भारत के संविधान का निर्माण कैसे हुआ?

भारतीय संविधान का निर्माण कैसे हुआ?


भारत देश में सबसे ऊंचा पद भारतीय संविधान का है। सरकार, सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रपति, प्नधानमंत्री कोई भी इससे ऊपर नही है। सब इसके दायरे में रहकर काम करना होता है।

भारत के वर्तमान संविधान को बनाने के लिये आजादी के पहले से ही प्रयास किये जा रहे थे। दरअसल अंग्रेजी सरकार को ये पता था कि उन्हें जल्दी ही भारत को छोड़ना ही होगा। इसलिये उन्होंने भारत के संविधान के निर्माण के लिये काम करना शुरु कर दिया था। हम सब को ये पता होना चाहिये कि भारत के संविधान का निर्माण कैसे हुआ (Bharat ke samvidhan ka nirman kaise hua)?

भारत के संविधान का प्रस्तावना - Indian Constitution Preamble
भारत के संविधान का प्रस्तावना - Indian Constitution Preamble in Hindi


संविधान सभा की स्थापना


सबसे पहले 1946 के कैबिनेट मिशन ने भारत के लिये एक नया संविधान बनाने के लिये संविधान सभा की स्थापना की सिफारिश की थी और इसके लिये जुलाई 1946 में चुनाव हुये थे जिसके बाद संविधान सभा में 389 सदस्य थे, हालांकि बाद में इस घटा कर 299 कर दिया गया क्योंकि अंग्रेजी सरकार ने पाकिस्तान के लिये एक अलग संविधान सभा का गठन किया था।

लेकिन अंग्रेजी सरकार द्वारा बनाई गई इस संविधान सभा की शक्तियां सीमित थी पर अग्रेजों ने ही 1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम द्वारा संविधान सभा को भारत के लिये तब तक कानून बनाने का अधिकार दिया लेकिन तब तक ही जब तक कि भारत के संविधान का निर्माण नहीं हो जाता।

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा की 1946 में हुई पहली मीटिंग में इसका स्थायी अध्यक्ष चुना गया। कुछ दिनों बाद जवाहरलाल नेहरू ने संविधान के लिये उद्देश्य संकल्प प्रस्तुत किया जिसको संविधान सभा द्वारा सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया।

संविधान मसौदा समिति की स्थापना


29 अगस्त 1947 संविधान सभा ने आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिये डॉ. भीम राव अंबेडकर की अध्यक्षता में संविधान मसौदा समिति (Draft Committee)  का गठन किया। डॉ आंबेडकर बहुत ही योग्य संविधानविद थे और तमाम कानूनों के जानकार थे, इसलिए उन्हें ड्राफ्ट कमेटी का चेयरमैन बनाया गया था।

श्री बी. एन राऊ जो संविधान सभा के सदस्य तो नहीं थे परंतु वे संवैधानिक सलाहकार के रुप में काम कर रहे थे, उन्होंने संविधान सभा की मसौदा समिति के लिये एक प्रारम्भिक स्तर का मसौदा तैयार किया था।

संविधान सभा में कोई भी विदेशी व्यक्ति नहीं था, संविधान सभा की सलाहकार की भूमिका में भी कोई विदेशी व्यक्ति नहीं था। भारतीयों ने अपना संविधान बनाने में स्वयं अपने आप पर विश्वास किया था, उस समय के कालखंड के हिसाब से यह एक महत्वपूर्ण घटना थी।

जनवरी 1948 में यह मसौदा संविधान प्रकाशित किया गया और इसको भारत की जनता से इस के बारे में राय देने और उस राय के आधार पर होने वाले संशोधनों पर चर्चा करने के लिये 8 महीने का समय निर्धारित किया गया।

संविधान सभा के सदस्यों ने यह तय किया था कि वह आम सहमति से संविधान का निर्माण करेंगे न कि बहुमत से। डॉ अंबेडकर की अध्यक्षता वाली मसौदा समिति ने दुनिया कई देशों के संविधानों को पढ़ने के बाद भारत के संविधान को लिखा।

मसौदा समिति को कुल 7635 संशोधन प्राप्त हुये जिनमे से 2473 पर वास्तव में चर्चा की गई और उनका फैसला किया गया। यह पूरी प्रक्रिया जिसमें संविधान की हर एक लाइन पर खूब चर्चा की गई, भारत की लोकतांत्रिक परम्परा के बारे में अपने आप में एक मिसाल है।

संविधान सभा ने भारत का संविधान बनाने के काम को पूरा करने लिये कुल 2 साल, 11 महीने और 17 दिन का समय लिया। कुल 165 दिनों में कार्य करते हुये 11 सत्र आयोजित किये।

इस सविधान में सर्वाधिक प्रभाव भारत शासन अधिनियम 1935 का है। इस में लगभग 250 अनुच्छेद इस अधिनियम से लिये गए हैं।

भारत का यह नव निर्मित संविधान यह सारे देश की उपलब्ध मेधा और राष्ट्रीय आंदोलन के संघर्ष का सामूहिक नतीजा था।

इन 10 देशों से लिये गये संविधान के मुख्य तत्व


यूं तो संविधान सभा ने भारत का संविधान बनाने के दुनिया के तमाम देशों के संविधानों का अध्ययन किया था लेकिन मख्यतः इन 10 देशों के संविधानों से संविधान की बातें ली गई हैं -
  1. संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) - संविधान में लिखित मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन, संविधान की सर्वोच्चता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग, उपराष्ट्रपति, उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटाने की विधि एवं वित्तीय आपात, न्यायपालिका की स्वतंत्रता को संयुक्त राज्य अमेरिका से लिया गया है।
  2. ब्रिटेन (Britain) - भारत के संविधान में ब्रिटेन से संसदीय शासन-प्रणाली, एकल नागरिकता एवं विधि निर्माण प्रक्रिया, विधि का शासन, मंत्रिमंडल प्रणाली, परमाधिकार लेख, संसदीय विशेषाधिकार और द्विसदनवाद को लिया गया है।
  3. आयरलैंड (Ireland) - नीति निर्देशक सिद्धांत, राष्ट्रपति के निर्वाचक-मंडल की व्यवस्था, राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा में साहित्य, कला, विज्ञान तथा समाज-सेवा आदि के क्षेत्र में व्यक्तियों को सम्मनित करना आयरलैंड के संविधान से लिया गया है।
  4. ऑस्ट्रेलिया (Australia) - संविधान के प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूची का प्रावधान, केंद्र एवं राज्य के बीच संबंध तथा शक्तियों का विभाजन, व्यापार-वाणिज्य और संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को ऑस्ट्रेलिया के संविधान से लेकर भारतीय संविधान में जोड़ा गया है।
  5. जर्मनी (Germany) - जर्मनी के संविधान से आपातकाल के दौरान राष्ट्रपति के मौलिक अधिकार संबंधी शक्तियां, आपातकाल के समय मूल अधिकारों का परिर्वतन जर्मनी से लिया गया है।
  6. साउथ अफ्रीका (South Africa) - संविधान संशोधन की प्रक्रिया प्रावधान, राज्यसभा में सदस्यों का निर्वाचन दक्षिण अफ्रीका के संविधान से लिया गया है।
  7. कनाडा (Canada) - संघात्‍मक विशेषताएं, अवशिष्‍ट शक्तियां केंद्र के पास, केंद्र द्वारा राज्य के राज्यपालों की नियुक्ति और उच्चतम न्यायालय का परामर्श न्याय निर्णयन जैसी चीजें कनाडा के संविधान से लिया गया है।
  8. सोवियत संघ (Soviet Union) - 50 के दशक में आज का रूस सोवियत संघ था जो कि 1991 में कई राष्ट्रों में टूट गया। मौलिक कर्तव्यों का प्रावधान, मूल कर्तव्यों और प्रस्तावना में न्याय (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक) का आदर्श सोवियत संघ से लिया गया था।
  9. जापान (Japan) - विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया को जापान से लिया गया है।
  10. फ्रांस (France) - गणतंत्रात्मक और प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समता, बंधुता के आदर्श का सिद्धांत फ्रांस से लिया गया है।

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भारत के संविधान के बारे में यह सामान्य धारणा है कि दुनिया के अन्य संविधानो से इसे कापी किया गया है परंतु यह पूर्णतया सत्य नही है। संविधान सभा ने दुनिया के महत्वपूर्ण देशों के संविधानो से प्रावधानों का चयन तो किया है परंतु उसे भारतीय आवश्यकता के अनुरूप परिवर्तित करते हुए उस में व्यापक बदलाव भी कर दिया है।

आज का भारतीय संविधान


संविधान सभा ने भारत के संविधान को आखिरकार 26 नवंबर 1949 को अपनाया था। इस दिन को आज हम संविधान दिवस के रूप में जानते हैं।

भारत के संविधान में प्रस्तावना के साथ 448 अनुच्छेद हैं। 12 अनुसूचियां, और 5 परिशिष्ट हैं। अभी तक इसे 104 बार संशोधित किया जा चुका है।

पूर्ण रूप से बनने के बाद भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ। इस दिन को आज हम गणतंत्र दिवस के रूप में जोर शोर से बनाते हैं। इसी दिन भारत का संविधान बनने के बाद संविधान सभा का अस्तित्व समाप्त हो गया। इस संविधान सभा को ही भारत की अस्थायी संसद में परिवर्तित कर दिया गया और सारे सदस्य भारत के अस्थायी संसद के सदस्य बन गये थे। ये लोग तब तक इस पद पर रहे जब तक कि 1952 में भारत की पहली चुनी गई संसद का गठन नहीं हो गया।

भारतीय संविधान का प्रस्तावना



हम भारत के लोग, भारत को एक संप्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को:
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्रदान करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प हो कर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई० “मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हज़ार छह विक्रमी) को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियिमत और आत्मार्पित करते हैं




भारत के संविधान की कुछ रोचक बातें


  1. भारत का संविधान एक हाथ से लिखा गया है। मसौदा लिखने वाली समिति ने हिंदी, अंग्रेजी में हाथ से लिखकर कैलिग्राफ किया था और इसमें कोई टाइपिंग या प्रिंटिंग शामिल नहीं थी।
  2. संविधान के प्रस्तावना में गांधी जी के सपनों के भारत के निर्माण के अनुरूप रामराज्य की कल्पना के रुप में रामचन्द्र जी की तस्वीर बनी है।
  3. भारतीय संविधान के हर पेज को चित्रों से आचार्य नंदलाल बोस ने सजाया है। इसके अलावा इसके प्रस्तावना पेज को सजाने का काम राममनोहर सिन्हा ने किया है। वह नंदलाल बोस के ही शिष्य थे।
  4. भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। यह 25 भागों में बंटा हुआ है, जिसमें 448 अनुच्छेद और 12 अनुसूची (schedules) है। इसके अंग्रेजी संस्करण में कुल 117,369 शब्द हैं। 
  5. भारतीय संविधान में वर्तमान समय में 465 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियां हैं और ये 22 भागों में विभाजित है।
  6. उस समय प्रिंटिंग की आज की तरह अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं और उस समय के लिहाज से सबसे बड़ा एवं सुसज्जित छापाखाना केवल देहरादून स्थित भारतीय सर्वेक्षण विभाग या सर्वे ऑफ इंडिया के पास ही उपलब्ध था, इसलिए संविधान सभा ने इसी विभाग को इस ऐतिहासिक जिम्मेदारी का निर्वहन करने का दायित्व सौंपा।   
  7. उस समय छपी संविधान के अंग्रेजी और हिंदी संस्करण की असली कॉपी की हजार ऐतिहासिक प्रतियों में से एक प्रति संसद के पुस्तकालय में तो एक अन्य प्रति को आज भी देहरादून के भारतीय सर्वेक्षण विभाग में सुरक्षित रखा गया है।
  8. संविधान सभा के सदोंकी कुल संख्या 389 तय की गई थी, जिनमें 292 ब्रिटिश प्रांतो के प्नतिनिधि, 4 कमिश्नर क्षेत्रों के प्नतिनिधि और 93 देशी रयासतों के प्नतिनिधि थे। ये संख्या बाद में घटकर 299 रह गई। हैदराबाद अकेली एक ऐसी रयासत थी, जिसके प्नतिनिधि संविधान सभा में शामिल नहीं हुए थे।
  9. संविधान को लागू करने के लिए 26 जनवरी का ही दिन इसीलिए चुना गया क्योंकि इस दिन पूर्ण स्वराज दिवस की वर्षगांठ थी।
  10.  भारत के संविधान की मूल प्रति पर संविधान सभा के 284 सदस्यों के हस्ताक्षर भी हैं जिनमें से 15 महिलायें थी। अधिकांश सदस्यों ने अपने हस्ताक्षर अंग्रेजी में किये थे और कुछ ने हिंदी में और अबुल कलाम आजाद ने अपने हस्ताक्षर उर्दू मे किये थे।
  11. 24 जनवरी 1950 को, संविधान लागू होने से 2 दिन पहले जब संसद में इस पर हस्ताक्षर किए जा रहे थे तो उस समय बारश हो रही थी और संविधान सभा के सदस्यों ने इसे शुभ बताया था। यह संविधान सभा की अंतिम बैठक थी और इसी दिन संविधान सभा के द्वारा डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति भी चुना गया।
  12. डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर, जो कि भारत के पहले कानून मंत्री बने और संविधान सभा की कमेटी के चेयरमैन भी थे, को भारतीय संविधान का पिता कहा जाता है।
  13.  एक दिलचस्प बात यह है कि शुरुआत में, संपति का अधिकार भी एक मौलिक अधिकार था। लेकिन संविधान के 44वें संशोधन, 1978 में इस अधिकार को हटा दिया गया।
  14. भारत के राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ जिस में शेर, अशोक चक्र, सांड और घोड़े भी हैं को 26 जनवरी 1950 को ही अपनाया गया था।
  15. धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्दों को संविधान के 1976 में हुए 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया। 
  16. भारतीय संविधान के पहले अनुच्छेद के अनुसार भारत सभी राज्यों का एक संघ है और किसी भी राज्य को भारत से अलग होने का अधिकार नहीं है।
  17. भारत के संविधान को दुनिया के सबसे बेहतरीन संविधानों में से एक माना जाता है।

भारतीय संविधान आज़ादी के 70 वर्षों बाद भी एक जीवंत दस्तावेज़ की तरह अपना अस्तित्व बनाए हुए है। भारतीय न्यायपालिका संवैधानिक व्याख्या की प्रक्रिया का अनवरत विकास कर रही है।

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2 टिप्‍पणियां

  1. we are very proud to know that we live in freedom india only on our great freedon fighter like -Subhash Chander Bosh,Bhagat Singh,Lalalajpatray,Asfakulah and money people who secrify their onlife for these day.and i want to say every responsible Indian person please dont do any this kind act which is under ignore other person freedom , and help to other people.

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