फ़रवरी 2010

हमारे नान-स्टेट एक्टर क्यो नहीं बोलते हैं?


जब मुंबई पर 26/11 पर पाकिस्तानी हमला किया गया था तब वहां के राष्ट्रपति जरदारी ने कहा था कि ये नान-स्टेट एक्टर द्वारा किया गया काम है और इसमें पाकिस्तानी सरकार का कोई हाथ नहीं है। 

Manisha शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

ई-गवर्नेंस से किसे फायदा हो रहा है?


आज से राजस्थान की राजधानी जयपुर में 13 वां राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस (ई-शासन) का सम्मेलन हो रहा है  जिसमें देश के
ई-गवर्नेंस
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, उनके विभाग, राज्य सरकारें एवं अन्य लोग भाग ले रहे हैं। 

देश में ई-गवर्नेंस  को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर एवं महत्वाकांक्षी रुप में पेश किया जाता है। ऐसा बताया जाता है कि सूचना प्रौद्योगिकी  की ई-गवर्नेंस  प्रणालियों से देश को और देश की जनता को बहुत फायदा पहुंच रह है या पहुंचने वाला है। 

लेकिन मेरे विचार में ऐसा नहीं है। ई-गवर्नेंस   से कुछ फायदा तो हो रहा है लेकिन ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है। इस बारे में मेरे विचार कुछ इस प्रकार हैं -
  • सिस्टम वही का वही - ई-गवर्नेंस  प्रणालियां तो बन गई हैं लेकिन उनसे प्रशासनिक अव्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। मिसाल के लिये अगर जन्म-मृत्यु के प्रमाण पत्र को लेने में अगर पहले 5 दिन लगते तो कंप्युटरीकरण के बाद भी इतने ही दिन लगते हैं यानी कि काम अभी भी उसी गति से हो रहा भले ही कंप्यूटर के ऊपर भारी खर्चा हो गया है। इसी तरह से आयकर के कंप्यूटरीकरण के बावजूद लोगों को आयकर का रिफंड लेने के लिये उतने ही धक्के खाने पड़ रहे हैं जितने की पहले। या फिर आय कर का रिटर्न भरना आज भी उतना ही जटिल है जितना पहले था। यानी ई-गवर्नेंस   का फायदा आम आदमी को नहीं पहुंचा है।
  • मंहगा - ई-गवर्नेंस  के नाम पर लोगो को मिलने वाली सुविधायें मंहगी कर दी गई हैं मसलन रेलवे के टिकट पर कंप्यूटर के नाम पर सरचार्ज लगता है। या फिर उदाहरण के तौर पर दिल्ली में कंप्यूटर और स्मार्ट कार्ड वाले वाहन रजिस्ट्रेशन और वाहन लाइसेंस  की फीस बढ़ा दी गई है यानी लोगों को फायदा तो कुछ नहीं हुआ पर आर्थिक नुकसान जरुर हो गया।
  • हिंदी और क्षेत्रीय भाषायों को नुकसान – अधिकांश कंप्यूटरीकरण व ई-गवर्नेंस  एप्लीकेशंस अंग्रेजी भाषा में हैं आम जनता की भाषा में नहीं। जैसे तैसे देश में राजभाषा के काम को बढ़ाया जा रहा था लेकिन ई-गवर्नेंस  के बाद उस पर पानी फिर गया है। जरूरत आम आदमी की भाषा में ई-गवर्नेंस प्रणालियों की है।
  • बाबुओं को फायदा - ई-गवर्नेंस के नाम पर करोड़ों रुपये की योजनाये बना कर खरीदारी की जा रही है जिसमें जाहिर सी बात है कि क्या उद्देश्य रहता है।
  • भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं - ई-गवर्नेंस से कहीं भी किसी भी सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लग सकी है यानी सब कुछ वैसै ही चल रहा है।


ई-गवर्नेंस कई जगह पर सफलता पूर्वक भी चल रहा जैसे कि रेल व हवाई यात्रा में रिजर्वेशन में। अधिकांश ई-गवर्नेंस वहां तो सफल है जहां पर पैसे का लेन देने है, वाकई इससे आसानी हो गई है।

लेकिन जब तक ई-गवर्नेंस  से आम जनता को परेशान करने वाली व्यवस्था नहीं बदलती तब तक ये सिर्फ एक ढोल पीटने जैसी बात रहेगी।

Manisha बुधवार, 17 फ़रवरी 2010

आखिर भारत का संयम खत्म हो ही गया


कुछ दिन पहले पाकिस्तान में अमेरिका के रक्षा मंत्री राबर्ट गेट्स ने यह कहा था कि कि भारत का संयम खत्म हो सकता है। इसका सभी समाचार माध्यमों ने यह अर्थ निकाला था कि भारत पाकिस्तान की तरफ से किसी भी प्रकार के आतंकी हमले के लिये जैसे को तैसा की तर्ज पर कार्यवाही करेगा। 

Manisha सोमवार, 8 फ़रवरी 2010

लोगों की भाषा क्षमता कम हो रही है


आजकल हम रोज देखते हैं कि विभिन्न कार्यक्रमों में लोग जो भाषा बोलते हैं वो इतनी हल्की होती है कि समझ में नहीं आता कि भाषाओं के मामले में समृद्ध भारत को क्या होता जा रहा है?  शिक्षा के तमाम अवसरों के बावजूद पढ़-लिखे लोग भी अनपढ़ों के बराबर ही लगते हैं। 

टीवी के विभिन्न चर्चा वाले कार्यक्रमों को देखिये, विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ताओं को देखिये, नेताओं द्वारा दिये जाने वाले बयानो को देखिये, फिल्मों के संवादों को देखिये, संसद में होने वाली बहसों को देखिये आपको स्वयं समझ में आ जायेगा कि किस प्रकार की भाषा का प्रयोग होने लगा है। 

Manisha रविवार, 7 फ़रवरी 2010

कांग्रेस की किस्मत इस समय अच्छी है।

ज्योतिषी की बातें बताने वाले ब्लॉगर साथी लोग या फिर अन्य ज्योतिषियों द्वारा शायद न बताया गया हो लेकिन मुझे लगता है कि अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी की किस्मत इस समय बहुत ही अच्छी चल रही है। 

महंगाई इस समय देश में चरम पर है आप ही देखिये कि इस समय मायावती पर मूर्तियां और पार्क बनाने का आरोप है जिसे फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय ने रोक रखा है और वो केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित रह गई हैं, नितीश कुमार की जद (यू) में भी झगड़ा चल रहा है, समाजवादी पार्टी में अमर सिंह ने मोर्चा खोला हुआ है, भाजपा में गिरावट है, हिंदुवादी शिवसेना, आरएसएस और भाजपा महाराष्ट्र में झगड़ रहे हैं, वामपंथी कमजोर हो चुके हैं और वहां भी आपसी मतभेद उभर आये हैं। 

ऐसे कमजोर विपक्ष के समय में अगर सत्तारुढ़ पार्टी की किस्मत अच्छी नहीं कही जायेगी तो क्या कहा जायेगा? 

Manisha सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

शराब पीकर दुर्घटना करने में भी बराबरी?


हम सब महिलाओं को उनके अधिकार और बराबरी के लिये संघर्ष करते रहते हैं। भारत में औरतों को अपना हक लेने के लिये कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। हमें पुरुषों के समान अधिकार और सम्मान मिलना ही चाहिये। 

लेकिन कुछ बराबरी इस तरह की है कि औरतों को न ही मिले तो ठीक है। 

Manisha