अप्रैल 2007

शिफ्ट की नौकरी से कम होती जिंदगी

जिंदगी कम करती शिफ्ट की नौकरी


प्रेस ट्रस्ट की एक खबर के अनुसार शिफ्ट में काम करना खतरनाक है। 

अगर आपकी शिफ्ट (पाली) जल्दी-जल्दी बदलती है तो थोड़ा संभल जाएं। 

शिफ्ट में जल्दी बदलाव आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। इससे आप बीमारी के शिकार हो सकते हैं, जो आपकी जिंदगी छोटी कर सकती है। 

एक नए अध्ययन से पता चला है कि शिफ्टों में काम करने वालों की जिंदगी सामान्य पाली में काम करने वालों की अपेक्षा छोटी हो जाती हैं। 

रायपुर के पंडित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय में स्कूल आफ लाइफ साइंसेज के अतनु कुमार पाती द्वारा किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। 

उन्होंने नागपुर में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के दिन में काम करने वाले 3,912 तथा पालियों में काम करने वाले 4,623 कर्मचारियों पर यह अध्ययन किया। इसमें पता चला कि दिन में काम करने वाले व्यक्तियों का जीवनकाल पालियों में काम करने वाले अपने समकक्षों से 3.94 साल ज्यादा होता है। 

दिन में काम करने का मतलब है सुबह नौ से शाम छह बजे तक की पाली। इसमें एक बजे से एक घंटे का भोजनावकाश शामिल है। जबकि, पालियों में काम करने वाले लोगों की शिफ्ट रोटेट होती रहती है।

Manisha सोमवार, 23 अप्रैल 2007

भारतीय बचत नहीं करते


एक सर्वेक्षण के अनुसार ज्यादातर भारतीयों में धन की बचत करने की प्रवृत्ति नहीं होती। अपनी इस आदत के कारण आय के स्त्रोत समाप्त होने की स्थिति में उनके सामने गंभीर आर्थिक संकट पैदा हो जाता है। 
नेशनल काउंसिल फॉर अप्लाइड इकनोमिक रिसर्च के इस सर्वेक्षण ने इस मिथक को तोड़ दिया है कि भारतीय विशेषकर गुजराती समुदाय पैसों की बचत करने वाले होते हैं।

मैक्स न्यूयार्क लाइफ (एमएनवाईएल) के अनुसार देशभर में 63000 लोगों के बीच किए गए सर्वेक्षण में पाया गया है कि पैसा बचाने की प्रवृत्ति नहीं होने के कारण कारण अधिकतर भारतीय उस समय संकट की स्थिति में फंस जाते हैं जब उनके मुख्य आय के स्त्रोत समाप्त हो जाते हैं। 

एमएनवाईएल के सहयोग से किए गए इस सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 96 प्रतिशत लोगों का कहना है यदि उनकी आय के प्रमुख स्त्रोत बंद हो जाएं तो वे अपनी बचत के सहारे एक साल से अधिक समय तक जीवन-यापन नहीं कर सकते हैं। 

गुजरात के बारे में सूद ने बताया कि राज्य में 96 प्रतिशत और अहमदाबाद में 98 प्रतिशत लोगों के समक्ष आय के स्त्रोत बंद होने की स्थिति में तत्काल आर्थिक संकट पैदा होने का खतरा है।

वैसे यह सर्वेक्षण पुरानी मान्यताओं को तोड़ता हुआ दिख रहा है। अभी तक को भारतीय अपनी आय में से कुछ न कुछ बचाने की कोशिश करते थे, खास कर व्यवसायी वर्ग तो बचत के लिये मशहूर हैं।

कड़ी : नेशनल काउंसिल फॉर अप्लाइड इकनोमिक रिसर्च की वेबसाइट

Manisha गुरुवार, 12 अप्रैल 2007