www.HindiDiary.com: भारत
Results for " भारत "

भारत की सबसे तेज रेल गतिमान एक्सप्रेस 5 अप्रैल 2016 से शुरू


हाल के दिनों में भारतीय रेल से संचालन में कई नई बातें हुई हैं जैसे कि रेलो को समय पर चलाने का प्रयास, रेल में
गतिमान एक्सप्रेस का आरम्भ
खाने के लिये ऑनलाईन बुकिंग करना, चलती गाड़ी से ट्विटर द्वारा लोगों की शिकायतों व अनुरोधों को सुनना व उनका समाधान निकालना और भारत में बुलेट ट्रेन के संचालन के लिये प्रयास करना जिसकी अधिकतम गति 350 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।

इसी कड़ी में अब  रेलवे ंमंत्रालय ने भारत में सवारी गाड़ियों की गति को तेज करने का प्रयास शुरु किया है। 

5 अप्रैल 2016 से भारत की सबसे तेज रेल गाड़ी 'गतिमान एक्सप्रैस'  दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्टेशन से ताजमहल के लिये प्रसिद्ध आगरा के आगरा कैन्ट स्टेशन के बीच चलाई जा रही है।  

इसकी गति प्रारम्भ में 160 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।  1 घंटा 40 मिनट यानी केवल 100 मिनट में यह ट्रेन आपको दिल्ली से आगरा पहुंचा देगी। 

दिल्ली से आगरा होकर भोपाल जाने वाली 'शताब्दी एक्सप्रेस' से  यह गाड़ी 17 मिनट शीघ्र (जल्दी) आगरा पहुंचेगी।  गतिमान एक्सप्रेस दिल्ली के हजरत निजामु्द्दीन स्टेशन से रोजाना सुबह 8.10 बजे चलेगी और आगरा कैन्ट स्टेशन से शाम 5.50 बजे चलेगी।  

रास्ते में इसका कोई ठहराव नहीं होगा। शुक्रवार को छोड़कर यह सप्ताह में छह दिन चलेगी।

हवाई यात्रा की तरह इस ट्रेन में परिचारिका (होस्टेस) की तैनाती होगी, जो यात्रियो को गुलाब देकर स्वागत करेंगी। देश में पहली बार किसी ट्रेन में ट्रेन होस्टेस सुविधा मिलेगी।

इस ट्रेन में यात्रा करने के लिए शताब्दी एक्सप्रेस से 25 फीसद ज्यादा किराया चुकाना होगा। हजरत निजामुद्दीन से आगरा तक चेयरकार का किराया 690 रुपये तथा एग्जिक्यूविट क्लास का 1365 रुपये देना होगा, जबकि भोपाल शताब्दी का किराया 540 और 1040 रु. है। 

भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम ने भी विशेष पैकेज तैयार किया है। इसमें यात्री को ट्रेन में सफर के साथ ही आगरा में वातानुकूलित वाहन में घूमने और पांच सितारा होटल में रुकने की सुविधा मिलेगी। ट्रेन में आठ चेयरकार और दो एक्जिक्यूटिव क्लास के कोच हैं, जिसमें कुल 715 यात्री यात्र कर सकेंगे। 5400 हॉर्स पावर का इलेक्टिक इंजन लगेगा।

 उम्मीद की जाने चाहिये कि भारत का रेलवे अपना प्रबंधन ऐसे ही ठीक करता हुआ एक दिन दुनिया में अपना नाम करेगा।

Manisha रविवार, 3 अप्रैल 2016

समाचार माध्यमों को लगता है कि दिल्ली ही भारत है


कल दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में पहली बार मुसलाधार बारिश हुई जिसकी वजह से दिल्ली में अधिकांश जगह पानी भर गया और इसके कारण लोग बाग सड़कों पर जाम में फंस गये और घंटो बाद अपने घरों और गंतव्यों की ओर पहुंच पाये। 

News Media Delhi is India

हिंदी के अधिकांश टीवी समाचार चैनलों ने इसके ऊपर कार्यक्रम दिखाने शुरू करके सरकार को जमकर लताड़ लगाई। 

ये सब तो ठीक है और जिम्मेदार मीडिया को ऐसा ही करना चाहिये लेकिन क्या सिर्फ दिल्ली तक ही इस तरह की जागरुकता को सीमित रहना चाहिये? 

दरअसल, भारत के अधिकांश हिस्सों का हाल बारिश के दिनों में ऐसा ही हो जाता है बल्कि इस से भी बुरा हो जाता है, पर वहां के बारे में शायद ही कभी दिखाया या बताया जाता है। 

क्या भारत के अधिकांश शहरों में बारिश में पानी नहीं भरता है? क्या भारत के अधिकांश शहर बारिश में नारकीय दृश्य नहीं दिखाते हैं? तो फिर उनकी खोज खबर कौन लेगा? 

क्या माडिया के लिये शेष भारत कहीं है ही नही या फिर दिल्ली ही इन के लिये भारत है?

दिलचस्प बात ये है कि अधिकांश पत्रकार बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड या अन्य राज्यों के हैं जहां पर बिजली, सड़क, पानी की हालत खराब ही है। बारिश में वहां की हालत बहुत ही खराब जैसी स्थिति रहती है लेकिन ये लोग कभी इन राज्यों की चर्चा भी नहीं करते हैं। 

पर दिल्ली में अगर आधे घंटे बिजली जाने पर विशेष कार्यक्रम दिखाते हैं, लेख लिखते हैं, बारिश के दिनों में जाम लगने पर संपादकीय लिखते हैं, 26 जनवरी की परेड़ के कारण लगने वाले जाम की चर्चा करते हैं लेकिन शेष भारत की किसी समस्या के बारें बहुत ही कम बात करते हैं। 

क्या आपने अपने शहर की समस्या के बारे में मीडियी में कोई प्रोग्राम देखा?

Manisha रविवार, 7 फ़रवरी 2016

लूट के लिये बड़े आयोजन


राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर जो भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं उस बीच भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक [कैग] की रपट भ्रष्टाचार को प्रमाणित करती प्रतीत होती है। 

Big Events for Lootखुशी की बात है कि सर्वोच्च न्यायालय इस केस को देख रहा है और उम्मीद रखनी चाहिये कि सही निर्णय कर दोषियों को सजा दी जायेगी। 

राष्ट्रमंडल खेलों के भ्रष्टाचार पर नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक [कैग] की रपट कम से ये तो यकीन दिलाती है कि कहीं कोई तो है जो अपनी बात कह रहा है और गलत बात को पकड़ रहा है।

दूसरी बात ये है कि राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन के समय जो भ्रष्टाचार का खेल चला उस के बाद ये बिलकुल स्पष्ट है कि भारत में अगर कोई बड़ा आयोजन हो रहा है तो सिर्फ इसलिये कि अधिकारी और नेता लोग पैसे खा सकें। 

आपको बताया ये जायेगा कि ऐसे आयोजनों से खिलाड़ियों को सुविधायें मिलेंगी, नये स्टेडियम बनेंगे, शहर की हालत सुधरेगी आदि आदि लेकिन असल में सारा आयोजन बड़ें पैमाने जेब भरने के लिये होता है। 

हमें भारत में ओलम्पिक करने या विश्व कप फुटबाल का आयोजन करने के लिये की जाने वाली किसी भी मांग पर सतर्क हो जाना चाहिये।

Manisha शनिवार, 6 अगस्त 2011

भारत के क्रिकेट वर्ल्ड कप विजेता बनने पर बधाई


पिछले डेढ़ महाने से चल रहे क्रिकेट वर्ल्ड कप 2011 को भारत ने जीत लिया है और अब भारत क्रिकेट का नया विश्व विजेता है। सभी लोगों को इस बात के लिये बधाई।

आज भारत के अधिकांश लोगो में देशभक्ति जोर और हिलोरें मार रही है।

ऐसी ही देशभक्ति का जज्बा, जोश और जनून देश के लोग अब भ्रष्टाचार भारत की तमाम परेशानियों के लिये बने रखे ऐसी ही उम्मीद के साथ ऐक बार फिर क्रिकेट का नया विश्व विजेता बनने की बधाई।

Cricket World Cup 2011

Manisha रविवार, 3 अप्रैल 2011

तालीबान और नक्सलियों में समानता है


उड़ीसा के मलकानगिरी जिले के जिला कलेक्टर और एक इंजीनियर के अपहरण के बाद ये बात फिर से जाहिर हो गई कि भारत आंतरिक सुरक्षा के बहुत बड़े खतरे का समना कर रहा है। 

कई बार पहले जब भी माओवादी नक्सलियो द्वारा जब भी कई बड़ी वारदाते की गई हैं, तब सरकार ने हमेशा कहा कि नक्सलियों को मुकाबला किया जायेगा लेकिन फिर भुला दिया जाता है।  

नक्सलियों की अपनी एक विचारधारा है जिसको लागू करने के लिये वो कुछ भी करने के लिये तैयार रहते हैं। उ

धर पाकिस्तान में नक्सलियों के ही समान अपनी विचारधारा को थोपने के लिये तालीबान तमाम तरह के अपराध कर रहा है। दोनो ही तरह के संगठनों मे कई प्रकार की समानताये हैं :- तालीबान और नक्सलियों में समानता है
  1. नक्सली और तालीबानी दोनो ही अपनी विचारधारा को सबसे बड़ा मानते हैं।
  2. अपनी बातों को मनवाने के लिये नक्सली और तालीबानी लोगों की जान ले लेते हैं, अपहरण करते हैं, विकास कार्यों को रुकवाते हैं, हमले करते हैं और विरोधियों को खत्म करने मं यकीन रखते हैं।
  3. दोनो का ही प्रभाव काफी बड़े इलाकों में फैल गया है।
  4. दोनों ही प्रकार के संगठन लोकतंत्र को खत्म करने वाले हैं, अगर ये सत्ता में आ गये तो एक ही तरह की बात मानी जाती है। लोकतंत्र हमेश के लिये खत्म।
  5. दोनों ही तरह के संगठनों को अपने अपने देशों के प्रभावशाली लोगों का समर्थन प्राप्त है जो इनके समर्थन में आवाज उठाते रहते हैं।
  6. भारत और पाकिस्तान दोनों ही तरफ की सरकारें इन को समाप्त करने और इनसे लड़ने की बातें तो करती हैं, पर कुछ करती नहीं हैं।
  7. बड़े-ब़ड़े नेताओं के इन संगठनो के साथ संबंध हैं।
  8. दोनो प्रकार के संगठन दहशत फैला कर अपना प्रभाव बढ़ाते हैं।
उचित यही होगा कि भारत के लोग और सरकार समय रहते चेत जायें और इस तरह के सशस्त्र संगठनो का दमन करें।

Manisha शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

कोई माहौल नहीं है एशियाई खेलों का


आज से चीन के ग्वांग्झू शहर में शुरु हो रहे 16वें एशियाई खेलों के लिये लगता है कि भारत में कोई उत्साहवर्धक
Asian Games 2010
माहौल नहीं हैं।

दिल्ली में 19वें राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन इसी नाम पर किया गया था कि भारत में खेलों को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन केवल एक महीने बाद ही लोगों को ढंग से पता भी नहीं है कि कहीं एशियाई खेल भी हो रहे हैं। 

मीडिया में और खास कर टीवी पर इसके बारे में को विशेष नहीं बताया जा रहा है। 

पिछले एशियाई खेल जो दोहा में हुये थे में भारत पदक तालिका में 10वें स्थान पर रहा था, लेकिन इस बार राष्ट्रमंडल खेलों  में भारत के खिलाडियों के अच्छे प्रदर्शन को देखकर उम्मीद की जानी चाहिये कि भारत का प्रदर्शन कुछ बेहतर रहेगा।

Manisha शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

श्राद्ध पक्ष में राष्ट्रमंडल खेल – परेशानी ही परेशानी


कई प्रकार के विवादों से घिरे 19वें राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर तमाम तरह की बातें कही जा रही हैं। 
Commonwealth Games

मेरे भी मन में दो बातें हैं। पहली तो ये कि अक्टूबर के आरम्भ का समय भारत में खेलों के लिहाज से गर्म और ऊमस भरा होता है। 

ये अलग बात है कि दिल्ली में अभी तक बारिश हो रही है जिससे मौसम सुहावना बना हुआ है लेकिन जिस दिन बारिश नहीं होती उस दिन गर्मी और ऊमस परेशान कर देती है। 

ऐसे में इस समय तो खिलाड़ियो का पसीना ज्यादा बहेगा जिनसे उन के प्रदर्शन पर असर पड़ेगा। वहीं दर्शकों को भी धूप में गर्म और ऊमस के वातावरण में स्टेडियम में बैठना मुश्किल हो जायेगा।

दूसरी बात है कि राष्ट्रमंडल खेलों के उदघाटन के समय भारत में श्राद्ध पक्ष चल रहा होगा जिसमें मान्यता है कि कोई अच्छा काम नहीं किया जाता। वैसे ही कुछ लोग मना रहे है राष्ट्रमंडल खेल फ्लाप हो जायें, ऐसे में आयोजकों को श्राद्धों के दिनों का ध्यान कर लेते तो अच्छा ही रहता।

मेरे विचार में भारत में नवंबर के आरम्भ और फरवरी के अंत का मौसम इस प्रकार के बड़़े अंतर्राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिये उपयुक्त रहता। बहरहाल हर भारतीय की तरह मेरे भी शुभकामना है कि दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल सफलतापूर्वक संपन्न हो ताकि भारत का नाम रोशन रहे।

Manisha गुरुवार, 23 सितंबर 2010