चिठ्ठाजगत के लिये नुकसान है ब्लॉगवाणी का बंद होना
एक तो वैसे ही हिंदी के ब्लॉग पाठकों की संख्या की कमी से जूझ रहे हैं, वहीं दुसरी ओर हिंदी के चिठ्ठों के संकलन वाले एग्रीगेटर बंद होते जा रहे हैं। सबसे पुराना चिठ्ठा एग्रीगेटर नारद तो पहले से ही गायब था और अब ब्लॉगवाणी का बंद होना वास्तव में हिंदी चिठ्ठों के लिये बहुत नकसानदेह रहेगा।
जहां जरुरत इनकी संख्या को बढ़ाने की है वहीं पर ये बंद हो रहे हैं।
हालांकि ब्ल़गवाणी नें अपने वर्तमान रुप को बंद करने की कोई ठोस वजह नहीं बताई, जो बताई है वो किसी वेबसाईट के बंद होने के लिये को पर्याप्त कारण नहीं है।
>आखिर लोग तो वेबसाइटों की कमियों का फायदा उठाते हैं, उसके लिये कोई वेबसाइट थोड़े ही बन्द की जाती हैं?
मेरे विचार में ब्लॉगवाणी जैसे और संकलक खुलने चाहिये और उनको इन का व्यवसायिक दोहन भी करना चाहिये, बिना कमाई करे चल पाने मुश्किल हैं। फ्री सेवा करने की रोमानी दुनिया से बाहर निकल कर वास्तविक दुनिया के हिसाब से इन्हें चलाने की आवश्यकता है। आखिर अंग्रेजी के ब्लॉग एग्रीगेयटर भी तो ऐसा कर ही रहे हैं। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता तब तक हिंदी ब्लॉगजगत को खासा नुकसान है।
पुनश्च : पाठकों की मांग पर ब्लोगवाणी वापस शुरु हो गया है। बहुत ही अच्छी खबर है।
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