शराब पीकर दुर्घटना करने में भी बराबरी?
हम सब महिलाओं को उनके अधिकार और बराबरी के लिये संघर्ष करते रहते हैं। भारत में औरतों को अपना हक लेने के लिये कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। हमें पुरुषों के समान अधिकार और सम्मान मिलना ही चाहिये।
लेकिन कुछ बराबरी इस तरह की है कि औरतों को न ही मिले तो ठीक है।
अभी तक पुरुषों द्वारा शराब पीकर सड़क पर अपनी गाड़ी दूसरों पर चढ़ा कर उनकी जान लेने या फिर उनको घायल करने की खबरें ही आया करती थीं, वहीं मुंबई की एक महिला नें अब इसमें भी अपना नाम जोड़ लिया है।
शराबी महिला ने अपनी कार से पुलिस और की जीप और एक बाइक को टक्कर मार दी जिससे दो लोग मर गये जिसमें एक पुलिस सब-इंसपेक्टर है।
मेरा सवाल है कि क्या औरतों को इस तरह की बराबरी चाहिये? क्या बराबरी का मतलब पुरुषों जैसा बनना या फिर उनकी ही बुराईयों को अपनाना है?
औरतो में भी शराब की लत खतरनाक तरीके से बढ़ रही है। मेरा तो स्पष्ट मानना है कि हां हमें हर तरह की बराबरी चाहिये लेकिन कुछ इस तरह से कि हम पुरुषों जैसे न बनकर बल्कि उनसे हटकर दिखें। अगर महिलायें बुरे कामों में पुरुषों जैसी बनेंगी तो उनका ही नुकसान है।
खैर ये तो बात है महिला द्वारा शराब पीने की और पीकर गाड़ी चलाने की।
खैर ये तो बात है महिला द्वारा शराब पीने की और पीकर गाड़ी चलाने की।
पर असली कारण इसका वही है जिसके बारे मे अब कोई नही बोलना चाहता।
वो है शराब।
शराब पी कर गाड़ियां चलाने कर दुर्घटना होने के मामलों की देश में वृद्धि हो रही है। सड़क पर यात्रा असुरक्षित होती जा रही है।
इसी तरह से हवाई यात्रा में शराब पीकर हंगामा करने या एयरहोस्टेस को छेड़ने को केस बढ़ते जा रहा हैं। अब तो पायलटों द्वारा पीकर हवाई जहाज चलाने के किस्से भी आ रहे हैं, लेकिन कोई कहने वाला नहीं है कि शराब पीना गलत है।
बल्कि अब तो समाज में शराब का रुतबा बढ़ गया है। हर जगह शराब की महिमा है, उसकी उपलब्धि बढ़ रही है। कोई पार्टी नहीं होती जहां शराब न हो, घरों में बार बनने लगे हैं, नाइट क्लबों की संख्या बढ़ रही है। शराब का प्रचार खूब हो रहा है।
किसी भी सामाजिक मनोरंजक या समाचार चानल पर कभी भी शराब के खिलाफ कोई कार्यक्रम नहीं दिखाया जाता है।
आर्य समाज और गांधीजी ने बीसवीं सदी मे शराब के खिलाफ आंदोलन चलाकर कुछ काम किया था लेकिन इक्कीसवीं सदी आते आते सब खत्म हो गया और अब लोग सड़कों पर हवाई यात्रा में असुरक्षित महसूस करेंगे तब ही शायद कुछ विरोध शुरु होगा वर्ना तो समाज इस समय शराब के नशे में है।
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यह तो एक स्टेटस सिंबल बन गया है आज के समाज में.
जवाब देंहटाएंबडा ही विचारशील लेख. बधाई
जवाब देंहटाएंEk gazal ka sher hai Pankaj Udhas ji ne gaye thi.............. Sharab chiz hi aisi hai jo nachodi jaye..........
जवाब देंहटाएंAree saab aaj kal to ladkiyan bhi botles kahridne be hichak sharab ki dukaano me jakar full bag purchasing karti hain to accidents kyon na hon??? Mene apni aankhon se dehka hai Gurgaon k Gallaria Market me....... kharidne k baad woh to aisa mahsoos karte hain k unse zyada koi Mod nahi or unhone to Kila fatah kar liya.............. nasha to tab utarta hai jab izzat nilam ho jati hai ya kisi ki dunya ujadti hai..........
Aaj kal delhi me gurgaon me kisi or shop se zyada khubsurat sharabkhano ki dukane hoti hain ab to koi inko chupa kar bhi nahi kholta sare bazar aap dekhiye .......... Sarkar bhi kahti hai Mujhko mat bataoo koi mare ya jiye kyonki mai nashe me hun...........
आज तो स्थिति यहाँ तक तो पहुंची ही गयी है कि शादी ब्याह,जन्मदिन इत्यादि पारिवारिक उत्सव बिना सुरा सेवन के पूर्ण और सम्पान नहीं मानी जाती ...बहुत समय नहीं लगेगा जब पूजा पाठ और श्राद्ध कर्म भी इसके बिना अधूरे माने जायेंगे...
जवाब देंहटाएंhello madam,ur blog is full of knowledge and new things.doing a great job.keep it up.God bless u and ur family.
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