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सोशल मीडिया पर हिंदी के नये शब्द बन रहे हैं


सोशल मीडिया जो कि खुद भी एक नया हिंदी का शब्द बन गया है क्योंकि हिंदी में इसे ही अपना लिया लगता है। इंटरनेट पर हिंदी की विषय सामग्री वैसे ही कम है, अब हिंदी के अधिकांश ब्लॉगर और लिखने वाले फेसबुक और ट्विटर पर चले गये हैं क्योंकि वहां पर तुरंत पढ़ने वाले मिलते हैं।  

सोशल मीडिया का प्रयोग दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है और बढ़ते जा रहे हैं उस पर हिंदी में लिखने वाले। 

ये नये हिंदी वाले अधिकांश भावना प्रधान होते हैं, और भावना में ही वो अपनी बात भावनाओं में बह कर ही करते हैं। 

इसी कारण से अपनी बात कहने के लिये नये नये शब्दों को बना रहे हैं।  

वैसे भी किसी भाषा का विकास नये नये शब़्दों के निरंतर सृजन से ही होता है।


New Words in Hindi on Social Media सोशल मीडिया पर हिॆदी के नये शब्द बन रहे हैं


इधर जब से देश में मोदी और केजरीवाल का प्रभाव बढ़ा है तब से उनके समर्थक और विरोधी  सोशल मीडिया  पर कुछ ज्यादा ही  सक्रिय होकर अजीब अजीब से नये शब्द बना कर लिख रहे हैं।  

वामी, कांगी, आपिया, अपोला, आपटर्ड, भक्त, अंधभक्त, शांतिदूत, शांतिप्रिय, सूतिया, चादरमोद, लकड़बग्घा, शर्मनिरपेक्ष, अंडोला, अंडभक्त, लिबरांडू इत्यादि कुछ शब्द हैं जो कि सोशल मीडिया पर ईजाद किये गये हैं। 

इधर कुछ राजनीतिक और प्रसिद्ध लोगों के लिये भी सोशल माडिया पर कुछ नाम बन गये हैं, लगभग हर वो व्यक्ति जो कि सोशल माडिया पर है वो इन शब्दों को पढ़ कर उससे संबंधित राजनैतिक व्यक्ति को समझ लेगा।

दिल्ली का घूंघरु सेठ, घूंघरु सेठ, फेंकू, पप्पू, पिंकी, भूरी काकी, छोटा पेंग्यूइन इस तरह की उपाधियों के कुछ उदाहरण हैं।

इसके अलावा भी कुछ अन्य शब्द हैं जो नये बने हैं। आप भी इन शब्दों का सोशल मीडिया पर आनन्द लीजिये।

Manisha सोमवार, 2 अक्तूबर 2017

हिंदी ब्लॉगिंग दिवस की शुभकामना 


जून 2006 में जब यह हिंदी ब्लॉगिंग के लिये जब यह ब्लॉग (हिंदी ब्लागरों ने ब्लॉग को चिठ्ठा नाम दिया है, जो कि अच्छा है) शुरू किया था तब नाम के ही कुछ हिन्दी ब्लॉग थे, पर हिन्दी चिठ्ठाकारी जारी रही और फली फूली भी पर फेसबुक के आने के बाद हिंदी ब्लॉगिंग  के अधिकांश चिठ्ठाकार और साथ ही साथ नये ब्लॉगर भी फेसबुक पर स्थानांतरित हो गये। फेसबुक पर आज हिंदी ब्लॉगिंग न केवल जीवित है बल्कि बहुत फल फूल रही है।

Hindi Blogging हिंदी ब्लॉगिंग


बहरहाल फेसबुक के अलावा स्वतंत्र रुप से हिंदी के स्थापित चिठ्ठे अब कम ही रह गये हैं और जो बच गये हैं और चल रहे है वो भी  बस चल रहे हें, ऐसे में  आज के अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर्स डे पर सभी हिंदी ब्लॉगरों को शुभकामनायें।

देखें - हिंदी के ऊपर हमारे बहुत सारे ब्लॉग पोस्ट

#हिंदी_ब्लॉगिंग

Manisha शनिवार, 1 जुलाई 2017

सुरक्षित बैंकिंग कैसे करें?


आजकल हम आये दिन अखबारों में पढ़ते हैं कि फलां के बैंक से इतने  रुपये निकल गये या फिर फलां के पास  एक फोन आया कि उनका एटीएम कार्ड रद्द कर दिया गया है और इसको दुबारा जारी करने के लिये उनके पास जो भी लोगिन और पासवर्ड है वो बता दें और इसके अलावा यदि कोई ओटीपी कोड (OTP)  आपके मोबाइल में आये तो वो भी बता दीजिये। 

बहुत सारे लोग इन सब में घपलों में फंस कर अपना मेहनत से कमाया हुआ धन गंवा बैठते हैं और बाद में परेशान होते हैं। पुलिस भी इस तरह के मामलों में ज्यादा कुछ नहीं कर पाती है। 


Safe Banking - सुरक्षित बैंकिंग कैसे करें?


आपकी सावधानी और जागरुकता ही आपको सुरक्षित कर सकती है।

अत: बैंकिंग करते समय आपको नीचे बताई गई सावधानियां रखनी चाहिये। 

इससे आप पूर्णतया सुरक्षित तो नहीं हो सकते पर काफी हद तक बचाव कर पाने में सक्षम हो जायेंगे।


सुरक्षित बैंकिंग के उपाय


  • किसी से भी अपनी निजी और संवेदनशील जानकारी को साझा मत कीजिये जैसे कि  बैंक की यूजर पहचान, कूटशब्द इत्यादि (User ID, Password, OTP, URN, Debit Card Grid values)
  • किसी भी ऐसी  वेबसाइट जो कि HTTPS प्रोटोकोल  शिष्टाचार  के बिना चल रही हो वहां पर अपनी खुफिया और निजी जानकारी को साझा न करें और न ही को रुपयों का लेन देन न करें।
  • आपके बैंक पर किये गये लेन देन का ब्यौरा देने वाली सुविधायें जैसे कि ईमेल और एसएसएस (SMS) के लिये पंजीकरण करा कर रखें।  
  • अपने बैंकिंग लेन देन को समय समय पर ध्यान देते रहें।   
  • अपने मोबाइल और कंप्यूटर पर एक अच्छा एन्टी-वायरस (Anti-Virus) स्थापित कर के रखें।  
  • डाउनलोग करी हुई किसी भी फाइल को पहले वायरस न हो इसके लिये जांच लेना चाहिये ।  
  • अपने बैंक खाते के किसी भी अनधिकृत लेन देन को तरंत अपने बैंक के ग्राहक सेवा केन्द्र की जानकारी में लाना चाहिये ताकि वो छानबीन कर सकें।   

Manisha शुक्रवार, 17 मार्च 2017

बीन बजा कर कमाने वाला


पिछले दिनों हम एक पहाड़ी पर्यटन स्थल पर परिवार सहित घूमने गये हुये थे। वहां के मुख्य बाजार में घूमते घूमते एक जगह पर हमने देखा कि एक व्यक्ति ने सपेरे वाली बीन बजानी शुरु कर दी और लोगों का मनोरंजन करने लगा। 

लोग बाग खुश होकर खुद ही कुछ न कुछ रुपये पैसे उसके आगे रखने लगे। हमें भी ये काफी अच्छा लगा और हमने उसका एक वीडियो भी अपने कैमरे से बना लिया। 

आप भी इसको सुनिये और आनन्द लीजिये।

  

Manisha मंगलवार, 18 अक्तूबर 2016

काला धन आय घोषणा योजना 2016 और नकद रकम  की समस्या


भारत सरकान ने देश में काला धन समाप्त करने के अपने प्रयासों के तहत आय घोषणा योजना 2016  आरम्भ की है जिसकी आखिरी तारीख 30 सितम्बर 2016 है।  इस घोषणा में अगर कोई व्यक्ति यदि अपनी किसी आय जिसके उपर उसने टैक्स नहीं दिया था जिसकी वजह से वो काला धन की श्रेणी में माना जायेगा। 

सरकार बार बार कह रही है कि इसकी अंतिम तिथि आगे नहीं बढ़ायी जायेगी  और लोगों को इसका फायदा उठा कर अपने काले धन को सफेद धन में परिवर्तित कर लेना चाहिये। 30 सितम्बर के बाद सरकार सख्त कार्यवाही करेगी जिसके लिये लोग खुद जिम्मेदार होंगे।

काला धन आय घोषणा योजना 2016

इस आय घोषणा योजना 2016  की घोषणा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल 2016 के आम बजट में की थी। इस खिड़की के तहत घोषित काले धन पर टैक्स, पेनाल्टी और सेस के रूप में 45 फीसद रकम चुकाकर लोग बेदाग बाहर आ सकते हैं। 

केंद्रीय प्रत्यक्ष बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर अफसरों को काला धन रखने वालों को इस स्कीम के तहत आकर्षित करने के लिए हर संभव प्रयास करने का निर्देश दिया है। 

साथ ही कहा है कि अपनी घरेलू काली कमाई उजागर करने वालों को आश्वस्त किया जाए कि उनकी गोपनीयता बरकरार रखी जाएगी। 


ये सब योजना  तो ठीक है  लेकिन सरकार को ये भी देखना चाहिये कि काला धन क्यों  पैदा होता है?

काले धन का एक  प्रकार तो अपराध से कमाया गया पैसा है जिसके बारे में तो सरकार सख्त कार्यवाही करनी ही चाहिये। लेकिन जो अपनी आय छुपा कर कर बचाते हैं वो वास्तविक रुप से ही काला धन कहलाता है, काले धन से आशय भी यही होता है कि कर बचा कर पैसा रखना।

काला धन पैदा होने का कारण


तो काला धन पैदा होने का कारण एक तो ये है कि टैक्स की दरें भारत में बहुत ज्यादा है और नये नये प्रकार के टैक्स लगाने के तरीके ढूंढ़े जा रहे हैं। 

इससे परेशान होकर जो लोग आय छुपा सकते हैं वो काफी हद तक छुपा कर टैक्स देने से बचते हैं। सरकार ज्यादा कमाने वालों पर ज्यादा टैक्स तो लगा देती है पर इस ज्यादा कमाने के लिये जो उसने अपने जीवन में मेंहनत की होती है उसका  कोई ध्यान नहीं रखा जाता है। 

निकम्मे और अकर्मण्य लोगोें को सरकार राहत देती है और मेहनत करने वालोें पर टैक्स लगाया जाता है।  इसके अलावा जो टैक्स दे रहा है उसी को और दूहने को सरकारें और प्रयत्न करती रहती हैं। 

तरह तरह के नोटिस टैक्स देने वालों को ही दिये जाते हैं और जो नहीं देते उनको कोई नोटिस नहीं देता, इस कारण भी लोग कहते हैं कि कर न देना ही अच्छा है।  अत: सरकार को अगर टैक्स का पालन कराना है तो टैक्स दर कम होना चाहिये और  टैक्स प्रशासन आसान होना चाहिये।


नकद रकम का फायदा 


अब मैं बताती हूं कि नकद रकम लोग क्यों रखना चाहते हैं। हमारा अनुभव ऐसा है कि बैंक में रखे पैसे या चेक, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड के प्रयोग के मुकाबले जो लोग नकद रकम खर्च करते हैं वो फायदे में रहते हैं।  

हमारे अनुभव तो इसी ओर इशारा करते हैं -

  • अगर आप किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रानिक सामान को डेबिट या क्रेडिट कार्ड से खरीदने जायें को आप पर 2 प्रतिशत का बैंकिंग अधिभार लगा दिया जाता है, नकद  में कोई समस्या नहीं है।
  • अधिकांश बैंकों नें आपके डेबिट कार्ड के खर्च की प्रति दिन की सीमा 50 हजार और नकद निकालने की सीमा 25 हजार से 35 हजार रुपये तक निश्चित की हुई है, यानी की आप अपने पैसे को अपने हिसाब से खर्च भी नहीं कर सकते, नकद कितना भी खर्च करिये।
  • इस सीमा की वजह से बड़ी खरीद में आप न चाह कर भी नकद रकम निकाल कर खर्च करते हैं जिसका फायदा उठा कर दुकानदार उस को आय में न दिखा कर काले धन में बदल देते हैं।
  • इसी सीमा की वजह से हम को कई बार दो-तीन दिनों तक रोजाना रूपये निकाल कर ही कोई बड़ी रकम का समान खरीदा।
  • मान लीजिये आपको 1 लाख रूपये का टीवी और होम थियेटर या कोई लैपटॉप खरीदना है और आपके बैंक में पर्याप्त रकम भी है और चाहते हैं कि जब भी आप इलेक्ट्रानिक की दुकान में जाकर सामान खरीदें तो नकद न ले जाना पड़े तो आपके पास कोई उपाय नहीं है, अगर बैंक चैक देंगे तो जब उसके द्वारा जब रकम दुकानदार के खाते में चली जायेगी तब वो आप सामान ले पायेंग यानी की दो-तीन दिन के बाद, अगर दूसरे शहर में हुये तो कोई विकल्प ही नहीं है चेक पेमेंट में कई दिन लगते हैं। अब डेबिट कार्ड के द्वारा आप पेमेंट कर नहीं सकते क्योंकि उसकी सीमा 25 या 35 हजार ही होगी। बचा क्रेडिट कार्ड,  अगर इसकी भी सीमा अगर 1 लाख के उपर हुई तब ही आप पेमेंट कर पायेंगे। इसके अलावा 2 प्रतिशत का बैंक प्रतिभार अलग। यानी कि  आप को हार झक मारकर नकद पैसा ले  जाना ही उचित लगेगा। समझ में नहीं आता कि हमारे ही पैसे पर कई सीमा बैंक द्वारा क्यों लगाई गई है।
  • कई बार हमें शहर के बड़े हस्पताल में अपने घर के या आस पडोस के किसी मिलने वाले को इलाज के लिये भर्ती कराना पड़ा जहां पर अस्पताल द्वारा पहले रकम जमा कराने को कहा गया जो कि लाखों में थी। अब आप सोच सकते हैं कि अगर आपके बैंक में रकम जमा भी हो तो भी आप केवल नकद द्वारा ही जमा करा सकते हैं यानी कि काला धन वालों को फायदा और सफेद धन वालों को नुकसान।
  • एक अन्य कम आय वाले रिश्तेदार के बच्चों की शादी में हम लोग कुछ मदद करना चाहते तो हम लोगों ने टेंट और खाने के खर्चे को अपने उपर ले लिया जो कि लाखों में था। जब हमने पेमेंट के लिये बोला तो उसने कहा कि आपको नकद देना होगा, अगर डेबिट कार्ड व क्रेडिट कार्ड से दोगे तो सर्विस टैक्स देना होगा। यानी कि  हमें नकद रकम देने में ही फायदा था, सर्विस टैक्स की रकम में तो हमें दूल्हा-दुल्हन कोई  अन्य उपहार दे सकते थे। इन ही सब कारणों से लोग टैक्स चोरी करते हैं। 

इसी तरह के रोजाना की जिन्दगी में कई उदाहरण हैं जिसकी वजह से लोग नकद रकम की ओर खिंचते हैं। सरकार को इस बारें में सोचने की जरुरत है।  काला धन तब तक नहीं रुक सकता जब तक सफेद धन को रखनें में फायदे ज्यादा हों। अभी तो काले धन वालों को ही फायदा हैं।  सरकार और समाज को समझने की जरुरत कि काला धन क्यों पैदा हो रहा है।

Manisha रविवार, 25 सितंबर 2016

रिटायरमेंट के लिए 47% भारतीय नहीं कर रहे बचत?


एचएसबीसी (HSBC) की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि भारत में कार्यशील लोगों में 47 फीसदी ने सेवानिवृत्ति के लिए या तो बचत शुरू नहीं की है या फिर बंद कर दी अथवा ऐसा करने में उन्हें मुश्किल पेश आ रही है। यह ग्लोबल औसत के 46 फीसद से अधिक है।  

इस रिपोर्ट को ऑनलाइन सर्वे के आधार पर इपसोस मोरी ने तैयार किया। यह सर्वे सितंबर और अक्टूबर 2015 में किया गया। इसमें 17 देशों के 18,207 लोगों की प्रतिक्रिया ली गई। इन देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, मिस्र, फ्रांस, हांगकांग, भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया, मेक्सिको, सिंगापुर, ताइवान, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। 

भारतीय नहीं कर रहे बचत

रिपोर्ट में चिंताजनक पहलू यह है कि भारत में जिन 44 फीसद लोगों ने भविष्य के लिए बचत शुरू की थी, उन्होंने उसे रोक दिया है या ऐसा कर पाने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। करीब 80 फीसद ने सेवानिवृत्त होने से पहले मित्रों और परिवार से सलाह ली। जबकि 82 फीसद को रिटायरमेंट के बाद इनकी सलाह मिली। 

केवल 40 फीसद सेवानिवृत्त होने से पहले और 53 फीसद सेवानिवृत्त होने के बाद पेशेवरों से सलाह प्राप्त करते हैं। इनमें वित्तीय सलाहकार, सरकारी एजेंसी, इंश्योरेंस ब्रोकर्स सहित अन्य शामिल हैं।

रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा की अहमियत बढ़ जाती है। मेरे विचार में इस तरह की रिपोर्टस किसी न किसी उद्देश्य से प्रकाशित की जाती हैं। खास कर जब किसी अंतर्राष्ट्रीय कंपनी की कोई उत्पाद भारत में लांच होने वाला हो। 

भारत में सामाजिक सुरक्षा नाम मात्र की है और जो कुछ है भी वो भी केवल सरकारी क्षेत्र के कर्मियों और संगठित क्षेत्र के कर्मियों के लिये ही है। तो अगर इन क्षेत्रों के कर्मियों को अगर रिटायरमेंट के बाद पेंशन और प्रोविडेंट फंड अगर मिल रहा है तो वे क्यों बचत करेंगे? दूसरी ओर असंगठित क्षेत्र के कर्मियों का तो कोई रिटायरमेंट होता ही नहीं है तो उनकी बचत कहां होगी।

दरअसल भारत के लोगों को पहले से ही पता है कि किसी के भरोसे नहीं रहा जा सकता। अपने काम करने के वर्षों के दौरान लोग बाग अपना पैसा सोने और अन्य वस्तुओं में निवेश करते चलते हैं। 

दूसरी ओर सामाजिक ढांचा इस प्रकार बनाया गया है कि लोगो के बुढापे में उनके पुत्र उनका ध्यान रखते हैं। भारत में लोग कम पैसे में भी आराम से दिन काट लेते हैं।

अब ये सब बाते तो इन रिपोर्ट प्रकाशित करने वालों को नहीं पता, इसलिये वो ये कहते हैं कि भारतीय रिटायरमेंट के बाद के लिये बचत नहीं करते, वास्तविकता कुछ और ही है। 

Manisha मंगलवार, 16 अगस्त 2016

मोबाइल पर अग्रेजी मे सर्च का हिंदी में भी परिणाम दे रहा है गूगल


गूगल आजकल पूरी कोशिश कर रहा है कि भारतीय भाषाओं खास कर हिंदी में इंटरनेट पर पाठ्य सामग्री (कंटेंट) को
अग्रेजी मे सर्च पर भी हिंदी में परिणाम दे रहा है गूगल
बढ़ाया जाये। 

गूगल के अनुमान के अनुसार आने वाले कुछ समय में भारत के ग्रामीण इलाकों में स्मार्ट मोबाइल फोन के प्रचलन के बढ़ने से भारतीय भाषाओं खास कर हिंदी में इंटरनेट कंटेट की आवश्यकता रहेगी। 

इसी को ध्यान में रखते हुये गूगल ने मोबाइल पर अब अपने खोजक (सर्च इंजन) पर एक नई सुविधा शुरु की है। अब अपने मोबाइल पर गूगल सर्च करने वालों को हिंदी और अंग्रेजी के परिणाम एक साथ दिखाई दे रहे है। बस एक टैब पर क्लिक से मनचाहा परिणां देख सकेंगे।   

गूगल के अनुसार इस सुविधा से भारत में खोज बिलकुल रोजमर्रा की जिंंदगी जैसा हो जायेगा, जैसे लोग जरुरत के हिसाब से बोलचाल में भाषा बदलते हैं, ऐसे में सिर्फ एक टैब पर क्लिक करके अपनी पसंद की भाषा में सर्च के नताीजे देख सकेंगें।

मैंने अपने आईफोन पर गूगल में 'Who am I'  खोज के लिये टाइप किया तो देखा कि बगल के टैब में हिंदी में भी परिणांम दिख रहा था। अभी इसमें और सुधार की गुंजाइश है गूगल जरुर इसको सुधारेगा।

Manisha शनिवार, 9 जुलाई 2016

हिंदीडायरी पर ब्लॉग लेखक आमंत्रित हैं


आप में से जो लोग भी इस ब्लॉग (www.HindiDiary.com) पर अपने लेख और किसी भी विषय पर अगर लिखना चाहते हैं तो आप आमंत्रित हैं।

आप के नाम के साथ साथ आप के अपने ब्लॉग के लिंक भी लेख के साथ दिया जायेगा।

जो लोग पहले से ही अपने हिंदी में ब्लॉग चला रहे हैं, उनके लिये ये एक अच्छा मौका है।

और उदीयमान ब्लॉग लेखक भी यहां ब्लॉग लिख कर अपनी ब्लॉगिंग को  तराश सकते हैं। आप अपना ब्लॉग लेख manisha2106AToutlook.com पर ईमेल से भेज सकते हैं।

हिंदीडायरी पर ब्लॉग लेखक आमंत्रित हैं

Manisha रविवार, 26 जून 2016