सितंबर 2009

चिठ्ठाजगत के लिये नुकसान है ब्लॉगवाणी का बंद होना


ब्लॉगवाणीएक तो वैसे ही हिंदी के ब्लॉग पाठकों की संख्या की कमी से जूझ रहे हैं, वहीं दुसरी ओर हिंदी के चिठ्ठों के संकलन वाले एग्रीगेटर बंद होते जा रहे हैं। सबसे पुराना चिठ्ठा एग्रीगेटर नारद तो पहले से ही गायब था और अब ब्लॉगवाणी का बंद होना वास्तव में हिंदी चिठ्ठों के लिये बहुत नकसानदेह रहेगा।

जहां जरुरत इनकी संख्या को बढ़ाने की है वहीं पर ये बंद हो रहे हैं।

हालांकि ब्ल़गवाणी नें अपने वर्तमान रुप को बंद करने की कोई ठोस वजह नहीं बताई, जो बताई है वो किसी वेबसाईट के बंद होने के लिये को पर्याप्त कारण नहीं है।

>आखिर लोग तो वेबसाइटों की कमियों का फायदा उठाते हैं, उसके लिये कोई वेबसाइट थोड़े ही बन्द की जाती हैं?

मेरे विचार में ब्लॉगवाणी जैसे और संकलक खुलने चाहिये और उनको इन का व्यवसायिक दोहन भी करना चाहिये, बिना कमाई करे चल पाने मुश्किल हैं। फ्री सेवा करने की रोमानी दुनिया से बाहर निकल कर वास्तविक दुनिया के हिसाब से इन्हें चलाने की आवश्यकता है। आखिर अंग्रेजी के ब्लॉग एग्रीगेयटर भी तो ऐसा कर ही रहे हैं। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता तब तक हिंदी ब्लॉगजगत को खासा नुकसान है।

पुनश्च : पाठकों की मांग पर ब्लोगवाणी वापस शुरु हो गया है। बहुत ही अच्छी खबर है।

Manisha मंगलवार, 29 सितंबर 2009

ये पाकिस्तानी अखबार का चित्र है


गौर से देखिये ये भारत के किसी अखबार में छपने वाले विज्ञापन का चित्र नहीं, बल्कि पाकिस्तान के कराची शहर से छपने वाले डॉन (Dawn)  अखबार का चित्र है। 

Manisha शनिवार, 26 सितंबर 2009

ब्लॉग एक्शन दिवस पर भाग लीजिये


हालांकि ब्लाग एक्शन दिवस अमेरिका में हो रहा है लेकिन दुनिया भर के ब्लागरों और चिठ्ठाकारो के लिये खुला है। 
Blog Action Day


इसमें आप अपने चिठ्ठे को पंजीकृत करा कर ब्लाग एक्शन दिवस-2009 (Blog Action Day 2009) के लिये सहयोग कर सकते हैं। इसमें दरअसल करना ये है कि 15 अक्टूबर को दुनिया भर के ब्लॉगर एक साथ एक ही समय अपने ब्लॉगों पर महत्वपूर्ण विषयों पर लिखेंगे।

मुझे लगता है कि हम हिंदी चिठ्ठाकारों को भी इसमें भाग लेना चाहिये।

मैने अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया है आप एक्शन दिवस 2009 की साईट पर विजिट करके पंजीकरण करि लीजिये और इस में भाग लीजिये।

Manisha शुक्रवार, 25 सितंबर 2009

भारत में छोटी कारों के बाजार में घमासान


कल फोर्ड नें अपनी नई छोटी हैचबैक कार फिगो (Figo)  को पेश किया है जोकि अगले साल के शुरु से भारत में बिक्री के लिये अपलब्ध होगी। 
Ford Figo

अभी तक फोर्ड की भारत में कोई हैचबैक गाड़ी नहीं थी। दनिया भर में छाई मंदी के बीच कार कंपनियों को भारत और चीन ही एक बड़े बाजार के रुप में नजर आ रहे हैं। 

मंदी के दौर में भी भारत में छोटी गाड़ियों के बिक्री के आंकड़ो के अनुसार कारों के बिकने में बढ़ोतरी जारी है। सभी बड़ी कार कंपनियां छोटी गाड़ियों के या तो नये संस्करण जारी कर रही हैं या नये मॉडल उतार रही हैं। 

पिछले एक साल के अन्दर मारुति-सुजुकी ने रिट्ज (Ritz), एस्टिलो (Estilo), हुंडई (Hyundai)  नें आई20 (i20), टाटा मोटर्स ने इंडिका विस्टा (India Vista) तथा नैनो (Nano), फियेट ने ग्रांडे पुंटो (Fiat - Grande Punto), फोरड की फिगो इत्यादि लांच की गई हैं।

इसके अलावा पहले से ही बाजार में सुजुकी की मारुति-800, आल्टो, वैगन-आर, स्विफ्ट, जनरल मोटर्स की
Fiat-Punto
स्पार्क, यु-वा (U-VA), हुंडई की आई10 (i10), सैन्ट्रो, टाटा की इंडिका, फियेट की पालियो
इत्यादि उपलब्ध हैं। 

वोक्स-वैगन जनवरी-2010 में पोलो गाड़ी लांच कर ने वाली है। इन सब में अधिकांश गाड़ियों को कई – कई मॉडल हैं और अधाकांश के पैट्रोल व डीजल दोनों संस्करण हैं। कईयों के गैस व सीएनजी संस्करण भी उपलब्ध हैं।

भारत में बिकने वाली 70% गाड़ियां छोटी गाड़ी (हैचबेक) होती हैं, ऐसे में सभी कंपनियां इस बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहती हैं। भारत का मध्यम-वर्ग बहुत बड़ा है और उसके पास खर्च करने लायक पैसा भी है। अब कार ग्राहकों के पास अच्छे विकल्प हो गये हैं, साथ ही परेशानी भी बढ़ गई है कि किसे खरीदें और किसे नहीं?

हमारे पास फिलहाल तो 10 साल पुरानी मारुती-800 है जिससे अच्छा काम चल रहा है। जब खरीदनी होगी तब कर अन्य छोटी गाड़ियां भी बाजार में आ चुकी होंगी। मुश्किल रहेगा कि कौन सी कार खरीदी जाये?

Manisha गुरुवार, 24 सितंबर 2009

बचिये इन तांत्रिकों से


आजकल रह-रह कर इस तरह की खबरें आती रहती हैं कि किसी तांत्रिक के कहने से किसी ने किसी की बलि दे
Baba Bangali Tantrik
दी इत्यादि।

कुछ समय पहले इस तरह की खबरें आईं थीं कि पड़ोसी के बच्चे की बलि दे दी या फिर पुत्र की कामना में अपनी ही पुत्री की बलि दे दी। 

इस तरह के से समाचार सचमुच बहुत ही दुखद होते हैं और समझ में नहीं आता है कि लोग, वो भी पढ़े-लिखे लोग कैसे इन तांत्रिकों की बातों में आ जाते हैं। 

कितने ही परिवार इन तांत्रिकों के चक्कर में आकर बर्बाद हो लेकिन फिर भी  आजकल देश में खूब तांत्रिकों का धंधा खूब चल रहा है और कई सारे बंगाली तांत्रिक प्रगट हो गये हैं।

दिल्ली में अक्सर डीटीसी की बसों में तांत्रिकों के विज्ञापन वितरित किये जातें हैं और समाचार पत्रों में भी विज्ञापन दिये जाते हैं। 

इन बंगाली तांत्रिकों में से अधिकांश मुस्लिम तांत्रिक हैं। ये लोग अपने आपको माता का भक्त बताते हैं हर प्रकार का समस्या ये छुटकारा दिलाने का झांसा देते हैं। 

लोगों को इनसे सावधान रहने की आवश्यकता है। इतनी बड़ी संख्या में अचानक बंगाली तांत्रिकों के देश में दिखने से मुझे तो संदेह है कि हो सकता है कि ये सब योजनाबद्ध तरीके से देश में लाये गये हों और पड़ोसी देश के जासूस हों। 

Manisha मंगलवार, 22 सितंबर 2009

नक्सलियों के विरुद्ध प्रचार की शुरुआत


इधर नक्सलियों के खिलाफ बनी संयुक्त सशस्त्र बल कोबरा (COBRA - Commando Battalion for Resolute Action) और छत्तीसगढ़ पुलिस के द्वारा लगभग 30 नक्सलियों के मारे जाने की अच्छी खबर आई ही थी कि इधर भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा नक्सलियों के खिलाफ जनता में प्रचार करने के लिये विज्ञापन सभी अखबारों में देने शुरु कर दिये हैं। 

Manisha रविवार, 20 सितंबर 2009

एक उपाधि का नाम है ओसामा बिन लादेन


हम लोग बचपन में वेताल (फैन्टम) की कहानियां कामिक्स  में पढ़ा करते थे जिसमें  बताया जाता था कि ओसामा बिन लादेन Osama Bin Laden  पिछले 400 सालों से वेताल का अस्तित्व है और जंगल के लोग उसको अपना रक्षक मानते थे, लेकिन वास्तविकता में वेताल एक मुखौटा और उपाधी थी जिसमें परम्परागत तौर अगली पीढ़ी वेताल बनती रहती था। 

मेरे विचार में अल-कायदा का सरगना ओसामा बिन लादेन भी किसी तरह की एक उपाधि लगता है। असल में  अपनी मौत की चर्चाओं के बीच दुनिया का सबसे कुख्यात आतंकवादी और अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन एक बार फिर प्रकट हुआ है। 

रविवार को लादेन का नया वीडियो टेप सामने आया है, जिसमें उसकी तस्वीर इस्तेमाल की गई है। अल कायदा की मीडिया इकाई की ओर से जारी इस टेप को अमेरिकी जनता के नाम संबोधन करार दिया गया है। 

अल कायदा की मीडिया इकाई का दावा है कि इसमें सुनाई देने वाली आवाज लादेन की है। लादेन ने टेप में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की नीतियों को जमकर कोसा है। 

लादेन ने ओबामा को शक्ततहीन बताते हुए कहा है कि वह अफगान युद्ध को रोक पाने में पूरी तरह नाकाम साबित हुए। अमेरिका की साइट इंटेलीजेंस ग्रुप ने लादेन की इस टेप का अनुवाद जारी किया है।

दरअसल इस तरह के टेप और बयान वेताल की परंपरा का ही एक रुप लगता है। पाकिस्तान कहता है ओसामा बिन लादेन मर गया है, अमेरिका कहता है कि वो जिन्दा है और पाकिस्तान में छुपा हुआ है, अल कायदा उसके टेप जारी करके दुनिया को डराता रहता है।

भले ही ओसामा बिन लादेन मर गया हो, लेकिन उसको जिन्दा रखने की खबर बनाये रखने में सबका फायदा है।  

अमेरिका को ओसामा बिन लादेन के जिन्दा होने की कबर के सहारे अपने आतंकवाद विरोधी अभियान को चलाये रखने का बहाना मिल जाता है, पाकिस्तान को अमेरिका से डालर और हथियार बटोरने का मौका मिल जाता है, अल कायदा को अपने आतंक के साम्राज्य को फैलाने में मदद मिल जाती है, तालीबान ओसामा बिन लादेन से प्रेरणा लेता है, यानी ओसामा बिन लादेन के बने रहने में सबका फायदा है। 

इसलिये मुझे लगता है कि ओसामा बिन लादेन  के मरने की आने वाले 20-25 सालों में भी कोई खबर आने वाली नहीं है और उसके नाम को उपाधि की तरह इस्तेमाल करके कुछ मिथक तैयार करके उसके नाम का फायदा लिया जाता रहेगा।  

उसी की तरह के मुखौटे बना कर नये टेप जारी होते रहेंगे, अमेरिका उन्हें प्रमाणित करता रहेगा। वेताल की तरह ओसामा बिन लादेन भी अमर चरित्र रहेगा।

अंतिम पंक्ति :  ओसामा बिन लादेन 2 मई 2011 को पाकिस्तान को एबेटोबाबाद में मारा  गया

Manisha मंगलवार, 15 सितंबर 2009

क्या कोई राष्ट्रपिता के लिये भी तर्पण करता है?



आजकल हिन्दुओं के घर में श्राद्ध पक्ष चल रहा है और घर में श्राद्ध तर्पण होते देख वैसे ही मन में आया कि क्या कोई राष्ट्रपिता (महात्मा गांधी) और स्वतंत्रता संगाम में गुमनाम मरे लाखों क्रांतिकारियों और आन्दोलन कारियों के लिये भी तर्पण करता होगा?  

क्या लोगों को अपने घरों में श्राद्ध कर्म करते समय इनके लिये भी तर्पण कराना चाहिये?

क्या कोई राष्ट्रपिता के लिये भी तर्पण करता है?


Manisha

नासा (NASA) ने हाल ही में वापस ठीक की गई अंतरिक्षीय दूरबीन हब्बल (Hubble)  द्वारा भेजी गई नई तस्वीरें जारी की हैं। इन तस्वीरों में हब्बल नें कुछ आकाशगंगाओं (Galaxies) को देखा है और उनकी फोटो खींची हैं।

Butterfly Galaxy
ये देखिये तितली के आकार की आकाशगंगा

सभी चित्र नासा की हब्बल फोटो गैलरी से, आप पूरे चित्र वहां पर देख सकते हैं

Manisha शुक्रवार, 11 सितंबर 2009

ब्लॉग चलता है जज्बे और लगन से


हाल ही में कुछ सरकारी वेबसाइटों पर किसी विशेष जानकारी पाने के लिये जाना हुआ, लेकिन ये पाया कि वहां ब्लॉग पर वांछित जानकारी उपलब्ध नहीं है।

ऐसा कई बार हुआ है कि सरकारी विभाग अखबारों में तो विज्ञापन छपवा देते हैं लेकिन उसी विभाग की वेबसाइट पर उस विषय के बारे में कुछ नहीं मिलता। अगर मिलता भी है तो 7-8-10 दिन बाद जाकर।

ऐसा इसलिये होता है क्यों कि सरकारी विभागों में जनता को जानकारी देने का या विभागीय वेबसाइट को अपडेट करने का कोई जज्बा नहीं होता है, उनके लिये ये काम एक बोझा होती है जिसे उन्हें ढोना पड़ता है।

यही बात ब्लॉग पर लागू होती है। कोई भी ब्लॉग तब चलता है जब उसको चलाने के पीछे जज्बा होता है। दुनिया की सभी बडी बेबसाइट और ब्लॉगों के पीछे ऐसे लोग हैं जिनको उसको चलाने का जज्बा है, जिसको चलाने में उन्हें आनन्द आता है। ब्लॉगिंग में अनेक रुकावटें आती हैं और साथ ही साथ अनेक प्रकार की ब्लॉगिंग की परेशानियां और खतरे भी हैं।

कितने ही ब्लॉग लोग दूसरों की देखा-देखी या फिर ब्लॉग से पैसा कमाया जा सकता है ये सोच कर अपना भी ब्लॉग शुरू कर देते हैं। कुछ दिनों तक तो मामला चल जाता है फिर समझ में नही आता कि क्या करें? ब्लॉग तो आप किसी ऐसे विषय पर होना चाहिये जिसकी आपको जानकारी हो, जिसको लेकर आप उत्साहित हों, जिसकी जानकारी को आप दुनिया को बांटना चाहते हों।

अगर आप बिना इन सब कारणों के ब्लॉग चलायेंगे तो फिर एक समय ऐसा आयेगा जब को समझ नहीं आयेगा कि अब क्या करें? कुछ लोग इधर इधर की साईट एवं ब्लॉगों से सामग्री चलाकर ब्लॉग चलाना चाहते हैं पर वो पढ़ने वालों को समझ में आने लगता है कि आपका माल दूसरों का है।

जब आप में किसी बात ता जज्बा होगा तो आप का ब्लॉग खूद ब खुद ताजा जानकारियों से भरा रहेगा और पाठकों का भी भरोसा बना रहेगा। अत: ब्लॉग ऐसे चलाये कि आप अपनी बात रख सकें, अपने विषय की बात कर सकें, जज्बे से लिखिये फिर देखिये कैसे आपका ब्लॉग हिट होता है।

Manisha बुधवार, 9 सितंबर 2009

ब्लॉगिंग में आने वाली रुकावटें


ब्लॉगिग से संबंधित अपनी पिछली पोस्ट में मैने बताया था कि कैसे ब्लॉगिंग से परेशानियां और खतरे
हैं। आज मैं बताना चाहती हूं कि ब्लॉगिंग में कैसा-कैसी रुकावटें आती हैं।

Manisha मंगलवार, 1 सितंबर 2009