एक झटके में मिट गई अमन की आशा !

एक झटके में मिट गई अमन की आशा !


भारत और पाकिस्तान के संबंधों में मुंबई के 26/11 हमलों को बाद जो गिरावट और बातचीत में जो गतिरोध आया
Aman-Ki-Asha
है उस को लेकर फिर से भारत में शांतिवादी सक्रिय हो रहे हैं। 

इसी सिलसिले में भारत में टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार पाकिस्तान के जंग नाम के अखबार के साथ मिल कर  अमन की आशा नाम से भारत और पाकिस्तान की दोस्ती के लिये अभियान चला रहा है। 

इसी तरह से कुछ पुराने शांतिवादी और बुद्धिजीवियों ने टीवी के अपने कार्यक्रमों में इस तरह के विषयों को लेकर ट्रेक-टू डिप्लोमेसी शुरु कर दी है।  

हालांकि भारत की जनता और सरकार अभी तो इस प्रकार की किसी अमन की आशा की उम्मीद न रखते हुये इससे दुर ही बने हुये हैं। 

अमन की आशा  का यह कार्यक्रम अभी पूरा भी नहीं हुआ है कि आईपीएल-3 में क्रिकेट खिलाड़ियों के नीलामी कार्यक्रम में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को किसी भी टीम द्वारा न लिये जाने से एक ही  झटके में अमन की आशा मिट गई है। 

अब पाकिस्तान में तरह-तरह की भारत विरोधी आवाजें सुनाई दे रही हैं और टाइम्स ऑफ इंडिया तथा जंग अखबार की अमन की आशा का प्रोग्राम बेकार की कवायद बन गया है।

इसी के साथ-साथ पाकिस्तान में अमेरिका के रक्षा मंत्री राबर्ट गेट्स ने यह कहकर अमन की आशा  को धक्का पहुंचाया है कि भारत का संयम खत्म हो सकता है यदि फिर से 26/11  की घटना दोहराई गई।  इससे भी भारत-पाक संबंधों में गिरावट और वाद-विवाद और गहरा सकता है। 

साथ-साथ ये भी पता चल रहा है कि अमेरिका दोनों देशों को डराकर दक्षिण एशिया के इस क्षेत्र में अपना रुतबा बढ़ी रहा है और भारत-पाक के आपसी संबंधों में चौधरी बन रहा है।

पर फिलहाल तो अमन की आशा मिट गई है। वैसे भी ऐसी आशा थी भी किसे?

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8 टिप्‍पणियां

  1. चूल्हे में जाए अमन की आशा.... जहाँ का बच्चा बूढा और जवान भारत को काफ़िर और दुश्मन मनाता हो और कश्मीर छीन लेने की कसम खाता हो, जो मुल्क रोज़ ही हमारे यहाँ रोज़ आतंकवाद से कई बेकुसुरों की जान लेता हो..... उससे कैसा अमन ? उसका हाल तो वैसा करना चाहिए जैसा इस्राएल ने अरब का किया हुआ है.... बहुत हो गई यह अमन फ़मन की बातें.... याचना नहीं अब रण होगा, जीवन जय या की मरण होगा

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  2. अमन की आशा!!!!


    जागते में सपने देखना और अपनों के बहे खून को भूल जाना है. अमन की आशा वाले, कश्मीर में अपना अलख जागाए, देश सेवा होगी.

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  3. "घटना के बाद पहले मुंहतोड़ जवाब की पेशकश और अब फिर शान्ति प्रयास का एकतरफा नाटक. "
    मतलब जनता की भावनाओं का मखौल उड़ाया जा रहा है.

    कुछ पुरस्कार लोभु पत्रकारों, मीडिया समूह और कुछ संगठनो की गुप्त चाल लगती है. शायद स्वर बदलने के लिए फिर किसी नए हादसे की जरुरत है.

    बहरहाल आज गणतंत्र दिवस की आपको बहुत शुभकामनाएं

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  4. gandhi ji ne hinsa our kayrta me se hinsa ka rasta chnne ki baat ki hai magar hamare desh ke neta hamesa kyarta ki baat karte hai.pichle 60 salo se ham ahinsa ke naam pe pata nahi kitne apno ko kho chuke hai kitne sanik sshid ho chuke hai unse pucho jake ki santi ke liye kya kimat chukni padti hai kisi neta ko kyo nahi

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  5. Dear readers,
    sabse pahle main yeh kahna chatha hun ki INDIA ka politics hi sabse khraab hai. yahan chaahe koi bomb blast ho ya koi terrorist accident humari govt. hamesha soyi raheti hai.humari govt. kisi bhi Terrorist per tab tak case chaalti hai jab toa ya toa bhaag na jaaye ya uski death na ho jaaye...or wo terrorist humari soyi hui sarkar ke raaj main aisho aaraam se life ko enjoya krte hain..aur humari sarkar kaheti hai HUM BAATCHEET KAR RAHE HAIN
    JAI HIND IDIA IS THE BEST
    Ankush sharma

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  6. अमन-अमन हम रटते आये, घाव पुराने भरते आये ,
    झूठी पेश दलीलों पर , शत्रु को मित्र समझते आये ।
    झूठी है यह "अमन की आशा", फिर काँटों भरी एक चमन की आशा,
    अमन-चैन के मिथ्या-भ्रम में , शीश के मोल चुकाते आये । - प्रकाश 'पंकज'
    http://pankaj-patra.blogspot.com

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  7. अमन-अमन हम रटते आये, घाव पुराने भरते आये ,
    झूठी पेश दलीलों पर , शत्रु को मित्र समझते आये ।

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