बात यहीं तक रहेगी या आगे भी जायेगी
हमें भी अब रोज - रोज की बिना मतलब की बहस और रोज-रोज समलैंगिकों के समर्थन में छपने वाले लेखों से छूट मिल जायेगी। बस अब देखना यही रहेगा कि ये बात यहीं तक रहेगी या फिर समलैंगिकों की शादी की आजादी, वेश्यावृति को भी व्यक्तिगत आजादी की मांग पर कानूनी मान्यता देने व अन्य बातों की ओर भी जायेगी।
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले से मेरी असहमति है लेकिन देश को और हमें इस आदेश को मानना चाहिये। उम्मीद है बात यहीं खत्म हो जायेगी।
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अरे बाबा यह तो शुरु आत है, अभी से बस ???
जवाब देंहटाएंक्या कहें..दिमाग बंद हो गया है.
जवाब देंहटाएंनहीं ये तो सिर्फ झांकी है।
जवाब देंहटाएंयह तो एक ट्रेलर है ..........फिल्म बाकी है
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