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भारत में बढ़ रहा है जंगल

ऐसे समय जब भारत में पर्यावरण को लेकर चिंताये जताई जा रही हैं, प्रदूषण से भारत के तमाम शहरों खास कर दिल्ली  इत्यादी में बुरा हाल है,  सरकार से लेकर आदालतों तक प्रदूषण कम करने के अनेक उपाय किये जा रहें हैं  तब एक ऐसी खबर आई है जो कि एक सुखद ठंडी हवा का झोंका लेकर आयी है और वो ये है कि भारत में वन क्षेत्र बढ़ रहा है।


समाचार के अनुसार नासा ने अंतरिक्ष से फोटो खींचकर जो अध्ययन किया उसके अनुसार भारत में  पहले से ज्यादा वन क्षेत्र हैं और भारत तथा चीन दो देश मिलकर दुनिया में वन क्षेत्र बढ़ाने में अग्रणी भुमिका  अदा कर रहे हैं और 20 साल पहले  की तुलना में दुनिया ज्यादा रही भरी हुई है।  


India Forest Increasing



Manisha रविवार, 17 फ़रवरी 2019

आरक्षण अभी और कई तरीकों से लागू होगा


जिस तरह से सरकार अपने खर्चे कम न करके जनता पर और बोझा डालने के लिये नये नये कर (टैक्स) लगाने के तरीके ढूंढ़ती रहता है उसी तरह से राजनैतिक पार्टियां और नेता लोग अपना वोट बैंक बनाने के लिये नये नये वर्गों को आरक्षण का रास्ता दिखाते रहते हैं। और इसी क्रम में संविधान में वर्णित आरक्षण को और कई तरीकों से लागू करने के तरीके ढूंढ कर लोगो को लुभाते रहते हैं। 

देश में जरुरत अच्छी काम करने वाली सरकारों की है क्यों कि अगर सरकारें अच्छा काम करें तो सभी वर्गों का भला होगा और कोई भी ये नहीं कहेगा कि मुझे मौका नहीं मिला। लेकिन अपनी नाकामियों को छिपाने और नये नये वोट बैंक बनाने के चक्कर में राजनैतिक दल आरक्षण के नये नये जुमले उछालते रहते हैं ताकि लोगों को ये लगे कि राजनैतिक दल उनका कितना भला चाहते हैं। 

ये दल गरीब, मुस्लिम, पिछड़े, एससी-एसटी, युवा कई तरह के आरक्षण की मांग करते रहते हैं लेकिन अपनी बनाई हुई सरकारों द्वारा कुछ भी ऐसा नहीं करते हैं जिससे की आरक्षण की नौबत ही न आये। 

मुझे महिला आरक्षण के पास होने की तो खुशी है लेकिन मुझे आने वाले समय की तस्वीर दिख रही है कि अभी आरक्षण की ये बात बहुत आगे तक जायेगी। देखिये कैसे अभी आरक्षण होगा -

  • महिलाओं के लिये लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण के बाद राज्यसभा में भी आरक्षण की मांग तो अभी से उठने लगी है।
  • महिलाओं के लिये लोकसभा और राज्यों की विधानसभायों में 33 प्रतिशत आरक्षण में से भी पिछड़े, दलित और मुस्लिमों को आरक्षण की मांग कई दल कर रहे हैं।
  • इसके बाद शिक्षा में महिलाओं के लिये आरक्षण की मांग उठेगी।
  • इसके बाद सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिये आरक्षण की मांग उठेगी।
  • मुस्लिमों के लिये रंगनाथ मिश्र आयोग ने आरक्षण देने की बात कही है और इस पर भाजपा को छोड़कर सभी दल तैयार हैं। देश की राजनीति को देखते हुये ये मांग सबसे पहले पूरी होगी।
  • अनूसुचित जति और जनजाति के आरक्षण में परिवर्तित मुस्लिमों और ईसाइयों को आरक्षण देने की मांग पिछले कुछ समय से हो रही है।
  • समय समय पर न्याय पालिका में आरक्षण देने की वकालत की जा रही है।
  • निजी संस्थानों (प्राइवोट सेक्टर) में आरक्षण के लिये काफी समय से प्रयास किये जा रहे हैं और सरकार इसके लिये प्रयत्नशील है।
  • हाल ही में राजस्थान हाईकोर्ट नें पंचायतों में युवा के नाम पर एक नये प्रकार का आरक्षण देने पर रोक लगाई है।
 
यानी सब प्रकार के आरक्षण के बाद युवा के लिये आरक्षण, बुजुर्गों के लिये आरक्षण इत्यादि की मांग उठाई जायेगी और अपने आप को इनका हितैषी बताया जायेगा।

आरक्षण  Reservation



आरक्षण से सभी लोग प्रभावित होते हैं। लेकिन जिस वर्ग को मिल जाता है वो आरक्षण के पक्ष में बाते करने
लगता है और इसको अपना हक बताने लगता है भले ही ये माना जाता हो कि आरक्षण कुछ समय के लिये देना है। 

दरअसल वास्तविकता में आरक्षण असली जरुरतमंद को नहीं मिल रहा है, इसका फायदा  वही लोग उठा रहे हैं जो कि पहले से ही आगे हैं। 

वास्तव में भारत में दो ही वर्ग हैं संपन्न एवम गरीब और पिछड़े, जिसमें संपन्न वर्ग गरीबों-पिछड़ों को आगे लाने के नाम पर अपने लोगों को फायदा पहूंचा रहे हैं। 

सोचने वाली बात है कि अगर देश में सरकारें अपना काम अच्छे से करें तो ये बात ही क्यों आये कि कुछ वर्ग पिछड़ गये हैं।


संपादन - 1


जैसी कि ऊपर आशंका व्यक्त की गई थी, हाल ही में कई प्रकार का आरक्षण लागू हुआ है और कई अन्य प्रकार के आरक्षण के लिये या तो लोग संघर्षरत हैं या फिर सरकारें ही प्रयास कर रहीं हैं। 

महाराष्ट्र में मराठों से लिये 18 प्रतिशत का आरक्षण सरकारी नौकरियों में किया गया है। भारत सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में बकायदा भारतीय संविधान में संशोधन करके सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में 10 प्रतिशत का आरक्षण आर्थिक तौर से कमजोर (Economically Weaker Section - EWS) वर्गों को दिया गया है। 

राजस्थान में गूर्जर जाति के लोगों के लिये 5 प्रतिशत का आरक्षण सरकारी नौकरियों में दिया जा रहा है।

New Reservation नया आरक्षण

आप देखते जाइये किसी न किसी प्रकार से पूरा 100 प्रतिशत किसी न किसी को आरक्षण दिया जायेगा। कुछ हिस्सा सब को मिलेगा  इसलिये कोई विरोध नहीं करेगा।

Manisha गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

हिंदी आबू धाबी कोर्ट मे तीसरी भाषा बनी


सभी हिंदी प्रेमियों के लिये ये गर्व की बात है कि हमारी प्यारी हिंदी भाषा अब आबू धाबी के कोर्ट में तीसरी आधिकारिक भाषा बन गई है। वहां पर बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं जो कि लगभग 30 प्रतिशत के आसपास है।

Hindi Third Abu Dhabhi Court  Language


Manisha सोमवार, 11 फ़रवरी 2019

काला धन आय घोषणा योजना 2016 और नकद रकम  की समस्या


भारत सरकान ने देश में काला धन समाप्त करने के अपने प्रयासों के तहत आय घोषणा योजना 2016  आरम्भ की है जिसकी आखिरी तारीख 30 सितम्बर 2016 है।  इस घोषणा में अगर कोई व्यक्ति यदि अपनी किसी आय जिसके उपर उसने टैक्स नहीं दिया था जिसकी वजह से वो काला धन की श्रेणी में माना जायेगा। 

सरकार बार बार कह रही है कि इसकी अंतिम तिथि आगे नहीं बढ़ायी जायेगी  और लोगों को इसका फायदा उठा कर अपने काले धन को सफेद धन में परिवर्तित कर लेना चाहिये। 30 सितम्बर के बाद सरकार सख्त कार्यवाही करेगी जिसके लिये लोग खुद जिम्मेदार होंगे।

काला धन आय घोषणा योजना 2016

इस आय घोषणा योजना 2016  की घोषणा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल 2016 के आम बजट में की थी। इस खिड़की के तहत घोषित काले धन पर टैक्स, पेनाल्टी और सेस के रूप में 45 फीसद रकम चुकाकर लोग बेदाग बाहर आ सकते हैं। 

केंद्रीय प्रत्यक्ष बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर अफसरों को काला धन रखने वालों को इस स्कीम के तहत आकर्षित करने के लिए हर संभव प्रयास करने का निर्देश दिया है। 

साथ ही कहा है कि अपनी घरेलू काली कमाई उजागर करने वालों को आश्वस्त किया जाए कि उनकी गोपनीयता बरकरार रखी जाएगी। 


ये सब योजना  तो ठीक है  लेकिन सरकार को ये भी देखना चाहिये कि काला धन क्यों  पैदा होता है?

काले धन का एक  प्रकार तो अपराध से कमाया गया पैसा है जिसके बारे में तो सरकार सख्त कार्यवाही करनी ही चाहिये। लेकिन जो अपनी आय छुपा कर कर बचाते हैं वो वास्तविक रुप से ही काला धन कहलाता है, काले धन से आशय भी यही होता है कि कर बचा कर पैसा रखना।

काला धन पैदा होने का कारण


तो काला धन पैदा होने का कारण एक तो ये है कि टैक्स की दरें भारत में बहुत ज्यादा है और नये नये प्रकार के टैक्स लगाने के तरीके ढूंढ़े जा रहे हैं। 

इससे परेशान होकर जो लोग आय छुपा सकते हैं वो काफी हद तक छुपा कर टैक्स देने से बचते हैं। सरकार ज्यादा कमाने वालों पर ज्यादा टैक्स तो लगा देती है पर इस ज्यादा कमाने के लिये जो उसने अपने जीवन में मेंहनत की होती है उसका  कोई ध्यान नहीं रखा जाता है। 

निकम्मे और अकर्मण्य लोगोें को सरकार राहत देती है और मेहनत करने वालोें पर टैक्स लगाया जाता है।  इसके अलावा जो टैक्स दे रहा है उसी को और दूहने को सरकारें और प्रयत्न करती रहती हैं। 

तरह तरह के नोटिस टैक्स देने वालों को ही दिये जाते हैं और जो नहीं देते उनको कोई नोटिस नहीं देता, इस कारण भी लोग कहते हैं कि कर न देना ही अच्छा है।  अत: सरकार को अगर टैक्स का पालन कराना है तो टैक्स दर कम होना चाहिये और  टैक्स प्रशासन आसान होना चाहिये।


नकद रकम का फायदा 


अब मैं बताती हूं कि नकद रकम लोग क्यों रखना चाहते हैं। हमारा अनुभव ऐसा है कि बैंक में रखे पैसे या चेक, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड के प्रयोग के मुकाबले जो लोग नकद रकम खर्च करते हैं वो फायदे में रहते हैं।  

हमारे अनुभव तो इसी ओर इशारा करते हैं -

  • अगर आप किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रानिक सामान को डेबिट या क्रेडिट कार्ड से खरीदने जायें को आप पर 2 प्रतिशत का बैंकिंग अधिभार लगा दिया जाता है, नकद  में कोई समस्या नहीं है।
  • अधिकांश बैंकों नें आपके डेबिट कार्ड के खर्च की प्रति दिन की सीमा 50 हजार और नकद निकालने की सीमा 25 हजार से 35 हजार रुपये तक निश्चित की हुई है, यानी की आप अपने पैसे को अपने हिसाब से खर्च भी नहीं कर सकते, नकद कितना भी खर्च करिये।
  • इस सीमा की वजह से बड़ी खरीद में आप न चाह कर भी नकद रकम निकाल कर खर्च करते हैं जिसका फायदा उठा कर दुकानदार उस को आय में न दिखा कर काले धन में बदल देते हैं।
  • इसी सीमा की वजह से हम को कई बार दो-तीन दिनों तक रोजाना रूपये निकाल कर ही कोई बड़ी रकम का समान खरीदा।
  • मान लीजिये आपको 1 लाख रूपये का टीवी और होम थियेटर या कोई लैपटॉप खरीदना है और आपके बैंक में पर्याप्त रकम भी है और चाहते हैं कि जब भी आप इलेक्ट्रानिक की दुकान में जाकर सामान खरीदें तो नकद न ले जाना पड़े तो आपके पास कोई उपाय नहीं है, अगर बैंक चैक देंगे तो जब उसके द्वारा जब रकम दुकानदार के खाते में चली जायेगी तब वो आप सामान ले पायेंग यानी की दो-तीन दिन के बाद, अगर दूसरे शहर में हुये तो कोई विकल्प ही नहीं है चेक पेमेंट में कई दिन लगते हैं। अब डेबिट कार्ड के द्वारा आप पेमेंट कर नहीं सकते क्योंकि उसकी सीमा 25 या 35 हजार ही होगी। बचा क्रेडिट कार्ड,  अगर इसकी भी सीमा अगर 1 लाख के उपर हुई तब ही आप पेमेंट कर पायेंगे। इसके अलावा 2 प्रतिशत का बैंक प्रतिभार अलग। यानी कि  आप को हार झक मारकर नकद पैसा ले  जाना ही उचित लगेगा। समझ में नहीं आता कि हमारे ही पैसे पर कई सीमा बैंक द्वारा क्यों लगाई गई है।
  • कई बार हमें शहर के बड़े हस्पताल में अपने घर के या आस पडोस के किसी मिलने वाले को इलाज के लिये भर्ती कराना पड़ा जहां पर अस्पताल द्वारा पहले रकम जमा कराने को कहा गया जो कि लाखों में थी। अब आप सोच सकते हैं कि अगर आपके बैंक में रकम जमा भी हो तो भी आप केवल नकद द्वारा ही जमा करा सकते हैं यानी कि काला धन वालों को फायदा और सफेद धन वालों को नुकसान।
  • एक अन्य कम आय वाले रिश्तेदार के बच्चों की शादी में हम लोग कुछ मदद करना चाहते तो हम लोगों ने टेंट और खाने के खर्चे को अपने उपर ले लिया जो कि लाखों में था। जब हमने पेमेंट के लिये बोला तो उसने कहा कि आपको नकद देना होगा, अगर डेबिट कार्ड व क्रेडिट कार्ड से दोगे तो सर्विस टैक्स देना होगा। यानी कि  हमें नकद रकम देने में ही फायदा था, सर्विस टैक्स की रकम में तो हमें दूल्हा-दुल्हन कोई  अन्य उपहार दे सकते थे। इन ही सब कारणों से लोग टैक्स चोरी करते हैं। 

इसी तरह के रोजाना की जिन्दगी में कई उदाहरण हैं जिसकी वजह से लोग नकद रकम की ओर खिंचते हैं। सरकार को इस बारें में सोचने की जरुरत है।  काला धन तब तक नहीं रुक सकता जब तक सफेद धन को रखनें में फायदे ज्यादा हों। अभी तो काले धन वालों को ही फायदा हैं।  सरकार और समाज को समझने की जरुरत कि काला धन क्यों पैदा हो रहा है।

Manisha रविवार, 25 सितंबर 2016

ये डिजिटल इंडिया क्या है?


केन्द्र सरकार  ने 2015 में आम आदमी के 'डिजिटल सशक्तिकरण' के  जरिये देश भर में 'सुशासन अभियान' को तीव्र गति देने के लिये  महत्वकांक्षी  'डिजिटल इंडिया' की शुरूआत की है', जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इस योजना  से देश की तस्वीर बदल सकती है, आम आदमी की जिंदगी बेहतर और आसान हो सकती है। इस योजना को 'डिजिटल रूप से सशक्त भारत' की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।


डिजिटल इंडिया Digital India



डिजिटल इंडिया योजना इस तरह से डिज़ाइन की गई है कि इसके क्रियान्वन से देश की तस्वीर बदल सकती है यानि यह योजना 'गेम चेंजर' होगी। इस के तहत पोस्ट ऑफिसों को कॉमन डिजिटल सर्विस सेंटर के रूप में विकसित किया जायेगा और छोटे शहरों में भी बीपीओ खोले जाएंगे।

मोदी सरकार चाहती है कि देश के हर नागरिक के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बने। शासन, सेवाओं को आसानी से उपलब्ध कराना सरकार का मकसद है। भारतीयों के डिजिटल सशक्तीकरण के प्रयासों स्वरूप इस योजना का लक्ष्य इस क्षेत्र के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को इससे जोड़ना है। 


इसका एक लक्ष्य कागजी कार्रवाई को कम-से-कम करके सभी सरकारी सेवाओं को आम जनता तक डिजिटली यानी इलेक्ट्रॉनिकली रूप से सीधे व सुगम तरीके से पहुचाना है।

डिजिटल विशेषज्ञों के अनुसार डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत सरकार चाहती है कि तमाम सरकारी विभाग और देश की जनता एक-दूसरे से डिजिटल अथवा इलेक्ट्रॉनिक रूप से जुड़ जाएं ताकि वे सभी तरह की सरकारी सेवाओं से लाभ उठा सकें और देश भर में सुशासन सुनिश्चि‍त किया जा सके। 

चाहे किसी गांव में रहने वाला व्यक्ति हो शहर में रहने वाला, दोनों को ही सभी सरकारी सेवाएं समान रूप से डिजिटली अथवा ऑनलाइन हासिल हों, यही डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य है। 

इस अहम सरकारी योजना को अमली जामा पहनाने के बाद आम जनता के लिए यह संभव हो जाएगा कि किस सरकारी सेवा को पाने के लिए उसे किस तरह एवं कहां ऑनलाइन आवेदन करना है और उससे किस तरह लाभान्वि‍त हुआ जा सकता है।   

दरअसल किसी भी सरकारी सेवा के डिजिटली उपलब्ध होने पर  आम आदमी के लिये उससे लाभान्वि‍त हो्ने के लिये सीधा रास्ता खुल जायेगा। जाहिर है, ऐसे में सरकारी सेवाओं के मामले में होने वाली लेट लतीफी और भ्रष्टाचार पर कारगर ढंग से लगाम लग सकेगी।

केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया अभि‍यान का शुभारंभ पिछले वर्ष 21 अगस्त को किया गया और इसका मुख्य उद्देश्य भारत को डिजिटली रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में तब्दील करना है। केंद्र सरकार की योजना यह है कि इस कार्यक्रम को अगले पांच सालों में पूरा कर लिया जाए। 

यह उम्मीद की जा रही है कि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम वर्ष 2019 तक गांवों समेत देश भर में पूरी तरह से लागू हो जाएगा। दरअसल, इस कार्यक्रम के तहत सभी गांवों और ग्रामीण इलाकों को भी इंटरनेट नेटवर्क से जोड़ने की योजना है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत इंटरनेट को गांव-गांव पहुंचाया जाएगा।

इस कार्यक्रम के तीन प्रमुख अवयव हैं- बुनियादी डिजिटल सुविधाएं, डिजिटल साक्षरता और सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी। इस कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं से देश को ड़िजिटल आधारित सशक्त  सूचना अर्थव्यवस्था के रूप मे बदजाने का लक्ष्य है।

आम जनता को सरकारी सेवाएं आसानी से उपलब्ध कराना सरकार का मकसद है, ताकि लोगों को अत्याधुनिक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का लाभ मिल सके। इसके लिए आईटी, टेलीकॉम एवं डाक विभाग जोर-शोर से कार्यरत हैं। मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी डिजिटल इंडिया अभियान के तहत सरकार अगले तीन वर्षों में 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ेगी।

एक डिजिटल लॉकर सेवा का शुभारंभ किया गया है। इस बार 2016 का सीबीएसई के 12वीं के परिणामों को घोषित करते समय ही छात्रों के प्रमाण पत्रों को डिजिटल लॉकर में रखा गया है। 

डिजिटल लॉकर के  तहत लोग अपने प्रमाण पत्रों एवं अन्य दस्तावेजों को डिजिटल स्वरूप में सुरक्षित रख सकेंगे। इसमें आधार कार्ड नंबर व मोबाइल फोन के जरिये पंजीकरण कराना होगा। डिजिटल लॉकर में सुरक्षित रखे जाने वाले प्रपत्रों को सरकारी एजेंसियों के लिए भी हासिल करना आसान होगा।

किसी व्यक्ति के विभि‍न्न दस्तावेज अगर डिजिटल लॉकर में हैं, तो उसे सरकारी योजनाओं के लिए इनकी फोटोकॉपी देने की जरूरत नहीं होगी। जाहिर है, ऐसे में लोगों को काफी सहूलियत होगी।

इतना ही नहीं, इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में बीपीओ खोलने की योजना का भी शुभारंभ हो गया है। दरअसल, सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में नौजवानों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कॉल सेंटरों की स्थापना करना चाहती है। इन क्षेत्रों में बीपीओ खोलने वालों को सरकार सब्सिडी देगी। 

इसके साथ ही ऐसी उम्मीद है कि डिजिटल इंडिया वीक के दौरान सरकार डिजिटल इंडिया के ब्रांड ऐंबैसडरों की भी घोषणा करेगी। भारत सरकार अनेक एप्लीकेशंस एवं पोर्टल विकसित करने के लिए भी ठोस कदम उठा रही है जो नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे। 

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को मिलने वाली कामयाबी भारत को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने और स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, बैंकिंग आदि क्षेत्रों से संबंधित सेवाओं की डिलीवरी में आईटी के इस्तेमाल में अग्रणी बनाएगी।

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के नौ प्रमुख उद्देश्य हैं जिनका ब्योरा इस प्रकार है : -
  • ब्रॉडबैंड हाईवेज :  इनके जरिए एक तय समय सीमा में बड़ी संख्या में सूचनाओं को प्रेषित किया जा सकता है।
  • सभी को मोबाइल कनेक्टिविटी सुलभ कराना :  शहरी इलाकों में भले ही मोबाइल फोन पूरी तरह से सुलभ हो गया हो, लेकिन देश के अनेक ग्रामीण इलाकों में अभी इस सुविधा का जाल वैसा नहीं हो पाया है। इससे ग्रामीण उपभोक्ताओं को इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के इस्तेमाल में आसानी होगी।
  • पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्रोग्राम :  इस कार्यक्रम के तहत पोस्ट ऑफिस को मल्टी-सर्विस सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा। नागरिकों को विभि‍न्न सरकारी सेवाएं मुहैया कराने के लिए वहां अनेक तरह की गतिविधियों को अंजाम दिया जायेगा।
  • ई-गवर्नेंस - प्रौद्योगिकी के जरिये शासन में सुधार : इसके तहत विभिन्न विभागों के बीच सहयोग और आवेदनों को ऑनलाइन ट्रैक किया जाएगा। इसके अलावा स्कूल प्रमाण पत्रों, वोटर आईडी कार्ड्स आदि की जहां भी जरूरत पड़े, वहां उसका ऑनलाइन इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • ई-क्रांति - सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी : ई-एजुकेशन के तहत सभी स्कूलों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने, सभी स्कूलों (ढाई लाख) में वाई-फाई की नि:शुल्क सुविधा मुहैया कराने और डिजिटल साक्षरता सुनि‍श्चि‍त करने की योजना है। किसानों को वास्तविक समय में मूल्य संबंधी सूचना, मोबाइल बैंकिंग आदि की ऑनलाइन सेवा प्रदान करना भी इनमें शामिल है। इसी तरह स्वास्थ्य क्षेत्र में ऑनलाइन मेडिकल परामर्श, रिकॉर्ड और संबंधित दवाओं की आपूर्ति समेत लोगों को ई-हेल्थकेयर की सुविधा देना भी इनमें शामिल है।
  • सभी के लिए सूचना : इस कार्यक्रम के तहत सूचनाओं और दस्तावेजों तक ऑनलाइन पहुंच कायम की जायेगी। इसके लिए ओपन डाटा प्लेटफॉर्म मुहैया कराया जाएगा।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में आत्मनिर्भरता : इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र से जुड़े तमाम उत्पादों का निर्माण देश में ही किया जाएगा। इसके तहत ‘नेट जीरो इंपोर्ट्स’ का लक्ष्य रखा गया है, ताकि वर्ष 2020 तक इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में देश आत्मनिर्भरता हासिल कर सके।
  • रोजगार के लिए सूचना प्रौद्योगिकी :  कौशल विकास के मौजूदा कार्यक्रम को इस प्रौद्योगिकी से जोड़ा जाएगा। गांवों व छोटे शहरों में लोगों को आईटी से जुड़ी नौकरियों के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
  • अर्ली हार्वेस्ट प्रोग्राम्स : डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को लागू करने के लिए पहले कुछ बुनियादी ढांचागत सुविधाएं स्थापित करनी होंगी।
यह साफ जाहिर है कि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य देश के नागरिकों को सुशासन  सुलभ कराना और उनकी जिंदगी बेहतर और आसान बनाना है। इस के जरिये ग्राम पंचायतों, स्कूलों विश्वविद्यालयों  में वाय-फाय सुविधाओं से लेकर शहरो यानि सभी जगह आम आदमी डिजिटल रूप् से सशक्त किये जाने का लक्ष्य है, जिससे उसकी जिंदगी आसान हो सकेगी साथ ही इससे आई टी, दूर संचार तथा इलेक्ट्रोनिक्स आदि अनेक क्षेत्रों में बड़ी तादाद में लोगों को रोजगार मिल सकेगा।

लेकिन सरकार को  ये भी देखना चाहिये कि ये सब अपने निर्धारित समय में ही पूरा हो, अन्यथा ये भी सरकार की एक घोषणा बन कर रह जायेगी। 

दूसरी बात ये है कि डिजिटल इंडिया का नाम ही अंग्रेजी में है तो कहीं ऐसा न हो कि भारतीय भाषायें खास कर हिंदी को कोई पूछे ही नहीं और अंग्रेजी को ही बढ़ावा मिलता रहे। वैसे भी भारतीय भाषाओं को तकनीकी रूप से पिछड़ा रखा गया है। 

सरकार सुनिश्चित करे कि सारे कार्यक्रम में हिंदी की सहभागिता बराबर रहे। और ये नाम डिजिटल इंडिया खुद ही सही नहीं है. इस कार्यक्रम का कोई अच्छा सा हिंदी नाम रखना चाहिये था।

डिजिटल इंडिया के बारे मे और जानने के लिये इसकी वेबसाइट पर जायें।

Manisha बुधवार, 15 जून 2016

अपने बैंक से परेशान होने पर बैंकिंग लोकपाल योजना में शिकायत कीजिये


बैंकिंग  लोकपाल योजना
आम तौर पर हम भारतीयों की सरकार और सरकारी संस्थाओं से कोई खास उम्मीद नहीं होती है। 

इसी लिये सरकारी क्षेत्र के बैंकों में आम भारतीय अपना खाता खोल ले ये ही बड़ी बात होती थी और है, बाकि अच्छी सेवा उसे मिले और उसके भी कुछ अधिकार हैं, इसके बारे में कोई उम्मीद कोई नहीं रखता था।  

पिछली सदी के 90 के दशक के आरम्भ में भारतीय बैंको को प्रतियोगित्मक बनाया गया और भरत में कई विदेशी और निजी बैंकों ने अपनी सेवा  आरम्भ की। इन बैंकों ने अपनी विभिन्न नई प्रकार की सेवाओं और उत्पादों से ग्राहकों को तेजी से अपनी ओर खींचा।  

सरकारी क्षेत्र के बैंक अभी भी नहीं चेते और उनकी सेवाओं की हालत अभी भी खस्ता ही है, पर कुछ सुधार शुरू हुआ है।

ऐसे में ग्राहकों को बैंको द्वारा अच्छी सेवा न दी जाने की स्थिति में कोई शिकायत होने पर ग्राहक कहां जाये? क्या करे?   ये एक बड़ा सवाल था।   

बैक ग्राहकों को शिकायत  के लिये एक मंच देने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकिंग  लोकपाल योजना लागू की है। 

इस योजना मे अगर आपको अपने बैंक में बैंकिंग  लेन-देन और कारोबार के बारे  में कोई शिकायत है या आप बैंकिंग सेवाओं में कोई कमी महसूस करते हैं, जैसे कि
  • लिखित आश्वासनो को पूरा न करना
  • वित्तीय उत्पादों/सेवाओं के विक्रय के समय बैंक द्वारा प्रमुख शर्तों को उजागर न करना
  • बैंकिंग सेवाओं और अन्य वित्तीय उत्पादों से संबंधित प्रभारों और शर्तों को स्पष्ट रुप से न बताना
  • भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा निर्देशों का पालन ल करना
  • ग्राहकों के प्रति बैं की प्रतिबद्धता संबंधी संहिता, जैसे कि भारतीय बैंकिंग संहिता और मानक बोर्ड द्वारा जारी की गई है, का पालन न करना
तो कृपया अपनी शिकायत के निवारण के लिये पहले अपनें बैंक से सम्पर्क करें, यदि एक महीने में आपकी शिकायत का निवारण नहीं होता या आप बैंक से प्राप्त जवाब से संतुष्ट नहीं हैं तो आप अपने बैंक के लिये भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त किये गये बैंकिंग लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं। वे आपकी शिकायत के निवारण में सहायता करेंगे।  


बैंकिंग लोकपाल को  आप डाक/फैक्स द्वारा लिखित शिकायत करें। बैंकिंग लोकपाल को शिकायत करने में कुछ भी खर्चा नहीं करना पड़ता है।

ध्यान रहे कि बैंकिंग लोकपाल को शिकायत करते समय अपनी शिकायत से संबंधित ये बातें अवश्य बतायें - 

  1. नाम, पता, मोबाइल ऩंबर और ईमेल आईडी
  2. जिस बैंक के बारे में शिकायत है उसकी शाखा /  कार्यालय का नाम और पता
  3. पूरी शिकायत का विवरण
  4. इसके कारण हुये नुकसान का स्वरूप और इसकी मात्रा।

बैंकिंग लोकपाल के बारे में और जानने के लिये http://www.bankingombudsman.rbi.org.in पर अंग्रेजी  में जानकारी के लिये और https://www.rbi.org.in/commonman/Hindi/scripts/againstbank.aspx पर हिंदी में जानकारी के लिये जायें और अगर किसी बैक से कोई शिकायत हो तो इस पर जा कर अपनी शिकायत इलेक्ट्रानिक रुप से दर्ज कर सकते हैं।

Manisha सोमवार, 9 मई 2016

टैक्स हैवेन बनाम टैक्स नर्क देश


हाल के दिनों में दुनिया के कई समाचार पत्रों द्वारा खोज कर निकाले गये रहस्योदघाटन के द्वारा पनामा में दुनिया के
टैक्स हैवेन बनाम टैक्स नर्क देश
कई लोगों द्वारा खोली गई और खरीदी गई कंपनियों के नामों के उजागर होने के बाद से एक शब्द 'टैक्स हैवेन (Tax Heaven) यानी की कर का स्वर्ग (ऐसा देश जहां कर कम है या बिलकुल नहीं लगता)' का बहुत प्रयोग होने लगा है। 

हालांकि अब इस शब्द के इस्तेमाल पर कई देशों की आपत्तियों को देखते हुये भारत सरकार अब अधिकारिक रुप से इस शब्द का इस्तेमाल नहीं करेगी। 


तो ऐसा क्यों है कि दुनिया के कई देशों को हम टैक्स हैवेन कहते है? आखिर हम क्यों नहीं करों को कम कर सकते। हमारे देश को अगर देखा जाये तो इसे टैक्स नर्क कह सकते हैं। जब टैक्स हैवेन (टैक्स स्वर्ग) है तो टैक्स नर्क (टैक्स हैल) क्यों नहीं हो सकता?

हमारे यहां इतनी तरह के टैक्स लगे हुये हैं कि इमानदारी से कमाने वाला व्यक्ति कर चुकानें में ही अपनी अधिकांश आय गंवा देता हैं। अपने देश को अगर सरकार टैक्स हैवेन नहीं बना सकती तो कम से कम टैक्स नरक तो न बनाये।

Manisha सोमवार, 18 अप्रैल 2016