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अच्छा वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर कैसा हो? Achcha Video Conference Software Kaisa ho?


कोरोना की महामारी के प्रकोप के चलते जब से पूरी दुनिया में लॉकडाउन हुआ है, लोगों को अपने घरों में रहना पड़ रहा है उससे लोगों को एक दूसरे से काट दिया है।  सभी लोग अपने परिवार के करीबी और संबंधियो से नहीं मिल पा रहे हैं। सामाजिक रुप से सब लोग अलग थलग पड़ गये हैं।

अधिकांश कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने को बोल दिया है। इस कोरोना कोविद -19 की वजह से पूरी दुनिया भर में हुये लॉकडाउन में छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों के साथ-साथ बड़े बड़े कॉरपोरेट भी सबसे ज्यादा प्रभावित हुये हैं। 

खुदरा क्षेत्र की शटडाउन, एक जगह से दूसरी जगह जाने के अंतर-राज्य परिवहन और वैश्विक यात्रा के बंद होने ने कॉर्पोरेट क्षेत्र की व्यापार करने की क्षमता पर व्यापक प्रभाव डाला है। 


हालांकि दुनिया के तमाम देशों ने और भारत में भी चरणबद्ध तरीके से प्रतिष्ठान खोलने शुरू कर दिए गये हैं। अब कॉरपोरेट्स को अपने ग्राहकों और विक्रेताओं के साथ बेहतर तरीके से संवाद करने, जुड़ने और सहयोग करने के लिए इस तरह से काम करना है कि काम कम से कम समय में हो, कम से कम लागत में हों और भौगोलिक स्थिति की कोई सीमा न हो। 


वीडियो कोन्फ्रेंस सम्मेलन सॉफ्टवेयर Video Conference Software


वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर क्या है


ऐसे कोरोना वाले कठिन समय में वीडियो कोन्फ्रेंस या वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर (Video Conference Software) बड़े काम के साबित हुये हैं। इन वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयरों के जरिये लोग अपने पारिवारिक संबंधियो, पारिवारिक मित्रों या फिर अपने आस पड़ोस के लोगों से लॉकडाउन के घर में रहने के निर्देश का पालन करते हुये सभी लोगों के साथ संपर्क रख पा रहे हैं।

हम यहां पर ये जानने की कोशिश करेंगे कि अगर वीडियो कोन्फ्रेंस सॉफ्टवेयर की प्रयोग करना हो तो वो कैसा हो, वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर की क्या क्या विशेषतायें हों आदि आदि।

वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर छोटे बड़े सभी व्यवसायिक प्रतिष्ठानों और कॉरपोरेट्स के लिये भी वरदान साबित हुये हैं। वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर की कंपनियों की इस प्रकार की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जिससे उन्हें डिजिटल सहयोग का उपयोग करके अपने व्यापार की निरंतरता को बनाए रखने में मदद मिले क्योंकि वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर भौगोलिक सीमाओं के पार व्यापार करने का साधन है। 

वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर कंपनियों को आंतरिक कर्मचारियों के साथ-साथ उनके बाहरी विक्रेताओं और ग्राहकों के साथ बैठकें, प्रशिक्षण, व्यवसाय समीक्षा, योजना सत्र आदि के संचालन के समाधान के लिए एक पूर्ण सुविधा प्रदान करता है।

वीडियो सम्मेलन कॉन्फ्रेंसिंग सॉफ्टवेयर ऑडियो, वीडियो और टेक्स्ट डेटा प्रसारित करने के लिए कंप्यूटर नेटवर्क का उपयोग करके विभिन्न साइटों पर दो या अधिक प्रतिभागियों के बीच लाइव कॉन्फ्रेंस शुरू करने और संचालित करने की सुविधा प्रदान करता है। अधिकांश वीडियो सम्मेलन कॉन्फ्रेंसिंग सॉफ़्टवेयर उपयोगकर्ताओं को संवाद करने और साझा करने और फ़ाइलों पर काम करने में सहयोग करने देते हैं। ये एक बहुत ही कारगर तकनीक है जिसका विकास हम सब के फायदे के लिये हो रहा है। हालांकि अभी भी इसमें विकास की और संभावना और गुंजाइश बाकी है।



वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग कौन करता है?


सभी प्रकार और आकारों के व्यवसाय और कंपनियां और सामान्य जन भी अपनी सोसाइटी, रिश्तेदारी और मित्र मंडली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉफ़्टवेयर का  उपयोग करते हैं। यह अलग-अलग स्थानों में कई शाखाओं या कंपनियों के उपर के स्तर के प्रबंधन के लिए बहुत ही शक्तिशाली चेक-इन साधन साबित होता है। 

इन वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयरो का उपयोग व्यवसायों को उनकी संभावनाओं का विस्तार करने और यात्रा की आवश्यकता के बिना कर्मचारियों के साथ जांच करने या कोई जानकारी लेने के लिए भी किया जाता है। यहां तक कि छोटे, मध्यम या बड़े आकार के व्यवसाय अपने साझेदारों, हितधारकों और व्यापार की नयी संभावनाओं से जुड़ने के लिए अपने दैनिक कार्यों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग करते हैं।

इसके अलावा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग उपकरण कभी-कभी शिक्षकों को उनके छात्रों के साथ जोड़ने के लिए एक माध्यम के रूप में या फिर ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्मों या शिक्षण प्रबंधन के लिये प्रयोग होते हैं। ये सब वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर ऑनलाइन सीखने के माहौल के लिए बहत ही अधिक उपयोगी हैं, जो अक्सर फ़ाइल साझाकरण, मतदान और व्हाइटबोर्डिंग क्षमता प्रदान करते हैं ताकि सीखने का एक प्रभावी ढंग का वातावरण बन सके। 

सरकार मे भी वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर की प्रभावी ढंग से प्रयोग हो रहा है। आप सब ने देखा होगा कि किस प्रकार भारत के प्रधानमंत्री भारत के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो सम्मेलन करके कोरोना वायरस से लड़ने के लिये बातचीत कर रहे हैं। प्रशासन में भी रोजाना वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर की मदद से बैठकें की जा रही हैे और महतिवपूर्र सरकारी काम निपटाये जा रहे हैं। भारत के हर जिला प्रशासन, राज्य सचिवालय और केन्द्र सरकार के सभी  मंत्रालयों और महत्वपूर्ण विभागों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा चल रही है जिससे समय और पैसे की भी बचत हो रही है।


प्रसिद्ध वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर (Famous Video Conference Software's)


भारत में जब 25 मार्च को अचानक से कोरोना को चलते लॉकडाउन लगाया तो लोगों ने वीडियो कोन्फ्रेंस सम्मेलन सॉफ्टवेयरों को खोजना शुरु कर दिया। अचानक से किसी ने जूम वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर को खोज लिया और  बस सब लोग इसी का प्रयोग करने लगे। हालांकि बाद में चीन का उत्पाद होने और खराब निजता सुरक्षा के चलते भारत के गृह मंत्रालय ने इसका प्रयोग न करने की सलाह दी तब लोगों ने अन्य वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयरों को खोजना शुरू किया। 

अब लोग गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, स्काइप, सिस्को इत्यादि कंपनियों के तमाम वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयरों  का प्रयोग कर रहे हैं।


हालांकि कई मुफ्त वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग विकल्प भी उपलब्ध हैं, जो स्वतंत्र रूप से काम करने वालों, परामर्शदाताओ  या अन्य स्व-नियोजित व्यक्तियों के लिए एक आकर्षक वीडियो सम्मेलन साधन बनते हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉफ्टवेयरों के मुफ्त संस्करण आमतौर पर ऐसे कम कम क्षमताओं वाले विकल्प होते हैं, जो एकल उपयोगकर्ताओं के लिए थोड़ी कम व्यापक कार्यक्षमता प्रदान करते हैं लेकिन काम चल जाता है।

यहां पर हमने कुछ प्रसिद्ध वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयरों की सूची हमने बनाने की कोशिश की है। आप को जो भी पसंद हो उस वीडियो कोन्फ्रेंस सॉफ्टवेयर का अपने काम में उपयोग कर सकते हैं।


लाइव वीडियो कोन्फ्रेंस सम्मेलन Live Video Conference

अच्छे वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर की विशेषतायें


तो आप को जब यह देखना हो कि कौन सा वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर प्रयोग करें, उस से पहले ये आपको ये जानना जरूरी है कि एक अच्छा वीडियो कांफ्रेंस सॉफ्टवेयर कैसा हो, उसकी क्या विशेषतायें होनी चाहिये? हमारे विचार में एक अच्छे वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर में ये सारी विशेषतायें होनी चाहिये -

    • विंडोज, एपल, एन्ड्रायड, लाइनक्स आदि सभी कंप्यूटरों पर उपलब्ध होना
    • किसी भी प्रकार के उपकरण जैसे मोबाइल, टैब इत्यादि पर भी उपलब्ध होना
    • कई लोगों के साथ मल्टी पार्टी ऑडियो और वीडियो सम्मेलन की सुविधा देना
    • पहले से मौजूद वीडियो कांफ्रेंस सिस्टम के साथ जुड़ाव और एकीकरण
    • बैठकों की रिकॉर्डिंग करने की सुविधा प्रदान करना
    • एन्क्रिप्टेड डेटा ट्रैफ़िक के साथ अत्यधिक सुरक्षित होना
    • डाटा की गोपनीयता और सुरक्षा प्रदान करना
    • प्रस्तुतियों, पीडीएफ फाइलों और स्क्रीन आदि के रूप में सामग्री साझा करने की सुविधा देना
    • सहयोगी कार्यों के लिए टीमों और कार्य स्थान का निर्माण
    • भारत के इंटरनेट और भारत के टेलीफोन नंबर पर आवाज (जब कि इंटरनेट उपलब्ध नहीं है) की सुविधा देना
    • सफेद बोर्डिंग यानी कि कुछ लिख कर दिखाने की क्षमता देना
    • 100% उपस्थिति और भागीदारी के लिए सभी लोगों के पूर्ण सेट की दृश्यता सुनिश्चित करने वाली एकल खिड़की पर देखने की सुविधा देना
    • एन्क्रिप्टेड और सुरक्षित डाटा के यातायात का आवागमन
    • वीडियो की बहुत ही अच्छे स्तर की कांफ्रेंस सुविधा देना जिससे लोगो को वीडियो सम्मेलन के बाद संतुष्टि हो
    • वीडियो को बन्द करके खाली ऑडियो को प्रयोग करने की सुविधा देना
ये तो थीं साधारतया उपलब्ध होने वाली विशेषतायें जो कि एक अच्छे वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर में होनी ही चाहिये।    

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉफ्टवेयर के साथ होने वाली समस्यायें  


वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर के साथ सबसे आम मुद्दों में से एक उसकी कॉल गुणवत्ता है। यानी कि कितनी आसानी से आप किसी के साथ वीडियो सम्मेलन कर सकते हैं। उसकी गति कितनी है? वो कितनी कम बैंडविड्थ पर इंटरनेट पर काम कर सकता है। वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर अपने आप में मजबूत हो सकता है पर इस पर वीडियो या ऑडियो की गुणवत्ता शामिल लोगों की इंटरनेट गति पर अत्यधिक निर्भर होती है। 

अत: किसी संभावित हताशा या परेशानी से बचाने के लिये यह महत्वपूर्ण है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉफ़्टवेयर का उपयोग करते समय उपयोगकर्ताओं के पास विश्वसनीय इंटरनेट तक पहुंच हो और साथ ही साथ उसकी गति और गुणवत्ता वहुत अच्छी हो। नहीं तो लोगों को आपस में एक दूसरे से बातचीत के दौरान बहुत सारे व्यवधान होते रहेंगे।


वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉफ्टवेयर के मुख्य लाभ


हमने देखा कि कंपनियों द्वारा अपने व्यवसाय में या फिर ऑनलाइन के माध्यम से पढ़ाई और कोचिंग के लिये या फिर लोगों द्वारा सामाजिक जुड़ाव के लिये वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर बहुत ही काम के हैं और इसके बहुत से लाभ और फायदे हैे जिसका लाभ सभी ले रहे हैं। मुख्य तौर पर एक अच्छे वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर से ये लाभ होते हैं (और भी अन्य कई लाभ हो सकते हैं) -

    1. सस्ते लंबी दूरी और अंतर्राष्ट्रीय संचार विकल्पों के साथ धन और संसाधनों को बचाता है।
    2. भौगोलिक बाधाओं को दूर करता है और अपनी टीम से दूरी को कम करके मऑनलाइन मिलजुल कर काम करने की सुविधा देता है।
    3. स्क्रीनशेयरिंग और फ़ाइल साझाकरण के माध्यम से आपस में मिलजुल कर काम करने की की अनुमति देकर टीम सहयोग को बढ़ाता है।
    4. लोगों को अपने कार्यालय में आराम से बैठे बैठे से बैठकों में शामिल होने की अनुमति देकर यात्रा की लागत को कम करता है।


निष्कर्ष


निष्कर्ष के तौर पर हम कह सकते हैं कि वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर अब लोगों की जरुरत बन गये हैं। अब कोरोना वायरस के माहौल में तो आम लोगों का भी ध्यान इन वीडियो कॉन्फ्रेंस सॉफ्टवेयरों की तरफ गया है और लोगों ने बहुत से विविध तरीकों से इनको प्रयोग करना आरम्भ कर दिया है। हाल ही मैंने वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर के द्वारा कई कवि सम्मेलनों और गोष्ठियों में भाग लिया और कुल मिलाकर ये एक मजेदार अनुभव रहा।

तो अब हम ये कह सकते हैं कि वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर एक बहुत ही अच्छी तकनाकि पहल है जो हमारे काम की आवश्यकता बनते जा रहे हैं और हम सब को ये अच्छी तरह से परख कर कि एक अच्छा वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर कैसा हो, उसके प्रयोग करके जांच लेने कि आवश्यकता है ताकि बाद में किसी कांफ्रेंस के बीच में कोई परेशानी न हो।

आप लोग भी कमेंट कर के बताये कि आपका अच्छा वीडियो सम्मेलन सॉफ्टवेयर पर अनुभव कैसा रहा?

Manisha सोमवार, 29 जून 2020

ऑनलाइन मनोरंजन में ही हिंदी सुपरहिट है


भारत में हिंदी की जो स्थिति है वो किसी से  छुपी नहीं है। भारत के रोजगार बाजार से हिंदी लगभग गायब हो चुकी है। सरकारी क्षेत्र में भी कुछ विशेष प्रकार की जैसे कि राजभाषा विभाग में अनुवादक या हिंदी अधिकारी एवं हिंदी के अध्यापक इत्यादि की ही नौकरियां ऐसी हैं जो कि हिंदी भाषा के आधार पर आप पा सकते हैं अन्यथा सब जगह अंग्रेजी का ही बोलबाला है। 

यहां तक की ऑनलाइन जगत में कमाई कर के हिंदी ब्लॉगरों के लिये डॉट कॉम लाइफ स्टाइल अभी संभव नहीं है। हिंदी के ब्लॉगरों के लिये कमाई ज्यादा है ही नहीं।

निजी क्षेत्र में तो ऐसा लगता है कि उन्हें पता ही नहीं है कि हिंदी भी कोई भाषा है। केवल अपना माल बेचने के लिये विज्ञापन में जरुर हिंदी का प्रयोग करते हैं। सभी साक्षात्कार और सूचना आदान-प्रदान के अंग्रेजी में ही होता है। 

कभी आप किसी कंपनी के कॉल सेंटर को फोन करिये, तो आप पायेंगे कि 1 नंबर पर भाषा का चयन हमेशा अंग्रेजी ही होगा, हिंदी तो 2 नंबर पर या तीसरे नंबर पर चुनने को मिलेगी। 

ऐसे समय में सिर्फ फिल्में, टीवी सीरियल, गाने और इंटरनेट आधारित ऑनलाइन मनोरंजन के साधनों पर ही हिंदी न केवल चल रही है बल्कि सुपरहिट भी है। हिंदी फिल्मों की वजह से कम से कम दुनिया के एक बड़े हिस्से में हिंदी समझ ली जाती है।  लिखने पढ़ने में तो भारत मे ही हिंदी की स्थिति खराब  है। 

आपने अक्सर हिंदी के समाचार पत्रों और हिंदी के समाचार चैनलों पर हिंदी के शब्दों की गलत वर्तनी (Spelling) को देखा होगा या फिर धड़ल्ले से हिंदी के आसान शब्दों के होते हुये भी अंग्रेजी के शब्जों का प्रयोग होते देखा होगा।

गलत हिंदी को लोग सामान्य मान कर चलते हैं। हिंदी भाषी क्षेत्र के लोगों को दोयम दर्जे के समाचार और कार्यक्रम परोसे जाते हैं। आप देखेंगे कि अंग्रेजी और हिंदी के अखबार और पत्रिकायों के स्तर  में बहुत विरोधाभास है

जब से भारत में इंटरनेट की गति बढ़ी है और वो सस्ता भी हुआ है तब से ऑनलाइन मनोरंजन के साधनों जैसे यूट्यूब (YouTube), हॉटस्टार (Hotstar), नेटफ्लिक्स (Netflix), जी-5 (ZEE 5), एमएस प्लेयर (MX Player), वूट (Voot), अमेजॉन प्राइम वीडियो (Amazon Prime Video) इत्यादि की लोकप्रियता काफी बढ़ गई है। इन सब में भी हिंदी के ही कार्यक्रम सब से ज्यादा पसंद करे जाते हैं।  मनोरंजन सब को अपनी ही भाषा में चाहिये। 

अब एक रिसर्च क्षोध के अनुसार इस बारे में दिलचस्प डाटा जारी किया है। इस क्षोध के अुनसार ऑनलाइन मनोरंजन में हिंदी ही सुपरहिट है। बड़े शहरों में तो हिंदी के साथ साथ फिर भी अंग्रेजी व अन्य भाषायों के कार्यक्रम देखे जाते हैं पर दूसरो टीयर-2 व टीयर-3 एवं कस्बों में हिंदी भाषा में ही मनोर्ंजन देखा जाता है। नीचे दी गई चित्र को क्लिक कर के पढ़े और बतायें की सहमत हैं या नहीं।

Hindi Top Language on OTT Platform ऑनलाइन मनोरंजन में ही हिंदी सुपरहिट है

Manisha मंगलवार, 5 मई 2020

सुरक्षित बैंकिंग कैसे करें?


आजकल हम आये दिन अखबारों में पढ़ते हैं कि फलां के बैंक से इतने  रुपये निकल गये या फिर फलां के पास  एक फोन आया कि उनका एटीएम कार्ड रद्द कर दिया गया है और इसको दुबारा जारी करने के लिये उनके पास जो भी लोगिन और पासवर्ड है वो बता दें और इसके अलावा यदि कोई ओटीपी कोड (OTP)  आपके मोबाइल में आये तो वो भी बता दीजिये। 

बहुत सारे लोग इन सब में घपलों में फंस कर अपना मेहनत से कमाया हुआ धन गंवा बैठते हैं और बाद में परेशान होते हैं। पुलिस भी इस तरह के मामलों में ज्यादा कुछ नहीं कर पाती है। 


Safe Banking - सुरक्षित बैंकिंग कैसे करें?


आपकी सावधानी और जागरुकता ही आपको सुरक्षित कर सकती है।

अत: बैंकिंग करते समय आपको नीचे बताई गई सावधानियां रखनी चाहिये। 

इससे आप पूर्णतया सुरक्षित तो नहीं हो सकते पर काफी हद तक बचाव कर पाने में सक्षम हो जायेंगे।


सुरक्षित बैंकिंग के उपाय


  • किसी से भी अपनी निजी और संवेदनशील जानकारी को साझा मत कीजिये जैसे कि  बैंक की यूजर पहचान, कूटशब्द इत्यादि (User ID, Password, OTP, URN, Debit Card Grid values)
  • किसी भी ऐसी  वेबसाइट जो कि HTTPS प्रोटोकोल  शिष्टाचार  के बिना चल रही हो वहां पर अपनी खुफिया और निजी जानकारी को साझा न करें और न ही को रुपयों का लेन देन न करें।
  • आपके बैंक पर किये गये लेन देन का ब्यौरा देने वाली सुविधायें जैसे कि ईमेल और एसएसएस (SMS) के लिये पंजीकरण करा कर रखें।  
  • अपने बैंकिंग लेन देन को समय समय पर ध्यान देते रहें।   
  • अपने मोबाइल और कंप्यूटर पर एक अच्छा एन्टी-वायरस (Anti-Virus) स्थापित कर के रखें।  
  • डाउनलोग करी हुई किसी भी फाइल को पहले वायरस न हो इसके लिये जांच लेना चाहिये ।  
  • अपने बैंक खाते के किसी भी अनधिकृत लेन देन को तरंत अपने बैंक के ग्राहक सेवा केन्द्र की जानकारी में लाना चाहिये ताकि वो छानबीन कर सकें।   

Manisha शुक्रवार, 17 मार्च 2017

मोबाइल पर अग्रेजी मे सर्च का हिंदी में भी परिणाम दे रहा है गूगल


गूगल आजकल पूरी कोशिश कर रहा है कि भारतीय भाषाओं खास कर हिंदी में इंटरनेट पर पाठ्य सामग्री (कंटेंट) को
अग्रेजी मे सर्च पर भी हिंदी में परिणाम दे रहा है गूगल
बढ़ाया जाये। 

गूगल के अनुमान के अनुसार आने वाले कुछ समय में भारत के ग्रामीण इलाकों में स्मार्ट मोबाइल फोन के प्रचलन के बढ़ने से भारतीय भाषाओं खास कर हिंदी में इंटरनेट कंटेट की आवश्यकता रहेगी। 

इसी को ध्यान में रखते हुये गूगल ने मोबाइल पर अब अपने खोजक (सर्च इंजन) पर एक नई सुविधा शुरु की है। अब अपने मोबाइल पर गूगल सर्च करने वालों को हिंदी और अंग्रेजी के परिणाम एक साथ दिखाई दे रहे है। बस एक टैब पर क्लिक से मनचाहा परिणां देख सकेंगे।   

गूगल के अनुसार इस सुविधा से भारत में खोज बिलकुल रोजमर्रा की जिंंदगी जैसा हो जायेगा, जैसे लोग जरुरत के हिसाब से बोलचाल में भाषा बदलते हैं, ऐसे में सिर्फ एक टैब पर क्लिक करके अपनी पसंद की भाषा में सर्च के नताीजे देख सकेंगें।

मैंने अपने आईफोन पर गूगल में 'Who am I'  खोज के लिये टाइप किया तो देखा कि बगल के टैब में हिंदी में भी परिणांम दिख रहा था। अभी इसमें और सुधार की गुंजाइश है गूगल जरुर इसको सुधारेगा।

Manisha शनिवार, 9 जुलाई 2016

ये डिजिटल इंडिया क्या है?


केन्द्र सरकार  ने 2015 में आम आदमी के 'डिजिटल सशक्तिकरण' के  जरिये देश भर में 'सुशासन अभियान' को तीव्र गति देने के लिये  महत्वकांक्षी  'डिजिटल इंडिया' की शुरूआत की है', जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इस योजना  से देश की तस्वीर बदल सकती है, आम आदमी की जिंदगी बेहतर और आसान हो सकती है। इस योजना को 'डिजिटल रूप से सशक्त भारत' की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।


डिजिटल इंडिया Digital India



डिजिटल इंडिया योजना इस तरह से डिज़ाइन की गई है कि इसके क्रियान्वन से देश की तस्वीर बदल सकती है यानि यह योजना 'गेम चेंजर' होगी। इस के तहत पोस्ट ऑफिसों को कॉमन डिजिटल सर्विस सेंटर के रूप में विकसित किया जायेगा और छोटे शहरों में भी बीपीओ खोले जाएंगे।

मोदी सरकार चाहती है कि देश के हर नागरिक के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बने। शासन, सेवाओं को आसानी से उपलब्ध कराना सरकार का मकसद है। भारतीयों के डिजिटल सशक्तीकरण के प्रयासों स्वरूप इस योजना का लक्ष्य इस क्षेत्र के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को इससे जोड़ना है। 


इसका एक लक्ष्य कागजी कार्रवाई को कम-से-कम करके सभी सरकारी सेवाओं को आम जनता तक डिजिटली यानी इलेक्ट्रॉनिकली रूप से सीधे व सुगम तरीके से पहुचाना है।

डिजिटल विशेषज्ञों के अनुसार डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत सरकार चाहती है कि तमाम सरकारी विभाग और देश की जनता एक-दूसरे से डिजिटल अथवा इलेक्ट्रॉनिक रूप से जुड़ जाएं ताकि वे सभी तरह की सरकारी सेवाओं से लाभ उठा सकें और देश भर में सुशासन सुनिश्चि‍त किया जा सके। 

चाहे किसी गांव में रहने वाला व्यक्ति हो शहर में रहने वाला, दोनों को ही सभी सरकारी सेवाएं समान रूप से डिजिटली अथवा ऑनलाइन हासिल हों, यही डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य है। 

इस अहम सरकारी योजना को अमली जामा पहनाने के बाद आम जनता के लिए यह संभव हो जाएगा कि किस सरकारी सेवा को पाने के लिए उसे किस तरह एवं कहां ऑनलाइन आवेदन करना है और उससे किस तरह लाभान्वि‍त हुआ जा सकता है।   

दरअसल किसी भी सरकारी सेवा के डिजिटली उपलब्ध होने पर  आम आदमी के लिये उससे लाभान्वि‍त हो्ने के लिये सीधा रास्ता खुल जायेगा। जाहिर है, ऐसे में सरकारी सेवाओं के मामले में होने वाली लेट लतीफी और भ्रष्टाचार पर कारगर ढंग से लगाम लग सकेगी।

केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया अभि‍यान का शुभारंभ पिछले वर्ष 21 अगस्त को किया गया और इसका मुख्य उद्देश्य भारत को डिजिटली रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में तब्दील करना है। केंद्र सरकार की योजना यह है कि इस कार्यक्रम को अगले पांच सालों में पूरा कर लिया जाए। 

यह उम्मीद की जा रही है कि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम वर्ष 2019 तक गांवों समेत देश भर में पूरी तरह से लागू हो जाएगा। दरअसल, इस कार्यक्रम के तहत सभी गांवों और ग्रामीण इलाकों को भी इंटरनेट नेटवर्क से जोड़ने की योजना है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत इंटरनेट को गांव-गांव पहुंचाया जाएगा।

इस कार्यक्रम के तीन प्रमुख अवयव हैं- बुनियादी डिजिटल सुविधाएं, डिजिटल साक्षरता और सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी। इस कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं से देश को ड़िजिटल आधारित सशक्त  सूचना अर्थव्यवस्था के रूप मे बदजाने का लक्ष्य है।

आम जनता को सरकारी सेवाएं आसानी से उपलब्ध कराना सरकार का मकसद है, ताकि लोगों को अत्याधुनिक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का लाभ मिल सके। इसके लिए आईटी, टेलीकॉम एवं डाक विभाग जोर-शोर से कार्यरत हैं। मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी डिजिटल इंडिया अभियान के तहत सरकार अगले तीन वर्षों में 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ेगी।

एक डिजिटल लॉकर सेवा का शुभारंभ किया गया है। इस बार 2016 का सीबीएसई के 12वीं के परिणामों को घोषित करते समय ही छात्रों के प्रमाण पत्रों को डिजिटल लॉकर में रखा गया है। 

डिजिटल लॉकर के  तहत लोग अपने प्रमाण पत्रों एवं अन्य दस्तावेजों को डिजिटल स्वरूप में सुरक्षित रख सकेंगे। इसमें आधार कार्ड नंबर व मोबाइल फोन के जरिये पंजीकरण कराना होगा। डिजिटल लॉकर में सुरक्षित रखे जाने वाले प्रपत्रों को सरकारी एजेंसियों के लिए भी हासिल करना आसान होगा।

किसी व्यक्ति के विभि‍न्न दस्तावेज अगर डिजिटल लॉकर में हैं, तो उसे सरकारी योजनाओं के लिए इनकी फोटोकॉपी देने की जरूरत नहीं होगी। जाहिर है, ऐसे में लोगों को काफी सहूलियत होगी।

इतना ही नहीं, इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में बीपीओ खोलने की योजना का भी शुभारंभ हो गया है। दरअसल, सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में नौजवानों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कॉल सेंटरों की स्थापना करना चाहती है। इन क्षेत्रों में बीपीओ खोलने वालों को सरकार सब्सिडी देगी। 

इसके साथ ही ऐसी उम्मीद है कि डिजिटल इंडिया वीक के दौरान सरकार डिजिटल इंडिया के ब्रांड ऐंबैसडरों की भी घोषणा करेगी। भारत सरकार अनेक एप्लीकेशंस एवं पोर्टल विकसित करने के लिए भी ठोस कदम उठा रही है जो नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे। 

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को मिलने वाली कामयाबी भारत को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने और स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, बैंकिंग आदि क्षेत्रों से संबंधित सेवाओं की डिलीवरी में आईटी के इस्तेमाल में अग्रणी बनाएगी।

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के नौ प्रमुख उद्देश्य हैं जिनका ब्योरा इस प्रकार है : -
  • ब्रॉडबैंड हाईवेज :  इनके जरिए एक तय समय सीमा में बड़ी संख्या में सूचनाओं को प्रेषित किया जा सकता है।
  • सभी को मोबाइल कनेक्टिविटी सुलभ कराना :  शहरी इलाकों में भले ही मोबाइल फोन पूरी तरह से सुलभ हो गया हो, लेकिन देश के अनेक ग्रामीण इलाकों में अभी इस सुविधा का जाल वैसा नहीं हो पाया है। इससे ग्रामीण उपभोक्ताओं को इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के इस्तेमाल में आसानी होगी।
  • पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्रोग्राम :  इस कार्यक्रम के तहत पोस्ट ऑफिस को मल्टी-सर्विस सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा। नागरिकों को विभि‍न्न सरकारी सेवाएं मुहैया कराने के लिए वहां अनेक तरह की गतिविधियों को अंजाम दिया जायेगा।
  • ई-गवर्नेंस - प्रौद्योगिकी के जरिये शासन में सुधार : इसके तहत विभिन्न विभागों के बीच सहयोग और आवेदनों को ऑनलाइन ट्रैक किया जाएगा। इसके अलावा स्कूल प्रमाण पत्रों, वोटर आईडी कार्ड्स आदि की जहां भी जरूरत पड़े, वहां उसका ऑनलाइन इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • ई-क्रांति - सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी : ई-एजुकेशन के तहत सभी स्कूलों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने, सभी स्कूलों (ढाई लाख) में वाई-फाई की नि:शुल्क सुविधा मुहैया कराने और डिजिटल साक्षरता सुनि‍श्चि‍त करने की योजना है। किसानों को वास्तविक समय में मूल्य संबंधी सूचना, मोबाइल बैंकिंग आदि की ऑनलाइन सेवा प्रदान करना भी इनमें शामिल है। इसी तरह स्वास्थ्य क्षेत्र में ऑनलाइन मेडिकल परामर्श, रिकॉर्ड और संबंधित दवाओं की आपूर्ति समेत लोगों को ई-हेल्थकेयर की सुविधा देना भी इनमें शामिल है।
  • सभी के लिए सूचना : इस कार्यक्रम के तहत सूचनाओं और दस्तावेजों तक ऑनलाइन पहुंच कायम की जायेगी। इसके लिए ओपन डाटा प्लेटफॉर्म मुहैया कराया जाएगा।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में आत्मनिर्भरता : इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र से जुड़े तमाम उत्पादों का निर्माण देश में ही किया जाएगा। इसके तहत ‘नेट जीरो इंपोर्ट्स’ का लक्ष्य रखा गया है, ताकि वर्ष 2020 तक इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में देश आत्मनिर्भरता हासिल कर सके।
  • रोजगार के लिए सूचना प्रौद्योगिकी :  कौशल विकास के मौजूदा कार्यक्रम को इस प्रौद्योगिकी से जोड़ा जाएगा। गांवों व छोटे शहरों में लोगों को आईटी से जुड़ी नौकरियों के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
  • अर्ली हार्वेस्ट प्रोग्राम्स : डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को लागू करने के लिए पहले कुछ बुनियादी ढांचागत सुविधाएं स्थापित करनी होंगी।
यह साफ जाहिर है कि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य देश के नागरिकों को सुशासन  सुलभ कराना और उनकी जिंदगी बेहतर और आसान बनाना है। इस के जरिये ग्राम पंचायतों, स्कूलों विश्वविद्यालयों  में वाय-फाय सुविधाओं से लेकर शहरो यानि सभी जगह आम आदमी डिजिटल रूप् से सशक्त किये जाने का लक्ष्य है, जिससे उसकी जिंदगी आसान हो सकेगी साथ ही इससे आई टी, दूर संचार तथा इलेक्ट्रोनिक्स आदि अनेक क्षेत्रों में बड़ी तादाद में लोगों को रोजगार मिल सकेगा।

लेकिन सरकार को  ये भी देखना चाहिये कि ये सब अपने निर्धारित समय में ही पूरा हो, अन्यथा ये भी सरकार की एक घोषणा बन कर रह जायेगी। 

दूसरी बात ये है कि डिजिटल इंडिया का नाम ही अंग्रेजी में है तो कहीं ऐसा न हो कि भारतीय भाषायें खास कर हिंदी को कोई पूछे ही नहीं और अंग्रेजी को ही बढ़ावा मिलता रहे। वैसे भी भारतीय भाषाओं को तकनीकी रूप से पिछड़ा रखा गया है। 

सरकार सुनिश्चित करे कि सारे कार्यक्रम में हिंदी की सहभागिता बराबर रहे। और ये नाम डिजिटल इंडिया खुद ही सही नहीं है. इस कार्यक्रम का कोई अच्छा सा हिंदी नाम रखना चाहिये था।

डिजिटल इंडिया के बारे मे और जानने के लिये इसकी वेबसाइट पर जायें।

Manisha बुधवार, 15 जून 2016

हिंदी ब्लॉगरों के लिये डॉट कॉम लाइफ स्टाइल अभी संभव नहीं


हिंदी ब्लॉगिंग अभी भी शैशव अवस्था में ही है। 2006-2009 के दौरान हिंदी में काफी ब्लॉग शुरू किये गये थे और हिंदी ब्लॉगिंग ने एक आंदोलन का रुप ले लिया था। ब्लॉग के लिये हिंदी में चिठ्ठा शब्द ईजाद किया गया जो कि अपने आप में काफी प्रचलित हुआ।

इसी दौरान अंग्रेजी में भी कई भारतीय और विदेशी ब्लॉगरों ने अलग अलग विषयों पर ब्लॉग बना कर ब्लॉगिंग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। इन लोगों ने ब्लॉगिंग की इस विधा को पूर्ण समय के लिये अपनाया और कइयों ने तो अपनी अच्छी खासी नौकरियां छोड़ कर ब्लॉगिंग को अपनाया और ब्लॉगिंग ने भी इनके निराश नहीं किया और इन सभी ब्लॉगरों को अच्छा खासा नाम और मिला और लाखों रुपये की मासिक आमदनी भी मिली।

ब्लॉगिंग के इस काम से ब्लॉगरों को कहीं भी कहीं भी काम करने की सुविधा मिली और अपने समय को वो लोग अपने परिवार और अपने शौक को दे पा रहे हैं। इसी से डॉट कॉम लाइफ स्टाइल शब्द ने जन्म लिया।

इस डॉट कॉम लाइफ स्टाइल में आदमी (ब्लॉगर) अपने समय का खुद मालिक है और अपने आराम करने और सोने के समय में भी पैसा कमा रहा है। अपने समय का अपने हिसाब से प्रयोग कर सकता है। हालांकि ऐसी स्थिति पाने के लिये अच्छी खासी मेहनत और किस्मत भी चाहिये।

Dot Com Lifestyle for Hindi Bloggers
Dot Com LifeStyle for Hindi Bloggers


पर हिंदी ब्लोगिंग वालो के लिये ये अभी बहुत दूर की कौड़ी है।

एक तो हिंदी ब्लॉगिंग में उच्च स्तरीय ब्लॉग नहीं हैं, वहीं ब्लॉग से पर्याप्त मात्रा में आय न हो पाना भी एक कारण है। दरअसल हिंदी ब्लगिंग की सबसे बड़ी समस्या अभी भी पाठकों की कम संख्या है।

कम ब्लॉग ट्रैफिक के कारण हिंदी ब्लॉगरों उतनी कमाई भी नहीं कर पाते है। साथ ही साथ हिंदी ब्लॉगरों ने पिछले 2-3 सालों में इन सब हालातों को देखते हुये सोशल मीडिया जैसे कि फेसबुक और ट्विटर पर अपने आपको स्थानान्तरित कर लिया है जहां पर तुरंत कमेंट और लाइक के द्वारा उनको पसंद किया जा रहा है ओर इस तरह हिदी ब्लॉगरों ने अपने आपको सोशल माडिया पर स्थापित कर लिया है।

अपने मोबाइल से हिंदी ब्लॉगर कहीं से भी अपनी बात लिख पा रहे हैं। इससे हिन्दी ब्लॉगरों को पाठक मिले हैं। लेकिन हिन्दी ब्लॉगिंग के विकास के लिये कोई ज्यादा अच्छी बात नहींं है। इस कारण हिंदी मे प्रोफेशनल या पेशेवराना ब्लॉगिंग का स्वतंत्र विकास नहीं हो पा रहा है। दरअसल सोशल मीडिया से पैसा कमाना तो अभी संभव नहीं है। भविष्य में शायद हो सकता है।

एक और अन्य बात ये है कि सोशल मीडिया में लिखे गये ब्लॉग को पेज खोजी इंजन जैसे कि गूगल और बिंग इत्यादि द्वारा नहीं सहेजा जाता है। जिसकी वजह से इंटरनेट संसार पर हिंदी के पेजों की संख्या अन्य भाषा के पेजों के मुकाबले में कम है। इसी वजह से विज्ञापन देने वाले संस्थान हिंदी के वेब पेजों पर अभी हिंदी में विज्ञापन नहीं दे रहे हैं। और इसी वजह से इंटरनेट पर विज्ञापनों का प्रबंधन करने वाली लगभग सभी कंपनियां हिंदी ब्लॉगरों को अपने विज्ञापन के लिये अयोग्य घोषित कर देती हैं।

हालंकि गूगल ऐडसेंस ने अब हिंदी के वेब पेजों के लिये अपना दरवाजा खोल दिया है। पर हिंदी विज्ञापन अभी भी न के बराबर हैं।

मार्च 2016 में गूगल ने गूगल ऐडसेंस के ऊपर एक कार्याशाला का आयोजन किया था, जिसमें मुझे भी जाने के लिये निमंत्रण मिला था। इस कार्यशाला में गूगल की एक प्रस्तुति हिंदी वेब पेजों के लिये थी। गूगल के अनुसार आने वाले समय में भारत में स्मार्ट फोन बढ़ने वाले हैं और ये बढ़ोत्तरी अधिकांशतया छोटे शहरों, कस्बों और ग्रामीण इलाकों में होने वाली है, ऐसे समय में वो अपनी भाषा यानी कि मुख्य रुप से हिंदी में ही इंटरनेट पर रहना चाहेंगे।

गूगल का ये मानना है कि इन भाषाओं में कंटेट की जबर्दस्त मांग आने वाली है। गूगल ने अपनी तरफ से इसके लिये काफी तैयारी कर रखी है। गूगल ऐडसेंस को पहले ही हिंदी के लिये खोल दिया गया है, और गूगल ने अनुवादक और टाइपिंग टूल दिये हैं।

अब गूगल ने अपने सर्च इंजन में भी हिंदी, हिंगलिश, अंग्रेजी हिंदी मिश्रित भाषा, अंग्रेजी में लिखी गई हिंदी को समझ कर उससे हिंदी को जानने वाले कलन विधि (अलगोरिदम) का विकास कर लिया है। लेकिन गूगल के अनुसार हिंदी में इटरनेट पर अभी कथन (कंटेंट) कम है और ये काम तो केवल हिंदी वाले ही कर सकते हैं।

गूगल की इस बात को पहले से स्थापित अंग्रेजी के कई बड़े और नामी विषय आधारित वाले ब्लॉगरों ने समझ लिया है और वो अपनी विषय सामग्री को ब्लॉग के हिंदी संस्करणों को भी शुरु कर रहे हैं या करने वाले हैं।

ऐसे में जब तक हिंदी ब्लॉगर इंटरनेट पर हिंदी में कथन का विकास नहीं करते तब तक हिंदी ब्लॉगरों की कमाई बढ़ने वाली नहीं है और हिंदी ब्लॉगरों के लिये डॉट कॉम लाइफ स्टाइल तब तक संभव नहीं है।

पर आने वाले समय में तय है। इसलिये हम सब हिंदी ब्लॉगरों को इंटरनेट पर खूब लिखना चाहिये और हिंदी के प्रसार प्रचार में योगदान देना चाहिये।

Manisha सोमवार, 13 जून 2016

भारत में पोर्न बन्द नहीं हो सकता


भारत सरकार मे 857 पोर्न वेब साईटों को बन्द करने का आदेश क्या दिया, भारत में तुफान खड़ा हो गया
No Indecent thing about Porn in India

सब लोग विरोध में लगे हें। भारत सरकार डर कर वापस अपना आदेश वापस ले रही है।

जिस  देश में पोर्न की अभिनेत्री को पूजा जा रहा हो, इंटरनेट पर सबसे ज्यादा खोजा जा रहा हो, वहां पर बन्द नहीं हो सकता है पोर्न।

ध्यान देने की बात है कि अब कोई अश्लील सामग्री नहीं है अब केवल पोर्न है या बोल्ड है।

कामुकता और अश्लीलता अब पुराने जमाने की बातें हैं।

Manisha गुरुवार, 6 अगस्त 2015

ब्लॉगरों को सर्विस टैक्स देना होगा


अच्छे दिनों के इंतेजार में बैठे लोगों को कुछ मिला या नहीं पर भारत के छोटे छोटे चिट्ठाकारों ब्लॉगरों का लगता है कि मोदी सरकार ने परेशान करने की ठान Bloggers to pay service taxली है|

वित्त मंत्री अरुण जैतली द्वारा पेश किए गए बजट के अनुसार ऑनलाइन विज्ञापन के लिए अपनी वैबसाइट पर जगह उपलब्ध करने पर अब सर्विस टैक्स देना होगा |

भारत में हजारों लोग अपनी छोटी मोटी वैबसाइट गूगल एडसेंस को विज्ञापन के लिए उपलब्ध कराते हैं |

हिन्दी मैं तो वैसे चिट्ठाकार ज्यादा नहीं कमाते हैं पर अँग्रेजी भाषा में लोग काफी कमा लेते हैं। ऐसे ब्लोगरों को सर्विस टैक्स देना होगा जबकि इनकम टैक्स तो पहले से देना ही पड़ रहा है |

यानी अब ऑनलाइन घर पर मेहनत करके कमाने के दिन भी गये और अपनी आय का 45.36 प्रतिशत कर के रूप में भारत सरकार का दे कर उनके दिन अच्छे करिये, अपने अच्छे दिन तो पहले ही नहीं थे |

Manisha शनिवार, 12 जुलाई 2014

आपका ब्लॉग इस तरह हैक हो सकता है


आजकल हैकर विभिन्न वेबसाइटों को हैक करने के लिये कई तरीके अपनाते रहते हैं। किसी साइट को हैक करने का एक पुराना और अजमाया हुआ तरीका कदाचित पासवर्ड का पता लगाना होता है जिसके बाद पूरी साइट पर हैकर का कब्जा है जाता है।

आज मेरे जीमेल (Gmail)  खाते में एक ऐसी ईमेल आई जो देखने में तो लगती थी कि ब्लॉगर (Blogger) की तरफ से आई है और मैनें इस ईमेल में बताई गई साइट को खोल भी लिया था।

लेकिन मैं किसी भी ईमेल या साइट द्वारा पासवर्ड मांगे जाने पर उसे पहले शक की निगाह से देखती हूं और फिर उसकी जांच करती हूं, इसलिये मैंने इस साइट का सोर्स कोड (Source Code) देख लिया जो कि पता चला कि कि ये तो ब्लॉगर पर न ले जा कर किसी और साइट पर ले जा रहा है यानी कि अगर गलती से अपना पासवर्ड और साइट बता दी तो समझिये कि आपकी साइट हैक हो गई।

अगर चिठ्ठाकारों को इस तरह की ईमेल मिले तो कृपया सावधान रहें, आपका ब्लॉग हैक हो सकता है.

Inactive-blog-email


Inactive-blog-email 2


अगर आप इस साइट का सोर्स कोड देखेंगे तो आपको पता चल जायेगा कि किस तरह से हैकर किसी भी तरह आपके विभिन्न चिठ्ठों का पता व पासवर्ड जानने की कोशिश कर रहे हैं। सावधान रहें।

Manisha मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

ब्लॉग चलता है जज्बे और लगन से


हाल ही में कुछ सरकारी वेबसाइटों पर किसी विशेष जानकारी पाने के लिये जाना हुआ, लेकिन ये पाया कि वहां ब्लॉग पर वांछित जानकारी उपलब्ध नहीं है।

ऐसा कई बार हुआ है कि सरकारी विभाग अखबारों में तो विज्ञापन छपवा देते हैं लेकिन उसी विभाग की वेबसाइट पर उस विषय के बारे में कुछ नहीं मिलता। अगर मिलता भी है तो 7-8-10 दिन बाद जाकर।

ऐसा इसलिये होता है क्यों कि सरकारी विभागों में जनता को जानकारी देने का या विभागीय वेबसाइट को अपडेट करने का कोई जज्बा नहीं होता है, उनके लिये ये काम एक बोझा होती है जिसे उन्हें ढोना पड़ता है।

यही बात ब्लॉग पर लागू होती है। कोई भी ब्लॉग तब चलता है जब उसको चलाने के पीछे जज्बा होता है। दुनिया की सभी बडी बेबसाइट और ब्लॉगों के पीछे ऐसे लोग हैं जिनको उसको चलाने का जज्बा है, जिसको चलाने में उन्हें आनन्द आता है। ब्लॉगिंग में अनेक रुकावटें आती हैं और साथ ही साथ अनेक प्रकार की ब्लॉगिंग की परेशानियां और खतरे भी हैं।

कितने ही ब्लॉग लोग दूसरों की देखा-देखी या फिर ब्लॉग से पैसा कमाया जा सकता है ये सोच कर अपना भी ब्लॉग शुरू कर देते हैं। कुछ दिनों तक तो मामला चल जाता है फिर समझ में नही आता कि क्या करें? ब्लॉग तो आप किसी ऐसे विषय पर होना चाहिये जिसकी आपको जानकारी हो, जिसको लेकर आप उत्साहित हों, जिसकी जानकारी को आप दुनिया को बांटना चाहते हों।

अगर आप बिना इन सब कारणों के ब्लॉग चलायेंगे तो फिर एक समय ऐसा आयेगा जब को समझ नहीं आयेगा कि अब क्या करें? कुछ लोग इधर इधर की साईट एवं ब्लॉगों से सामग्री चलाकर ब्लॉग चलाना चाहते हैं पर वो पढ़ने वालों को समझ में आने लगता है कि आपका माल दूसरों का है।

जब आप में किसी बात ता जज्बा होगा तो आप का ब्लॉग खूद ब खुद ताजा जानकारियों से भरा रहेगा और पाठकों का भी भरोसा बना रहेगा। अत: ब्लॉग ऐसे चलाये कि आप अपनी बात रख सकें, अपने विषय की बात कर सकें, जज्बे से लिखिये फिर देखिये कैसे आपका ब्लॉग हिट होता है।

Manisha बुधवार, 9 सितंबर 2009

इंटरनेट पर क्रेडिट कार्ड को पासवर्ड चाहिये


भारतीय रिजर्व बैक के आदेश के अनुसार कल से इंटरनेट पर क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करते समय पासवर्ड चाहिये होग जो कि कार्ड नंबर, कार्ड का आखिरी तारीख और सावीसी2 (CVC2) के अलावा होगा। 

ये एक अच्छा कदम है जिससे इंटरनेट पर चोरी के क्रेडिट कार्ड का प्रयोग करने पर रोक लगेगी। 

लेकिन इसके साथ-साथ दुकानों में क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में भी कोई ऐसा ही पासवर्ड का प्रयोग अनिवार्य करना चाहिये क्योंकि क्रेडिट कार्ड का अधिकांश अनधिकृत प्रयोग दुकानों में जैसे कि ज्वेलरी या मोबाईल की दुकानों में ज्यादा होता है। 

वैसे भी ये समझ में न आने वाली बात है कि अपना पैसा एटीएम से निकालने के लिये हमें पिन का इस्तेमाल करना पड़ता है लेकिन अगर कोई हमारा क्रेडिट कार्ड चुरा ले तो वो बिना किसी पिन नंबर के लाखों रुपये की खरीदारी कर सकता है और बिल हमारे नाम पर।

Manisha शुक्रवार, 31 जुलाई 2009

क्या इंटरनेट एक्सप्लोरर में आपके साथ भी ऐसा हो रहा है

मेरे कंम्प्यूटर पर इंटरनेट एक्सप्लोरर का 7वां संस्करण स्थापित है। मैं पिछले करीब महीने भर से देख रही हूं कि हिंदी के कुछ चिठ्ठे जब एक्सप्लोरर में खोले जाते है तो खुलने के तुरंत बाद एक संदेश  जाते है कि इंटरनेट एक्सप्लोरर  इस चिठ्ठे को ठीक से नहीं खोल पायेगा और फिर ओके (OK) बटन दबाने पर वह चिठ्ठा बंद हो जाता है। 

इसके बाद भी वहां पर कोई गतिविधि चलती रहती है क्यों कि चिठ्ठे के बंद होने के बाद भी वहां कुछ भी टाइप करके चलाने की कोशिश करें वह चलता नहीं है। 

ProbleminHindiblogs 
 
ये समस्या सिर्फ हिंदी चिठ्ठों में ही आ रही है और वो भी सिर्फ इंटरनेट एक्सप्लोरर में ही। 

मोजीला फायरफॉक्स और गूगल क्रोंम में ऐसा नहीं होता है। मेरे विचार में इंटरनेट एक्सप्लोरर  जावास्क्रिप्ट को ठीक से नहीं चला पा रहा है। 

ये समस्या सिर्फ मेरे ही कंप्यूटर पर ही नहीं है बल्कि कई और जगह भी देखी है। अगर आप मेंसे किसी को ऐसी कोई समस्या आई है और आप पर कोई समाधान हो तो बतायें।

Manisha बुधवार, 17 जून 2009

चीनी हैकरों से दुनिया परेशान


हाल ही में एक खबर आई थी कि चीनी हैकरों ने भारत के अमेरिका स्थित काउंसलेट के ऑफिस में स्थित
कंप्यूटरों सहित दुनिया भर के कई महत्वपूर्ण  संगठनों के कंप्यूटरों पर हमला करके उनसे महत्पूर्ण दस्तावेज चुरा लिये। 

चीनी हैकरों से दुनिया परेशान


इससे पहले भी भारत की कई सरकारी वेबसाइटों पर भी चीनी  हैकरों द्वारा हमला करने की कई खबरें आ चुकी हैं। पता नहीं भारत सरकार ने इसको कितनी गंभीरता से लिया, लेकिन ऐसा लगता है कि चीन ने कंप्यूटर हैकिंग के जरिये गुप्तचरी की पक्की  व्यवस्था कर ली है और इसमें महारत हासिल कर ली है। 

चीन की इस हैकिंग से पश्चिमी देश भी परेशान और चिंतित हैं। कहने को ये सब चीन के कुछ हैकर करते हैं यूं दिखाने को चीन सरकार हमेशा इससे अलग रखती है लेकिन संभवतया इस सबके पीछे चीन सरकार ही जैसे कि पाकिस्तान में आतंकवाद कहने को नॉन-स्टेट एक्टर करते हैं लेकिन पीछे पाकिस्तान की सेना और आईएसआई होती है। 

चीन सरकार खुद इस हैकिंग के मामले में बहुत सतर्क है और अपने यहां अमेरिकी वेबसाइटों पर पूरी नजर रखती है और गूगल की अधिकांश सेवायें प्रतिबंधित हैं। चीन में आप ब्लोगस्पोट पर बनाये गये ब्लोगों को नहीं देख सकते हैं। गूगल अर्थ और विकीमैपिया भी उपलब्ध नहीं है और सभी सरकारी कंप्यूटर इंटरनेट से दूर रखे गये हैं। 



अब भारत को ये सोचना पड़ेगा कि अपने यहां सरकारी विभागों के कंप्यूटर और वेबसाइटों को हैकरों से और विशेष कर चीनी हैकरों से कैसे बचाया जाये? 
  • सबसे पहले भारत सरकार को इसको चीन की सरकार का समक्ष जोरदार तरीके से उठाना चाहिये कि ये सब नहीं चलेगा और अच्छे संबधों में इस तरह की हैकिंग बाधा बनेगी।
  • चीन से भारत आने वाले इंटरनेट ट्रैफिक पर निगाह रखनी चाहिये। 
  • सबसे महत्वपूर्ण है चीन से आने वाले इलेक्ट्रानिक उपकरणों की सघन जांच किया जाना। ये उपकरण सस्ते  होने के कारण भारत में काफी इस्तेमाल किये जाते हैं लेकिन इनके बारे में पूरी जानकारी किसी के पास नहीं है।
  • भारत में इंटरनेट की सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां अधिकांशत:  चीन की हुआवेई कंपना के उपकरणों को भारत में प्रयोग करती हैं, अत: हुआवेई के डाटा कार्डों /  मोडेम कार्डो सहित सभी संचार उपकरणों की सघन जांच इलेक्ट्रानिक प्रयोगशालायों में की जानी चाहिये। 
हैकिंग रोकने के लिए जागरूकता और को सतर्कता की जरूरत है।

Manisha रविवार, 5 अप्रैल 2009