वनस्पतियों के कम होने से अन्य जानवर भी मानव बस्तियों में धावा बोलने लगे हैं। बंदर इसका एक उदाहरण है जो कि खाने की तलाश में मानव बस्तियों पर निर्भर हो गये हैं और तमाम शहर और कस्बे इन बंदरों से परेशान हैं।
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बैंगलुरू के स्कूल में तेंदुआ |
तेंदुए के साथ साथ रहना सीखना होगा (Living with Leopards - लिविंग विद लियोपार्डस)
तो समस्या ये है कि अब क्या किया जाये? एक तो ये कर सकते हैं कि जैसे चल रहा है वैसे ही चलने दें और कोशिश की जाये कि तेंदुए मानव बस्तियों में ना आ पायें, दूसरा ये हो सकता है कि हम उनकी स्थिति को समझें और तेंदुओं के साथ सामन्जस्य बैठाया जाये। लोगों को तेंदुओं के खतरे को कम करने की व्यावहारिक सलाह दी जानी चाहिये । यह व्यावहारिक सलाह उन सभी लोगों के लिये मुफीद रहेगी जो कि ऐसे इलाकों में रहते हैं जो तेंदुआ बहुल हैं और जहां से तेंदुओं के लोगों के घरों में घुसने के समाचार आते रहते हैं। यहां लोगों के घरों में आए दिन तेंदुओं के घुसने के मामले सामने आते रहते हैं।
तेंदुओं के साथ रहते हुए खतरे को कम करने के व्यावहारिक उपाय
- यह समझें कि तेंदुए इस इलाके स्वाभाविक निवासी हैं, और सिर्फ इनका दिखना खतरा नहीं है
- तेंदुए हमारी बनाई हुई बाड़, वन क्षेत्र और कॉलोनियों को नहीं समझते।
- यह सुनिश्चित करें कि अंधेरा होने के बाद बच्चे बड़ों की निगरानी में रहें।
- अंधेरा होने के बाद अकेले न निकलें। अगर जरूरी हो मोबाइल हो तो इस पर संगीत बजाएं। तेंदुओं को यह लगना चाहिए कि आसपास लोग हैं। तेंदुएं लोगों को संपर्क में आने से बचते हैं।
- अगर कोई तेंदुआ दिख जाता है तो उसे चुपचाप वहां से जाने दें।
- अगर कोई तेंदुआ दिख जाए तो उसके चारों ओर भीड़ न लगाएं। भीड़ लगने से वह डर जाएगा और भागने के क्रम में किसी को नुकसान पहुंचा सकता है।
- कूड़ा निपटान की सही व्यवस्था सुनिश्चित करें और कुत्तों को घर के अंदर रखें।
- तेंदुओं से निपटने का एक मात्र अधिकार वन विभाग को है। किसी भी आपात स्थिति में कंट्रोल रूम को फोन करें।
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bahut acchi post !
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