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भारतीय होटल व्यवसाय या इंडस्ट्री पर्यटन सीजन में दाम बढ़ा देते हैं


पिछले साल के अंत और इस साल की शुरुआत के लिये हम लोग कुछ पर्यटन स्थलों पर परिवार के साथ घूमने के लिये गये थे जहां पर नये साल का हमने स्वागत किया और अभी हम लोग छुट्टियां मना कर लौटे हैं। 

Indian Hotel Industry भारतीय होटल व्यवसाय

इन छुट्टियों के दौरान घूमते वक्त हमने देखा कि क्रिसमस के आसपास लगातार छुट्टियों की वजह से काफी भीड़ थी और ऐसा लग रहा था कि अधिकांश लोग घूमने निकले हुये हैं। 

खैर जिस बात ने मुझ सबसे ज्यादा हैरान और परेशान किया किया कि अधिकांध होटलों और गेस्ट हाउसों में कमरे उपलब्ध नहीं थे और उपलब्ध कमरों को काफी ज्यादा दाम बढ़ा कर उठाया जा रहा था, वो भी अहसान जता कर।

हमने देखा कि कई परिवारों का घूमने का बजट इस वजह से बिगड़ गया और लोग अपना कार्यक्रम अधूरा छोड़ कर चले गये। कई होटल वालों को हमने पर्यटकों से बेरुखी से व्यवहार करते भी देखा। 

लोगों का कहना था कि पहले के वर्षों में साल के इसी समय इस तरह से कभी भी होटलों में कमरो की उपलब्धता की समस्या कभी नहीं रही फिर पता नहीं इस बार क्यों ऐसा है? 


खैर होटल वालों द्वारा इस प्रकार सरेआम पर्यटकों को लूटने से मैंने ये सोचा कि अगर ये लोग सीजन के नाम पर इस तरह बहुत ज्याद दाम बढ़ा सकते हैं तो फिर अन्य लोगों द्वारा भी इन होटल वालों से इसी सीजन के दौरान अलग तरह के दाम लेने चाहिये मसलन बिजली विभाग, जलकर, सीवर, आय कर, बिक्री कर इत्यादि को भी सीजन के रेट बढ़ा कर इस तरह से इनसे वसूलना चाहिये अन्यथा पहले से ही सरकार को पक्का कराना चाहिये कि सीजन में क्या रेट लिये जायेंगे और बाद में क्या रेट लिये जायेंगे। वर्ना पर्यटक इसी प्रकार लुटते रहेंगे।

Manisha गुरुवार, 7 जनवरी 2010
पिछले कुछ दिनों की यात्रा के बाद हम लोग वापस अपने घर  आ गये हैं। हरिद्वार, ऋषिकेश, बद्रीनाथ आदि की यात्रा हम लोगों ने की। काफी थकाने वाली और कई प्रकार के नये अनुभवों वाली रही ये यात्रा। समय मिलने पर इनके बारे में लिखना होगा।

Manisha बुधवार, 17 जून 2009

अधिकांश ट्रैवल साइटें चोरी की सामग्री से चल रही हैं


कल हम लोगों नें बच्चों की गरमियों को दौरान कुछ पर्यटन स्थलों को भ्रमण के लिये इंटरनेट पर विभिन्न ट्रैवल साइटों से उन स्थानों के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की । 

ऐसे में गूगल के माध्यम से किसी भी स्थान को खोजने पर आने वाली अधिकांश वेबसाइटों पर वही-वही जानकारी मिली। 

यहां तक की हर शब्द और वाक्य  सब वही के वही । 

ऐसा लगता ही गूगल ऐडसेंस का फायदा लेने के लोगों ने पर्यटन वेबसाइटें  खोल रखी हैं और इधर-उधर से जानकारी चुराकर साइट तैयार करके बना दी गई हैं । 

1-2 साइटों को छोड़कर किसी भी साइट से कोई नई बात पता नहीं लगी । किसी पर कोई विस्तृत जानकारी नहीं है। 

बस पर्यटन ब्लॉग ही हैं जिन पर कुछ अलग सी जानकारी है वर्ना अधिकांश ट्रैवल बेवसाइटें किसी भी स्थान की जानकारी के लिये चोरी की सामग्री से चल रही हैं। 

इस को देखने के लिये आप गूगल में किसी भी स्थान को खोजने को कोशिश करिये और प्रथम 10 परिणामों को ब्राउजर में खोलकर देखिये, दस में से आठ में आप को एक जैसी बात लिखी मिलेगी।

Manisha सोमवार, 18 मई 2009

आदिवासियों का वेलेंटाइन डे भगोरिया


पश्चिम मध्य प्रदेश के आदिवासी जनजातीय युवक युवतियों का वेलेंटाइन डे (प्रणय पर्व) भगोरिया 25 फरवरी को शुरू हो रहा है। आदिवासी अंचल झाबुआ और खारगौन जिलों में परंपरागत रूप से मनाए जाने वाले इस रंगीन पर्व में स्थालीय भील और भीलाला लोगों के युवक और युवतियां बड़े उत्साह के साथ शामिल होते हैं। 


Bhagoria आदिवासियों का वेलेंटाइन डे भगोरिया


इस मेले के प्रति विदेशियों में भी खासा आकर्षण है। भारत भ्रमण के दौरान वे भगोरिया मेलों में बड़ी तादाद में शामिल होते हैं। भगोरिया हाट में आने वाले आदिवासी युवक-युवती एक दूसरे को पसंद करने के बाद भागकर विवाह कर लेते हैं। इस भाग जाने की वजह से ही इसको भगोरिया कहते हैं

परंपरा के अनुसार अगर किसी लड़के को कोई लड़की पसंद आ जाती है तो वो उस लड़की के गालों पर गुलाल लगाकर अपनी चाहत का इजहार कर देता है। अगर लड़की को भी लड़का पसंद होता है तो वो भी लड़के को गुलाल लगा देती है। 

इसके बाद ये लोग वहां से भाग जाते हैं। इसके बाद आदिवासी समाज इनको पति-पत्नि का दर्जा दे देता है।

इस भगोरिया को फसल पकने और होली की खुशी का भी प्रतीक माना जाता है। साल भर अलग-अलग स्थानों पर काम धंधा करने वाले आदिवासी भगोरिया पर्व पर अपने अपने घरों पर लौट आते हैं और गिले शिकवे भुलाकर मौज मस्ती के साथ इस पर्व को मनाते हैं। 

यह पर्व होली से पहले मनाया जाता है। बदलते जमाने के साथ भगोरिया पर भी आधुनिक संस्कृति का प्रभाव पड़ा है। आदिवासियों के पहनावे में बदलाव आया है तथा वाद्य यंत्रों ढोल और मृदंग का स्थान इलेक्ट्रानिक्स उपकरणों ने ले लिया है। झाबुआ, धार और खरगोन जिलों प्रमुख हैं जहां भगोरिया पर्व मनाया जाता है। इन जिलों के कई जिलो के गांवों में भगोरिया हाट लगते हैं।

कड़ियां:

Manisha शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2007

राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन की सैर


भारत के राष्ट्रपति के निवास राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन को आम जनता के लिये खोल दिया गया है। मुगल गार्डन में स्थित स्परिचुअल गार्डन, हर्बल गार्डन एवं बैयोडाइवर्सिटी पार्क आदि को भी जनता के दर्शनार्थ खोला गया है। 

Mughal Garden Delhi मुगल गार्डन


आम जनता के लिये मुगल गार्डन  फरवरी से लेकर मार्च तक सुबह 10.30 बजे से अपरान्ह 4.30 बजे तक खुला रहता है। सोमवार को साप्ताहिक बंद है।

मुगल गार्डन को सर एडविन लुटियन ने डिजाइन किया था। इस के डिजाइन की पेरणा उन्हें ताजमहल के बगीचों और जम्मू और कश्मीर के खूबसूरत मुगलिया बागों से मिली थी।

मुगल गार्डन 15 एकड़ में फैला हुआ है। मुगल गार्डन के तीन भाग हैं। पहले भाग में आयताकार गार्डन है जो कि राष्ट्रपति भवन की मुख्य इमारत से लगा हुआ है। इस गार्डन में चार कोने हैं जिसके हर ओर टैरेस गार्डन है। 

यहां के सेन्ट्रल लॉन में राष्ट्रपति द्वारा कई पार्टीयों का आयोजन किया जा चुका है। दूसरा है लोन्ग गार्डन यानी लंबा बाग, इसी के साथ है तीसरा बाग सर्क्युलर गार्डन या गोल बाग। 

लंबे वाले बाग में गुलाब का बेहतरीन किस्में हैं। यह बाग इस बार का मुख्य आकर्षण है। गोल वाले बाग में एक फुव्वारा लगा है।

मुगल गार्डन में 128 प्रकार के गुलाबों के फूल लगे हैं। अभी हाल ही में मुगल गार्डन में तीन नये फुव्वारे लगाये गये हैं। ये संगीतमय फुव्वारे हैं जो कि शहनाई और वंदेमातरम की धुनों पर घूमते हैं।

इस रविवार को मैं अपने परिवार के साथ मुगल गार्डन घूम कर आई हूं, यह एक बहुत ही अविस्मरणीय अनुभव रहा। अगर आपने अभी तक मुगल गार्डन नहीं देखा तो यह एक सुनहरी मौका है, 18 मार्च तक आप प्रोग्राम बना सकते हैं। मुगल गार्डन आपको हमेशा याद रहेगा।

 मुगल गार्डन के बारे में और यहां पर जानें।

Manisha सोमवार, 19 फ़रवरी 2007

पुरानी दुनिया की छुक-छुक रेलगाड़ी का आनंद


याद कीजिये बचपन के वो दिन जब रेलगाड़ी के सफर का मतलब आज की तरह तेज दौड़ती विद्युत या डीजल ट्रेन नहीं बल्कि कोयले से चलने वाली अपना ही एक आकर्षण लिये हुये छुक-छुक करती हुई एक रेलगाड़ी हुआ करती थी। आज भी सभी को वो छुक-छुक रेलगाड़ी का सफर और सफर के बीच सांसों से टकराती धीमे-धीमे जलते कोयले की महकती गंध तथा उस सबके बीच खिड़की वाली सीट पर बैठने का आनन्द याद आता है।

Steam Rail Engine भाप वाला रेल इंजन
भाप वाला रेल इंजन


बच्चों को तो आज भी रेलगाड़ी की आवाज छुक-छुक बतायी जाती है। तो वापस कुछ ऐसा ही अनुभव लोगों को, खासकर स्कूली बच्चों को देने के लिए उत्तर रेलवे ने सफदरजंग रेलवे स्टेशन (नई दिल्ली) से रिंग रेलवे लाइन पर शनिवार को हैरिटेज रेल शुरू किया।

रेल चलाने का मुख्य उद्देश्य उत्तर रेलवे द्वारा मनाए जा रहे हैरिटेज मंथ के तहत आने वाले पीढ़ी को बीते कल की कोयले से चलने वाली छुक-छुक रेलगाड़ी के अलावा रेल से जुड़े अन्य ऐतिहासिक महत्व से अवगत कराना है।

दिल्ली भ्रमण के लिए चलाई गई कोयले के इंजन से चलने वाली इस रेलगाड़ी के प्रमुख आकर्षण में से एक यह है कि यह इंजन वर्ष 1947 का बना है और वर्ष 1985 में इसे रिटायर कर दिया गया था। अब यह इंजन रेवाड़ी स्थित स्टीम इंजन शेड में ऐसे छह अन्य इंजन के साथ खड़ा होता है, जहां से इसे अधिकतर फिल्म की शूटिंग के लिए निकाला जाता है। इसके लिए फिल्मकारों से नब्बे हजार से एक लाख रुपये प्रतिदिन ली जाती है।

अंग्रेजों के कर्मचारियों के लिए बनाई गई जगह सफदरजंग रेलवे स्टेशन से इसका सफर शुरू होगा। इसके बाद यह मुसलमानों के पुराने शहर निजामुद्दीन, दिल्ली के नए विस्तार यमुनापार के इलाकों से होते हुए औरंगजेब के बेटों शाह और दारा की रियासतों शाह और दारा जिसे आज शाहदरा कहते हैं वहां जाएगी। वहां से यह असली दिल्ली कही जाने वाली पुरानी दिल्ली आएगी। उसके बाद इसका ठहराव नई दिल्ली होगा। इसके अलावा नई दिल्ली के रेलवे एक्सटेंशन के तौर पर बनाए गए तिलक ब्रिज से यह वापस सफदजंग रेलवे स्टेशन आएगी।

सफदरजंग से इसका सफर शुरू होने का समय हालांकि सवा दस बजे सुबह रखा गया है लेकिन उसमें बदलाव होने पर उसकी घोषणा की जाएगी। सफर के दौरान जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, पावर हाउस आईटीओ, आनंद विहार रेलवे स्टेशन, यमुना नदी, कनाट प्लेस के इलाके भी रेलगाड़ी की खिड़की से नजर आएंगे।

तो अगर आप इन दिनों में दिल्ली या उसके आस पास हैं तो इस पुरानी दुनिया की (Old world charm) छुक-छुक रेलगाड़ी का आनंद लीजिये।

Manisha मंगलवार, 23 जनवरी 2007