अगस्त 2009

सबको पप्पू बना रहा है पाकिस्तान


आज के समाचार पत्रों में न्यूयार्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के हवाले से ये खबर प्रकाशित की गई है कि पाकिस्तान ने अमेरिका को धोखे में रखकर अमेरिका से मिली हारपून मिसाइलों को अवैध तरीके से विकसित कर लिया है, हालांकि पाकिस्तान ने इस बात का खंडन किया है। 

लेकिन सबको पता है कि पाकिस्तान अमेरिका के आतंकवात विरोधी अभियान की आड़ में अमेरिका से खूब आर्थिक और हथियारों की मदद ले रहा है। 

अमेरिका की मजबूरी है कि उसे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की मदद चाहिये ही, और इसी बात को पाकिस्तान खूब समझता है। पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका से मिल रही सैन्य मदद का गलत इस्तेमाल कर अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है।  

दिखाने के लिये पाकिस्तान अपने ही बनाये हुये तालीबान से लड़ रहा है और ऐसे दिखा रहा है कि तालीबान को कितना नुकसान हो चुका है। 

दरअसल पाकिस्तान को पता है कि एक न एक दिन अमेरिका अफगानिस्तान से जायेगा ही और तब तालीबान ही पाकिस्तान का भरोसे का साथी बनेगा और उसी के वेश में उस के सैनिक और तालीबानी अफगानिस्तान पर कब्जा कर लेंगे।  

कुल मिलाकर आतंकवाद की लड़ाई में पाकिस्तान फायदे में नजर आ रह है और अमेरिका और भारत सहित सबको पप्पू बना कर अपना हित साध रहा है।

Manisha सोमवार, 31 अगस्त 2009

मोदी का नाम पतित पावन है


भारत की राजनीतिक धर्मनिरपेक्षता में नरेन्द्र मोदी का नाम मोक्षदायिनी गंगा मां की तरह ही पतित पावन है। 

मोदी का नाम लेकर अच्छे-अच्छे रातों रात धर्मनिरपेक्ष हो जाते हैं। मोदी का नाम लेकर कल के कई सांप्रदायिक नेता रातों धर्मनिरपेक्ष साबित होकर धर्मनिरपेक्ष पार्टियों में शामिल हो जाते हैं। 

हाल ही में भाजपा से निकाले गये जसवंत सिंह ने अपनी बात रखने के लिये ही ये बताया कि वो बाजपेयी जी के साथ उस ससय थे जब बाजपेयी नरेन्द्र मोदी को गुजरात में हटाना चाहते थे। 

अरुण शौरी ने अपनी बात कहने के दौरान मोदी का नाम लिया और अब ये दोनो धर्मनिरपेक्षता मीडिया के प्रिय हो गये हैं। 

इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार भी लोकसभा चुनावों के दैरान चुनीवी मंच मोदी के साथ साझा करने को तैयार नही थे। बाद में भले ही मिल लिये। यानी कि नरेन्द्र मोदी  को गरियाते ही सब धर्मनिरपेक्ष बन जाते हैं। 

जसवंत सिंह लगातार मोदी का नाम लेकर कुछ-कुछ बयान दे रहे हैं और उन्हें इसका इनाम भी मिल रहा है।

धर्मनिरपेक्षता की झंडेदार समाजवाजी पार्टी ने जसवंत सिंह को धर्मनिरपेक्ष मानकर पार्टी में शामिल होने को कहा है। सुधीन्द्र कुलकर्णी ने धर्मनिरपेक्ष तृणमूल कांग्रेस पकड़ ली है। 

इसलिये देश में धर्मनिरपेक्षता को साबित करने के लिये जिन्ना की तारीफ करने से ज्यादा अच्छा है मोदी का नाम लेकर कुछ भी बयान देना, आप रातों-रात धर्मनिरपेक्ष होकर छा जायेंगे। 

ऐसे में ये क्यों न कहा जाय कि मोदी का नाम पतित पावन है।

Manisha बुधवार, 26 अगस्त 2009

शुक्र मनाइये कि आप दिल्ली में नहीं रहते


कल शाम दिल्ली और आस-पास के इलाके में हुई 74 मिलीमीटर बारिश ने दिल्ली वालों को रुला दिया। जन मानस

 
Jam in Delhi


कवियों नें और साहित्यकारों ने बारिश को लेकर अनेक रूमानी और मनोहर बाते लिखीं हैं. लेकिन कल शाम को हमने जो झेला वो इन सब से अलग था। 

कल शाम को हम लोग 5.30 बजे से लेकर रात 11 बजे तक जबर्दस्त जाम में फंसे रहे। एक जगह तो हम लोग साढ़े तीन घंटे तक फंसे रहे और एक इंच भी नहीं खिसके। 

इसी से आप अंदाज लगा सकते हैं किस कदर जाम था। 

आम तौर पर बारिश होने पर दिल्ली का सड़कों पर जाम लग जाता है और वाहन रेंगते हुये चलते हैं लेकिन कल तो सारे वाहन वहीं के वहीं फंस गये थे। 

दिल्ली और आसपास के इलाकों में रहने वालों को ये सब बाते रोज ही झेलनी पड़ती है। संसद के सत्र के दौरान राजनैतिक पार्टियों द्वारा किये जाने वाली रैलियों और धरनों से भी अक्सर जाम लगता है। 

गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस के अवसरों पर भी यही होता है। जो लोग छोटे और मंझोले शहरों में रहते हैं उन्हें शुक्र मनाना चाहिये कि वो दिल्ली में नहीं रहते और कम परेशानी में जिन्दगी बिताते हैं।

Manisha शनिवार, 22 अगस्त 2009

भारत के 20 वीं सदी के 10 महान नेताओं की सूची


मैंने  अपनी समझ से पिछली बीसवीं सदी (20 वीं सदी) के 10 महान भारतीय नेताओं की एक सूची बनाई है जिनकी वजह से पिछली सदी में भारत के लागों पर व्यापक प्रभाव पड़ा। कुछ नाम पर आप भी सहमत होंगे और कुछ पर आप असहमत। 

Manisha गुरुवार, 20 अगस्त 2009

केवल किताब लिखने पर सजा?


भाजपा ने जसवंत सिहं को भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है लेकिन अभी तक यह स्पष्ट
Jaswant Singh
नहीं है कि ऐसा क्यों किया गया है। 

यदि जिन्ना को लेकर किताब लिखने पर ही उनको निकाला गया है तो ये निंदनीय है। 

आखिर लोकतंत्र में कोई अपनी बात कैसे नहीं लिख सकता और क्या कोई अपनी निजी बात नहीं रख सकता? आखिर जिन्ना के उपर किताब लिखने से भाजपा का क्या नुकसान हो रहा था? 

भाजपा जसवंत सिहं द्वारा लिखित किताब से अपने आप को दूर कर ही चुकी थी फिर बात अपने आप खत्म हो जाती, केवल किताब लिखने पर किसी को राजनैतिक पार्टी से निकालना तो बिलकुल गलत है। 

जसवंत सिंह से मुझे अब हमदर्दी है हालांकि मैं तो उनकी आलोचक ही हूं। 

मैं तो जसवंत सिंह और यशवंत सिन्हा को लेकर कुछ लिखना चाहती थी कि कैसे इन लोगो ने भाजपा को कुछ देने के बजाय उसका नुकसान ही हमेशा किया है। 

अपने बूते पर ये लोग कोई भी चुनाव नहीं जीत सकते, किसी को जिताना तो दूर की बात है। ये लोग हमेशा पार्टी को ब्लैकमेल ही करते रहते हैं। हमेशा रूठे ही रहते हैं। 

जसवंत सिहं ने कंधार में जाकर अपने उपर, भाजपा के ऊपर और भारत के ऊपर ऐसा कलंक लगाया है वो कभी मिट नहीं सकता। 

इसी तरह यशवंत सिन्हा ने अपने वित्तमंत्री काल के दौरान लोगो को टैक्सों और ब्याज दरों मे कमी से रुलाया था। 

लेकिन केवल किताब लिखने पर इस तरह भाजपा से जसवंत सिंह का निष्कासन मेरे मन में उन के प्रति सहानुभूति जगा रहा है।

Manisha बुधवार, 19 अगस्त 2009

हिंदी चिठ्टों के एग्रीगेटर ब्लॉगवाणी का कल का एक चित्र देखिये कि बिना किसी पेज देखे ही पसंद संख्या 1 दिखा रहा है। आखिर ये कैसे संभव है?

How it Happend in Blogvani

Manisha बुधवार, 12 अगस्त 2009

ब्लॉगिंग से होने वाली परेशानियां और खतरे


पिछले जून महीने में मुझे ब्लॉगिंग की दुनिया में 3 साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान कई प्रकार के खट्टे मीठे अनुभव
Dangers in Blogging
हुये हैं, जिनको मैं श्रंखलाबद्ध तरीके से प्रस्तुत करूंगी। पहले मैं यह बता चुकी हूं कि ब्लॉगिंग में कैसा-कैसी रुकावटें आती हैं

जहां ब्लागिंग करने से कई फायदे हैं वहीं कुछ खतरे भी हैं।

अगर कोई कभी-कभार अपने ब्लॉग में कुछ लिखता है तब तो ठीक है लेकिन अगर कोई प्रोफेशनल ब्लॉगर है और कई घंटे दिन के इंटरनेट पर गुजारता है तो कई ऐसी बाते हैं जिनका सामना चिठ्ठाकार को करना पड़ता है और कई प्रकार के ऐसे खतरे और परेशानियं आती हैं -
  • इंटरनेट एडिक्शन – ये नये जमाने की बीमारी है जो कि अधिकांश ब्लॉगर को होती है, इसमें ब्लॉगर अपना अधिकांश समय इंटरनेट पर बिताता है। कभी मेल चेक करता है, कभी गूगल एडसेंस देखता है कभी अन्य ब्लॉग पढ़ता है और कभी टिप्पणियां करता है यानी अधिकांश समय इसी में चला जाता है।
  • सामाजिकता से नाता टूटना – जब दिन भर कम्प्यूटर की आभासी दुनिया में रहेंगे तो आस-पास की वास्तविक दुनिया से नाता कम होने लगता है। एक प्रोफेशनल ब्लॉगर का सामाजिक मिलना-जुलना कम हो जाता है।
  • वजन बढ़ना – कई घंटे बैठे रहने के कारण वजन बढ़ने लगता है। ऐसा मेरे साथ भी हुआ है।
  • बीमारियां – कई नामी ब्लॉगर इस बारे में पहले ही संकेत कर चुके हैं कि वजन बढ़ने से उच्च रक्तचाप और हार्ट अटैक की शिकायत कई अच्छे प्रसिद्ध प्रोफेशनल ब्लॉगरों को हो चुकी है और सभी नें इससे बचने की सलाह दी है। स्पोंडिलाईटिस, कमर के दर्द की परेशानी भी आम समस्या है।
  • अदालती और कानूनी झंझट – हिंदी ब्लागिंग मे तो यह अभी नहीं हुआ है लेकिन अन्य भाषाओं के चिठ्ठों मे ये हो चुका है। हालांकि हिंदी में भी पंगेबाज जी के साथ अदालती कार्यवाही की धमकी दी गई थी जिसके बाद उन्होंने अपना चिठ्ठा बंद कर दिया था। अत: इस प्रकार की परेशानियां भी आ सकती हैं।
  • लेख चोरी होना - इसके अलावा चिठ्ठों के लेखों को चुराकर अपने ब्लॉग पर लगाने की परेशानी तो लगभग हर ब्लॉगर को झेलनी पड़ती है जिससे मानसिक रिप से परेशान होना पड़ता है।


यह आवश्यक है कि सभी चिठ्ठाकार लोग व्यायाम को अत्यंत ही महत्वपूर्ण समझें और ब्लागिंग से होने वाली परेशानियो और खतरों से अपने आप को बचायें।

Manisha मंगलवार, 11 अगस्त 2009