नोबेल पुरस्कार और भारतीय
पिछली 2 सदी पहले से (वर्ष 1901 से) जब से नोबेल पुरस्कार आरम्भ हुये हैं, भारत ने कुछ बहुत ही बुद्धिमान मेधा शक्ति वाले नोबेल पुरस्कार पाने वाले या नामांकित होने वाले लोगों की सूची में अपना योगदान दिया है।
भारत के निवासी या फिर भारतीय मू्ल के पूरी दुनिया भर में फैले लोगों का अर्थशास्त्र, साहित्य, विज्ञान, दवाई और शांति के क्षेत्र में वार्षिक नोबेल पुरस्कार के लिये नामांकन किया जाता रहा है।
हम यहाँ पर भारतीय मूल के ऐसे ही सभी लोगों के बारे में यहां पर जानेंगे जो किसी न किसी क्षेत्र में कभी नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया है।
1. महात्मा गांधी
महात्मा गांधी को नोबेल पुरस्कार देने के नामांकन करने वाली समिति ने 5 बार 1930 से 1940 के बीच चयन किया पर किसी भी वर्ष में उन्हें यह पुरस्कार नहीं दिया। इस वजह से नोबेल पुरस्कार समिति की काफी आलोचना हुई और अभी तक होती है।
सन 2006 में नोबेल पुरस्कार समिति के सचिव ने अपने एक बयान में महात्मा गांधी को नोबेल पुरस्कार न देने के फ़ैसले को अपने उस समय तक के 106 वर्ष के इतिहास में सबसे खेदजनक बात बताया था।
महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ भारत केस्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था। वो एक समाज सुधारक भी थे।
2. रवीन्द्रनाथ टैगोर
रवीन्द्रनाथ टैगोर भारत के एक कवि, लेखक, संगीतकार, कलाकार, शिक्षाविद और दार्शनिक थे। वो यूरोप से बाहर के पहले व्यक्ति और साथ ही साथ पहले भारतीय भी थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
रवींद्रनाथ टैगोर को सन 1913 में साहित्य के क्षेत्र में में नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
रवींद्रनाथ टैगोर ने विश्व-भारती विश्वविद्यालय की स्थापना आज के पश्चिम। बंगाल स्थित शांति निकेतन नामक स्थान पर की थी।
रवींद्रनाथ टैगोर के योगदान का संगीत और साहित्य में बहुत ही व्यापक असर देखा जा सकता है।
3. चन्द्रशेखर वेंकटरामन
प्रसिद्ध वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेंकटरामन ने मद्रास (अब चेन्नई) के प्रसिद्ध प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक (ग्रेजुएशन) गोल्ड मैडल (स्वर्ण पदक) के साथ पास किया था। बाद में उन्होंने अपनी विज्ञान में परास्नातक M.Sc. डिग्री मद्रास विश्वविद्यालय से विशिष्टता (Distinction) के साथ पास की।
चन्द्रशेखर वेंकटरामन को विज्ञान में प्रकाश छितराव (light scattering) के क्षेत्र में उनकी विशेष शोध जिसे ‘रमन इफ़ेक्ट’ के नाम से जाना जाता है, के लिये वर्ष 1930 में भौतिकी (Physics) केक्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
4. हर गोबिन्द खुराना
हर गोबिन्द खुराना जो कि एक प्रसिद्ध जीव रसायनज्ञ (Biochemist) थे, उनको दवाई (औषधि - Medicine) के क्षेत्र में वर्ष 1968 में नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
हर गोबिन्द खुराना जी एक ऐसे परिवार से आते हैं जिसमें वो ही पंजाब में रहने वाले अपने परिवार केअकेले पढ़ने लिखने वाले सदस्य थे। डाक्टर हर गोबिन्द खुराना ने अपनी B.Sc. और M.Sc. पंजाब विश्वविद्यालय से की थी और अपना क्षोध (Ph.D.) लिवरपूल विश्वविद्यालय से किया था।
हर गोबिन्द खुराना के काम की वजह से वैज्ञानिकों को आनुवंशिक कोड की व्याख्या (decipher the genetic code) करने में सुविधा प्राप्त हुई। ये रिसर्च आणविक जीवविज्ञान (Molecular biology) के क्षेत्र में ये एक मील का पत्थर साबित हुई है।
5. मदर टेरेसा
मदर टेरेसा जो कि एक मानवतावादी थी और ईसाइयत में उनके को संत की उपाधि दी गई है, उनको शांति के लिये 1979 वर्ष में नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
मदर टेरेसा ने अपना पूरा जीवन लोगों की ख़ासकर ग़रीबों की सेवा में लगा दिया।
मदर टेरेसा को 1980 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है।
6. सुब्रहमण्यम चन्द्रशेखर
सुब्रहमण्यम चन्द्रशेखर ने खगोल शास्त्र (Astronomy) में बहुत काम किया है और भौतिकी और खगोल विज्ञान को मिलाकर उन्होंने विज्ञान की एक नई विधा को जन्म दिया है।
सुब्रहमण्यम चन्द्रशेखर ने भौतिकी में अपनी B.Sc. डिग्री चेन्नई के प्रतिष्ठित प्रेसीडेंसी कॉलेज से ली और फिर M.Sc. और Ph.D. डिग्री को उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त किया।
वर्ष 1983 में विज्ञान के भौतिकी क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
इनके सम्मान में अमेरिका के नासा संस्थान ने ब्रह्मांड में एक्स-रे अध्ययन के लिये वेधशाला का नाम चन्द्र वेधशाला रख दिया है।
7. दलाई लामा
दलाई लामा कोई भारतीय नहीं हैं और न ही भारतीय मूल के है। लेकिन क्योंकि वो निर्वासन में लंबे समय से भारत में रह रहे हैं, वो एक तरह से भारत के नागरिक के तौर पर देखे जा सकते हैं।
तिब्बती धार्मिक राजनैतिक परंपरा के 14वें दलाई लामा के रूप में तेंजिंग ग्यात्सो को 1989 में शांति के लिये नोबेल पुरस्कार दिया गया।
8. विद्याधर सूरजप्रसाद नईपॉल
भारतीय मूल के विद्याधर सूरजप्रसाद नईपॉल का परिवार उन्नीसवीं सदी में भारत से दक्षिणी अमेरिका के कैरेबियन इलाके के देश त्रिनीडाड में आकर बस गया था।
त्रिनीडाड और इसके पास के सूरीना और गयाना इत्यादि इलाकों में अंग्रेजों द्वारा बड़ी संख्या में पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के के लोगों को खेती करने के लिये ला कर बसाया गया था।
नईपॉल ने उपनिवेशवाद (Colonisation) पर काफी कुछ लिखा है। भारत में अपनी पूर्वजों की जड़ों से वो काफी जुड़े हुये थे। अंग्रेजी सरकार ने उनको 'सर' की उपाधि से सम्मानित किया था।
सर नईपॉल को साहित्य में उनके विशिष्ट योगदान के लिये सन 2001 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।
9. वेंकटरमन रामाकृष्णन
वेंकटरमन रामाकृष्णन जो कि एक प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी, आणविक जीव-विज्ञानी और रसायनज्ञ हैं, ने अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई बड़ौदा विश्वविद्यालय से और फिर भौतिकी में अपनी क्षोध पढ़ाई अमेरिका के ओहियो विश्वविद्यालय से की थी।
पहले से ज्ञात एक्स-रे क्रिस्टल-विज्ञान से उन्होंने हजारों अणुओं से बने राइबोसोम को मानचित्रित कर दिया था। इससे एंटीबायोटिक के उत्पादन में बहुत सहायता मिली।
वर्ष 2009 में वेंकटरमन रामाकृष्णन को रसायन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
10. अमर्त्य सेन
अमर्त्य सेन ने कलकत्ता के प्रतिष्ठित प्रेसीडेंसी कॉलेज से और कैम्ब्रिज के त्रिनिटी कॉलेज से अपनी पढ़ाई की है।
अमर्त्य सेन को 1998 में कल्याणकारी अर्थशास्त्र (Welfare Economics) के लिये नोबेल पुरस्कार दिया गया था। वर्ष 1999 में उनको भारत रत्न की उपाधि भी दी गई थी।
11. कैलाश सत्यार्थी
कैलाश सत्यार्थी एक प्रसिद्ध बाल अधिकार कार्यकर्ता हैं। कैलाश सत्यार्थी ने भोपाल विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग से अपनी पढ़ाई की है। उन्होंने हजारों बाल-मजदूरों को गुलामों जैसी जिन्दगी से बाहर निकाला है।
कैलाश सत्यार्थी के प्रयासों से ही भारत सरकार ने बाल मजदूर अधिनियम बनाया था और बाल-श्रम को प्रतिबंधित किया गया है और बाल-श्रम कराने वालों को कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।
वर्ष 2014 में उनको पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई के साथ शांति के लिये नोबेल पुरस्कार दिया गया।
12. मलाला यूसुफजई
जी हां मलाला यूसुफजई! आप कहेंगे कि मलाला यूसुफजई तो पाकिस्तानी है वो भारतीयों की सूची में शाामिल कैसे है? पर मेरा कहना है कि एक तो ऊपर के कई लोग जो लोग या तो नोबेल पुरस्कार के लिये नामांकित या दिया गया वो कौन से भारत के निवासी हैं, वो सब भारतीय मूल के हैं।
तो हमारे अनुसार पाकिस्तान और बंग्लादेश के लोग भारतीय मूल के हैं और वो लोग 1947 से पहले तो भारतीय ही थे न। अलग देश बनने से वो अपने मूल से तो नहीं कट जायेंगे, भले ही वो माने या नहीं।
मलाला यूसुफजई ने तालीबान के विरोध के लिये अपने संघर्ष के लिये अपने प्राणों को दांव पर लगा दिया था। इसके लिये उसको 2014 का शांति के लिये नोबेल पुरस्कार दिया गया है।
13. अभिजीत बनर्जी
अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में वर्ष 2019 का नोबेल पुरस्कार उनके साथी क्षोधकर्ता एस्थर दफलो और माइकल क्रेमर के साथ उनके गरीबी उन्मूलन के लिये प्रयोगात्मक दृष्टिकोण के लिये दिया गया है।
अभिजीत बनर्जी ने अपनी पढ़ाई कलकत्ता विश्वविद्यालय, दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय से की है।