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पुरानी दुनिया की छुक-छुक रेलगाड़ी का आनंद


याद कीजिये बचपन के वो दिन जब रेलगाड़ी के सफर का मतलब आज की तरह तेज दौड़ती विद्युत या डीजल ट्रेन नहीं बल्कि कोयले से चलने वाली अपना ही एक आकर्षण लिये हुये छुक-छुक करती हुई एक रेलगाड़ी हुआ करती थी। आज भी सभी को वो छुक-छुक रेलगाड़ी का सफर और सफर के बीच सांसों से टकराती धीमे-धीमे जलते कोयले की महकती गंध तथा उस सबके बीच खिड़की वाली सीट पर बैठने का आनन्द याद आता है।

Steam Rail Engine भाप वाला रेल इंजन
भाप वाला रेल इंजन


बच्चों को तो आज भी रेलगाड़ी की आवाज छुक-छुक बतायी जाती है। तो वापस कुछ ऐसा ही अनुभव लोगों को, खासकर स्कूली बच्चों को देने के लिए उत्तर रेलवे ने सफदरजंग रेलवे स्टेशन (नई दिल्ली) से रिंग रेलवे लाइन पर शनिवार को हैरिटेज रेल शुरू किया।

रेल चलाने का मुख्य उद्देश्य उत्तर रेलवे द्वारा मनाए जा रहे हैरिटेज मंथ के तहत आने वाले पीढ़ी को बीते कल की कोयले से चलने वाली छुक-छुक रेलगाड़ी के अलावा रेल से जुड़े अन्य ऐतिहासिक महत्व से अवगत कराना है।

दिल्ली भ्रमण के लिए चलाई गई कोयले के इंजन से चलने वाली इस रेलगाड़ी के प्रमुख आकर्षण में से एक यह है कि यह इंजन वर्ष 1947 का बना है और वर्ष 1985 में इसे रिटायर कर दिया गया था। अब यह इंजन रेवाड़ी स्थित स्टीम इंजन शेड में ऐसे छह अन्य इंजन के साथ खड़ा होता है, जहां से इसे अधिकतर फिल्म की शूटिंग के लिए निकाला जाता है। इसके लिए फिल्मकारों से नब्बे हजार से एक लाख रुपये प्रतिदिन ली जाती है।

अंग्रेजों के कर्मचारियों के लिए बनाई गई जगह सफदरजंग रेलवे स्टेशन से इसका सफर शुरू होगा। इसके बाद यह मुसलमानों के पुराने शहर निजामुद्दीन, दिल्ली के नए विस्तार यमुनापार के इलाकों से होते हुए औरंगजेब के बेटों शाह और दारा की रियासतों शाह और दारा जिसे आज शाहदरा कहते हैं वहां जाएगी। वहां से यह असली दिल्ली कही जाने वाली पुरानी दिल्ली आएगी। उसके बाद इसका ठहराव नई दिल्ली होगा। इसके अलावा नई दिल्ली के रेलवे एक्सटेंशन के तौर पर बनाए गए तिलक ब्रिज से यह वापस सफदजंग रेलवे स्टेशन आएगी।

सफदरजंग से इसका सफर शुरू होने का समय हालांकि सवा दस बजे सुबह रखा गया है लेकिन उसमें बदलाव होने पर उसकी घोषणा की जाएगी। सफर के दौरान जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, पावर हाउस आईटीओ, आनंद विहार रेलवे स्टेशन, यमुना नदी, कनाट प्लेस के इलाके भी रेलगाड़ी की खिड़की से नजर आएंगे।

तो अगर आप इन दिनों में दिल्ली या उसके आस पास हैं तो इस पुरानी दुनिया की (Old world charm) छुक-छुक रेलगाड़ी का आनंद लीजिये।

Manisha मंगलवार, 23 जनवरी 2007

सालाना 80 हजार घूस देता है हर ट्रक वाला


लीजिये भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार के ऊपर एक और मुहर लग गई। एक अध्ययन के अनुसार भारत में हर ट्रक वाला सालाना 80 हजार रुपये की रिश्वत विभिन्न सरकारी एजेंसियों के लोगों को देता है। Bribe -  घूस

देश में तकरीबन 36 लाख ट्रक हैं। ऐसे में ट्रक ऑपरेटरों की करीब 22 हजार करोड़ की कमाई भ्रष्ट सरकारी अमले की भेंट चढ़ जाती है।

ट्रांसपोर्ट क्षेत्र की इस बदसूरत तस्वीर को उजागर किया है ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट ने।

रिपोर्ट के मुताबिक यदि इस भ्रष्टाचार पर काबू पा लिया जाए तो इससे सबसे ज्यादा फायदा उपभोक्ताओं को होगा, क्योंकि रिश्वत की यह राशि येन-केन-प्रकारेण अंतत: उन्हीं की जेब से वसूली जाती है।

श्रीराम समूह की वित्तीय मदद से एमडीआरए द्वारा कराए गए अध्ययन पर आधारित रिपोर्ट को ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की भारत शाखा के अध्यक्ष एडमिरल (सेवानिवृत्त) आरएच तहलियानी ने जारी किया।

उन्होंने कहा कि एक ट्रक ऑपरेटर रोजाना 211 से 266 रुपये की घूस टोल प्लाजा, चेक-प्वाइंट्स तथा राज्यों की सीमा चौकियों पर अदा करता है।

यह रिश्वत पुलिस, आरटीओ के अलावा वन विभाग, बिक्रीकर व चुंगी कर्मचारियों को दी जाती है। इसका मकसद चेकिंग से बचना होता है।

"काश भारत के लोग नैतिक रुप से श्रेष्ठ होते।"<

Manisha मंगलवार, 2 जनवरी 2007

गुरूजी - एक भारतीय सर्च इंजन


गुरूजी.कॉम - जी हां यह नाम है एक सर्च इंजन (search engine) का जो कि भारतीय लोगों द्वारा भारत के लोगों के लिये बनाया गया है ।

गुरूजी - एक भारतीय सर्च इंजन - Guru Ji Indian Search Engine

सर्च इंजन बनाने वालों का दावा है कि यह सर्च इंजन भारतीय सामग्री को दुनिया तक पहुंचायेगा। गुरूजी.कॉम जीवन से जुड़ी हर चीज तक पहुंजने में मदद का एक माध्यम बनना चाहा है।

गुरूजी.कॉम भारत और भारतीय सामग्री के लिये पहला क्रॉलर (crawler) आधारित सर्च इंजन है।

इसकी रचना (algorithm) इस प्रकार की गई है कि यह इंटरनेट पर भारत से संबंधित जानकारी और सामग्री को ढूंढ़ कर उसे इस प्रकार व्यवस्थित करता है कि सबसे नवीनतम सामग्री पहले प्रदर्शित होती है।

देखने वाली बात यह होगी की जब गूगल (google.com) ही सर्च इंजन का पर्यायवाची हो और हर व्यक्ति ढूंढ़ने के लिये गूगल की साईट पर जाता हो वहां यह सर्च इंजन कितना कामयाब हो पायेगा।

Manisha सोमवार, 1 जनवरी 2007

जिन्दगी की शायरी और शेर


अक्सर जब हम किसी महफिल, समारोह या फिर किसी भी प्रकार के आयोजन में जाते हैं तो हम देखते हैं कि कुछ लोग बहुत ही जल्दी सबको अपनी बातों से प्रभावित कर के वहां पर अपना प्रभाव छोड़ जाते हैं। 

ऐसे लोग जिन्दगी की बातों के उपर कुछ ऐसे शेर शायरी वाक्य या सूक्ति का प्रयोग करते हैं जिससे लोग उनसे अत्यंत ही प्रभावित हो जाते हैं। 

ये भी देखें - प्यार की शेरो शायरी

मैने भी कई ऐसे सामाजिक, राजनैतिक, तकनीकी या फिर पारिवारिक आयोजनों मे भाग लिया है जहां पर कोई वक्ता अपने संबोधन में कुछ ऐसी लच्छेदार बाते करते हैं कि लोग वाह वाह कर उठते हैं। 

कुछ लोग उर्दू भाषा की ऐसी शेरो शायरी का प्रयोग करते हैं जो कि जिन्दगी के कई पहलूओं को छू जाती है, कई लोग हिंदी और अंग्रेजी के कुछ प्रसिद्ध वाक्यों को बोलते हैं।

Manisha शुक्रवार, 7 जुलाई 2006

प्यार की शायरी

प्यार की शायरी

Shayari of Love

ये किन नज़रों से आज तुमने देखा,
के तेरा देखना देखा न जाये
अहमद फ़राज


उनको आता है प्यार पे गुस्सा,
हमें गुस्से पे प्यार आता है
अमीर मिनाई


क्या नज़ाकत है, कि आरिज उनके नीले पढ़ गये
हमने तो बोसा लिया था तसवीर का
उन्हें खत में लिखा था के "दिल मुज़तरीब है"
ज़वाब उनका आया " मुहब्बत न करते,
तुम्हें दिल लगाने को किसने कहा था?
बहल भी जायेगा दिल, बहलते बहलते"
आंखों में जो भर लोगे, तो कांटों से चुभेंगे
ये ख्वाब तो, पलकों पे सजाने के लिये हैं
जनाजा रोक कर मेरा वो कुछ अन्दाज से बोले
"गली हमने कही थी, तुम तो दुनिया छोड़ जाते हो"
सफी लखनवी


तिरछी नज़र से न मारो, आशिके दिलगीर को
कैसे तीरन्दाज हो, सीधा तो कर लो तीर को
ख्वाजा वजीर


हुस्न-ओ-जवानी हो तो हर एक को गुरूर आता है
तेरे इन बहार आदों को देख कर हमें सरूर ता है
तझे बहार कहा तो फकत इस लिये के हर मौसम
शजर से रूठ भी जाये तो लौटकर जरूर आता है
हाले-दिल यार को लिखूं क्यों कर
हाथ दिल से जुदा नहीं होता
मोमिन


आज वो काली घटाओ पे नाजान लेकिन
चांद सी रोशनी बालों में उतर आयेगी
डा. जरीना सानी


हम भी कुछ खुश नहीं वफा करके
तुमने अच्छा किया, निबाह न की
मोमिन


हम भी वहीं मौजूद थे, हम से भी सब पूछा किये
हम हंस दिये, हंम चुप रहे, मंजूर था परदा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी, शब भर रहा चेहरा तेरा
किसने कहा ये चांद है, किसने कहा चेहरा तेरा
इब्नेइंशा



रहा ना दिल में वो बेदर्द, और दर्द रहा
मकीन कौन हुआ है, मकां किस का था
दाग देहलवी


रात यूं दिल में, तेरी खोई हुइ याद आई
जैसे वीराने में, चुपके से बहार आ जाये
जैसे शहरों में, हौले से चले बादे-नसीम
जैसे बीमार को, बे-वजह करार आ जाये
कर रहा था गम-ए-जहां का हिसाब
आज तुम याद, बेहिसाब आये
तुम्हारी याद के जब जख्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं


Manisha सोमवार, 26 जून 2006