www.HindiDiary.com

अंग्रेजी नामों वाली हिंदी फिल्में बन रही हैं



अगर आप ने गौर किया हो तो शायद ये देखा हो कि आजकल प्रदर्शित होने वाली अधिकांश फिल्मों के नाम अंग्रेजी में हैं। पिछले कुछ दिनों में रिलीज हुई फिल्मों में  वांटेड, ऑल द बेस्ट, ब्ल्यू, वेक अप सिड, फ्रूट एंड नट, डू नॉट डिस्टर्ब  इत्यादि प्रमुख हैं। 

अंग्रेजी नाम वाली हिंदी फिल्में बन रही हैं


हालांकि पहले भी ऐसी फिल्में पहले भी बनती रही है लेकिन पिछले कुछ समय से इस तरह की अंग्रेजी नाम वाली फिल्में कुछ ज्यादा ही बन रही हैं। 

अपनी कॉमेडी फिल्मों के लिये प्रसिद्ध डेविड धवन  अंग्रेजी नाम का इस्तेमाल काफी समय से कर रहे हैं उनकी कई फिल्मों के नाम इसी तरह के थे जैस् कि कुली नंबर वन, आंटी नंबर वन, हीरो नंबर वन, बीबी नंबर वन, पार्टनर, लोफर, डू नॉट डिस्टर्ब इत्यादि रहे हैं। 

राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त निर्देशक मधुर भंडारकर की तो हर फिल्म का नाम अंग्रेजी का होता है। उन्होनें अब तक चांदनी बार, पेज थ्री, कॉरपोरेट, ट्रैफिक सिगनल, फैशन आदि बनाई हैं जो कि अंग्रेजी नामों की है और अब वो एक और फिल्म जेल लेकर आ रहे हैं। 


आने वाली कुछ फिल्में भी इसी तरह से अंग्रेजी नामों वाली बन रही हैं

 आखिर क्या कारण है इस तरह से फिल्में बन रही है। कुछ बातें इस बात का शायद जबाब दे सकें 
  • हिंदी फिल्में अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रिलीज होती हैं और अंग्रेजी नाम से थोड़ा फायदा मिल सकता है। हिंदी फिल्मों की अधिकांश कमाई प्रवासी भारतीयों द्वारा फिल्में देखने से होती है, लिहाजा उन्हीं के हिसाब से फिल्में बनती हैं।
  • इससे ये भी पता चलता है कि भारत में मल्टीप्लेक्स में फिल्मे देकने वाले मध्यम और उच्च वर्ग के लिये ही फिल्में बन रही हैं
  • ये भी पता चलता है कि देश के अंदर के देसी और अंदर के इलाकों के लोगों की समस्याओं और उससे संबंधित फिल्में अब कम बनने लगी हैं।
  • भारत में अंग्रेजी की स्वीकार्यता भी इससे पता चलती है।
मेरे विचार में अपवाद के रुप में तो अंग्रेजी नाम वाली हिंदी फिल्में तो ठीक हैं लेकिन अगर ये बहुतायत से होने लगे तो खतरे की घंटी है। हमें समय रहते चेत जाना चाहिये।

Manisha रविवार, 25 अक्तूबर 2009
आज सुबह से मैं जब से ब्लॉगर  की साईट पर जाने की कोशिश कर रही हूं तो ये चेतावनी आ रही है। पता नहीं ब्लॉगर में क्या परेशानी है?
Blogger Error

Manisha शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2009

दीपावली पर देसी से दूर लोग


कल धूमधाम से हमारा सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली संपन्न हुआ, हालांकि अभी कुछ और साथी त्यौहार बाकी हैं। 
 
दीवाली
जैसा कि दीवाली पर आम तौर पर होता है हम सभी लोग अपने घरों को सजाते हैं और बाजार में बड़े पैमाने पर खरीदारी करते हैं। 

लेकिन मुझे तब बहुत दुख होता है जब मैं ये देखती हूं कि भारतीयों (हिन्दुओं) के ही देश में भारतीय (हिन्दु) ही त्यौहार का मजा बिगाड़ने को तैयार रहते हैं।

मजबूरी में हमें देसी छोड़ विदेशी वस्तुयें खरीदनी पड़ती हैं। 

पिछले कई वर्षों से चीन से बड़े पैमाने पर ऐसा सामान आ रहा है जो कि दीवाली पर काफी प्रयोग होता है। 

तरह-तरह की रोशनी वाली लाइटें, आतिशबाजी, यहां तक की लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां भी चीन से आ रही हैं। इस बार लोगों द्वारा बड़ी मात्रा में भारतीय बैंकों से खरादे गये  सोने के सिक्के भी स्विटजरलैंड से बन कर आये हैं और पूरे शुद्ध हैं। 

विदेशी वस्तुयें न केवल सस्ती हैं बल्कि अच्छी क्वालिटी की भी हैं। लोगों को शायद बुरा लगे लेकिन जो वस्तुयें देसी लोगों के हाथ मे हैं वो न केवल मंहगी हैं बल्कि घटिया स्तर की और नकली तक हैं। 

पूरे बाजार में नकली देसी घी, नकली मावा, नकली पटाखें भरे पड़े हैं। ऐसे में अगर लोग विदेशी सामान न खरादें तो क्या करें? कोई आश्चर्य की बात नहीं अगर कुछ दिनों में विदेशी देसी-घी और मिठाई भी भारत में आने लगें।

आखिर क्यों भारतीय अपने ही देश को लोगों को क्यों ठगने की कोशिश करते हैं और नकली व घटिया सामान देकर अपने ही देश का त्यौहार बिगाड़ रहे हैं?

Manisha रविवार, 18 अक्तूबर 2009

बचें चकाचौंध वाले विज्ञापनों से


ऐसा लगता है कि घरेलु सामान के निर्माता हमको इस त्यौहारों के मौसम मे कुछ न कुछ सामान बेच कर ही मानेंगे। 
किसी भी समाचार पत्र को उठा लीजिये या फिर टीवी का कोई भी मनोरंजन या समाचार चैनल देख लीजिये, चकाचौंध वाले, कई प्रकार के लुभावने विज्ञापन हाजिर हैं। 

चकाचौंध वाले विज्ञापन


इस तरह के विज्ञापन इस कदर चकाचौंध वाले हैं  कि अगर आप ने कभी एलसीडी टीवी (LCD TV) लेने के लिये नहीं सोचा हो तो सोचना शुरु कर देंगे, वाशिंग मशीन बदलने का चाहे कोई इरादा न हो लेकिन इस बात पर कुछ गौर तो फरमाने ही लगते है।

आजकल विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रानिक व घरेलु सामान के निर्माता कई प्रकार की योजनायें लाकर ग्राहकों को आकर्षित कर रहे हैं। जिनमें कुछ इस प्रकार है -
  • फ्री गिफ्ट – इस प्रकार की योजना में ग्राहक को ये बताया जाता है कि आपको सामान करीदने पर कुछ न कुछ मुफ्त उपहार मिलेगा। हालांकि ये बात अलग है कि ये उपहार कितना मुफ्त होता है और कितना मुख्य सामान की कीमत में शामिल होता है, दूसरी बात ये कि हो सकता है कि मुफ्त मिलने वाले समान में आप की रुचि न हो या फिर कई बार पुरानी पड़ चुकी (आउटडेटेड) वस्तुयें भी इस तरह की स्कीमों में चला दी जाती हैं।
  • स्क्रैच कार्ड – इस तरह की योजना में ग्राहक को ये बताया जाता है कि खरीदने पर आपको एक कूपन मिलेगा जिसमें कुछ न कुछ अवश्य मिलेगा और कुछ बड़ा भी निकल सकता है। अधिकांश समय इस तरह के कूपन में मिलने वाली वस्तु कोई मामूली सी होती है और बड़ा सामान किसी का नहीं निकलता है।
  • लकी ड्रा – ये वाली योजना सबसे ग्राहक के लिये सबसे ज्याद बेकार होती है। बताया तो ये जाता है कि लाखो-करोंड़ों के इनाम निकलेंगे। लेकिन अधिकांश ग्राहक इतने लकी नही होते और दूसरी बात ये कि अगर किसी का इनाम निकला भी तो केवल एक को ही तो मिला, सभी ग्राहकों को तो कुछ भी नहीं मिला।
अत: इस तरह की किसी योजना में न फंस कर अपनी अक्ल का प्रयोग करके ही सामान खरीदना चाहिये और चकाचौंध वाले किसी भी विज्ञापन से प्रभावित नहीं होना चाहिये।

Manisha गुरुवार, 8 अक्तूबर 2009

नकारात्मक होना इतनी भी बुरी बात नहीं


सभी लोग कहते हैं कि जीवन में आदमी को सकारात्मक होना चाहिये और उसकी सोच भी सकारात्मक होनी 
नकारात्मक होना इतनी भी बुरी बात नहीं Negativity

चाहिये। बात बिलकुल सही है सही सोच से ही जिन्दगी आगे बढ़ती है। 

लेकिन कई बार मुझे लगता है कि हालांकि नकारात्मक होना सही नहीं है लेकिन हर बात में ये इतना भी बुरा नहीं है। 

अगर किसी बात को लेकर हम नकारात्मक हैं तो क्या हम वास्तविकता के ज्यादा करीब होते हैं? पता नहीं। पर मैं एक बात के माध्यम से अपनी बात कहती हूं।

पिछले हफ्ते हमने अपने दुसरे बच्चे के लिये एक नामी स्कूल में दखिले के लिये आवेदन किया था और सब प्रकार से ऐसा लग रहा था कि वहां पर हमारे बच्चे की प्रवेश हो जायेगा, बच्चा ठीक-ठीक था, स्कूल घर के पास था, स्कूल वाले हमें जानते थे इत्यादि इत्यादि। 

हमने ये समझ कर कि इस स्कूल में एडमिशन तो हो ही जायेगा, अन्य दो-तीन विद्यालयों का फार्म भी नहीं भरा। लेकिन हमारी सोच के उस दिन बड़ी झटका लगा जबकि उस विद्यालय की सफल बच्चों की सूची में हमारे बच्चे का नाम गायब था।  

यानी कि अब हमें अन्य स्कूलों में जाकर फार्म भरने हैं और जिनका हमने फार्म नहीं भरा, वहां पर प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब अगर हमने सकारात्मक होने के बजाय थोड़ा नकारात्मक होकर सोचा होता तो हम हर किसी स्कूल के लिये फार्म भरते न। 

तो मेरे विचारो में अब परिवर्तन आ गया है और मुझे लगता है कि
  • नकारात्मक होकर व्यक्ति अपनी क्षमताओं का सही आंकलन कर पाता है।
  • नकारात्मक होकर हम अति भरोसा (ओवर-कोन्फिडेंस) में न रह कर वास्तविक धरातल पर रखता है।
  • आपके अप्रत्याशित परिणामों के लिये तैयार रखता है।
  • अन्य विकल्पों के लिये तैयार रखता है।

Manisha मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

मौसम विभाग से मौसम मजाक कर रहा है


लगता है मौसम और मौसम विभाग में छत्तीस का आंकड़ा है। 

मौसम विभाग कुछ भविष्यवाणी करता है और मौसम कुछ और गुल खिलाता है। 

पहले अप्रैल के महीने में मौसम विभाग ने कहा कि इस बार देश में अच्छी बारिश होगी तो मौसम ने मानसून को ही देश से गायब कर दिया। 

Weather मौसम


इधर मौसम विभाग  ने मानसून की समाप्ति की घोषणा की तैयारी की तो अब ऐसी बारिश हो रही है कि भयंकर बाढ़ आ गई है। 

कर्नाटक, आंध्र और उड़ीसा की बारिश के बारे में मौसम विभाग कोई भविष्यवाणी नहीं कर पाया और जबर्दस्त बारिश ने इन प्रदेशों में बाढ़ कर दी। इधर दिल्ली के आस-पास भी बारिश का मौसम है। क्या मौसम विभाग कुछ बता पायेगा कि क्या होने वाला है।

अब अपनी खिसियाहट मिटाने के लिये हम ये क्यों न कहें कि मौसम विभाग से मौसम मजाक कर रहा है?

Manisha सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

चिठ्ठाजगत के लिये नुकसान है ब्लॉगवाणी का बंद होना


ब्लॉगवाणीएक तो वैसे ही हिंदी के ब्लॉग पाठकों की संख्या की कमी से जूझ रहे हैं, वहीं दुसरी ओर हिंदी के चिठ्ठों के संकलन वाले एग्रीगेटर बंद होते जा रहे हैं। सबसे पुराना चिठ्ठा एग्रीगेटर नारद तो पहले से ही गायब था और अब ब्लॉगवाणी का बंद होना वास्तव में हिंदी चिठ्ठों के लिये बहुत नकसानदेह रहेगा।

जहां जरुरत इनकी संख्या को बढ़ाने की है वहीं पर ये बंद हो रहे हैं।

हालांकि ब्ल़गवाणी नें अपने वर्तमान रुप को बंद करने की कोई ठोस वजह नहीं बताई, जो बताई है वो किसी वेबसाईट के बंद होने के लिये को पर्याप्त कारण नहीं है।

>आखिर लोग तो वेबसाइटों की कमियों का फायदा उठाते हैं, उसके लिये कोई वेबसाइट थोड़े ही बन्द की जाती हैं?

मेरे विचार में ब्लॉगवाणी जैसे और संकलक खुलने चाहिये और उनको इन का व्यवसायिक दोहन भी करना चाहिये, बिना कमाई करे चल पाने मुश्किल हैं। फ्री सेवा करने की रोमानी दुनिया से बाहर निकल कर वास्तविक दुनिया के हिसाब से इन्हें चलाने की आवश्यकता है। आखिर अंग्रेजी के ब्लॉग एग्रीगेयटर भी तो ऐसा कर ही रहे हैं। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता तब तक हिंदी ब्लॉगजगत को खासा नुकसान है।

पुनश्च : पाठकों की मांग पर ब्लोगवाणी वापस शुरु हो गया है। बहुत ही अच्छी खबर है।

Manisha मंगलवार, 29 सितंबर 2009

ये पाकिस्तानी अखबार का चित्र है


गौर से देखिये ये भारत के किसी अखबार में छपने वाले विज्ञापन का चित्र नहीं, बल्कि पाकिस्तान के कराची शहर से छपने वाले डॉन (Dawn)  अखबार का चित्र है। 

Manisha शनिवार, 26 सितंबर 2009

ब्लॉग एक्शन दिवस पर भाग लीजिये


हालांकि ब्लाग एक्शन दिवस अमेरिका में हो रहा है लेकिन दुनिया भर के ब्लागरों और चिठ्ठाकारो के लिये खुला है। 
Blog Action Day


इसमें आप अपने चिठ्ठे को पंजीकृत करा कर ब्लाग एक्शन दिवस-2009 (Blog Action Day 2009) के लिये सहयोग कर सकते हैं। इसमें दरअसल करना ये है कि 15 अक्टूबर को दुनिया भर के ब्लॉगर एक साथ एक ही समय अपने ब्लॉगों पर महत्वपूर्ण विषयों पर लिखेंगे।

मुझे लगता है कि हम हिंदी चिठ्ठाकारों को भी इसमें भाग लेना चाहिये।

मैने अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया है आप एक्शन दिवस 2009 की साईट पर विजिट करके पंजीकरण करि लीजिये और इस में भाग लीजिये।

Manisha शुक्रवार, 25 सितंबर 2009

भारत में छोटी कारों के बाजार में घमासान


कल फोर्ड नें अपनी नई छोटी हैचबैक कार फिगो (Figo)  को पेश किया है जोकि अगले साल के शुरु से भारत में बिक्री के लिये अपलब्ध होगी। 
Ford Figo

अभी तक फोर्ड की भारत में कोई हैचबैक गाड़ी नहीं थी। दनिया भर में छाई मंदी के बीच कार कंपनियों को भारत और चीन ही एक बड़े बाजार के रुप में नजर आ रहे हैं। 

मंदी के दौर में भी भारत में छोटी गाड़ियों के बिक्री के आंकड़ो के अनुसार कारों के बिकने में बढ़ोतरी जारी है। सभी बड़ी कार कंपनियां छोटी गाड़ियों के या तो नये संस्करण जारी कर रही हैं या नये मॉडल उतार रही हैं। 

पिछले एक साल के अन्दर मारुति-सुजुकी ने रिट्ज (Ritz), एस्टिलो (Estilo), हुंडई (Hyundai)  नें आई20 (i20), टाटा मोटर्स ने इंडिका विस्टा (India Vista) तथा नैनो (Nano), फियेट ने ग्रांडे पुंटो (Fiat - Grande Punto), फोरड की फिगो इत्यादि लांच की गई हैं।

इसके अलावा पहले से ही बाजार में सुजुकी की मारुति-800, आल्टो, वैगन-आर, स्विफ्ट, जनरल मोटर्स की
Fiat-Punto
स्पार्क, यु-वा (U-VA), हुंडई की आई10 (i10), सैन्ट्रो, टाटा की इंडिका, फियेट की पालियो
इत्यादि उपलब्ध हैं। 

वोक्स-वैगन जनवरी-2010 में पोलो गाड़ी लांच कर ने वाली है। इन सब में अधिकांश गाड़ियों को कई – कई मॉडल हैं और अधाकांश के पैट्रोल व डीजल दोनों संस्करण हैं। कईयों के गैस व सीएनजी संस्करण भी उपलब्ध हैं।

भारत में बिकने वाली 70% गाड़ियां छोटी गाड़ी (हैचबेक) होती हैं, ऐसे में सभी कंपनियां इस बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहती हैं। भारत का मध्यम-वर्ग बहुत बड़ा है और उसके पास खर्च करने लायक पैसा भी है। अब कार ग्राहकों के पास अच्छे विकल्प हो गये हैं, साथ ही परेशानी भी बढ़ गई है कि किसे खरीदें और किसे नहीं?

हमारे पास फिलहाल तो 10 साल पुरानी मारुती-800 है जिससे अच्छा काम चल रहा है। जब खरीदनी होगी तब कर अन्य छोटी गाड़ियां भी बाजार में आ चुकी होंगी। मुश्किल रहेगा कि कौन सी कार खरीदी जाये?

Manisha गुरुवार, 24 सितंबर 2009

बचिये इन तांत्रिकों से


आजकल रह-रह कर इस तरह की खबरें आती रहती हैं कि किसी तांत्रिक के कहने से किसी ने किसी की बलि दे
Baba Bangali Tantrik
दी इत्यादि।

कुछ समय पहले इस तरह की खबरें आईं थीं कि पड़ोसी के बच्चे की बलि दे दी या फिर पुत्र की कामना में अपनी ही पुत्री की बलि दे दी। 

इस तरह के से समाचार सचमुच बहुत ही दुखद होते हैं और समझ में नहीं आता है कि लोग, वो भी पढ़े-लिखे लोग कैसे इन तांत्रिकों की बातों में आ जाते हैं। 

कितने ही परिवार इन तांत्रिकों के चक्कर में आकर बर्बाद हो लेकिन फिर भी  आजकल देश में खूब तांत्रिकों का धंधा खूब चल रहा है और कई सारे बंगाली तांत्रिक प्रगट हो गये हैं।

दिल्ली में अक्सर डीटीसी की बसों में तांत्रिकों के विज्ञापन वितरित किये जातें हैं और समाचार पत्रों में भी विज्ञापन दिये जाते हैं। 

इन बंगाली तांत्रिकों में से अधिकांश मुस्लिम तांत्रिक हैं। ये लोग अपने आपको माता का भक्त बताते हैं हर प्रकार का समस्या ये छुटकारा दिलाने का झांसा देते हैं। 

लोगों को इनसे सावधान रहने की आवश्यकता है। इतनी बड़ी संख्या में अचानक बंगाली तांत्रिकों के देश में दिखने से मुझे तो संदेह है कि हो सकता है कि ये सब योजनाबद्ध तरीके से देश में लाये गये हों और पड़ोसी देश के जासूस हों। 

Manisha मंगलवार, 22 सितंबर 2009

नक्सलियों के विरुद्ध प्रचार की शुरुआत


इधर नक्सलियों के खिलाफ बनी संयुक्त सशस्त्र बल कोबरा (COBRA - Commando Battalion for Resolute Action) और छत्तीसगढ़ पुलिस के द्वारा लगभग 30 नक्सलियों के मारे जाने की अच्छी खबर आई ही थी कि इधर भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा नक्सलियों के खिलाफ जनता में प्रचार करने के लिये विज्ञापन सभी अखबारों में देने शुरु कर दिये हैं। 

Manisha रविवार, 20 सितंबर 2009

एक उपाधि का नाम है ओसामा बिन लादेन


हम लोग बचपन में वेताल (फैन्टम) की कहानियां कामिक्स  में पढ़ा करते थे जिसमें  बताया जाता था कि ओसामा बिन लादेन Osama Bin Laden  पिछले 400 सालों से वेताल का अस्तित्व है और जंगल के लोग उसको अपना रक्षक मानते थे, लेकिन वास्तविकता में वेताल एक मुखौटा और उपाधी थी जिसमें परम्परागत तौर अगली पीढ़ी वेताल बनती रहती था। 

मेरे विचार में अल-कायदा का सरगना ओसामा बिन लादेन भी किसी तरह की एक उपाधि लगता है। असल में  अपनी मौत की चर्चाओं के बीच दुनिया का सबसे कुख्यात आतंकवादी और अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन एक बार फिर प्रकट हुआ है। 

रविवार को लादेन का नया वीडियो टेप सामने आया है, जिसमें उसकी तस्वीर इस्तेमाल की गई है। अल कायदा की मीडिया इकाई की ओर से जारी इस टेप को अमेरिकी जनता के नाम संबोधन करार दिया गया है। 

अल कायदा की मीडिया इकाई का दावा है कि इसमें सुनाई देने वाली आवाज लादेन की है। लादेन ने टेप में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की नीतियों को जमकर कोसा है। 

लादेन ने ओबामा को शक्ततहीन बताते हुए कहा है कि वह अफगान युद्ध को रोक पाने में पूरी तरह नाकाम साबित हुए। अमेरिका की साइट इंटेलीजेंस ग्रुप ने लादेन की इस टेप का अनुवाद जारी किया है।

दरअसल इस तरह के टेप और बयान वेताल की परंपरा का ही एक रुप लगता है। पाकिस्तान कहता है ओसामा बिन लादेन मर गया है, अमेरिका कहता है कि वो जिन्दा है और पाकिस्तान में छुपा हुआ है, अल कायदा उसके टेप जारी करके दुनिया को डराता रहता है।

भले ही ओसामा बिन लादेन मर गया हो, लेकिन उसको जिन्दा रखने की खबर बनाये रखने में सबका फायदा है।  

अमेरिका को ओसामा बिन लादेन के जिन्दा होने की कबर के सहारे अपने आतंकवाद विरोधी अभियान को चलाये रखने का बहाना मिल जाता है, पाकिस्तान को अमेरिका से डालर और हथियार बटोरने का मौका मिल जाता है, अल कायदा को अपने आतंक के साम्राज्य को फैलाने में मदद मिल जाती है, तालीबान ओसामा बिन लादेन से प्रेरणा लेता है, यानी ओसामा बिन लादेन के बने रहने में सबका फायदा है। 

इसलिये मुझे लगता है कि ओसामा बिन लादेन  के मरने की आने वाले 20-25 सालों में भी कोई खबर आने वाली नहीं है और उसके नाम को उपाधि की तरह इस्तेमाल करके कुछ मिथक तैयार करके उसके नाम का फायदा लिया जाता रहेगा।  

उसी की तरह के मुखौटे बना कर नये टेप जारी होते रहेंगे, अमेरिका उन्हें प्रमाणित करता रहेगा। वेताल की तरह ओसामा बिन लादेन भी अमर चरित्र रहेगा।

अंतिम पंक्ति :  ओसामा बिन लादेन 2 मई 2011 को पाकिस्तान को एबेटोबाबाद में मारा  गया

Manisha मंगलवार, 15 सितंबर 2009

क्या कोई राष्ट्रपिता के लिये भी तर्पण करता है?



आजकल हिन्दुओं के घर में श्राद्ध पक्ष चल रहा है और घर में श्राद्ध तर्पण होते देख वैसे ही मन में आया कि क्या कोई राष्ट्रपिता (महात्मा गांधी) और स्वतंत्रता संगाम में गुमनाम मरे लाखों क्रांतिकारियों और आन्दोलन कारियों के लिये भी तर्पण करता होगा?  

क्या लोगों को अपने घरों में श्राद्ध कर्म करते समय इनके लिये भी तर्पण कराना चाहिये?

क्या कोई राष्ट्रपिता के लिये भी तर्पण करता है?


Manisha
नासा (NASA) ने हाल ही में वापस ठीक की गई अंतरिक्षीय दूरबीन हब्बल (Hubble)  द्वारा भेजी गई नई तस्वीरें जारी की हैं। इन तस्वीरों में हब्बल नें कुछ आकाशगंगाओं (Galaxies) को देखा है और उनकी फोटो खींची हैं।

Butterfly Galaxy
ये देखिये तितली के आकार की आकाशगंगा

सभी चित्र नासा की हब्बल फोटो गैलरी से, आप पूरे चित्र वहां पर देख सकते हैं

Manisha शुक्रवार, 11 सितंबर 2009