. पंचशील और हिंदी-चीनी भाई भाई - ये बात तो 1962 में ही पिट गई
  4. गुट निरपेक्षता नीति - अब  ये तो बिलकुल ही समाप्त होने को आई लेकिन हम अभी भी इसका जिक्र करते रहते हैं
  5. गुजराल डॉक्टरिन - पाकिस्तान हमेशा फायदा उठाता है
  6. पहले परमाणु हथियारों का प्रयोग न करने की नीति - तो क्या जब हमारे ऊपर कोई परमाणु बम गिर जायेगा तब हम प्रयोग करेंगे तो हमें उससे पहले भयानक नुकसान तो हो चुका होगा
  7. भारत ने आज तक किसी देश पर हमला नहीं किया - ये बात हम बार बार बताते हैं पर इसको भारत के दुश्मन भारत की कमजोरी समझते हैं
  8. भारत सब को साथ लेकर चलना चाहता है - अरे भाई सबको कभी साथ नहीं लिया जा सकता, पहले अपना फायदा देखो
  9. भारत समस्या का समाधान बातचीत और शांति से चाहता है - बातचीत और शांति से तो आजतक अपनी बढ़त को गंवाया ही है, बेहतर है एक-दो बार अशांति से भी समस्या समाधान निकालें
  10. पाकिस्तान की जनता तो शाति चाहती है पर वहां के शासक नहीं - अरे भाई जनता तो यहां से ही गई है न, जो कि साथ नहीं रहना चाहती थी, शासक तो राजनीतिक लोग होते हैं वो लोगों की नब्ज पहचानते हैं, अगर जनता भारत के साथ शांति से रहना चाहेगी तो कोई भी शासन में हो वो वाेट लेने के लिये जनता की बात को ही मानेगा। असल ये है कि पाकिस्तानी जनता ही भारत विरोधी है
  11. दुनिया के लोकतांत्रिक देशों को एक साथ आना चाहिये - अगल अलग परिस्थितियों और भौगोलिक स्थिति के अनुसार सब देश निर्णय लेते हैं
  12. हम अहिंसा को मानने वाले देश हैं - यही तो सारी कमजोरी का कारण है
  13. आतमकवाद को कई धर्म नहीं है - बताइये? क्या सचमुच?
  14. हम विश्व आध्यात्मिक गुरू हैं - हो सकता है कभी रहे हों या वास्तव में हों पर दुनिया तभी मानेगी जब हम आर्थिक और सामरिक तौर पर भी सशक्त हों


और भी कई ऐसी नीतियां और जुमले जिन्हें हम ढो रहे हैं।

अच्छा हो यदि हम इन रुमानी बातों से निकल कर ठोस धरातल पर होने वाले घटनाकृम को देख कर नीतियां बनायें और भारत देश को सशक्त बनायें।

Manisha शुक्रवार, 19 जून 2020

भारत के राज्य और उनकी भाषायें


भारत में इस समय (जून 2020) 28 राज्य और 9 केन्द्र शासित राज्य हैं। भारत में नये राज्यों का गठन और विलय होता रहता है और इसके लिये भारत के संविधान में भी आवश्यक संशोधन किया जाता है। सबसे बड़ा जो राज्यों का पुनर्गठन 1956-57 में किया गया था वो खास तौर पर भाषाओं के आधार पर ही किया गया था और उसके कारण नये राज्य भारत में बने थे। बाद के वर्षों में भी ये प्रक्रिया जारी रही और नये राज्य बनते रहे।



भारत का संविधान और भाषायें


भारत के संविधान में भारत संघ और उसके राज्यों की कोई आधिकृत भाषा नहीं बताई गई है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 343 से 351 तक भारत की अधिकृत भाषाओं के बारे में बात की गई है। भारत के संविधान में अनुच्छेद 343 के अनुसार पहले भारत की राजभाषा का दर्जा हिंदी को दिया गया था परंतु 1963 के संविधान संशोधन करके हिंदी के साथ साथ अंग्रेजी को भी यह दर्जा दिया गया। >

संविधान के आठवें अध्याय में भारत की 22 भाषाओं को अधिसूचित किया गया है जो कि आधिकारिक तौर पर भारत की राजभाषायें हैं (साथ ही साथ अंग्रेजी भी है यानी कि कुल 23 हैं)।

भारत का संविधान राज्यों की आधिकारिक और शासकीय भाषाओं के बारे में मौन है लेकिन सभी राज्यों ने अपने अपने राज्य का प्रथम प्रमुख भाषा को अधिसूचित किया हुआ है। कई राज्यों ने तो दूसरी, तीसरी और चौथी भाषा तक को मान्यता दी हुई है।

भारत के राज्यों का भाषायें Indian State Languages


भारत का राज्यों की अधिकारिक भाषायें


यहां पर हम भारत के समस्त राज्यों की जून 2020 तक की स्थिति के अनुसार भाषायों की सूची बना रहे हैं। जम्मू कश्मीर और लद्दाख के बारे में स्थिति साफ होनी बाकी है।

  • पूर्ण राज्य

    1. आंध्र प्रदेश - तेलुगु
    2. अरुणाचल प्रदेश - हिंदी/अंग्रेजी
    3. असम - असमिया (तीन बाराक घाटी जिलों की भाषा बंगाली और बोडोलैंड काउंसिल क्षेत्र का भाषा बोडो है)
    4. बिहार - हिंदी
    5. छत्तीसगढ़  - हिंदी
    6. गुजरात - गुजराती
    7. हरियाणा - हिंदी
    8. हिमाचल प्रदेश - हिंदी
    9. झारखण्ड - हिंदी
    10. कर्नाटक - कन्नड़
    11. केरल - मलयालम
    12. मध्य प्रदेश - हिंदी
    13. महाराष्ट्र - मराठी
    14. गोवा - कोंकणी / मराठी
    15. मणिपुर - मणिपुरी
    16. मेघालय - हिंदी/अंग्रेजी
    17. मिजोरम - मिजो
    18. नागालैंड - हिंदी/अंग्रेजी
    19. त्रिपुरा - बंगाली
    20. ओडिशा - उड़िया
    21. पंजाब - पंजाबी
    22. राजस्थान - हिंदी
    23. तमिलनाडु - तमिल
    24. तेलंगाना - तेलुगु
    25. उत्तर प्रदेश - हिंदी
    26. उत्तराखण्ड - हिंदी
    27. पश्चिम बंगाल - बंगाली (दार्जिलिंग को छोढ़कर, दार्जिलिंग की भाषा - नेपाली/बंगाली, गोरखा क्षेत्र प्रशासन - नेपाली)
    28. सिक्किम - नेपाली/अंग्रेजी  

  • केन्द्र शासित राज्य

    1. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह - हिंदी
    2. दिल्ली - हिंदी
    3. दादरा नागर हवेली - गुजराती
    4. दमन एवं दीव - गुजराती
    5. चंडीगढ़ - हिंदी/अंग्रेजी
    6. जम्मू एवं कश्मीर - उर्दू, कश्मारी, डोगरी एवं हिंदी
    7. पुड्डुचेरी - तमिल (माहै और यनम को छोढ़कर)
    8. लक्षद्वीप - मलयालम
    9. लद्दाख - लद्दाखी, तिब्बती, उर्दू, कश्मीरी, डोगरी एवं बाल्टी


भारत की 22 राजभाषायें


संविधान के आठवें अध्याय में अनुच्छेद 344(1) और 351 के अनुसार भारत की 22 भाषाओं को अधिसूचित किया गया है जो कि आधिकारिक तौर पर भारत की राजभाषायें हैं (साथ ही साथ अंग्रेजी भी है यानी कि कुल 23 हैं)।   As per Articles 344(1) and 351 of the Indian Constitution, the eighth schedule includes the recognition of the following 22 languages:
  1. असमिया Assamese
  2. बंगाली Bengali
  3. बोडो Bodo
  4. डोगरी Dogri
  5. गुजराती Gujarati
  6. हिंदी Hindi
  7. कन्नड़ Kannada
  8. कश्मारी Kashmiri
  9. कोंकणी Konkani
  10. मैथली Maithili
  11. मलयालम Malayalam
  12. मणिपुरी Manipuri
  13. मराठी Marathi
  14. नेपाली Nepali
  15. उड़िया Odia
  16. पंजाबी Punjabi
  17. संस्कृत Sanskrit
  18. संथाली Santali
  19. सिंधी Sindhi
  20. तमिल Tamil
  21. तेलुगु Telugu
  22. उर्दू Urdu
  23. अंग्रेजी English - ये 22 अनुसूचित भाषाओं की सूची में नहीं है पर 1963 के संविधान संशोधन के अनुसार इसे हिंदी के साथ जोड़ा गया था। This is not in the list but it is used and inserted by constitutional amendment of 1963

Manisha शनिवार, 13 जून 2020