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समाचार माध्यमों को लगता है कि दिल्ली ही भारत है


कल दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में पहली बार मुसलाधार बारिश हुई जिसकी वजह से दिल्ली में अधिकांश जगह पानी भर गया और इसके कारण लोग बाग सड़कों पर जाम में फंस गये और घंटो बाद अपने घरों और गंतव्यों की ओर पहुंच पाये। 

News Media Delhi is India

हिंदी के अधिकांश टीवी समाचार चैनलों ने इसके ऊपर कार्यक्रम दिखाने शुरू करके सरकार को जमकर लताड़ लगाई। 

ये सब तो ठीक है और जिम्मेदार मीडिया को ऐसा ही करना चाहिये लेकिन क्या सिर्फ दिल्ली तक ही इस तरह की जागरुकता को सीमित रहना चाहिये? 

दरअसल, भारत के अधिकांश हिस्सों का हाल बारिश के दिनों में ऐसा ही हो जाता है बल्कि इस से भी बुरा हो जाता है, पर वहां के बारे में शायद ही कभी दिखाया या बताया जाता है। 

क्या भारत के अधिकांश शहरों में बारिश में पानी नहीं भरता है? क्या भारत के अधिकांश शहर बारिश में नारकीय दृश्य नहीं दिखाते हैं? तो फिर उनकी खोज खबर कौन लेगा? 

क्या माडिया के लिये शेष भारत कहीं है ही नही या फिर दिल्ली ही इन के लिये भारत है?

दिलचस्प बात ये है कि अधिकांश पत्रकार बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड या अन्य राज्यों के हैं जहां पर बिजली, सड़क, पानी की हालत खराब ही है। बारिश में वहां की हालत बहुत ही खराब जैसी स्थिति रहती है लेकिन ये लोग कभी इन राज्यों की चर्चा भी नहीं करते हैं। 

पर दिल्ली में अगर आधे घंटे बिजली जाने पर विशेष कार्यक्रम दिखाते हैं, लेख लिखते हैं, बारिश के दिनों में जाम लगने पर संपादकीय लिखते हैं, 26 जनवरी की परेड़ के कारण लगने वाले जाम की चर्चा करते हैं लेकिन शेष भारत की किसी समस्या के बारें बहुत ही कम बात करते हैं। 

क्या आपने अपने शहर की समस्या के बारे में मीडियी में कोई प्रोग्राम देखा?

Manisha रविवार, 7 फ़रवरी 2016

स्टार प्लस का ट्रंप कार्ड – सच का सामना


सच का सामना रियलिटी शो के रुप में स्टार प्लस के हाथ एक बड़ा ट्रंप कार्ड लग गया है। पिछले कुछ समय से स्टार
सच का सामना Sach-Ka-Samna
प्लस की पहले नंबर की पोजीशन को केवल आठ महाने पुराने मनोरंजन चैनल कलर ने छीन लिया था और तभी से स्टार प्लस वापस अपनी इस स्थिति को हथियाने के लिये बेताब था। 

इस समय सच का सामना ने एक प्रकार का मौका स्टार प्लस को दे दिया है।  सच का सामना शायद इतना प्रसिद्ध होते लेकिन उस से विवादों के जुड़ जाने से बहुत फायदा मिला है। 

मुझे तो लगता हे कि पहले स्थान को पाने के लिये ही स्टार प्लस जानबूझ कर विवादों को हवा दे रहा है ताकि लोग जिज्ञासावश सच का सामना को देखें और स्टार प्लस को अच्छी टीआरपी मिल सके।

Manisha सोमवार, 27 जुलाई 2009

अब तो कुछ करो पत्रकारों


आज छत्तीसगढ़ के जिला राजनांदगांव के मदनवाड़ा इलाके मे नक्सलियों ने पुलिस पार्टी पर हमला करके  30 पुलिस वालों को मार डाला है और अभी प्राप्त समाचार के अनुसार एक और हमला करके 8 और पुलिस वालों को मार डाला है। इसमें एक एसपी भी हैं। 

पत्रकारिता


हर 15-20 दिन में इस प्रकार का समाचार मिलता है जिमसें हमें देश के पुलिस वालों की जान बड़ी संख्या में नक्सलियों द्वारा लिये जाने के समाचार प्राप्त होते रहते है।  

नक्सली पुलिस वालों को शहीद किये जा रहे हैं और हमारा दिल्ली का राष्ट्रीय माडिया नक्सलियों  तालीबान और गे – समलैंगिकों के समाचारो को अहमियत दे रहा है। 

अरे पत्रकारों, तालीबान ने भी इतने पुलिस वालो की हत्या नहीं की होगी जितनी नक्सलियों ने की है। आखिर कब इन पुलिस वालों के उपर कार्यक्रम बनाओगे और अपनी जिम्मेदारी निभाओगे? छोड़ों तालीबान और समलैगिकों को। 

लगातार खबरें दिखा कर सरकार पर दबाव डालो कि वो कुछ करे। क्या नक्सलवाद की समस्या समलैगिको की समस्या से ज्यादा बड़ी है? अब तो कुछ करो पत्रकारों!!!!

बहरहाल शहीद पुलिस वालों को मेरा सलाम और उनसे निवेदन की वो खुद ही कुछ करें यहां की सरकार और मीडिया आपकी चिन्ता करने वाले नहीं है।

Manisha सोमवार, 13 जुलाई 2009