सितंबर 2010

श्राद्ध पक्ष में राष्ट्रमंडल खेल – परेशानी ही परेशानी


कई प्रकार के विवादों से घिरे 19वें राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर तमाम तरह की बातें कही जा रही हैं। 
Commonwealth Games

मेरे भी मन में दो बातें हैं। पहली तो ये कि अक्टूबर के आरम्भ का समय भारत में खेलों के लिहाज से गर्म और ऊमस भरा होता है। 

ये अलग बात है कि दिल्ली में अभी तक बारिश हो रही है जिससे मौसम सुहावना बना हुआ है लेकिन जिस दिन बारिश नहीं होती उस दिन गर्मी और ऊमस परेशान कर देती है। 

ऐसे में इस समय तो खिलाड़ियो का पसीना ज्यादा बहेगा जिनसे उन के प्रदर्शन पर असर पड़ेगा। वहीं दर्शकों को भी धूप में गर्म और ऊमस के वातावरण में स्टेडियम में बैठना मुश्किल हो जायेगा।

दूसरी बात है कि राष्ट्रमंडल खेलों के उदघाटन के समय भारत में श्राद्ध पक्ष चल रहा होगा जिसमें मान्यता है कि कोई अच्छा काम नहीं किया जाता। वैसे ही कुछ लोग मना रहे है राष्ट्रमंडल खेल फ्लाप हो जायें, ऐसे में आयोजकों को श्राद्धों के दिनों का ध्यान कर लेते तो अच्छा ही रहता।

मेरे विचार में भारत में नवंबर के आरम्भ और फरवरी के अंत का मौसम इस प्रकार के बड़़े अंतर्राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिये उपयुक्त रहता। बहरहाल हर भारतीय की तरह मेरे भी शुभकामना है कि दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल सफलतापूर्वक संपन्न हो ताकि भारत का नाम रोशन रहे।

Manisha गुरुवार, 23 सितंबर 2010

कश्मीर समस्या पर कहे जाने वाले कुछ जुमले


कश्मीर को लेकर भारत की समस्या अब अगले दौर में पहुंच गई है। अब की बार बहुत सोच-समझ कर
कश्मीर समस्या
अलगाववादियों द्वारा जो योजना बनाई गई है उसमें पत्थर फेंक कर विरोध का नया तरीका ढूढ़ा गया है। 

खैर मैं कश्मीर की स्थिति के बारे में बात न करके पिछले 63 सालों से चले आ रहे कुछ जुमलों की बात करना चाहती हूं जो कि हमेशा सुनाई पड़ते रहते है। देखिये कश्मीर को लेकर कैसी कैसी बाते की जाती हैं।

  • कश्मीर भारत का अटूट अंग है – ये बात भारत सरकार द्वारा हमेशा कही जाती है, हालांकि आजकल कम ही ऐसा कहा जाता है। ये बात अलग है कि शायद ही कभी आपने पाक अधिकृत कश्मीर, गिलगित, बालटिस्तान, हुंजा, अक्साई चिन को भारत का हिस्सा बताने की बात भारत सरकार या भारत के नेताओं से सुनी हो।
  • कश्मीर से धारा 370 हटाओ – राष्ट्रवादी और हिंदुवादियों का प्रिय जुमला। इन्ही लोगों द्वारा सत्ता में आने के बाद इसी धारा 370 के समर्थन में बयान जारी किये गये, अब फिर से कभी कभी सुनाई पड़ता है। चूंकि ये बात हिंदुवादियों द्वारा कही जाती है इसलिये भारत के तमाम बु्द्धिजीवी और कॉलमिस्ट धारा 370 को जारी रखने के पक्ष में पूरी जान लगा कर लेख लिखते रहते हैं।
  • कश्मीर  में जनमत संग्रह कराया जाये – जब से भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र संघ में कश्मीरियो को आत्मनिर्णय की बात मानी थी तब से पाकिस्तान और कश्मीर  को अलगाववादी इस बात की रट लगाते रहते है, भारत सरकार इससे बचती है। अब ये बात पुरानी हो गई है।
  • कश्मीर की समस्या भारत और पाकिस्तान के आपसी संबंधो के सुधार में बाधक है – पाकिस्तान की सरकार का ये पारंपरिक बयान है जिसमें कहा जाता है कि जब तक कश्मीर समस्या को हल नहीं किया जाता, भारत और पाकिस्तान के संबंध सामान्य नहीं हो सकते। यहां तक की पाकिस्तान की धरती से होने वाले आतंकवाद पर भी तभी रोक लग सकती है जब भारत कश्मीर की समस्या को सुलझाये।
  • कश्मीर  भारत की धर्मनिरपेक्षता की कसौटी है – ये बात भी कई बार कही जाती है कि कश्मीर भारत की धर्मनिरपेक्ष नीतियों की पहचान है जहां पर सब धर्मों के नोग मिल कर रहते हैँ। कश्मीर के अलग होने की स्थिति में शेष भारत में रह रहे अल्पसंख्यकों की स्थिति पर फर्क पड़ेगा।
  • ये कश्मीरियत की पहचान की समस्या का संघर्ष है – ये बात हमारे देश के बूद्धिजीवियों द्वारा 90 के दशक के शुरूआत मे जब सशस्त्र संघर्ष शुरू हुआ था, तब कही जाती थी और बताया जाता था कि कश्मीरियित तो सहिष्णुतावादी, धर्मनिरपेक्ष, सूफीवादी परंपरा है, लेकिन जल्दी ही पता चल गया कि ये अलगाववाद का आंदोलन है जोकि कश्मीर को भारत से अलग करने का पाकिस्तानी योजना है। फिर ये बात सुनाई देनी बंद हो गई। अब जब से कश्मीर में पत्थरबाजी शुरू हुई है, घुमा-फिरा कर इसी तरह की बात की जा रही कि ये युवाओॆ का संघर्ष है आदि आदि।
  • कश्मीर को स्वायत्तता दो – ये जोर शोर से कश्मीर की नेशनल कांफ्रेंस द्वारा कही जाती है, इस बात के लिय प्रधानमंत्री संविधान के दायरे में रहकार बात करने को तैयार हैं।
  • दूध मांगो खीर देंगे, कश्मीर मांगो चीर देंगे – ये बात भारत कुछ अति राष्ट्रवादियों द्वारा कही जाती थी, लेकिन जब इन लोगों द्वारा समर्थित सरकार द्वारा बिना शर्त कश्मीर में वार्ता आरम्भ की गई और समस्या के लिये जिम्मेदार पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुशर्रफ को भारत बुलाया तब से ये बात कहीं गायब हो गई है।
  • कश्मीर को लेकर हमारा समर्थन नैतिक है – मुंह में राम और बगल में छुरी का उदाहरण, पाकिस्तान ने व्यापक योजना बनाकर कश्मीर में आतंकवाद और सशस्र् संघर्ष जारी रखा हुआ है लेकिन हमेशा कहता है कि वो कश्मीर में जारी स्वतंत्रता आंदोलन को नैतिक समर्थन देता है।
  • कश्मीर बनेगा पाकिस्तान – ये नारा कश्मीर के अलगाववादियों और पाकिस्तान में होने वाली कश्मीर के समर्थन में होने वाली रैलियों में लगाया जाता है।
  • हमें क्या चाहिये – आजादी- आजादी -  कश्मीर के कुछ अलगाववादियों (खासकर जेकेएलएफ) द्वारा लगाये जाने वाला एक और नारा । पाकिस्तानी इस नारे को पसंद नही करते क्योंकि इससे एक तो कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने की योजना को पलीता लगता है वहीं उसके वहीं उसके खुद के कब्जे वाले कश्मीर को भी हाथ से निकल जाने का खतरा है।

इसी तरह की कई बातें आये दिन कही जाती रहती हैं। अगर कल को कश्मीर अगर भारत से अलग भी हो गया तो भारत के बुद्धिजीवी और शांतिवादि आपको ये बताने लगेंगे कि देखो कश्मीरी हमारे जैसे ही, हमारे भाई हैं जिनकी हमें मदद करनी चाहिये इत्यादि।

Manisha रविवार, 12 सितंबर 2010