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आयकर विभाग ने भेजा आयकर विवरणी भरने का आग्रह 


आज सुबह जब अपनी ई-मेल खोली तो सुखद आश्चर्य हुआ ये देख कर कि भारत के आयकर विभाग ने सभी आयकर दाताओं से इस आग्रह की ई-मेल भेजी है कि हम सब आयकर दाता 31 जुलाई 2022 से पहले वित्तीय वर्ष 2021-22 का आयकर विवरण (Income Tax Return) भर दें।

वैसे, आम तौर पर आयकर विवरण भरने की अन्तिम तिथि हर वर्ष की 31 जुलाई ही रहती है।

भारत का आयकर विभाग अब अग्र सक्रिय (Pro Active) हो गया है।

Income Tax Filing- Date Notice 2022

Manisha मंगलवार, 23 जुलाई 2019

चुनाव मतगणना के बाद की बहानेबाजी


हर लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बाद मतगणना होनी है और जाहिर सी बात है कि कोई न कोई राजनैतिक पार्टी जीतेगी और किसी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ेगा। चुनावों के नतीजों के बाद उनका राजनीतिज्ञ, राजनैतिक पार्टियां, विश्लेषक व जनता अपने अपने हिसाब से व्याख्या करेंगे। 

ऐसे में मतगणना के बाद प्राप्त परिणामों पर जब पक्के राजनीतिबाजों से जब इनकी व्याख्या करने को कहा जाता है कई तरह की बातें ये लोग कहते हैं। देखिये कैसी-कैसी बाते करते हैं :

Manisha शुक्रवार, 15 मार्च 2019

भारत में बढ़ रहा है जंगल

ऐसे समय जब भारत में पर्यावरण को लेकर चिंताये जताई जा रही हैं, प्रदूषण से भारत के तमाम शहरों खास कर दिल्ली  इत्यादी में बुरा हाल है,  सरकार से लेकर आदालतों तक प्रदूषण कम करने के अनेक उपाय किये जा रहें हैं  तब एक ऐसी खबर आई है जो कि एक सुखद ठंडी हवा का झोंका लेकर आयी है और वो ये है कि भारत में वन क्षेत्र बढ़ रहा है।


समाचार के अनुसार नासा ने अंतरिक्ष से फोटो खींचकर जो अध्ययन किया उसके अनुसार भारत में  पहले से ज्यादा वन क्षेत्र हैं और भारत तथा चीन दो देश मिलकर दुनिया में वन क्षेत्र बढ़ाने में अग्रणी भुमिका  अदा कर रहे हैं और 20 साल पहले  की तुलना में दुनिया ज्यादा रही भरी हुई है।  


India Forest Increasing



Manisha रविवार, 17 फ़रवरी 2019

आरक्षण अभी और कई तरीकों से लागू होगा


जिस तरह से सरकार अपने खर्चे कम न करके जनता पर और बोझा डालने के लिये नये नये कर (टैक्स) लगाने के तरीके ढूंढ़ती रहता है उसी तरह से राजनैतिक पार्टियां और नेता लोग अपना वोट बैंक बनाने के लिये नये नये वर्गों को आरक्षण का रास्ता दिखाते रहते हैं। और इसी क्रम में संविधान में वर्णित आरक्षण को और कई तरीकों से लागू करने के तरीके ढूंढ कर लोगो को लुभाते रहते हैं। 

देश में जरुरत अच्छी काम करने वाली सरकारों की है क्यों कि अगर सरकारें अच्छा काम करें तो सभी वर्गों का भला होगा और कोई भी ये नहीं कहेगा कि मुझे मौका नहीं मिला। लेकिन अपनी नाकामियों को छिपाने और नये नये वोट बैंक बनाने के चक्कर में राजनैतिक दल आरक्षण के नये नये जुमले उछालते रहते हैं ताकि लोगों को ये लगे कि राजनैतिक दल उनका कितना भला चाहते हैं। 

ये दल गरीब, मुस्लिम, पिछड़े, एससी-एसटी, युवा कई तरह के आरक्षण की मांग करते रहते हैं लेकिन अपनी बनाई हुई सरकारों द्वारा कुछ भी ऐसा नहीं करते हैं जिससे की आरक्षण की नौबत ही न आये। 

मुझे महिला आरक्षण के पास होने की तो खुशी है लेकिन मुझे आने वाले समय की तस्वीर दिख रही है कि अभी आरक्षण की ये बात बहुत आगे तक जायेगी। देखिये कैसे अभी आरक्षण होगा -

  • महिलाओं के लिये लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण के बाद राज्यसभा में भी आरक्षण की मांग तो अभी से उठने लगी है।
  • महिलाओं के लिये लोकसभा और राज्यों की विधानसभायों में 33 प्रतिशत आरक्षण में से भी पिछड़े, दलित और मुस्लिमों को आरक्षण की मांग कई दल कर रहे हैं।
  • इसके बाद शिक्षा में महिलाओं के लिये आरक्षण की मांग उठेगी।
  • इसके बाद सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिये आरक्षण की मांग उठेगी।
  • मुस्लिमों के लिये रंगनाथ मिश्र आयोग ने आरक्षण देने की बात कही है और इस पर भाजपा को छोड़कर सभी दल तैयार हैं। देश की राजनीति को देखते हुये ये मांग सबसे पहले पूरी होगी।
  • अनूसुचित जति और जनजाति के आरक्षण में परिवर्तित मुस्लिमों और ईसाइयों को आरक्षण देने की मांग पिछले कुछ समय से हो रही है।
  • समय समय पर न्याय पालिका में आरक्षण देने की वकालत की जा रही है।
  • निजी संस्थानों (प्राइवोट सेक्टर) में आरक्षण के लिये काफी समय से प्रयास किये जा रहे हैं और सरकार इसके लिये प्रयत्नशील है।
  • हाल ही में राजस्थान हाईकोर्ट नें पंचायतों में युवा के नाम पर एक नये प्रकार का आरक्षण देने पर रोक लगाई है।
 
यानी सब प्रकार के आरक्षण के बाद युवा के लिये आरक्षण, बुजुर्गों के लिये आरक्षण इत्यादि की मांग उठाई जायेगी और अपने आप को इनका हितैषी बताया जायेगा।

आरक्षण  Reservation



आरक्षण से सभी लोग प्रभावित होते हैं। लेकिन जिस वर्ग को मिल जाता है वो आरक्षण के पक्ष में बाते करने
लगता है और इसको अपना हक बताने लगता है भले ही ये माना जाता हो कि आरक्षण कुछ समय के लिये देना है। 

दरअसल वास्तविकता में आरक्षण असली जरुरतमंद को नहीं मिल रहा है, इसका फायदा  वही लोग उठा रहे हैं जो कि पहले से ही आगे हैं। 

वास्तव में भारत में दो ही वर्ग हैं संपन्न एवम गरीब और पिछड़े, जिसमें संपन्न वर्ग गरीबों-पिछड़ों को आगे लाने के नाम पर अपने लोगों को फायदा पहूंचा रहे हैं। 

सोचने वाली बात है कि अगर देश में सरकारें अपना काम अच्छे से करें तो ये बात ही क्यों आये कि कुछ वर्ग पिछड़ गये हैं।


संपादन - 1


जैसी कि ऊपर आशंका व्यक्त की गई थी, हाल ही में कई प्रकार का आरक्षण लागू हुआ है और कई अन्य प्रकार के आरक्षण के लिये या तो लोग संघर्षरत हैं या फिर सरकारें ही प्रयास कर रहीं हैं। 

महाराष्ट्र में मराठों से लिये 18 प्रतिशत का आरक्षण सरकारी नौकरियों में किया गया है। भारत सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में बकायदा भारतीय संविधान में संशोधन करके सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में 10 प्रतिशत का आरक्षण आर्थिक तौर से कमजोर (Economically Weaker Section - EWS) वर्गों को दिया गया है। 

राजस्थान में गूर्जर जाति के लोगों के लिये 5 प्रतिशत का आरक्षण सरकारी नौकरियों में दिया जा रहा है।

New Reservation नया आरक्षण

आप देखते जाइये किसी न किसी प्रकार से पूरा 100 प्रतिशत किसी न किसी को आरक्षण दिया जायेगा। कुछ हिस्सा सब को मिलेगा  इसलिये कोई विरोध नहीं करेगा।

Manisha गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

हिंदी आबू धाबी कोर्ट मे तीसरी भाषा बनी


सभी हिंदी प्रेमियों के लिये ये गर्व की बात है कि हमारी प्यारी हिंदी भाषा अब आबू धाबी के कोर्ट में तीसरी आधिकारिक भाषा बन गई है। वहां पर बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं जो कि लगभग 30 प्रतिशत के आसपास है।

Hindi Third Abu Dhabhi Court  Language


Manisha सोमवार, 11 फ़रवरी 2019

सोशल मीडिया पर हिंदी के नये शब्द बन रहे हैं


सोशल मीडिया जो कि खुद भी एक नया हिंदी का शब्द बन गया है क्योंकि हिंदी में इसे ही अपना लिया लगता है। इंटरनेट पर हिंदी की विषय सामग्री वैसे ही कम है, अब हिंदी के अधिकांश ब्लॉगर और लिखने वाले फेसबुक और ट्विटर पर चले गये हैं क्योंकि वहां पर तुरंत पढ़ने वाले मिलते हैं।  

सोशल मीडिया का प्रयोग दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है और बढ़ते जा रहे हैं उस पर हिंदी में लिखने वाले। 

ये नये हिंदी वाले अधिकांश भावना प्रधान होते हैं, और भावना में ही वो अपनी बात भावनाओं में बह कर ही करते हैं। 

इसी कारण से अपनी बात कहने के लिये नये नये शब्दों को बना रहे हैं।  

वैसे भी किसी भाषा का विकास नये नये शब़्दों के निरंतर सृजन से ही होता है।


New Words in Hindi on Social Media सोशल मीडिया पर हिॆदी के नये शब्द बन रहे हैं


इधर जब से देश में मोदी और केजरीवाल का प्रभाव बढ़ा है तब से उनके समर्थक और विरोधी  सोशल मीडिया  पर कुछ ज्यादा ही  सक्रिय होकर अजीब अजीब से नये शब्द बना कर लिख रहे हैं।  

वामी, कांगी, आपिया, अपोला, आपटर्ड, भक्त, अंधभक्त, शांतिदूत, शांतिप्रिय, सूतिया, चादरमोद, लकड़बग्घा, शर्मनिरपेक्ष, अंडोला, अंडभक्त, लिबरांडू इत्यादि कुछ शब्द हैं जो कि सोशल मीडिया पर ईजाद किये गये हैं। 

इधर कुछ राजनीतिक और प्रसिद्ध लोगों के लिये भी सोशल माडिया पर कुछ नाम बन गये हैं, लगभग हर वो व्यक्ति जो कि सोशल माडिया पर है वो इन शब्दों को पढ़ कर उससे संबंधित राजनैतिक व्यक्ति को समझ लेगा।

दिल्ली का घूंघरु सेठ, घूंघरु सेठ, फेंकू, पप्पू, पिंकी, भूरी काकी, छोटा पेंग्यूइन इस तरह की उपाधियों के कुछ उदाहरण हैं।

इसके अलावा भी कुछ अन्य शब्द हैं जो नये बने हैं। आप भी इन शब्दों का सोशल मीडिया पर आनन्द लीजिये।

Manisha सोमवार, 2 अक्तूबर 2017

हिंदी ब्लॉगिंग दिवस की शुभकामना 


जून 2006 में जब यह हिंदी ब्लॉगिंग के लिये जब यह ब्लॉग (हिंदी ब्लागरों ने ब्लॉग को चिठ्ठा नाम दिया है, जो कि अच्छा है) शुरू किया था तब नाम के ही कुछ हिन्दी ब्लॉग थे, पर हिन्दी चिठ्ठाकारी जारी रही और फली फूली भी पर फेसबुक के आने के बाद हिंदी ब्लॉगिंग  के अधिकांश चिठ्ठाकार और साथ ही साथ नये ब्लॉगर भी फेसबुक पर स्थानांतरित हो गये। फेसबुक पर आज हिंदी ब्लॉगिंग न केवल जीवित है बल्कि बहुत फल फूल रही है।

Hindi Blogging हिंदी ब्लॉगिंग


बहरहाल फेसबुक के अलावा स्वतंत्र रुप से हिंदी के स्थापित चिठ्ठे अब कम ही रह गये हैं और जो बच गये हैं और चल रहे है वो भी  बस चल रहे हें, ऐसे में  आज के अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर्स डे पर सभी हिंदी ब्लॉगरों को शुभकामनायें।

देखें - हिंदी के ऊपर हमारे बहुत सारे ब्लॉग पोस्ट

#हिंदी_ब्लॉगिंग

Manisha शनिवार, 1 जुलाई 2017

सुरक्षित बैंकिंग कैसे करें?


आजकल हम आये दिन अखबारों में पढ़ते हैं कि फलां के बैंक से इतने  रुपये निकल गये या फिर फलां के पास  एक फोन आया कि उनका एटीएम कार्ड रद्द कर दिया गया है और इसको दुबारा जारी करने के लिये उनके पास जो भी लोगिन और पासवर्ड है वो बता दें और इसके अलावा यदि कोई ओटीपी कोड (OTP)  आपके मोबाइल में आये तो वो भी बता दीजिये। 

बहुत सारे लोग इन सब में घपलों में फंस कर अपना मेहनत से कमाया हुआ धन गंवा बैठते हैं और बाद में परेशान होते हैं। पुलिस भी इस तरह के मामलों में ज्यादा कुछ नहीं कर पाती है। 


Safe Banking - सुरक्षित बैंकिंग कैसे करें?


आपकी सावधानी और जागरुकता ही आपको सुरक्षित कर सकती है।

अत: बैंकिंग करते समय आपको नीचे बताई गई सावधानियां रखनी चाहिये। 

इससे आप पूर्णतया सुरक्षित तो नहीं हो सकते पर काफी हद तक बचाव कर पाने में सक्षम हो जायेंगे।


सुरक्षित बैंकिंग के उपाय


  • किसी से भी अपनी निजी और संवेदनशील जानकारी को साझा मत कीजिये जैसे कि  बैंक की यूजर पहचान, कूटशब्द इत्यादि (User ID, Password, OTP, URN, Debit Card Grid values)
  • किसी भी ऐसी  वेबसाइट जो कि HTTPS प्रोटोकोल  शिष्टाचार  के बिना चल रही हो वहां पर अपनी खुफिया और निजी जानकारी को साझा न करें और न ही को रुपयों का लेन देन न करें।
  • आपके बैंक पर किये गये लेन देन का ब्यौरा देने वाली सुविधायें जैसे कि ईमेल और एसएसएस (SMS) के लिये पंजीकरण करा कर रखें।  
  • अपने बैंकिंग लेन देन को समय समय पर ध्यान देते रहें।   
  • अपने मोबाइल और कंप्यूटर पर एक अच्छा एन्टी-वायरस (Anti-Virus) स्थापित कर के रखें।  
  • डाउनलोग करी हुई किसी भी फाइल को पहले वायरस न हो इसके लिये जांच लेना चाहिये ।  
  • अपने बैंक खाते के किसी भी अनधिकृत लेन देन को तरंत अपने बैंक के ग्राहक सेवा केन्द्र की जानकारी में लाना चाहिये ताकि वो छानबीन कर सकें।   

Manisha शुक्रवार, 17 मार्च 2017

बीन बजा कर कमाने वाला


पिछले दिनों हम एक पहाड़ी पर्यटन स्थल पर परिवार सहित घूमने गये हुये थे। वहां के मुख्य बाजार में घूमते घूमते एक जगह पर हमने देखा कि एक व्यक्ति ने सपेरे वाली बीन बजानी शुरु कर दी और लोगों का मनोरंजन करने लगा। 

लोग बाग खुश होकर खुद ही कुछ न कुछ रुपये पैसे उसके आगे रखने लगे। हमें भी ये काफी अच्छा लगा और हमने उसका एक वीडियो भी अपने कैमरे से बना लिया। 

आप भी इसको सुनिये और आनन्द लीजिये।

  

Manisha मंगलवार, 18 अक्तूबर 2016

काला धन आय घोषणा योजना 2016 और नकद रकम  की समस्या


भारत सरकान ने देश में काला धन समाप्त करने के अपने प्रयासों के तहत आय घोषणा योजना 2016  आरम्भ की है जिसकी आखिरी तारीख 30 सितम्बर 2016 है।  इस घोषणा में अगर कोई व्यक्ति यदि अपनी किसी आय जिसके उपर उसने टैक्स नहीं दिया था जिसकी वजह से वो काला धन की श्रेणी में माना जायेगा। 

सरकार बार बार कह रही है कि इसकी अंतिम तिथि आगे नहीं बढ़ायी जायेगी  और लोगों को इसका फायदा उठा कर अपने काले धन को सफेद धन में परिवर्तित कर लेना चाहिये। 30 सितम्बर के बाद सरकार सख्त कार्यवाही करेगी जिसके लिये लोग खुद जिम्मेदार होंगे।

काला धन आय घोषणा योजना 2016

इस आय घोषणा योजना 2016  की घोषणा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल 2016 के आम बजट में की थी। इस खिड़की के तहत घोषित काले धन पर टैक्स, पेनाल्टी और सेस के रूप में 45 फीसद रकम चुकाकर लोग बेदाग बाहर आ सकते हैं। 

केंद्रीय प्रत्यक्ष बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर अफसरों को काला धन रखने वालों को इस स्कीम के तहत आकर्षित करने के लिए हर संभव प्रयास करने का निर्देश दिया है। 

साथ ही कहा है कि अपनी घरेलू काली कमाई उजागर करने वालों को आश्वस्त किया जाए कि उनकी गोपनीयता बरकरार रखी जाएगी। 


ये सब योजना  तो ठीक है  लेकिन सरकार को ये भी देखना चाहिये कि काला धन क्यों  पैदा होता है?

काले धन का एक  प्रकार तो अपराध से कमाया गया पैसा है जिसके बारे में तो सरकार सख्त कार्यवाही करनी ही चाहिये। लेकिन जो अपनी आय छुपा कर कर बचाते हैं वो वास्तविक रुप से ही काला धन कहलाता है, काले धन से आशय भी यही होता है कि कर बचा कर पैसा रखना।

काला धन पैदा होने का कारण


तो काला धन पैदा होने का कारण एक तो ये है कि टैक्स की दरें भारत में बहुत ज्यादा है और नये नये प्रकार के टैक्स लगाने के तरीके ढूंढ़े जा रहे हैं। 

इससे परेशान होकर जो लोग आय छुपा सकते हैं वो काफी हद तक छुपा कर टैक्स देने से बचते हैं। सरकार ज्यादा कमाने वालों पर ज्यादा टैक्स तो लगा देती है पर इस ज्यादा कमाने के लिये जो उसने अपने जीवन में मेंहनत की होती है उसका  कोई ध्यान नहीं रखा जाता है। 

निकम्मे और अकर्मण्य लोगोें को सरकार राहत देती है और मेहनत करने वालोें पर टैक्स लगाया जाता है।  इसके अलावा जो टैक्स दे रहा है उसी को और दूहने को सरकारें और प्रयत्न करती रहती हैं। 

तरह तरह के नोटिस टैक्स देने वालों को ही दिये जाते हैं और जो नहीं देते उनको कोई नोटिस नहीं देता, इस कारण भी लोग कहते हैं कि कर न देना ही अच्छा है।  अत: सरकार को अगर टैक्स का पालन कराना है तो टैक्स दर कम होना चाहिये और  टैक्स प्रशासन आसान होना चाहिये।


नकद रकम का फायदा 


अब मैं बताती हूं कि नकद रकम लोग क्यों रखना चाहते हैं। हमारा अनुभव ऐसा है कि बैंक में रखे पैसे या चेक, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड के प्रयोग के मुकाबले जो लोग नकद रकम खर्च करते हैं वो फायदे में रहते हैं।  

हमारे अनुभव तो इसी ओर इशारा करते हैं -

  • अगर आप किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रानिक सामान को डेबिट या क्रेडिट कार्ड से खरीदने जायें को आप पर 2 प्रतिशत का बैंकिंग अधिभार लगा दिया जाता है, नकद  में कोई समस्या नहीं है।
  • अधिकांश बैंकों नें आपके डेबिट कार्ड के खर्च की प्रति दिन की सीमा 50 हजार और नकद निकालने की सीमा 25 हजार से 35 हजार रुपये तक निश्चित की हुई है, यानी की आप अपने पैसे को अपने हिसाब से खर्च भी नहीं कर सकते, नकद कितना भी खर्च करिये।
  • इस सीमा की वजह से बड़ी खरीद में आप न चाह कर भी नकद रकम निकाल कर खर्च करते हैं जिसका फायदा उठा कर दुकानदार उस को आय में न दिखा कर काले धन में बदल देते हैं।
  • इसी सीमा की वजह से हम को कई बार दो-तीन दिनों तक रोजाना रूपये निकाल कर ही कोई बड़ी रकम का समान खरीदा।
  • मान लीजिये आपको 1 लाख रूपये का टीवी और होम थियेटर या कोई लैपटॉप खरीदना है और आपके बैंक में पर्याप्त रकम भी है और चाहते हैं कि जब भी आप इलेक्ट्रानिक की दुकान में जाकर सामान खरीदें तो नकद न ले जाना पड़े तो आपके पास कोई उपाय नहीं है, अगर बैंक चैक देंगे तो जब उसके द्वारा जब रकम दुकानदार के खाते में चली जायेगी तब वो आप सामान ले पायेंग यानी की दो-तीन दिन के बाद, अगर दूसरे शहर में हुये तो कोई विकल्प ही नहीं है चेक पेमेंट में कई दिन लगते हैं। अब डेबिट कार्ड के द्वारा आप पेमेंट कर नहीं सकते क्योंकि उसकी सीमा 25 या 35 हजार ही होगी। बचा क्रेडिट कार्ड,  अगर इसकी भी सीमा अगर 1 लाख के उपर हुई तब ही आप पेमेंट कर पायेंगे। इसके अलावा 2 प्रतिशत का बैंक प्रतिभार अलग। यानी कि  आप को हार झक मारकर नकद पैसा ले  जाना ही उचित लगेगा। समझ में नहीं आता कि हमारे ही पैसे पर कई सीमा बैंक द्वारा क्यों लगाई गई है।
  • कई बार हमें शहर के बड़े हस्पताल में अपने घर के या आस पडोस के किसी मिलने वाले को इलाज के लिये भर्ती कराना पड़ा जहां पर अस्पताल द्वारा पहले रकम जमा कराने को कहा गया जो कि लाखों में थी। अब आप सोच सकते हैं कि अगर आपके बैंक में रकम जमा भी हो तो भी आप केवल नकद द्वारा ही जमा करा सकते हैं यानी कि काला धन वालों को फायदा और सफेद धन वालों को नुकसान।
  • एक अन्य कम आय वाले रिश्तेदार के बच्चों की शादी में हम लोग कुछ मदद करना चाहते तो हम लोगों ने टेंट और खाने के खर्चे को अपने उपर ले लिया जो कि लाखों में था। जब हमने पेमेंट के लिये बोला तो उसने कहा कि आपको नकद देना होगा, अगर डेबिट कार्ड व क्रेडिट कार्ड से दोगे तो सर्विस टैक्स देना होगा। यानी कि  हमें नकद रकम देने में ही फायदा था, सर्विस टैक्स की रकम में तो हमें दूल्हा-दुल्हन कोई  अन्य उपहार दे सकते थे। इन ही सब कारणों से लोग टैक्स चोरी करते हैं। 

इसी तरह के रोजाना की जिन्दगी में कई उदाहरण हैं जिसकी वजह से लोग नकद रकम की ओर खिंचते हैं। सरकार को इस बारें में सोचने की जरुरत है।  काला धन तब तक नहीं रुक सकता जब तक सफेद धन को रखनें में फायदे ज्यादा हों। अभी तो काले धन वालों को ही फायदा हैं।  सरकार और समाज को समझने की जरुरत कि काला धन क्यों पैदा हो रहा है।

Manisha रविवार, 25 सितंबर 2016