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कमेंट मोडरेशन अब जरुरी है


उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के बाद कि किसी भी ब्लॉग पर किसी भी प्रकार कंटेंट के लिये वो ब्लोगर ही जिम्मेदार माना जायेगा, सभी चिठ्ठारों को सावधान रहने की जरुरत है। हम लोग अपने चिठ्ठे पर जो कुछ भी लिखते हैं उसके लिये जिम्मेदार माने जायें, ये बात तो ठीक है और इसके लिये  कोर्ट के निर्देश अभी तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आजादी को सीमित करते दिखते हैं, लेकिन फिर भी ठीक है। इसकी व्यापक व्याख्या तो कानूनविद पूर्ण रुप से करेंगे और यह जरुरी भी है कि जल्दी ही इस बारे में सारे संशय दुर हो जाने चाहिये।
 

लेकिन ये बात कि किसी भी ब्लॉग, साइट या फोरम पर होने वाले किसी भी कमेंट के लिये उस साइट, ब्लॉग को चलाने वाला जिम्मेदार माना जायेगा, बहुत ही खतरनाक है। इस तरह तो किसी भी चिठ्ठ् पर, वेबसाइट पर या फोरम साइट पर जो कुछ लोगो द्वारा लिख जा रहा है उसका जिम्मेदार उसको चलाने वाला माना जायेगा। अत:  अब ये जरुरी हो गया है कि सभी चिठ्ठाकर अब अपने चिठ्ठे पर कमेंट मोडरेशन को लागू करें व सभी प्रकार की टिप्पणियों पर नजर रखें। वर्ना कभी भी किसी को लगा कि उसकी भावनायें आहत हो रही हैं तो वो परेशान कर सकता है।

Manisha गुरुवार, 26 फ़रवरी 2009

चिठ्ठा जगत ब्लॉगिंग के यक्ष प्रश्न


अब हिंदी चिठ्ठा जगत ब्लॉगिंग के पांच (कईयों के मामले में और भी ज्यादा) यक्ष प्रश्नों से कोई चिठ्ठाकार नहीं बच सका, यहां तक नीलिमा जी ने अपने वाद-संवाद में टैग कर के बताया कि मुजरिम हाजिर है और फिर डॉन ने अपने गुर्गो में हमारा नाम देकर गैंगवार में नाम शामिल कर एनकाउंटर का खतरा बढ़ा दिया है।

डॉन को तो पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है, लेकिन उसको गुर्गे तो पकड़े क्या एनकाउंटर में खलास भी हो जाते हैं।

तो एनकाउंटर से बचने के लिये जरूरी है कि जल्द से जल्द नीलिमा जी और डॉन के प्रश्नों के उत्तर दिये जायें।

चिठ्ठा जगत ब्लॉगिंग


बड़े बड़े नामी और वरिष्ठ चिठ्ठाकार भी इसकी चपेट में आ गये तो मुझ जैसी नई चिठ्ठाकार की बिसात ही क्या?

टैगियाने का यह बढ़ता हुआ छूत का रोग सबको गिरफ्त में लेता हुआ मेरे दरवाजे भी आ खड़ा हुआ।

पहले पहले मुजरिम बनने के कारण पूछे गये प्रश्न

प्रश्न : आपकी चिट्ठाकारी का भविष्य क्या है?
  • मेरे विचार में मेरे द्वारा की गई हिंदी चिठ्ठाकारी का भविष्य बहुत ही उज्जवल है, हालांकि यह बात अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने वाली बात होगी परन्तु मेरा विचार तो यही है, क्योंकि हालांकि हिंदी चिठ्ठाकारी में नई ही हूं, फिर भी शुरुआत के दिनों और अबके दौर में बहुत फर्क आ गया है। आप सभी लोगों कि टिप्पणियां मेरे जैसे लोगों के लिये प्रोत्साहन का कार्य करती हैं, और अब आप सब के साथ मिल कर चिठ्ठाकारी करने में हिचक नहीं रही। अब जब भी कोई नई ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त होती है तो बस उसे सब लोगों के साथ बांटने बैठ जाती हूं। अब तो यह आलम है कि कहीं कोई समाचार, कोई आलेख, कोई घटना देख मन में यह ख्याल आता है कि अगर इसके ऊपर ब्लॉग पोस्ट बनाई जाये तो कैसा रहे? आप लोग भी अपनी टिप्पणियों द्वारा खूब प्रोत्साहित करते हैं तो आगे भी हिम्मत कर पाती हूं। हिंदी में लिखने के शुरूआता दौर में यही नहीम समझ में आता था कि क्या लिखूं? इसीलिये शुरुआती दौर में इधर-उधर से देखे शेर और दिल्ली की हमारा बदनाम ब्लू लाइन बसों में चिपके हुये ड्राइवरों के सड़कछाप शेर-डॉयलॉग इत्यादि लिख कर देखा कि हिंदी लिख भी सकते हैं कि नहीं। पर शुरुआती दिनों कि झिझक तो अब खैर नहीं रही बल्कि अब तो लगता है कि हिंदी चिठ्ठा जगत तो एक परिवार की तरह है । इसलिये मैं मानती हूं कि यदि हिंदी चिठ्ठा ग्रुप इसी तरह कार्यरत रहा तो हिंदी चिठ्ठाकारी का भविष्य बहुत ही उज्जवल रहेगा और अन्य नये लोग भी इन चिठ्ठों को पढ़कर प्रोत्साहित होंगे।
प्रश्न : आपके पसंदीदा टिप्पणीकार?
  • सारे ही लोग टिप्पणी करके प्रोत्साहित करते हैं तो किसी विशेष का नाम लेना उचित नहीं होगा।
प्रश्न : तीसरा सवाल वही है जो प्रत्यक्षा जी का तीसरा सवाल था यानि किसी एक चिट्ठाकार से उसकी कौन सी अंतरंग बात जानना चाहेंगे ?
  • दरअसल बात ये है कि आप सब लोग इस बात से परिचित होंगे कि हमारे किस्से कहानियों में और खास तौर से हिंदी फिल्मों में अक्सर दिखाया जाता है कि किसी प्रसिद्ध कहानीकार या शायर को चाहने वाली कई लड़कियां होती हैं, जो कई बार तो खाली शायर के नाम से ही प्यार करने लगती हैं। तो मैं अपने हिंदी जगत के प्रसिद्ध और पुराने या जो लोग आजकल जीत रहे हैं, उनसे पूछना चाहूंगी कि क्या उनकी कोई गुमनाम प्रशंसिकायें है जो कि चिठ्ठों पर टिप्पणी न करके सीधे ई-मेल भेजती हों?


  • प्रश्न : वह बहुत मामूली बात जो आपको बहुत परेशान किए देती है?

    • मेरे अपने जब किसी भी कारणवश परेशान होते हैं तो मैं बहुत ज्यादा परेशान हो जाती हूँ। उस समय लगता है कि कोई जादू की छड़ी होती सब सही कर देती, पर ऐसा कहां मुमकिन है। मेरे बच्चे, पति, रिश्तेदार, अड़ोस-पड़ोस इत्यादि में जब कोई परेशान होता है तो मैं परेशान हो जाती हूँ। यानी यदि कोई दूसरा परेशान होता है तो मैं भी परेशान हो जाती हूँ।


  • प्रश्न : आपकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत झूठ?
    • यूँ तो मैं भगवान की कृपा से झूठ नहीं बोलती हूँ। लेकिन ये भी नहीं मैं आजकल के जमाने में सत्यवादी हरिश्चंद्र हूँ। एक बार मजाक में बोला गया झूठ काफी मजेदार है। हुआ यूँ कि मैंनें अपनी बिटिया के लिये एक नई ड्रेस खरीदी थी। उसने जब उस ड्रेस को पहना तो वो बड़ी खुश हुई और मेरे से बार-बार पूछने लगी कि कहां से खरीदा है। टालने की गरज से और मजाक में मैंने कह दिया कि भीख में लाये हैं। उसने अड़ोस-पड़ोस सब जगह खुशी-खुशी बता दिया कि मेरी मम्मी ये ड्रेस भीख में लाई हैं। यह बात याद करके आज भी हंसी आ जाती है।

    और अब सीबीआई के वो प्रश्न जिनका जबाव देकर मैं क्वात्रोची की तरह बच जाउंगी।
    प्रश्न : हिन्दी चिट्ठाकारी ही क्यों?
    • हिंदी चिठ्ठाकारी इसलिये क्योंकि मैं हिंदी भाषी हूँ, हिंदी में ही सोचती हूँ और हिंदी की तरक्की चाहती हूँ।
    2.प्रश्न : जीवन में कब सबसे अधिक खुश हुए?
    • अपनी शादी पर। क्यों? कभी किसी पोस्ट में बताउंगी।
    3. प्रश्न : अगला जन्म मिले तो क्या नहीं बनना चाहोगे?
    • अ-भारतीय
    4. प्रश्न :कौन सा चिट्ठा सबसे अधिक पसन्द है, क्यों?
    • अपना (हिंदीबात).. हा. हा... (श्रीशजी की तरह - रावण वाली हंसी) , सभी अच्छे चिठ्टे हैं , किसी एक का नाम पूछकर गैगवार छिड़ने का खतरा है और मेरा एनकाउंटर पक्का है।
    5. प्रश्न : हिन्दी चिट्ठाजगत के प्रचार प्रसार में क्या योगदान दे सकते हैं?
    • अभी तो फिलहाल हिंदी चिठ्ठाकारी के माध्यम से ही कुछ सेवा हो सकती है, बाकि जैसा आदेश हिन्दी चिट्ठाजगत के 'भाई' लोगों का हो।
    मेरा ख्यांल है कि सभी चिठ्ठाकारों को टैगियाया जा चुका है इसलिये किसी को टैग नही करं रही हूँ। अगर कोई हैं, तो वो खुद को शिकार समझें और इन्हीं प्रश्नों का उत्तर दें।
  • Manisha मंगलवार, 27 फ़रवरी 2007

    लाइव राइटर से पोस्ट होने लगी

    जब से मैं अपने सभी चिठ्टों को नये ब्लॉगर पर ले गई थी, तभी एक परेशानी से मुझे दो-चार होना पड़ रहा था। मैं नये चिठ्टों को बनाने के लिये विंडोज लाइव राइटर का प्रयोग करती हूं। 

    लेकिन जब से नये ब्लोगर पर शिफ्ट किया था, तब से ही विंडोज लाइव राइटर से पोस्ट तो हो रहा था लेकिन ब्लॉगर पर पोस्ट नजर नहीं आती थी। हार कर खुद ही कॉपी करके पोस्ट करनी पड़ रही थी। 

    समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाये? 

    हिंदी जगत के अन्य सक्रिय चिट्टाकारो से सहयोग मांगा गया। 

    पंडितजी के ब्लॉग पर मिश्राजी ने बताया कि मुझे विंडोज लाइव राइटर को अपडेट करना चाहिये। 

    इसलिये मैंने कल विंडोज लाइव राइटर को दुबारा डाउनलोड किया और पुराने संस्करण के उपर ही इंस्टाल कर दिया। 

    इसके बाद अब विंडोज लाइव राइटर ठीक तरह से पोस्ट कर रहा है। 

    सहयोग करने वालों को धन्यवाद।

    Manisha शनिवार, 3 फ़रवरी 2007