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नकारात्मक होना इतनी भी बुरी बात नहीं


सभी लोग कहते हैं कि जीवन में आदमी को सकारात्मक होना चाहिये और उसकी सोच भी सकारात्मक होनी 
नकारात्मक होना इतनी भी बुरी बात नहीं Negativity

चाहिये। बात बिलकुल सही है सही सोच से ही जिन्दगी आगे बढ़ती है। 

लेकिन कई बार मुझे लगता है कि हालांकि नकारात्मक होना सही नहीं है लेकिन हर बात में ये इतना भी बुरा नहीं है। 

अगर किसी बात को लेकर हम नकारात्मक हैं तो क्या हम वास्तविकता के ज्यादा करीब होते हैं? पता नहीं। पर मैं एक बात के माध्यम से अपनी बात कहती हूं।

पिछले हफ्ते हमने अपने दुसरे बच्चे के लिये एक नामी स्कूल में दखिले के लिये आवेदन किया था और सब प्रकार से ऐसा लग रहा था कि वहां पर हमारे बच्चे की प्रवेश हो जायेगा, बच्चा ठीक-ठीक था, स्कूल घर के पास था, स्कूल वाले हमें जानते थे इत्यादि इत्यादि। 

हमने ये समझ कर कि इस स्कूल में एडमिशन तो हो ही जायेगा, अन्य दो-तीन विद्यालयों का फार्म भी नहीं भरा। लेकिन हमारी सोच के उस दिन बड़ी झटका लगा जबकि उस विद्यालय की सफल बच्चों की सूची में हमारे बच्चे का नाम गायब था।  

यानी कि अब हमें अन्य स्कूलों में जाकर फार्म भरने हैं और जिनका हमने फार्म नहीं भरा, वहां पर प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब अगर हमने सकारात्मक होने के बजाय थोड़ा नकारात्मक होकर सोचा होता तो हम हर किसी स्कूल के लिये फार्म भरते न। 

तो मेरे विचारो में अब परिवर्तन आ गया है और मुझे लगता है कि
  • नकारात्मक होकर व्यक्ति अपनी क्षमताओं का सही आंकलन कर पाता है।
  • नकारात्मक होकर हम अति भरोसा (ओवर-कोन्फिडेंस) में न रह कर वास्तविक धरातल पर रखता है।
  • आपके अप्रत्याशित परिणामों के लिये तैयार रखता है।
  • अन्य विकल्पों के लिये तैयार रखता है।

Manisha मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

मौसम विभाग से मौसम मजाक कर रहा है


लगता है मौसम और मौसम विभाग में छत्तीस का आंकड़ा है। 

मौसम विभाग कुछ भविष्यवाणी करता है और मौसम कुछ और गुल खिलाता है। 

पहले अप्रैल के महीने में मौसम विभाग ने कहा कि इस बार देश में अच्छी बारिश होगी तो मौसम ने मानसून को ही देश से गायब कर दिया। 

Weather मौसम


इधर मौसम विभाग  ने मानसून की समाप्ति की घोषणा की तैयारी की तो अब ऐसी बारिश हो रही है कि भयंकर बाढ़ आ गई है। 

कर्नाटक, आंध्र और उड़ीसा की बारिश के बारे में मौसम विभाग कोई भविष्यवाणी नहीं कर पाया और जबर्दस्त बारिश ने इन प्रदेशों में बाढ़ कर दी। इधर दिल्ली के आस-पास भी बारिश का मौसम है। क्या मौसम विभाग कुछ बता पायेगा कि क्या होने वाला है।

अब अपनी खिसियाहट मिटाने के लिये हम ये क्यों न कहें कि मौसम विभाग से मौसम मजाक कर रहा है?

Manisha सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

चिठ्ठाजगत के लिये नुकसान है ब्लॉगवाणी का बंद होना


ब्लॉगवाणीएक तो वैसे ही हिंदी के ब्लॉग पाठकों की संख्या की कमी से जूझ रहे हैं, वहीं दुसरी ओर हिंदी के चिठ्ठों के संकलन वाले एग्रीगेटर बंद होते जा रहे हैं। सबसे पुराना चिठ्ठा एग्रीगेटर नारद तो पहले से ही गायब था और अब ब्लॉगवाणी का बंद होना वास्तव में हिंदी चिठ्ठों के लिये बहुत नकसानदेह रहेगा।

जहां जरुरत इनकी संख्या को बढ़ाने की है वहीं पर ये बंद हो रहे हैं।

हालांकि ब्ल़गवाणी नें अपने वर्तमान रुप को बंद करने की कोई ठोस वजह नहीं बताई, जो बताई है वो किसी वेबसाईट के बंद होने के लिये को पर्याप्त कारण नहीं है।

>आखिर लोग तो वेबसाइटों की कमियों का फायदा उठाते हैं, उसके लिये कोई वेबसाइट थोड़े ही बन्द की जाती हैं?

मेरे विचार में ब्लॉगवाणी जैसे और संकलक खुलने चाहिये और उनको इन का व्यवसायिक दोहन भी करना चाहिये, बिना कमाई करे चल पाने मुश्किल हैं। फ्री सेवा करने की रोमानी दुनिया से बाहर निकल कर वास्तविक दुनिया के हिसाब से इन्हें चलाने की आवश्यकता है। आखिर अंग्रेजी के ब्लॉग एग्रीगेयटर भी तो ऐसा कर ही रहे हैं। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता तब तक हिंदी ब्लॉगजगत को खासा नुकसान है।

पुनश्च : पाठकों की मांग पर ब्लोगवाणी वापस शुरु हो गया है। बहुत ही अच्छी खबर है।

Manisha मंगलवार, 29 सितंबर 2009

ये पाकिस्तानी अखबार का चित्र है


गौर से देखिये ये भारत के किसी अखबार में छपने वाले विज्ञापन का चित्र नहीं, बल्कि पाकिस्तान के कराची शहर से छपने वाले डॉन (Dawn)  अखबार का चित्र है। 

Manisha शनिवार, 26 सितंबर 2009

ब्लॉग एक्शन दिवस पर भाग लीजिये


हालांकि ब्लाग एक्शन दिवस अमेरिका में हो रहा है लेकिन दुनिया भर के ब्लागरों और चिठ्ठाकारो के लिये खुला है। 
Blog Action Day


इसमें आप अपने चिठ्ठे को पंजीकृत करा कर ब्लाग एक्शन दिवस-2009 (Blog Action Day 2009) के लिये सहयोग कर सकते हैं। इसमें दरअसल करना ये है कि 15 अक्टूबर को दुनिया भर के ब्लॉगर एक साथ एक ही समय अपने ब्लॉगों पर महत्वपूर्ण विषयों पर लिखेंगे।

मुझे लगता है कि हम हिंदी चिठ्ठाकारों को भी इसमें भाग लेना चाहिये।

मैने अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया है आप एक्शन दिवस 2009 की साईट पर विजिट करके पंजीकरण करि लीजिये और इस में भाग लीजिये।

Manisha शुक्रवार, 25 सितंबर 2009

भारत में छोटी कारों के बाजार में घमासान


कल फोर्ड नें अपनी नई छोटी हैचबैक कार फिगो (Figo)  को पेश किया है जोकि अगले साल के शुरु से भारत में बिक्री के लिये अपलब्ध होगी। 
Ford Figo

अभी तक फोर्ड की भारत में कोई हैचबैक गाड़ी नहीं थी। दनिया भर में छाई मंदी के बीच कार कंपनियों को भारत और चीन ही एक बड़े बाजार के रुप में नजर आ रहे हैं। 

मंदी के दौर में भी भारत में छोटी गाड़ियों के बिक्री के आंकड़ो के अनुसार कारों के बिकने में बढ़ोतरी जारी है। सभी बड़ी कार कंपनियां छोटी गाड़ियों के या तो नये संस्करण जारी कर रही हैं या नये मॉडल उतार रही हैं। 

पिछले एक साल के अन्दर मारुति-सुजुकी ने रिट्ज (Ritz), एस्टिलो (Estilo), हुंडई (Hyundai)  नें आई20 (i20), टाटा मोटर्स ने इंडिका विस्टा (India Vista) तथा नैनो (Nano), फियेट ने ग्रांडे पुंटो (Fiat - Grande Punto), फोरड की फिगो इत्यादि लांच की गई हैं।

इसके अलावा पहले से ही बाजार में सुजुकी की मारुति-800, आल्टो, वैगन-आर, स्विफ्ट, जनरल मोटर्स की
Fiat-Punto
स्पार्क, यु-वा (U-VA), हुंडई की आई10 (i10), सैन्ट्रो, टाटा की इंडिका, फियेट की पालियो
इत्यादि उपलब्ध हैं। 

वोक्स-वैगन जनवरी-2010 में पोलो गाड़ी लांच कर ने वाली है। इन सब में अधिकांश गाड़ियों को कई – कई मॉडल हैं और अधाकांश के पैट्रोल व डीजल दोनों संस्करण हैं। कईयों के गैस व सीएनजी संस्करण भी उपलब्ध हैं।

भारत में बिकने वाली 70% गाड़ियां छोटी गाड़ी (हैचबेक) होती हैं, ऐसे में सभी कंपनियां इस बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहती हैं। भारत का मध्यम-वर्ग बहुत बड़ा है और उसके पास खर्च करने लायक पैसा भी है। अब कार ग्राहकों के पास अच्छे विकल्प हो गये हैं, साथ ही परेशानी भी बढ़ गई है कि किसे खरीदें और किसे नहीं?

हमारे पास फिलहाल तो 10 साल पुरानी मारुती-800 है जिससे अच्छा काम चल रहा है। जब खरीदनी होगी तब कर अन्य छोटी गाड़ियां भी बाजार में आ चुकी होंगी। मुश्किल रहेगा कि कौन सी कार खरीदी जाये?

Manisha गुरुवार, 24 सितंबर 2009

बचिये इन तांत्रिकों से


आजकल रह-रह कर इस तरह की खबरें आती रहती हैं कि किसी तांत्रिक के कहने से किसी ने किसी की बलि दे
Baba Bangali Tantrik
दी इत्यादि।

कुछ समय पहले इस तरह की खबरें आईं थीं कि पड़ोसी के बच्चे की बलि दे दी या फिर पुत्र की कामना में अपनी ही पुत्री की बलि दे दी। 

इस तरह के से समाचार सचमुच बहुत ही दुखद होते हैं और समझ में नहीं आता है कि लोग, वो भी पढ़े-लिखे लोग कैसे इन तांत्रिकों की बातों में आ जाते हैं। 

कितने ही परिवार इन तांत्रिकों के चक्कर में आकर बर्बाद हो लेकिन फिर भी  आजकल देश में खूब तांत्रिकों का धंधा खूब चल रहा है और कई सारे बंगाली तांत्रिक प्रगट हो गये हैं।

दिल्ली में अक्सर डीटीसी की बसों में तांत्रिकों के विज्ञापन वितरित किये जातें हैं और समाचार पत्रों में भी विज्ञापन दिये जाते हैं। 

इन बंगाली तांत्रिकों में से अधिकांश मुस्लिम तांत्रिक हैं। ये लोग अपने आपको माता का भक्त बताते हैं हर प्रकार का समस्या ये छुटकारा दिलाने का झांसा देते हैं। 

लोगों को इनसे सावधान रहने की आवश्यकता है। इतनी बड़ी संख्या में अचानक बंगाली तांत्रिकों के देश में दिखने से मुझे तो संदेह है कि हो सकता है कि ये सब योजनाबद्ध तरीके से देश में लाये गये हों और पड़ोसी देश के जासूस हों। 

Manisha मंगलवार, 22 सितंबर 2009

नक्सलियों के विरुद्ध प्रचार की शुरुआत


इधर नक्सलियों के खिलाफ बनी संयुक्त सशस्त्र बल कोबरा (COBRA - Commando Battalion for Resolute Action) और छत्तीसगढ़ पुलिस के द्वारा लगभग 30 नक्सलियों के मारे जाने की अच्छी खबर आई ही थी कि इधर भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा नक्सलियों के खिलाफ जनता में प्रचार करने के लिये विज्ञापन सभी अखबारों में देने शुरु कर दिये हैं। 

Manisha रविवार, 20 सितंबर 2009

एक उपाधि का नाम है ओसामा बिन लादेन


हम लोग बचपन में वेताल (फैन्टम) की कहानियां कामिक्स  में पढ़ा करते थे जिसमें  बताया जाता था कि ओसामा बिन लादेन Osama Bin Laden  पिछले 400 सालों से वेताल का अस्तित्व है और जंगल के लोग उसको अपना रक्षक मानते थे, लेकिन वास्तविकता में वेताल एक मुखौटा और उपाधी थी जिसमें परम्परागत तौर अगली पीढ़ी वेताल बनती रहती था। 

मेरे विचार में अल-कायदा का सरगना ओसामा बिन लादेन भी किसी तरह की एक उपाधि लगता है। असल में  अपनी मौत की चर्चाओं के बीच दुनिया का सबसे कुख्यात आतंकवादी और अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन एक बार फिर प्रकट हुआ है। 

रविवार को लादेन का नया वीडियो टेप सामने आया है, जिसमें उसकी तस्वीर इस्तेमाल की गई है। अल कायदा की मीडिया इकाई की ओर से जारी इस टेप को अमेरिकी जनता के नाम संबोधन करार दिया गया है। 

अल कायदा की मीडिया इकाई का दावा है कि इसमें सुनाई देने वाली आवाज लादेन की है। लादेन ने टेप में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की नीतियों को जमकर कोसा है। 

लादेन ने ओबामा को शक्ततहीन बताते हुए कहा है कि वह अफगान युद्ध को रोक पाने में पूरी तरह नाकाम साबित हुए। अमेरिका की साइट इंटेलीजेंस ग्रुप ने लादेन की इस टेप का अनुवाद जारी किया है।

दरअसल इस तरह के टेप और बयान वेताल की परंपरा का ही एक रुप लगता है। पाकिस्तान कहता है ओसामा बिन लादेन मर गया है, अमेरिका कहता है कि वो जिन्दा है और पाकिस्तान में छुपा हुआ है, अल कायदा उसके टेप जारी करके दुनिया को डराता रहता है।

भले ही ओसामा बिन लादेन मर गया हो, लेकिन उसको जिन्दा रखने की खबर बनाये रखने में सबका फायदा है।  

अमेरिका को ओसामा बिन लादेन के जिन्दा होने की कबर के सहारे अपने आतंकवाद विरोधी अभियान को चलाये रखने का बहाना मिल जाता है, पाकिस्तान को अमेरिका से डालर और हथियार बटोरने का मौका मिल जाता है, अल कायदा को अपने आतंक के साम्राज्य को फैलाने में मदद मिल जाती है, तालीबान ओसामा बिन लादेन से प्रेरणा लेता है, यानी ओसामा बिन लादेन के बने रहने में सबका फायदा है। 

इसलिये मुझे लगता है कि ओसामा बिन लादेन  के मरने की आने वाले 20-25 सालों में भी कोई खबर आने वाली नहीं है और उसके नाम को उपाधि की तरह इस्तेमाल करके कुछ मिथक तैयार करके उसके नाम का फायदा लिया जाता रहेगा।  

उसी की तरह के मुखौटे बना कर नये टेप जारी होते रहेंगे, अमेरिका उन्हें प्रमाणित करता रहेगा। वेताल की तरह ओसामा बिन लादेन भी अमर चरित्र रहेगा।

अंतिम पंक्ति :  ओसामा बिन लादेन 2 मई 2011 को पाकिस्तान को एबेटोबाबाद में मारा  गया

Manisha मंगलवार, 15 सितंबर 2009

क्या कोई राष्ट्रपिता के लिये भी तर्पण करता है?



आजकल हिन्दुओं के घर में श्राद्ध पक्ष चल रहा है और घर में श्राद्ध तर्पण होते देख वैसे ही मन में आया कि क्या कोई राष्ट्रपिता (महात्मा गांधी) और स्वतंत्रता संगाम में गुमनाम मरे लाखों क्रांतिकारियों और आन्दोलन कारियों के लिये भी तर्पण करता होगा?  

क्या लोगों को अपने घरों में श्राद्ध कर्म करते समय इनके लिये भी तर्पण कराना चाहिये?

क्या कोई राष्ट्रपिता के लिये भी तर्पण करता है?


Manisha
नासा (NASA) ने हाल ही में वापस ठीक की गई अंतरिक्षीय दूरबीन हब्बल (Hubble)  द्वारा भेजी गई नई तस्वीरें जारी की हैं। इन तस्वीरों में हब्बल नें कुछ आकाशगंगाओं (Galaxies) को देखा है और उनकी फोटो खींची हैं।

Butterfly Galaxy
ये देखिये तितली के आकार की आकाशगंगा

सभी चित्र नासा की हब्बल फोटो गैलरी से, आप पूरे चित्र वहां पर देख सकते हैं

Manisha शुक्रवार, 11 सितंबर 2009

ब्लॉग चलता है जज्बे और लगन से


हाल ही में कुछ सरकारी वेबसाइटों पर किसी विशेष जानकारी पाने के लिये जाना हुआ, लेकिन ये पाया कि वहां ब्लॉग पर वांछित जानकारी उपलब्ध नहीं है।

ऐसा कई बार हुआ है कि सरकारी विभाग अखबारों में तो विज्ञापन छपवा देते हैं लेकिन उसी विभाग की वेबसाइट पर उस विषय के बारे में कुछ नहीं मिलता। अगर मिलता भी है तो 7-8-10 दिन बाद जाकर।

ऐसा इसलिये होता है क्यों कि सरकारी विभागों में जनता को जानकारी देने का या विभागीय वेबसाइट को अपडेट करने का कोई जज्बा नहीं होता है, उनके लिये ये काम एक बोझा होती है जिसे उन्हें ढोना पड़ता है।

यही बात ब्लॉग पर लागू होती है। कोई भी ब्लॉग तब चलता है जब उसको चलाने के पीछे जज्बा होता है। दुनिया की सभी बडी बेबसाइट और ब्लॉगों के पीछे ऐसे लोग हैं जिनको उसको चलाने का जज्बा है, जिसको चलाने में उन्हें आनन्द आता है। ब्लॉगिंग में अनेक रुकावटें आती हैं और साथ ही साथ अनेक प्रकार की ब्लॉगिंग की परेशानियां और खतरे भी हैं।

कितने ही ब्लॉग लोग दूसरों की देखा-देखी या फिर ब्लॉग से पैसा कमाया जा सकता है ये सोच कर अपना भी ब्लॉग शुरू कर देते हैं। कुछ दिनों तक तो मामला चल जाता है फिर समझ में नही आता कि क्या करें? ब्लॉग तो आप किसी ऐसे विषय पर होना चाहिये जिसकी आपको जानकारी हो, जिसको लेकर आप उत्साहित हों, जिसकी जानकारी को आप दुनिया को बांटना चाहते हों।

अगर आप बिना इन सब कारणों के ब्लॉग चलायेंगे तो फिर एक समय ऐसा आयेगा जब को समझ नहीं आयेगा कि अब क्या करें? कुछ लोग इधर इधर की साईट एवं ब्लॉगों से सामग्री चलाकर ब्लॉग चलाना चाहते हैं पर वो पढ़ने वालों को समझ में आने लगता है कि आपका माल दूसरों का है।

जब आप में किसी बात ता जज्बा होगा तो आप का ब्लॉग खूद ब खुद ताजा जानकारियों से भरा रहेगा और पाठकों का भी भरोसा बना रहेगा। अत: ब्लॉग ऐसे चलाये कि आप अपनी बात रख सकें, अपने विषय की बात कर सकें, जज्बे से लिखिये फिर देखिये कैसे आपका ब्लॉग हिट होता है।

Manisha बुधवार, 9 सितंबर 2009

ब्लॉगिंग में आने वाली रुकावटें


ब्लॉगिग से संबंधित अपनी पिछली पोस्ट में मैने बताया था कि कैसे ब्लॉगिंग से परेशानियां और खतरे
हैं। आज मैं बताना चाहती हूं कि ब्लॉगिंग में कैसा-कैसी रुकावटें आती हैं।

Manisha मंगलवार, 1 सितंबर 2009

सबको पप्पू बना रहा है पाकिस्तान


आज के समाचार पत्रों में न्यूयार्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के हवाले से ये खबर प्रकाशित की गई है कि पाकिस्तान ने अमेरिका को धोखे में रखकर अमेरिका से मिली हारपून मिसाइलों को अवैध तरीके से विकसित कर लिया है, हालांकि पाकिस्तान ने इस बात का खंडन किया है। 

लेकिन सबको पता है कि पाकिस्तान अमेरिका के आतंकवात विरोधी अभियान की आड़ में अमेरिका से खूब आर्थिक और हथियारों की मदद ले रहा है। 

अमेरिका की मजबूरी है कि उसे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की मदद चाहिये ही, और इसी बात को पाकिस्तान खूब समझता है। पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका से मिल रही सैन्य मदद का गलत इस्तेमाल कर अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है।  

दिखाने के लिये पाकिस्तान अपने ही बनाये हुये तालीबान से लड़ रहा है और ऐसे दिखा रहा है कि तालीबान को कितना नुकसान हो चुका है। 

दरअसल पाकिस्तान को पता है कि एक न एक दिन अमेरिका अफगानिस्तान से जायेगा ही और तब तालीबान ही पाकिस्तान का भरोसे का साथी बनेगा और उसी के वेश में उस के सैनिक और तालीबानी अफगानिस्तान पर कब्जा कर लेंगे।  

कुल मिलाकर आतंकवाद की लड़ाई में पाकिस्तान फायदे में नजर आ रह है और अमेरिका और भारत सहित सबको पप्पू बना कर अपना हित साध रहा है।

Manisha सोमवार, 31 अगस्त 2009

मोदी का नाम पतित पावन है


भारत की राजनीतिक धर्मनिरपेक्षता में नरेन्द्र मोदी का नाम मोक्षदायिनी गंगा मां की तरह ही पतित पावन है। 

मोदी का नाम लेकर अच्छे-अच्छे रातों रात धर्मनिरपेक्ष हो जाते हैं। मोदी का नाम लेकर कल के कई सांप्रदायिक नेता रातों धर्मनिरपेक्ष साबित होकर धर्मनिरपेक्ष पार्टियों में शामिल हो जाते हैं। 

हाल ही में भाजपा से निकाले गये जसवंत सिंह ने अपनी बात रखने के लिये ही ये बताया कि वो बाजपेयी जी के साथ उस ससय थे जब बाजपेयी नरेन्द्र मोदी को गुजरात में हटाना चाहते थे। 

अरुण शौरी ने अपनी बात कहने के दौरान मोदी का नाम लिया और अब ये दोनो धर्मनिरपेक्षता मीडिया के प्रिय हो गये हैं। 

इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार भी लोकसभा चुनावों के दैरान चुनीवी मंच मोदी के साथ साझा करने को तैयार नही थे। बाद में भले ही मिल लिये। यानी कि नरेन्द्र मोदी  को गरियाते ही सब धर्मनिरपेक्ष बन जाते हैं। 

जसवंत सिंह लगातार मोदी का नाम लेकर कुछ-कुछ बयान दे रहे हैं और उन्हें इसका इनाम भी मिल रहा है।

धर्मनिरपेक्षता की झंडेदार समाजवाजी पार्टी ने जसवंत सिंह को धर्मनिरपेक्ष मानकर पार्टी में शामिल होने को कहा है। सुधीन्द्र कुलकर्णी ने धर्मनिरपेक्ष तृणमूल कांग्रेस पकड़ ली है। 

इसलिये देश में धर्मनिरपेक्षता को साबित करने के लिये जिन्ना की तारीफ करने से ज्यादा अच्छा है मोदी का नाम लेकर कुछ भी बयान देना, आप रातों-रात धर्मनिरपेक्ष होकर छा जायेंगे। 

ऐसे में ये क्यों न कहा जाय कि मोदी का नाम पतित पावन है।

Manisha बुधवार, 26 अगस्त 2009

शुक्र मनाइये कि आप दिल्ली में नहीं रहते


कल शाम दिल्ली और आस-पास के इलाके में हुई 74 मिलीमीटर बारिश ने दिल्ली वालों को रुला दिया। जन मानस

 
Jam in Delhi


कवियों नें और साहित्यकारों ने बारिश को लेकर अनेक रूमानी और मनोहर बाते लिखीं हैं. लेकिन कल शाम को हमने जो झेला वो इन सब से अलग था। 

कल शाम को हम लोग 5.30 बजे से लेकर रात 11 बजे तक जबर्दस्त जाम में फंसे रहे। एक जगह तो हम लोग साढ़े तीन घंटे तक फंसे रहे और एक इंच भी नहीं खिसके। 

इसी से आप अंदाज लगा सकते हैं किस कदर जाम था। 

आम तौर पर बारिश होने पर दिल्ली का सड़कों पर जाम लग जाता है और वाहन रेंगते हुये चलते हैं लेकिन कल तो सारे वाहन वहीं के वहीं फंस गये थे। 

दिल्ली और आसपास के इलाकों में रहने वालों को ये सब बाते रोज ही झेलनी पड़ती है। संसद के सत्र के दौरान राजनैतिक पार्टियों द्वारा किये जाने वाली रैलियों और धरनों से भी अक्सर जाम लगता है। 

गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस के अवसरों पर भी यही होता है। जो लोग छोटे और मंझोले शहरों में रहते हैं उन्हें शुक्र मनाना चाहिये कि वो दिल्ली में नहीं रहते और कम परेशानी में जिन्दगी बिताते हैं।

Manisha शनिवार, 22 अगस्त 2009

भारत के 20 वीं सदी के 10 महान नेताओं की सूची


मैंने  अपनी समझ से पिछली बीसवीं सदी (20 वीं सदी) के 10 महान भारतीय नेताओं की एक सूची बनाई है जिनकी वजह से पिछली सदी में भारत के लागों पर व्यापक प्रभाव पड़ा। कुछ नाम पर आप भी सहमत होंगे और कुछ पर आप असहमत। 

Manisha गुरुवार, 20 अगस्त 2009

केवल किताब लिखने पर सजा?


भाजपा ने जसवंत सिहं को भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है लेकिन अभी तक यह स्पष्ट
Jaswant Singh
नहीं है कि ऐसा क्यों किया गया है। 

यदि जिन्ना को लेकर किताब लिखने पर ही उनको निकाला गया है तो ये निंदनीय है। 

आखिर लोकतंत्र में कोई अपनी बात कैसे नहीं लिख सकता और क्या कोई अपनी निजी बात नहीं रख सकता? आखिर जिन्ना के उपर किताब लिखने से भाजपा का क्या नुकसान हो रहा था? 

भाजपा जसवंत सिहं द्वारा लिखित किताब से अपने आप को दूर कर ही चुकी थी फिर बात अपने आप खत्म हो जाती, केवल किताब लिखने पर किसी को राजनैतिक पार्टी से निकालना तो बिलकुल गलत है। 

जसवंत सिंह से मुझे अब हमदर्दी है हालांकि मैं तो उनकी आलोचक ही हूं। 

मैं तो जसवंत सिंह और यशवंत सिन्हा को लेकर कुछ लिखना चाहती थी कि कैसे इन लोगो ने भाजपा को कुछ देने के बजाय उसका नुकसान ही हमेशा किया है। 

अपने बूते पर ये लोग कोई भी चुनाव नहीं जीत सकते, किसी को जिताना तो दूर की बात है। ये लोग हमेशा पार्टी को ब्लैकमेल ही करते रहते हैं। हमेशा रूठे ही रहते हैं। 

जसवंत सिहं ने कंधार में जाकर अपने उपर, भाजपा के ऊपर और भारत के ऊपर ऐसा कलंक लगाया है वो कभी मिट नहीं सकता। 

इसी तरह यशवंत सिन्हा ने अपने वित्तमंत्री काल के दौरान लोगो को टैक्सों और ब्याज दरों मे कमी से रुलाया था। 

लेकिन केवल किताब लिखने पर इस तरह भाजपा से जसवंत सिंह का निष्कासन मेरे मन में उन के प्रति सहानुभूति जगा रहा है।

Manisha बुधवार, 19 अगस्त 2009

हिंदी चिठ्टों के एग्रीगेटर ब्लॉगवाणी का कल का एक चित्र देखिये कि बिना किसी पेज देखे ही पसंद संख्या 1 दिखा रहा है। आखिर ये कैसे संभव है?

How it Happend in Blogvani

Manisha बुधवार, 12 अगस्त 2009

ब्लॉगिंग से होने वाली परेशानियां और खतरे


पिछले जून महीने में मुझे ब्लॉगिंग की दुनिया में 3 साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान कई प्रकार के खट्टे मीठे अनुभव
Dangers in Blogging
हुये हैं, जिनको मैं श्रंखलाबद्ध तरीके से प्रस्तुत करूंगी। पहले मैं यह बता चुकी हूं कि ब्लॉगिंग में कैसा-कैसी रुकावटें आती हैं

जहां ब्लागिंग करने से कई फायदे हैं वहीं कुछ खतरे भी हैं।

अगर कोई कभी-कभार अपने ब्लॉग में कुछ लिखता है तब तो ठीक है लेकिन अगर कोई प्रोफेशनल ब्लॉगर है और कई घंटे दिन के इंटरनेट पर गुजारता है तो कई ऐसी बाते हैं जिनका सामना चिठ्ठाकार को करना पड़ता है और कई प्रकार के ऐसे खतरे और परेशानियं आती हैं -
  • इंटरनेट एडिक्शन – ये नये जमाने की बीमारी है जो कि अधिकांश ब्लॉगर को होती है, इसमें ब्लॉगर अपना अधिकांश समय इंटरनेट पर बिताता है। कभी मेल चेक करता है, कभी गूगल एडसेंस देखता है कभी अन्य ब्लॉग पढ़ता है और कभी टिप्पणियां करता है यानी अधिकांश समय इसी में चला जाता है।
  • सामाजिकता से नाता टूटना – जब दिन भर कम्प्यूटर की आभासी दुनिया में रहेंगे तो आस-पास की वास्तविक दुनिया से नाता कम होने लगता है। एक प्रोफेशनल ब्लॉगर का सामाजिक मिलना-जुलना कम हो जाता है।
  • वजन बढ़ना – कई घंटे बैठे रहने के कारण वजन बढ़ने लगता है। ऐसा मेरे साथ भी हुआ है।
  • बीमारियां – कई नामी ब्लॉगर इस बारे में पहले ही संकेत कर चुके हैं कि वजन बढ़ने से उच्च रक्तचाप और हार्ट अटैक की शिकायत कई अच्छे प्रसिद्ध प्रोफेशनल ब्लॉगरों को हो चुकी है और सभी नें इससे बचने की सलाह दी है। स्पोंडिलाईटिस, कमर के दर्द की परेशानी भी आम समस्या है।
  • अदालती और कानूनी झंझट – हिंदी ब्लागिंग मे तो यह अभी नहीं हुआ है लेकिन अन्य भाषाओं के चिठ्ठों मे ये हो चुका है। हालांकि हिंदी में भी पंगेबाज जी के साथ अदालती कार्यवाही की धमकी दी गई थी जिसके बाद उन्होंने अपना चिठ्ठा बंद कर दिया था। अत: इस प्रकार की परेशानियां भी आ सकती हैं।
  • लेख चोरी होना - इसके अलावा चिठ्ठों के लेखों को चुराकर अपने ब्लॉग पर लगाने की परेशानी तो लगभग हर ब्लॉगर को झेलनी पड़ती है जिससे मानसिक रिप से परेशान होना पड़ता है।


यह आवश्यक है कि सभी चिठ्ठाकार लोग व्यायाम को अत्यंत ही महत्वपूर्ण समझें और ब्लागिंग से होने वाली परेशानियो और खतरों से अपने आप को बचायें।

Manisha मंगलवार, 11 अगस्त 2009

इंटरनेट पर क्रेडिट कार्ड को पासवर्ड चाहिये


भारतीय रिजर्व बैक के आदेश के अनुसार कल से इंटरनेट पर क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करते समय पासवर्ड चाहिये होग जो कि कार्ड नंबर, कार्ड का आखिरी तारीख और सावीसी2 (CVC2) के अलावा होगा। 

ये एक अच्छा कदम है जिससे इंटरनेट पर चोरी के क्रेडिट कार्ड का प्रयोग करने पर रोक लगेगी। 

लेकिन इसके साथ-साथ दुकानों में क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में भी कोई ऐसा ही पासवर्ड का प्रयोग अनिवार्य करना चाहिये क्योंकि क्रेडिट कार्ड का अधिकांश अनधिकृत प्रयोग दुकानों में जैसे कि ज्वेलरी या मोबाईल की दुकानों में ज्यादा होता है। 

वैसे भी ये समझ में न आने वाली बात है कि अपना पैसा एटीएम से निकालने के लिये हमें पिन का इस्तेमाल करना पड़ता है लेकिन अगर कोई हमारा क्रेडिट कार्ड चुरा ले तो वो बिना किसी पिन नंबर के लाखों रुपये की खरीदारी कर सकता है और बिल हमारे नाम पर।

Manisha शुक्रवार, 31 जुलाई 2009