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Yesterday, across Rwanda, thousands are gathering in stadiums, churches, and community centers to take part in Kwibuka - Remembrance. 20 years ago marked the start of 100 of the darkest days in human history. 1 million people were killed in the Rwandan Genocide. I  stand with the survivors and will not let the million lost be forgotten.  Let us pray for them.

I am with Rawanda


Manisha मंगलवार, 8 अप्रैल 2014

इस ब्लॉग का पहले का डोमेन नाम मेरे से असावधानी वश कब अपनी मियाद पूरी करके खत्म हो गया कुछ पता
https://www.HindiDiary.com
ही नहीं चला। मैंने बहुत कोशिश की कि मुझे पहले वाला डोमेन नाम वापस मिल जाये परन्तु ऐसा न हो सका । अतः हारकर अब नया डोमेन नाम https://www.HindiDiary.com लिया है । उम्मीद है कि अब इस हिंदी ब्लॉग पर लेखन निरंतर बना रहेगा ।

Manisha रविवार, 13 जनवरी 2013
जिस प्रकार हिंदी के अपने ब्लॉग के मैंने अपने खुद के डोमेन पर स्थापित कर लिया था इसी प्रकार अब मैंने अपने
https://www.SarkariNaukriBlog.com
सरकारी नौकरी वाले ब्लॉग को भी उसके खुद के डोमेन https://www.SarkariNaukriBlog.com पर स्थापित कर दिया है। You should visit www.SarkariNaukriBlog.com daily to know all the latest Government (Sarkari Naukri) Job information.

Manisha गुरुवार, 1 मार्च 2012

लूट के लिये बड़े आयोजन


राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर जो भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं उस बीच भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक [कैग] की रपट भ्रष्टाचार को प्रमाणित करती प्रतीत होती है। 

Big Events for Lootखुशी की बात है कि सर्वोच्च न्यायालय इस केस को देख रहा है और उम्मीद रखनी चाहिये कि सही निर्णय कर दोषियों को सजा दी जायेगी। 

राष्ट्रमंडल खेलों के भ्रष्टाचार पर नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक [कैग] की रपट कम से ये तो यकीन दिलाती है कि कहीं कोई तो है जो अपनी बात कह रहा है और गलत बात को पकड़ रहा है।

दूसरी बात ये है कि राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन के समय जो भ्रष्टाचार का खेल चला उस के बाद ये बिलकुल स्पष्ट है कि भारत में अगर कोई बड़ा आयोजन हो रहा है तो सिर्फ इसलिये कि अधिकारी और नेता लोग पैसे खा सकें। 

आपको बताया ये जायेगा कि ऐसे आयोजनों से खिलाड़ियों को सुविधायें मिलेंगी, नये स्टेडियम बनेंगे, शहर की हालत सुधरेगी आदि आदि लेकिन असल में सारा आयोजन बड़ें पैमाने जेब भरने के लिये होता है। 

हमें भारत में ओलम्पिक करने या विश्व कप फुटबाल का आयोजन करने के लिये की जाने वाली किसी भी मांग पर सतर्क हो जाना चाहिये।

Manisha शनिवार, 6 अगस्त 2011

भारत के क्रिकेट वर्ल्ड कप विजेता बनने पर बधाई


पिछले डेढ़ महाने से चल रहे क्रिकेट वर्ल्ड कप 2011 को भारत ने जीत लिया है और अब भारत क्रिकेट का नया विश्व विजेता है। सभी लोगों को इस बात के लिये बधाई।

आज भारत के अधिकांश लोगो में देशभक्ति जोर और हिलोरें मार रही है।

ऐसी ही देशभक्ति का जज्बा, जोश और जनून देश के लोग अब भ्रष्टाचार भारत की तमाम परेशानियों के लिये बने रखे ऐसी ही उम्मीद के साथ ऐक बार फिर क्रिकेट का नया विश्व विजेता बनने की बधाई।

Cricket World Cup 2011

Manisha रविवार, 3 अप्रैल 2011

विश्व कप शुरू – देश से मंहगाई और भ्रष्टाचार खत्म


भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका द्वारा मिल कर आयोजित किये जाने वाले क्रिकेट विश्व कप का उद्घाटन हो चुका है और आज भारत का मैच बांग्लादेश के साथ है। 

पिछले कुछ समय से समाचार पत्रों और टीवी समाचार चैनलों द्वारा क्रिकेट विश्व कप के लिये हवा बनाई जा रही है, हालांकि जनता में कुछ ज्यादा उत्साह इस विश्व कप को लेकर नहीं दिख रहा है। 

आम जनता तो इस समय जबर्दस्त मंहगाई और भ्रष्टाचार से पीडि़त है। 

ऐसे समय में क्रिकेट विश्व कप  और उसके तुरंत बाद होने वाला आईपीएल क्रिकेट कप सरकार के लिये कुछ राहत लेकर आयेगा क्योंकि अब अखबारों और टीवी समाचार चैनलों पर जबर्दस्ती क्रिकेट से संबंधित समाचार और बाते बताई व दिखाई जायेंगी और न चाहते हुये भी जनता भी विश्व कप क्रिकेट के रंग जायेगी और कुछ समय के लिये देश में मंहगाई और भ्रष्टाचार कोई मुद्दा नहीं रह जायेगा। 

सरकारों को बैठे बैठाये आराम मिलेगा।

Manisha शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

तालीबान और नक्सलियों में समानता है


उड़ीसा के मलकानगिरी जिले के जिला कलेक्टर और एक इंजीनियर के अपहरण के बाद ये बात फिर से जाहिर हो गई कि भारत आंतरिक सुरक्षा के बहुत बड़े खतरे का समना कर रहा है। 

कई बार पहले जब भी माओवादी नक्सलियो द्वारा जब भी कई बड़ी वारदाते की गई हैं, तब सरकार ने हमेशा कहा कि नक्सलियों को मुकाबला किया जायेगा लेकिन फिर भुला दिया जाता है।  

नक्सलियों की अपनी एक विचारधारा है जिसको लागू करने के लिये वो कुछ भी करने के लिये तैयार रहते हैं। उ

धर पाकिस्तान में नक्सलियों के ही समान अपनी विचारधारा को थोपने के लिये तालीबान तमाम तरह के अपराध कर रहा है। दोनो ही तरह के संगठनों मे कई प्रकार की समानताये हैं :- तालीबान और नक्सलियों में समानता है
  1. नक्सली और तालीबानी दोनो ही अपनी विचारधारा को सबसे बड़ा मानते हैं।
  2. अपनी बातों को मनवाने के लिये नक्सली और तालीबानी लोगों की जान ले लेते हैं, अपहरण करते हैं, विकास कार्यों को रुकवाते हैं, हमले करते हैं और विरोधियों को खत्म करने मं यकीन रखते हैं।
  3. दोनो का ही प्रभाव काफी बड़े इलाकों में फैल गया है।
  4. दोनों ही प्रकार के संगठन लोकतंत्र को खत्म करने वाले हैं, अगर ये सत्ता में आ गये तो एक ही तरह की बात मानी जाती है। लोकतंत्र हमेश के लिये खत्म।
  5. दोनों ही तरह के संगठनों को अपने अपने देशों के प्रभावशाली लोगों का समर्थन प्राप्त है जो इनके समर्थन में आवाज उठाते रहते हैं।
  6. भारत और पाकिस्तान दोनों ही तरफ की सरकारें इन को समाप्त करने और इनसे लड़ने की बातें तो करती हैं, पर कुछ करती नहीं हैं।
  7. बड़े-ब़ड़े नेताओं के इन संगठनो के साथ संबंध हैं।
  8. दोनो प्रकार के संगठन दहशत फैला कर अपना प्रभाव बढ़ाते हैं।
उचित यही होगा कि भारत के लोग और सरकार समय रहते चेत जायें और इस तरह के सशस्त्र संगठनो का दमन करें।

Manisha

अपनों को बचाने का चलन


बेईमानी, भ्रष्टाचार और अपराधों में किसी भी प्रकार फंसने वाले लोगों के बचाव में अब लोग खुलकर आने लगे हैं।
Hum Sab Ek Hain
समाज में अब किसी प्रकार की शर्मिंदगी नहीं बची हैं। 

कल ही के समाचार पत्रों में छपा है कि केरल की आईएएस (IAS) एसोसियेशन ने सीवीसी प्रमुख  थामस के बचाव करते हुये बयान जारी किया है और कहा है कि वो किसी भी केस में दोषी नही हैं। 

इससे पहले राडिया टेप में प्रमुख पत्राकारों के नाम आने पर इस समाचार को विभिन्न पत्र-पत्रिकायों व टीवी समाचार चैनलों द्वारा छिपाने की पूरी कोशिश की गई थी। 

वो तो कछ लोगों का जमीर जाग गया वरना बात दब जाती और दबा दी जाती। इसी तरह के कई किस्से पहले भी हो चुके हैं। 

राजनीतिज्ञ तो अपने विरोधी को भी इस तरह के आरोपों से बचा ले जाते हैं। वकीलों द्वारा कई बार अपने साथी वकीलों को पुलिस द्वारा पकड़े जाने या न्यायालय द्वारा कुछ टिप्पणी किये जाने पर आये दिन हड़ताल पर जाने के समाचार छपते रहते हैं। 

एक् बार एक आयकर इंस्पेक्टर के रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाने पर पूरे डिपार्टमेंट ने हड़ताल कर दी थी। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में लोग आज भी छंटे हुये बदमाशों, अपराधियों और नेताओं को केवल इसलिये समर्थन देते हैं क्योंकि वो उनकी जाति का होता है।

ये सब घटनायें इस बात की और इशारा कर रही हैं कि समाज में नैतिक मूल्यों में जबर्दस्त गिरावट आई है और शायद ये भी कि लोग जब देखते हैं सत्ता के शीर्ष से कुछ कार्यवाही नहीं की जाती बल्कि बढ़ावा ही दिया जाता है तो लोगो को लगता है कि वो या उनके आसपास के लोग कुछ गलत नहीं कर रहे हैं। 

 क्या आप अपने किसी के द्वारा गलत करने पर उसका समर्थन करते हैं?

Manisha रविवार, 5 दिसंबर 2010

कोई माहौल नहीं है एशियाई खेलों का


आज से चीन के ग्वांग्झू शहर में शुरु हो रहे 16वें एशियाई खेलों के लिये लगता है कि भारत में कोई उत्साहवर्धक
Asian Games 2010
माहौल नहीं हैं।

दिल्ली में 19वें राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन इसी नाम पर किया गया था कि भारत में खेलों को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन केवल एक महीने बाद ही लोगों को ढंग से पता भी नहीं है कि कहीं एशियाई खेल भी हो रहे हैं। 

मीडिया में और खास कर टीवी पर इसके बारे में को विशेष नहीं बताया जा रहा है। 

पिछले एशियाई खेल जो दोहा में हुये थे में भारत पदक तालिका में 10वें स्थान पर रहा था, लेकिन इस बार राष्ट्रमंडल खेलों  में भारत के खिलाडियों के अच्छे प्रदर्शन को देखकर उम्मीद की जानी चाहिये कि भारत का प्रदर्शन कुछ बेहतर रहेगा।

Manisha शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

पुराने पत्र और दीपावली के एसएमएस


कुछ दिन पहले दीपावली के लिये घर की सफाई करते समय एक ऐसा थैला मिला जिसमें पुराने पत्रों को 

संभालकर रखा गया था। आज कल शायद किसी को विश्वास न आये लेकिन कुछ वर्ष पहले तक लोग एक दूसरे को पत्र लिख कर आपने हाल चाल बताया करते थे और आने वाले पत्रों का इंतजार किया करते थे। 

चिठ्ठी-पत्री में लोग अपनी समस्त भावनाओं को उड़ेल दिया करते थे। बड़ों को सम्मान, छोटों को प्यार इत्यादि
Old Letters
अनेक मीठी मीठी बाते लिखी होती थीं, जिन्हें घर के सभी सदस्य  बार बार पढ़ा करते थे। 

पुराने पत्रों के संभाल कर रखा जाता था। कहने की बात नहीं कि मैनें भी जब पुराने पत्रों का थैला खोला तो कुछ पुराने पत्रों को पढ़ने से अपने को न रोक पायी। पुराने पत्रों से मां-बाप, भाई-बहन, पुरानी सहेलियों की खट्टी मीठी बातें और याद ताजा हो गई। 

इन पत्रों में हमारी शादी से पहले के कुछ ऐसे पत्र भी थे जो मुझे मेरे पतिदेव ने लिखे थे और कुछ मेरे अपने द्वारा
Diwali
लिखे गये पत्र थे। सारा काम छोड़कर पहले सारे पत्र पढ़े गये। सचमुच कुछ ऐसा ही जादु था हाथ से लिखी गई चिठ्ठियों में। 
नई पीढ़ी तो अब इससे वंचित ही है।

दुसरी  और अब इस बार दीपावली पर पचासों एसएमएस (SMS) चले आ रहे हैं जो कुछ दिन तक मोबाइल में रहते हैं फिर मिटा दिये जाते हैं। 

आजकल की पीढ़ी प्रेम तो कर रही है लेकिन शायद ही कोई प्रेमपत्र लिखता हो। 

जमाना जल्दी का है तो फटाफट फोन कर के और एसएमएस के द्वारा हालचाल ले लिया जाता है। 

हम ने भी एसएमएस भेजे हैं अपने सभी रिश्तेदारों और पहचान वालों को, लेकिन मन में लगता है कि कहीं से कोई लंबा सा पत्र आ जाता जिसे बार बार पढ़ते। 

अब निश्चय किया है कि चाहे कुछ भी हो समय निकाल कर पहचान में और रिश्तेदारी में चिठ्ठी जरुर लिखा करेंगे।

Manisha शनिवार, 6 नवंबर 2010

आपका ब्लॉग इस तरह हैक हो सकता है


आजकल हैकर विभिन्न वेबसाइटों को हैक करने के लिये कई तरीके अपनाते रहते हैं। किसी साइट को हैक करने का एक पुराना और अजमाया हुआ तरीका कदाचित पासवर्ड का पता लगाना होता है जिसके बाद पूरी साइट पर हैकर का कब्जा है जाता है।

आज मेरे जीमेल (Gmail)  खाते में एक ऐसी ईमेल आई जो देखने में तो लगती थी कि ब्लॉगर (Blogger) की तरफ से आई है और मैनें इस ईमेल में बताई गई साइट को खोल भी लिया था।

लेकिन मैं किसी भी ईमेल या साइट द्वारा पासवर्ड मांगे जाने पर उसे पहले शक की निगाह से देखती हूं और फिर उसकी जांच करती हूं, इसलिये मैंने इस साइट का सोर्स कोड (Source Code) देख लिया जो कि पता चला कि कि ये तो ब्लॉगर पर न ले जा कर किसी और साइट पर ले जा रहा है यानी कि अगर गलती से अपना पासवर्ड और साइट बता दी तो समझिये कि आपकी साइट हैक हो गई।

अगर चिठ्ठाकारों को इस तरह की ईमेल मिले तो कृपया सावधान रहें, आपका ब्लॉग हैक हो सकता है.

Inactive-blog-email


Inactive-blog-email 2


अगर आप इस साइट का सोर्स कोड देखेंगे तो आपको पता चल जायेगा कि किस तरह से हैकर किसी भी तरह आपके विभिन्न चिठ्ठों का पता व पासवर्ड जानने की कोशिश कर रहे हैं। सावधान रहें।

Manisha मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

श्राद्ध पक्ष में राष्ट्रमंडल खेल – परेशानी ही परेशानी


कई प्रकार के विवादों से घिरे 19वें राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर तमाम तरह की बातें कही जा रही हैं। 
Commonwealth Games

मेरे भी मन में दो बातें हैं। पहली तो ये कि अक्टूबर के आरम्भ का समय भारत में खेलों के लिहाज से गर्म और ऊमस भरा होता है। 

ये अलग बात है कि दिल्ली में अभी तक बारिश हो रही है जिससे मौसम सुहावना बना हुआ है लेकिन जिस दिन बारिश नहीं होती उस दिन गर्मी और ऊमस परेशान कर देती है। 

ऐसे में इस समय तो खिलाड़ियो का पसीना ज्यादा बहेगा जिनसे उन के प्रदर्शन पर असर पड़ेगा। वहीं दर्शकों को भी धूप में गर्म और ऊमस के वातावरण में स्टेडियम में बैठना मुश्किल हो जायेगा।

दूसरी बात है कि राष्ट्रमंडल खेलों के उदघाटन के समय भारत में श्राद्ध पक्ष चल रहा होगा जिसमें मान्यता है कि कोई अच्छा काम नहीं किया जाता। वैसे ही कुछ लोग मना रहे है राष्ट्रमंडल खेल फ्लाप हो जायें, ऐसे में आयोजकों को श्राद्धों के दिनों का ध्यान कर लेते तो अच्छा ही रहता।

मेरे विचार में भारत में नवंबर के आरम्भ और फरवरी के अंत का मौसम इस प्रकार के बड़़े अंतर्राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिये उपयुक्त रहता। बहरहाल हर भारतीय की तरह मेरे भी शुभकामना है कि दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल सफलतापूर्वक संपन्न हो ताकि भारत का नाम रोशन रहे।

Manisha गुरुवार, 23 सितंबर 2010

कश्मीर समस्या पर कहे जाने वाले कुछ जुमले


कश्मीर को लेकर भारत की समस्या अब अगले दौर में पहुंच गई है। अब की बार बहुत सोच-समझ कर
कश्मीर समस्या
अलगाववादियों द्वारा जो योजना बनाई गई है उसमें पत्थर फेंक कर विरोध का नया तरीका ढूढ़ा गया है। 

खैर मैं कश्मीर की स्थिति के बारे में बात न करके पिछले 63 सालों से चले आ रहे कुछ जुमलों की बात करना चाहती हूं जो कि हमेशा सुनाई पड़ते रहते है। देखिये कश्मीर को लेकर कैसी कैसी बाते की जाती हैं।

  • कश्मीर भारत का अटूट अंग है – ये बात भारत सरकार द्वारा हमेशा कही जाती है, हालांकि आजकल कम ही ऐसा कहा जाता है। ये बात अलग है कि शायद ही कभी आपने पाक अधिकृत कश्मीर, गिलगित, बालटिस्तान, हुंजा, अक्साई चिन को भारत का हिस्सा बताने की बात भारत सरकार या भारत के नेताओं से सुनी हो।
  • कश्मीर से धारा 370 हटाओ – राष्ट्रवादी और हिंदुवादियों का प्रिय जुमला। इन्ही लोगों द्वारा सत्ता में आने के बाद इसी धारा 370 के समर्थन में बयान जारी किये गये, अब फिर से कभी कभी सुनाई पड़ता है। चूंकि ये बात हिंदुवादियों द्वारा कही जाती है इसलिये भारत के तमाम बु्द्धिजीवी और कॉलमिस्ट धारा 370 को जारी रखने के पक्ष में पूरी जान लगा कर लेख लिखते रहते हैं।
  • कश्मीर  में जनमत संग्रह कराया जाये – जब से भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र संघ में कश्मीरियो को आत्मनिर्णय की बात मानी थी तब से पाकिस्तान और कश्मीर  को अलगाववादी इस बात की रट लगाते रहते है, भारत सरकार इससे बचती है। अब ये बात पुरानी हो गई है।
  • कश्मीर की समस्या भारत और पाकिस्तान के आपसी संबंधो के सुधार में बाधक है – पाकिस्तान की सरकार का ये पारंपरिक बयान है जिसमें कहा जाता है कि जब तक कश्मीर समस्या को हल नहीं किया जाता, भारत और पाकिस्तान के संबंध सामान्य नहीं हो सकते। यहां तक की पाकिस्तान की धरती से होने वाले आतंकवाद पर भी तभी रोक लग सकती है जब भारत कश्मीर की समस्या को सुलझाये।
  • कश्मीर  भारत की धर्मनिरपेक्षता की कसौटी है – ये बात भी कई बार कही जाती है कि कश्मीर भारत की धर्मनिरपेक्ष नीतियों की पहचान है जहां पर सब धर्मों के नोग मिल कर रहते हैँ। कश्मीर के अलग होने की स्थिति में शेष भारत में रह रहे अल्पसंख्यकों की स्थिति पर फर्क पड़ेगा।
  • ये कश्मीरियत की पहचान की समस्या का संघर्ष है – ये बात हमारे देश के बूद्धिजीवियों द्वारा 90 के दशक के शुरूआत मे जब सशस्त्र संघर्ष शुरू हुआ था, तब कही जाती थी और बताया जाता था कि कश्मीरियित तो सहिष्णुतावादी, धर्मनिरपेक्ष, सूफीवादी परंपरा है, लेकिन जल्दी ही पता चल गया कि ये अलगाववाद का आंदोलन है जोकि कश्मीर को भारत से अलग करने का पाकिस्तानी योजना है। फिर ये बात सुनाई देनी बंद हो गई। अब जब से कश्मीर में पत्थरबाजी शुरू हुई है, घुमा-फिरा कर इसी तरह की बात की जा रही कि ये युवाओॆ का संघर्ष है आदि आदि।
  • कश्मीर को स्वायत्तता दो – ये जोर शोर से कश्मीर की नेशनल कांफ्रेंस द्वारा कही जाती है, इस बात के लिय प्रधानमंत्री संविधान के दायरे में रहकार बात करने को तैयार हैं।
  • दूध मांगो खीर देंगे, कश्मीर मांगो चीर देंगे – ये बात भारत कुछ अति राष्ट्रवादियों द्वारा कही जाती थी, लेकिन जब इन लोगों द्वारा समर्थित सरकार द्वारा बिना शर्त कश्मीर में वार्ता आरम्भ की गई और समस्या के लिये जिम्मेदार पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुशर्रफ को भारत बुलाया तब से ये बात कहीं गायब हो गई है।
  • कश्मीर को लेकर हमारा समर्थन नैतिक है – मुंह में राम और बगल में छुरी का उदाहरण, पाकिस्तान ने व्यापक योजना बनाकर कश्मीर में आतंकवाद और सशस्र् संघर्ष जारी रखा हुआ है लेकिन हमेशा कहता है कि वो कश्मीर में जारी स्वतंत्रता आंदोलन को नैतिक समर्थन देता है।
  • कश्मीर बनेगा पाकिस्तान – ये नारा कश्मीर के अलगाववादियों और पाकिस्तान में होने वाली कश्मीर के समर्थन में होने वाली रैलियों में लगाया जाता है।
  • हमें क्या चाहिये – आजादी- आजादी -  कश्मीर के कुछ अलगाववादियों (खासकर जेकेएलएफ) द्वारा लगाये जाने वाला एक और नारा । पाकिस्तानी इस नारे को पसंद नही करते क्योंकि इससे एक तो कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने की योजना को पलीता लगता है वहीं उसके वहीं उसके खुद के कब्जे वाले कश्मीर को भी हाथ से निकल जाने का खतरा है।

इसी तरह की कई बातें आये दिन कही जाती रहती हैं। अगर कल को कश्मीर अगर भारत से अलग भी हो गया तो भारत के बुद्धिजीवी और शांतिवादि आपको ये बताने लगेंगे कि देखो कश्मीरी हमारे जैसे ही, हमारे भाई हैं जिनकी हमें मदद करनी चाहिये इत्यादि।

Manisha रविवार, 12 सितंबर 2010

जी हां, यहीं होगा अगर तालीबान न हारा तो!


तालीबान के कालो कारनामे Taliban

अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका टाइम (TIME) द्वारा अपने नये अंक में छापे गये आलेख और चित्र द्वारा दुनिया को चेताया है कि अफगानिस्तान में क्या हो सकता है यदि वहां पर तालीबान को न हराया गया तो। 

ये खतरा जितना अफगानिस्तान के लिये वास्तविक है क्योंकि वहां के लोग तो तालीबान के 5 वर्षों के राज में देख चुके हैं कि कितना जालिम राज्य था उनका, बल्कि पाकिस्तान, कश्मीर और भारत के लोगों के लिये भी है। 

अगर अमेरिका अपने कहे अनुसार तालीबान को बिना हराये अफगानिस्तान से निकल गया तो फिर वहां पर पाकिस्तान की मदद से वापस से तालीबान आसानी से कब्जा कर लेगा और फिर ये खतरा सीधे भारत की सीमा तक आ जायेगा। 

उम्मीद की जानी चाहिये अमेरिका के राष्ट्रपति भारत के नेताओं की तरह लफ्फाजी में फंसकर कोई फैसला न लेकर अपनी दुनिया के प्रति जिम्मेदारी निभायेंगे और पहले की तरह अफगानिस्तान से भाग नहीं जायेंगे। 

टाइम पत्रिका के इस आलेख से एक विवाद तो खड़ा हो गया है लेकिन मैं इस मामले में टाइम पत्रिका के साथ हूं क्योंकि मुझे मालूम है कि औरतों की स्थिति तालीबान के राज में क्या थी और क्या होगी?  

क्या ये नाक कटी महिला को ह्दय विदारक तस्वीर आपको सचेत नहीं करती है?

Manisha शुक्रवार, 6 अगस्त 2010

कालका–शिमला खिलौना ट्रेन यात्रा


हाल ही हम लोग अपने परिवार के साथ शिमला की यात्रा पर गये थे, जिसके लिये हमने कालका से शिमला के लिये सुबह चलने वाली शिवालिक डीलक्स में आरक्षण कराया था। 94 किलोमीटर की खूबसूरत नजारों से भरपूर यात्रा लगभग 5 घंटे ले लेती है। इसका किराय अभी 280 रुपये प्रति वयस्क यात्री है तथा इसमें स्वागत चाय, अखबार तथा नाश्ता दिया जाता है। इस ट्रेन के कुछ चित्र देखिये (क्लिक करके आप बड़े रुप में देख सकते हैं)

Kalka Shimla Toy Train

Kalka Shimla Toy Train

Kalka Shimla Toy Train

Koti Station - Kalka Shimla Toy Train

Koti - Kalka Shimla Toy Train

Barog - Kalka Shimla Toy Train

Kalka Shimla Toy Train

Kanda Ghat - Kalka Shimla Toy Train

Tunnel - Kalka Shimla Toy Train

Tara Devi - Kalka Shimla Toy Train


Tara Devi Station - Kalka Shimla Toy Train

Tara Devi - Kalka Shimla Toy Train

Shimla Station - Kalka Shimla Toy Train

Manisha रविवार, 1 अगस्त 2010