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शाबाश सौरव दादा! 


आखिरकार तुमनें यह साबित कर दिया कि तुम यूं ही बंगाल टाइगर नहीं कहलाते हो। 20 दिन पहले कौन सोच सकता कि सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट टीम में वापसी करेंगे और अगर वापसी करेंगे तो टीम में अंतिम ग्यारह जगह मिलेगी या नहीं और सबसे बड़ी बात अगर जगह मिली भी तो गांगुली कैसा प्रदर्शन करेंगे।

लेकिन बंगाल टाइगर ने सारी आशंकाओं को खारिज करते हुये जोहानसबर्ग में दक्षिण अफ्रीका के साथ हो रहे पहले टेस्ट मैच में न केवल जगह बनायी बल्कि अपने शानदार प्रदर्शन से भारत की स्थिति इस मैच में मजबूत कर दी है।

सौरव गांगुली Sourav Ganguly


भारत यह टैस्ट मैच जीतने के कगार पर पहुंच गया है। सौरव गांगुली ने जोहानसबर्ग टेस्ट मैच में पहली पारी में नाबाद रहते हुये शानदार 51 रन बनाये तथा दूसरी पारी में 25 रन बनाये। 

ये रन दिखने में शायद कम लगें लेकिन जिस तरह की मैच की पिच है और भारत के अन्य बललेबाजों ने जिस तरह का प्रदर्शन किया तथा सौरव गांगुली जिस तरह की विपरीत परिस्थिति में खेलने आये उसको देखते हुये इसे बहुत अच्छा प्रदर्शन ही माना जायेगा। 

सौरव गांगुली ने यह दिखाया कि आदमी को अपने उपर पूरा विश्स रखना चाहिये और विपरीत परिस्थितियों में धैर्य नहीं खोना चाहिये।

चित्र क्रिकइंफो.कॉम के सौजन्य से

Manisha शनिवार, 24 फ़रवरी 2007

आदिवासियों का वेलेंटाइन डे भगोरिया


पश्चिम मध्य प्रदेश के आदिवासी जनजातीय युवक युवतियों का वेलेंटाइन डे (प्रणय पर्व) भगोरिया 25 फरवरी को शुरू हो रहा है। आदिवासी अंचल झाबुआ और खारगौन जिलों में परंपरागत रूप से मनाए जाने वाले इस रंगीन पर्व में स्थालीय भील और भीलाला लोगों के युवक और युवतियां बड़े उत्साह के साथ शामिल होते हैं। 


Bhagoria आदिवासियों का वेलेंटाइन डे भगोरिया


इस मेले के प्रति विदेशियों में भी खासा आकर्षण है। भारत भ्रमण के दौरान वे भगोरिया मेलों में बड़ी तादाद में शामिल होते हैं। भगोरिया हाट में आने वाले आदिवासी युवक-युवती एक दूसरे को पसंद करने के बाद भागकर विवाह कर लेते हैं। इस भाग जाने की वजह से ही इसको भगोरिया कहते हैं

परंपरा के अनुसार अगर किसी लड़के को कोई लड़की पसंद आ जाती है तो वो उस लड़की के गालों पर गुलाल लगाकर अपनी चाहत का इजहार कर देता है। अगर लड़की को भी लड़का पसंद होता है तो वो भी लड़के को गुलाल लगा देती है। 

इसके बाद ये लोग वहां से भाग जाते हैं। इसके बाद आदिवासी समाज इनको पति-पत्नि का दर्जा दे देता है।

इस भगोरिया को फसल पकने और होली की खुशी का भी प्रतीक माना जाता है। साल भर अलग-अलग स्थानों पर काम धंधा करने वाले आदिवासी भगोरिया पर्व पर अपने अपने घरों पर लौट आते हैं और गिले शिकवे भुलाकर मौज मस्ती के साथ इस पर्व को मनाते हैं। 

यह पर्व होली से पहले मनाया जाता है। बदलते जमाने के साथ भगोरिया पर भी आधुनिक संस्कृति का प्रभाव पड़ा है। आदिवासियों के पहनावे में बदलाव आया है तथा वाद्य यंत्रों ढोल और मृदंग का स्थान इलेक्ट्रानिक्स उपकरणों ने ले लिया है। झाबुआ, धार और खरगोन जिलों प्रमुख हैं जहां भगोरिया पर्व मनाया जाता है। इन जिलों के कई जिलो के गांवों में भगोरिया हाट लगते हैं।

कड़ियां:

Manisha शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2007

राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन की सैर


भारत के राष्ट्रपति के निवास राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन को आम जनता के लिये खोल दिया गया है। मुगल गार्डन में स्थित स्परिचुअल गार्डन, हर्बल गार्डन एवं बैयोडाइवर्सिटी पार्क आदि को भी जनता के दर्शनार्थ खोला गया है। 

Mughal Garden Delhi मुगल गार्डन


आम जनता के लिये मुगल गार्डन  फरवरी से लेकर मार्च तक सुबह 10.30 बजे से अपरान्ह 4.30 बजे तक खुला रहता है। सोमवार को साप्ताहिक बंद है।

मुगल गार्डन को सर एडविन लुटियन ने डिजाइन किया था। इस के डिजाइन की पेरणा उन्हें ताजमहल के बगीचों और जम्मू और कश्मीर के खूबसूरत मुगलिया बागों से मिली थी।

मुगल गार्डन 15 एकड़ में फैला हुआ है। मुगल गार्डन के तीन भाग हैं। पहले भाग में आयताकार गार्डन है जो कि राष्ट्रपति भवन की मुख्य इमारत से लगा हुआ है। इस गार्डन में चार कोने हैं जिसके हर ओर टैरेस गार्डन है। 

यहां के सेन्ट्रल लॉन में राष्ट्रपति द्वारा कई पार्टीयों का आयोजन किया जा चुका है। दूसरा है लोन्ग गार्डन यानी लंबा बाग, इसी के साथ है तीसरा बाग सर्क्युलर गार्डन या गोल बाग। 

लंबे वाले बाग में गुलाब का बेहतरीन किस्में हैं। यह बाग इस बार का मुख्य आकर्षण है। गोल वाले बाग में एक फुव्वारा लगा है।

मुगल गार्डन में 128 प्रकार के गुलाबों के फूल लगे हैं। अभी हाल ही में मुगल गार्डन में तीन नये फुव्वारे लगाये गये हैं। ये संगीतमय फुव्वारे हैं जो कि शहनाई और वंदेमातरम की धुनों पर घूमते हैं।

इस रविवार को मैं अपने परिवार के साथ मुगल गार्डन घूम कर आई हूं, यह एक बहुत ही अविस्मरणीय अनुभव रहा। अगर आपने अभी तक मुगल गार्डन नहीं देखा तो यह एक सुनहरी मौका है, 18 मार्च तक आप प्रोग्राम बना सकते हैं। मुगल गार्डन आपको हमेशा याद रहेगा।

 मुगल गार्डन के बारे में और यहां पर जानें।

Manisha सोमवार, 19 फ़रवरी 2007

बॉस - एक भारतीय ऑपरेटिंग सिस्टम


BOSS (Bharat Operating System Solutions) ओपेन-सोर्स सोफ्टवेयर को देश में बढ़ावा देने के लिये C-DAC के
फ्री/ ओपेन सोर्स सोफ्टवेयर के राष्ट्रीय संसाधन केन्द्र (National Resource Centre for Free/Open Source Software (NRCFOSS)) द्वारा तैयार किया गया लाइनक्स का एक संस्करण है। इसे खास तौर पर भारतीय परिस्थितियों के लिये तैयार किया गया है। इसमे एक सुन्दर डेस्कटॉप है, जिसमें भारतीय भाषाओं का खास समावेश किया गया है। इसके अलावा इसमें भारत के सरकारी क्षेत्र में प्रयोग होने वाले साफ्टवेयर पैकेजों को शामिल किया गया है।

विशेषतायें

  • चित्रमय इंस्टालर
  • सिस्टम की तेज शुरूआत और
  • दोस्ताना जी-नोम (GNOME) डेस्कटाप
  • वाडियो के लिये ज्यादा सहयोग
  • 3D डेस्कटाप
  • भारतीय-OO (Bharatheeyaa OO) - ओपेन ऑफिस 2.0.1 का भारतीय संस्करण (इस समय केवल हिंदी और तमिल में उपलब्ध)
  • पेन ड्राइव, सीडी व अन्य मीडिया के लिये सहयोग
  • लाइफेरिया (Liferea) – RSS/RDF रीडर
  • टीवी ट्यूनर कार्ड सपोर्ट
  • ब्लूटूथ (Bluetooth) सपोर्ट
  • अच्छे इंटरनेट टूल – Firefox, Gaim, Xchat
  • Input Method - SCIM with Remington Keyboard Layout for Tamil, Hindi, Punjabi,and Marati
  • बोनफायर - एक CD/DVD Burning tool

बॉस बनाने वालों उद्देश्य इसे भारत की सभी 22 राष्ट्रीय भाषाओं में काम करनेलायक बनाना है ताकि अंग्रेजी न जानने वालों तक भी सूचना प्रौद्योगिकी का फायदा पहुंच सके, जो कि अभी तक नहीं पहुंच पाया है। 

बॉस के बारे में और जानने के लिये इसके विकी पेज (BOSS Wiki) की यात्रा करें जहां आपको बॉस के चित्र तथा विवरण मिलेगा। आप अपने विचार भी व्यक्त कर सकते हैं। 

अगर आपकी इस बारे में कोई और जिज्ञासा है तो आप bosslinux@cdac.in पर ई-मेल कर सकते हैं। बॉस को निशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। आप इसे सीधे डाउनलोड कर सकते हैं।

कड़ियां:

Manisha रविवार, 11 फ़रवरी 2007

असली बॉस कौन है?

कल आशीष गुप्ता जी ने महिलाओं का रासायनिक विश्लेषण किया था। लेकिन उनको हम महिलाओं की सही पहचान नहीं है। हम रासायनिक ही नहीं बल्कि भौतिक रुप से भी पुरूषों पर भारी हैं। इस के लिये मैंने ढ़ूढ़कर ये चित्र निकाले हैं। अब इन चित्रों को आप भी देखिये। हास्य का जवाब हास्य से।


Manisha शनिवार, 10 फ़रवरी 2007

कुछ प्रसिद्ध हिंदी फिल्म सीन 


पहले हमने हिंदी फिल्मों के कुछ सदाबहार डॉयलाग के बारे में बताया था। इधर अपनी हिंदी फिल्मों में कुछ ऐसे सीन होते हैं जो लगभग हर दूसरी फिल्म में शामिल होते हैं। इस सभी दृश्यों जो अब सिनेमा हॉल के पर्दे पर देखते हैं तो समझ जाते हैं कि अब क्या होने वाला है। कुछ तो इतने घिसे पिटे दृश्य हैें कि लगभग हर फिल्म में ही होते है। ऐसे ही कुछ सीन कुछ प्रसिद्ध हिंदी फिल्म सीन दृश्य यहां प्रस्तुत हैं।

Manisha शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2007

लाइव राइटर से पोस्ट होने लगी

जब से मैं अपने सभी चिठ्टों को नये ब्लॉगर पर ले गई थी, तभी एक परेशानी से मुझे दो-चार होना पड़ रहा था। मैं नये चिठ्टों को बनाने के लिये विंडोज लाइव राइटर का प्रयोग करती हूं। 

लेकिन जब से नये ब्लोगर पर शिफ्ट किया था, तब से ही विंडोज लाइव राइटर से पोस्ट तो हो रहा था लेकिन ब्लॉगर पर पोस्ट नजर नहीं आती थी। हार कर खुद ही कॉपी करके पोस्ट करनी पड़ रही थी। 

समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाये? 

हिंदी जगत के अन्य सक्रिय चिट्टाकारो से सहयोग मांगा गया। 

पंडितजी के ब्लॉग पर मिश्राजी ने बताया कि मुझे विंडोज लाइव राइटर को अपडेट करना चाहिये। 

इसलिये मैंने कल विंडोज लाइव राइटर को दुबारा डाउनलोड किया और पुराने संस्करण के उपर ही इंस्टाल कर दिया। 

इसके बाद अब विंडोज लाइव राइटर ठीक तरह से पोस्ट कर रहा है। 

सहयोग करने वालों को धन्यवाद।

Manisha शनिवार, 3 फ़रवरी 2007

सदाबहार हिंदी फिल्म डॉयलाग


हिंदी फिल्मों में संवाद अदायगी या डॉयलाग डिलीविरी पर काफी जोर रहा है। कई कलाकार तो अपनी संवाद डॉयलाग अदायगी के बल पर ही प्रसिद्धि पा गये।

पुराने जमाने में हिंदी फिल्मों में कलाकार  मुख्यत: नाटकों व रंगमंच से ही आये थे, इस कारण उनकी संवाद अदायगी का तरीका थोड़ा नाटकीय था। सोहराब मोदी इस के उदाहरण हैं।

Manisha बुधवार, 24 जनवरी 2007