स्टीफन हाकिंग से पूरी तरह सहमत
प्रसिद्ध वैज्ञानिक और विचारक स्टीफन हाकिंग से मैं पूरी तरह सहमत हूं कि धरती के अलावा भी जीवन है। कल (26/04/2010) के सभी समाचार पत्रों में स्टीफन हाकिंग के धरती से अलग जीवन के बारे विचार छपे थे कि मनुष्यों को एलियंस (अंतरिक्ष जीव) के साथ संपर्क करने की कोशिश नहीं करना चाहिए।
हम लोग बचपन में जब कॉमिक्स पढ़ा करते थे तो उसमें फ्लैश गार्डन व अन्य कई अंतरिक्ष की कहानियां होती थी और वहां से मेरा ये विश्वास बनता गया कि अपनी धरती के अलावा भी कहीं न किसी ग्रह पर जरुर जीवन है।
ये जरुर हो सकता है कि जैसा हम सोचते हैं वैसे प्राणी वहां दुसरे ग्रहों पर न हों बल्कि कुछ अलग तरह के हों, अभी तो अपनी धरती पर ही सारी तरह के जावों के बारे में नहीं जान पाये हैं तो दुसरों के बारें मे तो क्या ही जान पायेंगे?
आप में से कितने लोग मानते हैं कि धरती के अलावा भी जीवन है?
स्टीफन हाकिंग से पूरी तरह सहमत
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रतिनिधित्व में आरक्षण
महिला होने के नाते मुझे खुशी है कि आखिरकार 14 वर्षों के बाद संसद और राज्यों की विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं के लिये बिल पेश हो जायेगा।
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रतिनिधित्व में आरक्षण
आईपीएल के चाहने वाले दीवाने होते है क्या?
दिल्ली में आजकल एफएम रेडियो पर और टीवी पर भी विभिन्न चैनलों पर आईपीएल-3 (IPL-3) के लिये टिकटों की बिक्री के लिये विज्ञापन बज रहे हैं, और दिखाये जा रहे हैं।
आईपीएल के चाहने वाले दीवाने होते है क्या?
इन सेवाओं के प्रयोक्ताओं के नाम कब जाहिर होंगे?
हाल ही में दिल्ली में एक और कालगर्ल गैकेट का पर्दाफाश हुआ है जिसे एक बाबा शिवेन्द्र उर्फ राजीव रंजन द्विवेदी उर्फ इच्छाधारी बाबा चला रहा था। इसके गिरोह में तमाम अच्छे घरों की लड़कियां शामिल थीं।
इन सेवाओं के प्रयोक्ताओं के नाम कब जाहिर होंगे?
हमारे नान-स्टेट एक्टर क्यो नहीं बोलते हैं?
हमारे नान-स्टेट एक्टर क्यो नहीं बोलते हैं?
ई-गवर्नेंस से किसे फायदा हो रहा है?
आज से राजस्थान की राजधानी जयपुर में 13 वां राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस (ई-शासन) का सम्मेलन हो रहा है जिसमें देश के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, उनके विभाग, राज्य सरकारें एवं अन्य लोग भाग ले रहे हैं।
- सिस्टम वही का वही - ई-गवर्नेंस प्रणालियां तो बन गई हैं लेकिन उनसे प्रशासनिक अव्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। मिसाल के लिये अगर जन्म-मृत्यु के प्रमाण पत्र को लेने में अगर पहले 5 दिन लगते तो कंप्युटरीकरण के बाद भी इतने ही दिन लगते हैं यानी कि काम अभी भी उसी गति से हो रहा भले ही कंप्यूटर के ऊपर भारी खर्चा हो गया है। इसी तरह से आयकर के कंप्यूटरीकरण के बावजूद लोगों को आयकर का रिफंड लेने के लिये उतने ही धक्के खाने पड़ रहे हैं जितने की पहले। या फिर आय कर का रिटर्न भरना आज भी उतना ही जटिल है जितना पहले था। यानी ई-गवर्नेंस का फायदा आम आदमी को नहीं पहुंचा है।
- मंहगा - ई-गवर्नेंस के नाम पर लोगो को मिलने वाली सुविधायें मंहगी कर दी गई हैं मसलन रेलवे के टिकट पर कंप्यूटर के नाम पर सरचार्ज लगता है। या फिर उदाहरण के तौर पर दिल्ली में कंप्यूटर और स्मार्ट कार्ड वाले वाहन रजिस्ट्रेशन और वाहन लाइसेंस की फीस बढ़ा दी गई है यानी लोगों को फायदा तो कुछ नहीं हुआ पर आर्थिक नुकसान जरुर हो गया।
- हिंदी और क्षेत्रीय भाषायों को नुकसान – अधिकांश कंप्यूटरीकरण व ई-गवर्नेंस एप्लीकेशंस अंग्रेजी भाषा में हैं आम जनता की भाषा में नहीं। जैसे तैसे देश में राजभाषा के काम को बढ़ाया जा रहा था लेकिन ई-गवर्नेंस के बाद उस पर पानी फिर गया है। जरूरत आम आदमी की भाषा में ई-गवर्नेंस प्रणालियों की है।
- बाबुओं को फायदा - ई-गवर्नेंस के नाम पर करोड़ों रुपये की योजनाये बना कर खरीदारी की जा रही है जिसमें जाहिर सी बात है कि क्या उद्देश्य रहता है।
- भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं - ई-गवर्नेंस से कहीं भी किसी भी सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लग सकी है यानी सब कुछ वैसै ही चल रहा है।
ई-गवर्नेंस से किसे फायदा हो रहा है?
आखिर भारत का संयम खत्म हो ही गया
आखिर भारत का संयम खत्म हो ही गया
लोगों की भाषा क्षमता कम हो रही है
लोगों की भाषा क्षमता कम हो रही है
कांग्रेस की किस्मत इस समय अच्छी है।
ज्योतिषी की बातें बताने वाले ब्लॉगर साथी लोग या फिर अन्य ज्योतिषियों द्वारा शायद न बताया गया हो लेकिन मुझे लगता है कि अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी की किस्मत इस समय बहुत ही अच्छी चल रही है।
महंगाई इस समय देश में चरम पर है आप ही देखिये कि इस समय मायावती पर मूर्तियां और पार्क बनाने का आरोप है जिसे फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय ने रोक रखा है और वो केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित रह गई हैं, नितीश कुमार की जद (यू) में भी झगड़ा चल रहा है, समाजवादी पार्टी में अमर सिंह ने मोर्चा खोला हुआ है, भाजपा में गिरावट है, हिंदुवादी शिवसेना, आरएसएस और भाजपा महाराष्ट्र में झगड़ रहे हैं, वामपंथी कमजोर हो चुके हैं और वहां भी आपसी मतभेद उभर आये हैं।
ऐसे कमजोर विपक्ष के समय में अगर सत्तारुढ़ पार्टी की किस्मत अच्छी नहीं कही जायेगी तो क्या कहा जायेगा?
कांग्रेस की किस्मत इस समय अच्छी है।
शराब पीकर दुर्घटना करने में भी बराबरी?
शराब पीकर दुर्घटना करने में भी बराबरी?
क्यों भारत के नक्शे गलत छपते हैं?
पिछले एक या दो सालों से ये देखने में आ रहा है कि भारत के राजनैतिक नक्शे को गलत तरीके से विभिन्न स्तरों पर दिखाया जाता है। कई बार इस को लेकर हल्ला मचता है और कई बार अनदेखा हो जाता है।
- मीडिया कवरेज ज्यादा - शायद अब इस तरह की घटनायें छुप नहीं पाती हैं और मीडिया माध्यमों में अच्छा कवरेज मिलता है जिससे हमें लगता है कि इस तरह की घटनायें बढ़ गई है
- कर्मचारियों की लापरवाही - कई बार कर्मचारियों खासकर सरकारी कर्मचारियों द्वारा अपने खुद के कम सामान्य ज्ञान या फिर लापरवाही की वजह से ऐसा होता है कि गलत नक्शा छप जाता है या फिर वेबसाइट पर लग जाता है। अपना काम बचाने के लिये ये लोग शायद विभिन्न वेबसाइटों से भारत का गलत नक्शा डाउनलोड कर के लगा देते हैं।
- जानबूझ कर – ये शायद सबसे बड़ा कारण है। भारत को जानबूझकर नीचा दिखाने के लिये विभिन्न देशों के प्रकाशक और वेबसाइटें भारत का गलत, भ्रामक और विवादास्पद नक्शा प्रदर्शित करते हैं। ऐसा इसलिये भी किया जाता है ताकि भारत की प्रतिक्रिया जानी जा सके। यदि भारत की जनता और सरकार कड़ा विरोध नहीं जतायेगी तो ये लोग धीरे-धीरे सभी जगह इसी तरह से भारत के गलत नक्शे लगाकर भारत को नुकसान पहुंचायेंगे।
दरअसल रणनातिक तौर पर दुश्मन देश इस तरह की घटनायें कर के भारत की प्रतिक्रिया को देखना चाहते हैं। इस तरह की घटनायें केवल कमजोर देशों के खिलाफ ही होती हैं।
चीन के नक्शे को तोड़-मरोड़ कर प्रदर्शित करने की किसी प्रकाशक और वेबसाइट द्वारा हिम्मत नही होती है।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया अक्सर कमजोर सी होती है अब समय है कि भारत सरकार को भी चीन की तरह से जोरदार ढंग से विरोध करना चाहिये।
क्यों भारत के नक्शे गलत छपते हैं?
हो गई कोस्मेटिक देशभक्ति पूरी
दूसरी बात ये कि गाने गाये जा रहे थे कि देश के लिये ये कर देंगे वो कर देंगे लेकिन अधिकांश लोग वो है जो किसी न किसी प्रकार से देश को नुकसान पहुंचाने वाले लोग हैं।
दिल से देशभक्त बनिये और देश के लिये ऐसे काम करिये कि देश का और देश के लोगों को लाभ हो। आप सब को 61वें गणतंत्र दिवस की ढेर सारी बधाई और शुभकामना कि ऐसे ही हमारा प्यारा भारत देश हमेशा गणतंत्र दिवस मनाता रहे।
हो गई कोस्मेटिक देशभक्ति पूरी
एक झटके में मिट गई अमन की आशा !
भारत और पाकिस्तान के संबंधों में मुंबई के 26/11 हमलों को बाद जो गिरावट और बातचीत में जो गतिरोध आया है उस को लेकर फिर से भारत में शांतिवादी सक्रिय हो रहे हैं।
इसी के साथ-साथ पाकिस्तान में अमेरिका के रक्षा मंत्री राबर्ट गेट्स ने यह कहकर अमन की आशा को धक्का पहुंचाया है कि भारत का संयम खत्म हो सकता है यदि फिर से 26/11 की घटना दोहराई गई। इससे भी भारत-पाक संबंधों में गिरावट और वाद-विवाद और गहरा सकता है।
पर फिलहाल तो अमन की आशा मिट गई है। वैसे भी ऐसी आशा थी भी किसे?
एक झटके में मिट गई अमन की आशा !
गूगल पूरा भारतीय हो रहा है – मकर-संक्रांति
ऐसे समय में जब भारतीय लोग पश्चिमी बातों के प्रभाव में अपनी भाषा, संस्कार और त्यौहरों से दूर होते जा रहे हैं, भारतीयों का अंतर्राष्ट्रीयकरण होता जा रहा है, अपनी दुकाने लेकर भारत आई विदेशी कंपनियां भारत में हिंदी में प्रचार करती हैं और भारतीय त्यौहारों के माध्यम से अपना माल बेचने की कोशिश करती दिखती हैं।
इसी का एक उदाहरण है गूगल का मकर संक्रांति को याद रखना और ये भी याद रखना की भारत में कई जगह इस अपसर पर पतंगे उड़ाई जाती हैं। हालांकि पढ़े-लिखे भारती अब अपने बच्चों को पतंग, कंचे, गिल्ली-डंडा खेलने के लिये मना करते हैं।
गूगल ने मकर-संक्रांति के अवसर पर अपने भारतीय होम-पेज पर ये पतंगबाजी का चित्र लगाया है जोकि हमें ही याद दिला रहा है कि उठो भारतीयों अपनी ही बातों, संस्कारों को मनाओ और मजे लूटो।
इसी अवसर पर मेरे मोबाइल पर आया हुआ एक छोटा संदेश (SMS) :
मीठे गुड़ में मिल गया तिल ।
उड़ी पतंग और खिल गया दिल ।।
हर पल सुख और हर दिन शान्ति ।
आपके लिये शुभ मकर संक्रांति ।।