कहां गई ग्लोबल वार्मिंग?
दिल्ली और उसके आसपास जबर्दस्त ठंड पड़ रही है। सर्दी में न कुछ काम करने का मन करता है और न ही सामान्य जीवन जिया जा रहा है।
लगता है कि मेरा अंग्रेजी का सरकारी नौकरी को बताने वाला ब्लॉग कम से कम भारत में तो नंबर एक ब्लॉग बन गया है। रोजाना पेज व्यू भी काफी ज्यादा है और अब तो फीड सब्सक्राइबर (फीड ग्राहक) की संख्या भी चार लाख के ऊपर हो गई है।
प्रसिद्ध अंगेरेजी ब्लॉगर अमित अग्रवाल नें सबसे मशहूर भारतीय ब्लोगों की सूची के हिंदी भाग में अब इस चिठ्ठे को भी शामिल कर लिया है। इसी समय मेरे इस हिंदीबात चिठ्ठे के 400 से के ऊपर फीड ग्राहक भी हो गये हैं।
पिछले एक महीने से जब से अमेरिका की गप्तचर संस्था एफबीआई (FBI) ने डेविड हैडली और तहावुर्रहमान हुसैन राणा को गिरफ्तार किया है, देश के अखबारों में रोजाना उन से संबंधित समाचार छप रहे हैं।
जो समाचार छाप रहे है वो मेरे विचार में देश पर कोई अच्छा प्रभाव नहीं छोड़ रहे हैं। इन सभी समाचारों से बिना बम फोड़े ही देश को डराया जा रहा है। सोचने वाली बात ये है कि खुफिया जानकारी आखिर पत्रकारों को कौन और क्यों दे रहा है जिसे वो बिना जांचे छाप रहे हैं।
कभी छपता है कि हेडली देश में कई जगह घूमा, कभी छपता है कि वो कई फिल्मी लोगों के संपर्क में था। कभी छपता है कि वो 26/11 से ठीक पहले भारत में था, अन्य स्थानों पर होने वाले हमलों से पहले वहां था।
आज उसके द्वारा अपने एक दोस्त को भेजी गई ईमेल के जरिये आतंकवादियों के साहसिक होने की बात छापी गई हैं। यानी अब आतंकवाद के बारे में भी तारीफ की बातें छापी जा रही हैं।
ये वही देश है जहां आतंकवाद से लडने के लिये जीरो टोलरेंस की बाते कीं जाती हैं, वहां पर इन लोगो की खबरें कैसे छप रही हैं? मेरे विचार में ये सब अपने आप ही नहीं हो रहा है बल्कि एसा लगता है कि देश को डराया जा रहा है कि देखों तुम लोग कुछ नहीं कर सकते।
देश की पुलिस को कार्यवाही करनी चाहिये न कि जनता को डराने की खबरें छपवानी चाहिये।