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तालीबान और नक्सलियों में समानता है


उड़ीसा के मलकानगिरी जिले के जिला कलेक्टर और एक इंजीनियर के अपहरण के बाद ये बात फिर से जाहिर हो गई कि भारत आंतरिक सुरक्षा के बहुत बड़े खतरे का समना कर रहा है। 

कई बार पहले जब भी माओवादी नक्सलियो द्वारा जब भी कई बड़ी वारदाते की गई हैं, तब सरकार ने हमेशा कहा कि नक्सलियों को मुकाबला किया जायेगा लेकिन फिर भुला दिया जाता है।  

नक्सलियों की अपनी एक विचारधारा है जिसको लागू करने के लिये वो कुछ भी करने के लिये तैयार रहते हैं। उ

धर पाकिस्तान में नक्सलियों के ही समान अपनी विचारधारा को थोपने के लिये तालीबान तमाम तरह के अपराध कर रहा है। दोनो ही तरह के संगठनों मे कई प्रकार की समानताये हैं :- तालीबान और नक्सलियों में समानता है
  1. नक्सली और तालीबानी दोनो ही अपनी विचारधारा को सबसे बड़ा मानते हैं।
  2. अपनी बातों को मनवाने के लिये नक्सली और तालीबानी लोगों की जान ले लेते हैं, अपहरण करते हैं, विकास कार्यों को रुकवाते हैं, हमले करते हैं और विरोधियों को खत्म करने मं यकीन रखते हैं।
  3. दोनो का ही प्रभाव काफी बड़े इलाकों में फैल गया है।
  4. दोनों ही प्रकार के संगठन लोकतंत्र को खत्म करने वाले हैं, अगर ये सत्ता में आ गये तो एक ही तरह की बात मानी जाती है। लोकतंत्र हमेश के लिये खत्म।
  5. दोनों ही तरह के संगठनों को अपने अपने देशों के प्रभावशाली लोगों का समर्थन प्राप्त है जो इनके समर्थन में आवाज उठाते रहते हैं।
  6. भारत और पाकिस्तान दोनों ही तरफ की सरकारें इन को समाप्त करने और इनसे लड़ने की बातें तो करती हैं, पर कुछ करती नहीं हैं।
  7. बड़े-ब़ड़े नेताओं के इन संगठनो के साथ संबंध हैं।
  8. दोनो प्रकार के संगठन दहशत फैला कर अपना प्रभाव बढ़ाते हैं।
उचित यही होगा कि भारत के लोग और सरकार समय रहते चेत जायें और इस तरह के सशस्त्र संगठनो का दमन करें।

Manisha शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

कश्मीर समस्या पर कहे जाने वाले कुछ जुमले


कश्मीर को लेकर भारत की समस्या अब अगले दौर में पहुंच गई है। अब की बार बहुत सोच-समझ कर
कश्मीर समस्या
अलगाववादियों द्वारा जो योजना बनाई गई है उसमें पत्थर फेंक कर विरोध का नया तरीका ढूढ़ा गया है। 

खैर मैं कश्मीर की स्थिति के बारे में बात न करके पिछले 63 सालों से चले आ रहे कुछ जुमलों की बात करना चाहती हूं जो कि हमेशा सुनाई पड़ते रहते है। देखिये कश्मीर को लेकर कैसी कैसी बाते की जाती हैं।

  • कश्मीर भारत का अटूट अंग है – ये बात भारत सरकार द्वारा हमेशा कही जाती है, हालांकि आजकल कम ही ऐसा कहा जाता है। ये बात अलग है कि शायद ही कभी आपने पाक अधिकृत कश्मीर, गिलगित, बालटिस्तान, हुंजा, अक्साई चिन को भारत का हिस्सा बताने की बात भारत सरकार या भारत के नेताओं से सुनी हो।
  • कश्मीर से धारा 370 हटाओ – राष्ट्रवादी और हिंदुवादियों का प्रिय जुमला। इन्ही लोगों द्वारा सत्ता में आने के बाद इसी धारा 370 के समर्थन में बयान जारी किये गये, अब फिर से कभी कभी सुनाई पड़ता है। चूंकि ये बात हिंदुवादियों द्वारा कही जाती है इसलिये भारत के तमाम बु्द्धिजीवी और कॉलमिस्ट धारा 370 को जारी रखने के पक्ष में पूरी जान लगा कर लेख लिखते रहते हैं।
  • कश्मीर  में जनमत संग्रह कराया जाये – जब से भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र संघ में कश्मीरियो को आत्मनिर्णय की बात मानी थी तब से पाकिस्तान और कश्मीर  को अलगाववादी इस बात की रट लगाते रहते है, भारत सरकार इससे बचती है। अब ये बात पुरानी हो गई है।
  • कश्मीर की समस्या भारत और पाकिस्तान के आपसी संबंधो के सुधार में बाधक है – पाकिस्तान की सरकार का ये पारंपरिक बयान है जिसमें कहा जाता है कि जब तक कश्मीर समस्या को हल नहीं किया जाता, भारत और पाकिस्तान के संबंध सामान्य नहीं हो सकते। यहां तक की पाकिस्तान की धरती से होने वाले आतंकवाद पर भी तभी रोक लग सकती है जब भारत कश्मीर की समस्या को सुलझाये।
  • कश्मीर  भारत की धर्मनिरपेक्षता की कसौटी है – ये बात भी कई बार कही जाती है कि कश्मीर भारत की धर्मनिरपेक्ष नीतियों की पहचान है जहां पर सब धर्मों के नोग मिल कर रहते हैँ। कश्मीर के अलग होने की स्थिति में शेष भारत में रह रहे अल्पसंख्यकों की स्थिति पर फर्क पड़ेगा।
  • ये कश्मीरियत की पहचान की समस्या का संघर्ष है – ये बात हमारे देश के बूद्धिजीवियों द्वारा 90 के दशक के शुरूआत मे जब सशस्त्र संघर्ष शुरू हुआ था, तब कही जाती थी और बताया जाता था कि कश्मीरियित तो सहिष्णुतावादी, धर्मनिरपेक्ष, सूफीवादी परंपरा है, लेकिन जल्दी ही पता चल गया कि ये अलगाववाद का आंदोलन है जोकि कश्मीर को भारत से अलग करने का पाकिस्तानी योजना है। फिर ये बात सुनाई देनी बंद हो गई। अब जब से कश्मीर में पत्थरबाजी शुरू हुई है, घुमा-फिरा कर इसी तरह की बात की जा रही कि ये युवाओॆ का संघर्ष है आदि आदि।
  • कश्मीर को स्वायत्तता दो – ये जोर शोर से कश्मीर की नेशनल कांफ्रेंस द्वारा कही जाती है, इस बात के लिय प्रधानमंत्री संविधान के दायरे में रहकार बात करने को तैयार हैं।
  • दूध मांगो खीर देंगे, कश्मीर मांगो चीर देंगे – ये बात भारत कुछ अति राष्ट्रवादियों द्वारा कही जाती थी, लेकिन जब इन लोगों द्वारा समर्थित सरकार द्वारा बिना शर्त कश्मीर में वार्ता आरम्भ की गई और समस्या के लिये जिम्मेदार पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुशर्रफ को भारत बुलाया तब से ये बात कहीं गायब हो गई है।
  • कश्मीर को लेकर हमारा समर्थन नैतिक है – मुंह में राम और बगल में छुरी का उदाहरण, पाकिस्तान ने व्यापक योजना बनाकर कश्मीर में आतंकवाद और सशस्र् संघर्ष जारी रखा हुआ है लेकिन हमेशा कहता है कि वो कश्मीर में जारी स्वतंत्रता आंदोलन को नैतिक समर्थन देता है।
  • कश्मीर बनेगा पाकिस्तान – ये नारा कश्मीर के अलगाववादियों और पाकिस्तान में होने वाली कश्मीर के समर्थन में होने वाली रैलियों में लगाया जाता है।
  • हमें क्या चाहिये – आजादी- आजादी -  कश्मीर के कुछ अलगाववादियों (खासकर जेकेएलएफ) द्वारा लगाये जाने वाला एक और नारा । पाकिस्तानी इस नारे को पसंद नही करते क्योंकि इससे एक तो कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने की योजना को पलीता लगता है वहीं उसके वहीं उसके खुद के कब्जे वाले कश्मीर को भी हाथ से निकल जाने का खतरा है।

इसी तरह की कई बातें आये दिन कही जाती रहती हैं। अगर कल को कश्मीर अगर भारत से अलग भी हो गया तो भारत के बुद्धिजीवी और शांतिवादि आपको ये बताने लगेंगे कि देखो कश्मीरी हमारे जैसे ही, हमारे भाई हैं जिनकी हमें मदद करनी चाहिये इत्यादि।

Manisha रविवार, 12 सितंबर 2010

हमारे नान-स्टेट एक्टर क्यो नहीं बोलते हैं?


जब मुंबई पर 26/11 पर पाकिस्तानी हमला किया गया था तब वहां के राष्ट्रपति जरदारी ने कहा था कि ये नान-स्टेट एक्टर द्वारा किया गया काम है और इसमें पाकिस्तानी सरकार का कोई हाथ नहीं है। 

Manisha शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

आखिर भारत का संयम खत्म हो ही गया


कुछ दिन पहले पाकिस्तान में अमेरिका के रक्षा मंत्री राबर्ट गेट्स ने यह कहा था कि कि भारत का संयम खत्म हो सकता है। इसका सभी समाचार माध्यमों ने यह अर्थ निकाला था कि भारत पाकिस्तान की तरफ से किसी भी प्रकार के आतंकी हमले के लिये जैसे को तैसा की तर्ज पर कार्यवाही करेगा। 

Manisha सोमवार, 8 फ़रवरी 2010

26/11 : पश्चिम से ही हमेशा हमला हुआ है भारत पर


अगर आप इतिहास उठा कर देखें तो पायेंगे कि भारत भूमि पर केवल एक बार को छोड़ कर (जब चीन ने 1962 में
पश्चिम से ही हमेशा हमला हुआ है भारत पर
भारत पर आक्रमण किया था)  हमेशा  पश्चिमी सीमा से हमला होता रहा है। केवल 1962 में ही उत्तर की ओर से चीन द्वारा हमला किया गया था। 

सिकन्दर, मुहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनवी, मुहम्मद गौरी, तामूर लंग, बाबर, अकबर, नादिरशाह, अहमदशाह अब्दाली, याह्या खां, अजमल आमिर कसाब आदि हमलावर सब भारत पर पश्चिमी दिशा से ही आये थे। 

जब भी भारत की  पश्चिमी सीमा कमजोर हुई तो भारत पर हमला हुआ है। आजादी के बाद से भी पश्चिमी सीमा पर तीन बार पाकिस्तान की ओर से हमला किया गया है। 

इसलिये इतिहास से सबक लेते हुये देश को पश्चिम की ओर विशेष ध्यान  रखना चाहिये। विश्व के आतंकवाद की केन्द्र भी भारत के पश्चिम में ही स्थित है और इधर ही दुनिया का सबसे ताकतवर देश अपनी सेना लेकर बैठा हुआ है। 

दरअसल पश्चिम की ओर भारत में सपाट मैदान हैं जहां सेना तीव्र गति से चल पाती हैं, इसके अलावा ये इलाका उपजाऊ भी है इस कारण यहां समृद्धि है और इसीलिये विदेशी आक्रमणकारी हमेशा लूटने के लिये लालायित रहते रहे हैं। 

अब इसमें जेहाद और धार्मिक तथा राजनीतिक विद्वेष  भी मिल गया है। मेरे विचार में भारत को अपने आप को सुरक्षित करने के लिये पश्चिमी सीमा को सुदृण होना बहुत आवश्यक है।

Manisha गुरुवार, 26 नवंबर 2009

हैडली और राणा के नाम से देश को डराया जा रहा है

पिछले एक महीने से जब से अमेरिका की गप्तचर संस्था एफबीआई (FBI) ने डेविड हैडली और तहावुर्रहमान हुसैन राणा को गिरफ्तार किया है, देश के अखबारों में रोजाना उन से संबंधित समाचार छप रहे हैं। 

जो समाचार छाप रहे है वो मेरे विचार में देश पर कोई अच्छा प्रभाव नहीं छोड़ रहे हैं। इन सभी समाचारों से बिना बम फोड़े ही देश को डराया जा रहा है। सोचने वाली बात ये है कि खुफिया जानकारी आखिर पत्रकारों को कौन और क्यों दे रहा है जिसे वो बिना जांचे छाप रहे हैं। 

कभी छपता है कि हेडली देश में कई जगह घूमा, कभी छपता है कि वो कई फिल्मी लोगों के संपर्क में था। कभी छपता है कि वो 26/11 से ठीक पहले भारत में था, अन्य स्थानों पर होने वाले हमलों से पहले वहां था। 

आज उसके द्वारा अपने एक दोस्त को भेजी गई ईमेल के जरिये आतंकवादियों के साहसिक होने की बात छापी गई हैं। यानी अब आतंकवाद के बारे में भी तारीफ की बातें छापी जा रही हैं। 

ये वही देश है जहां आतंकवाद से लडने के लिये जीरो टोलरेंस की बाते कीं जाती हैं, वहां पर इन लोगो की खबरें कैसे छप रही हैं? मेरे विचार में ये सब अपने आप ही नहीं हो रहा है बल्कि एसा लगता है कि देश को डराया जा रहा है कि देखों तुम लोग कुछ नहीं कर सकते। 

देश की पुलिस को कार्यवाही करनी चाहिये न कि जनता को डराने की खबरें छपवानी चाहिये।

Manisha सोमवार, 23 नवंबर 2009

सवाल ये है कि आप क्या कर लेंगे?

अमेरिका की एफबीआई ने बीते दिनों पाकिस्तान मूल के अमरीकी डेविड हेडली और पाकिस्तान में जन्मे कनाडाई नागरिक टी. हुसैन राणा को आतंकी साजिश के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। दोनों लश्कर के इशारे पर भारत और डेनमार्क में हमलों की साजिश रच रहे थे। 

इस सिलसिले में भारत के गृहमंत्री चिदम्बरम जी ने कहा कि इसमें पाकिस्तान का हाथ साफ है। इससे पहले पिछले साल जुलाई और इस साल अक्टूबर में काबुल स्थित भारतीय दूतावास पर भी हमले किये गये थे जिन में भारत ने पाकिस्तान और उसकी आईएसआई व तालीबान का नाम लिया था और सबूत पेश किये थे। 

आतंकवाद से लड़ाई

मुंबई में 26/11 के भीषण हमले में भी भारत ने पाकिस्तान का नाम लिया था। मेरा सवाल भारत सरकार से ये है कि जब इन सबके पीछे आईसएसआई और पाकिस्तान है ये बात सब जानते हैं लेकिन आप ने ये सब जानने के बाद क्या किया ये कोई नहीं जानता। 

आप तो  पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा देते हैं, कभी पाकिस्तान को आतंकवाद का शिकार बताते हैं, कभी शर्म अल शेख में उससे समझौता कर लेते हैं, कभी उसको वार्ता के लिये आमन्त्रण देते हैं। तो फिर किसी भी घटना होने पर केवल पाकिस्तान का नाम लेने से क्या होगा? 

कुछ कर के भी तो दिखाइये। आईएसआई और पाकिस्तान बार-बार घटनाये करते जाते हैं और आप बस उनका नाम ले लेते हैं। मैं कहती हूं कि आईएसआई का हाथ है तो आप उसका क्या कर लोगे?

Manisha शनिवार, 7 नवंबर 2009