मैकाले की शिक्षा का विकल्प क्या है?
मैं बचपन से समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में इस तरह के लेख पढ़ती आ रही हूं जिनमें यह बताया जाता रहा है कि मैकाले ने भारत में अंग्रेजी शासन को मजबूत करने और भारत के लोगों को क्लर्क बनाने लायक ही शिक्षा देने के उद्देश्य से ऐसी शिक्षा-प्रणाली लागू करी जिसे भारत में लोगों का नैतिक ह्रास हो गया और केवल क्लर्कों की फौज तैयार हो गई।
हो सकता है ये सही बात हो, क्योंकि अंग्रेज शासक थे और वो अपने हिसाब से ही शिक्षा देना चाहते थे।
लेकिन मुझे आज तक कोई ऐसा लेख पढ़ने को नहीं मिला जो मैकाले से पहले की शिक्षा-प्रणाली के बारे में विस्तार से बताये और साथ ही ये भी बताये कि अगर मैकाले की शिक्षी-प्रणाली में इतनी खराबियां हैं तो उसकी वैकल्पिक शिक्षा-प्रणाली क्या हो?
विद्वान लोग इस बारे में कुछ बता पायें को कुछ पता चले।
मैंने तो ये देखा है कि यहां पर कई तरह कि शिक्षा दी जा रही है, मदरसों की, आरएसएस की, राज्यों के बोर्डों की, केन्द्रीय सीबीएसई की, आईसीएससी की, गरीबों की अलग और मंहगे पब्लिक स्कूलों और बोर्डिंग स्कूलों की अलग।
अगर ये सब मैकाले का ही सिस्टम लागु कर रहे हैं तो इन्हीं में से तो हमारे इंजीनियर, डाक्टर, शिक्षाविद, अर्थशास्त्री इत्यादि निकल रहे है जो पूरी दुनिया में काम पाते हैं और तीसरी दुनिया के कई देशों के बच्चे इसी शिक्षा के लिये भारत आते हैं।
कहीं ऐसा तो नहीं कि हमें पूरी प्रणाली को बदलने के बजाय उसको स्तरीय बनाना चाहिये। आप लोग बतायें कि आखिर हमारी शिक्षा-प्रणाली कैसी होनी चाहिये?
मैकाले की शिक्षा का विकल्प क्या है?
Manisha
सोमवार, 26 जनवरी 2009