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ऐसा लगता है कि गोल्फ भारत का सबसे लोकप्रिय खेल है


अगर आप ने पिछले कुछ सालो में भारत के प्रमुख शहरों में बिल्डरों द्वारा बनाये जा रहे रिहायशी परियोजनायों  के लिये दिये जा रहे विज्ञापनों को अगर ध्यान से देखा हो तो आपने देखा होगा कि अधिकांश परियोजनायों में  गोल्फ कोर्स को आधार बनाया गया है। 

यानी कि एक गोल्फ कोर्स विकसित किया जाता है और उसके चारों ओर बहुमंजिली बिल्डिंग और विला बनाये जातो हैं। बड़े बड़े रंगीन विज्ञापनों में लोगों को गोल्फ खेलते हुये दिखाया जाता है। 

लोग इन  गोल्फ आधारित रिहायशी परियोजनायों को पसन्द भी कर रहे हैं। हालांकि और कोई खेल जैसे कि क्रिकेट और हॉकी के लिये कोई बिल्डर मैदान नहीं छोड़ता है और न हीं लोग बाग इसकी मांग ही करते हैं। ऐसा लगता हे कि गोल्फ भारत का सबसे लोकप्रिय खेल बन गया है।

Golf Course

Manisha गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

सरकारी नौकरियों में अब ठीक से ऑनलाईन फार्म भरने शुरु हुये हैं


सरकारी नौकरियों के बारे में जानकारी देने वाले अपने ब्लॉग को चलाने के पिछले कई वर्षों के दौरान मैंने देखा कि
Online Government Jobs Forms
अधिकांश सरकारी संस्थानों द्वारा नौकरी के लिये ऑनलाईन फार्म भरने की कोई सुविधा उम्मीदवारों को नहीं दी जाती है। 

कई सरकारी संस्थानों का तो अपनी वेबसाइट भी नहीं थी और कई की तो अभी तक नहीं है। ऐसे में कुछ सरकारी संस्थानों द्वारा  उम्मीदवारों को ऑनलाईन फार्म भरवा कर सुविधा देना संभव ही नहीं था। 

सबसे पहले कुछ सरकारी उपक्रमों (Public Sector Units) और सरकारी बैंकों द्वारा अपनी नौकरियों में इस तरह की सुविधा देने की कोशिश की गई थी। इस प्रक्रिया में उमीदवार को अपना फार्म को ऑनलाईन ही भरना होता था लेकिन उसके बाद उसको प्रिंट करके और मांगे गये परीक्षा शुल्क का बैंक ड्राफ्ट बनवाकर निर्धारित पते पर डाक द्वारा भेजना होता था। 

ये प्रकिया कहने को तो ऑनलाईन थी लेकिन उम्मीदवार को वो सारे काम करने पड़ते थे जो कि डाक द्वारा ऑफलाईन तरीके से फार्म भरने में करना पड़ता था साथ ही साथ किसी साइबर कैफे में जा कर ऑनलाईन फार्म भर कर उसे प्रिंट करने और अपना समय व पैसा खर्च करने का झंझट और रहता है।

कुछ सरकारी बैंको ने इसमें कुछ सुधार किया और कहा कि ऑनलाईन फार्म भरकर भेजने के साथ पैसा भेजने कि
  आवश्यकता नहीं है बल्कि संबंधित बैंक की किसी भी शाखा में जाकर जमा करा सकते हो और बस उसका रसीद नंबर, दिनांक और रकम को ऑनलाईन फार्म में भर दो और भेज दो। 

बैंकों ने अब कुछ समय के बाद और सुधार करते ये कहना शुरु कर दिया है कि उम्मीदवार को अपना ऑनलाईन फार्म भर कर भेजने की जरुरत नही हैं, बस उसको प्रिंट करके अपने पास रख लो और परीक्षा या साक्षात्कार के समय जमा कराना या दिखाना पड़ेगा। 

इससे उमीदवारों का कम से कम डाक से फार्म भेजने की परेशानी तो खत्म हो गई। लेकिन इसमें अभी भी ऑनलाईन तरीके से नेट बैंकिग या क्रेडिट कार्ड द्वारा पैसे लेने की को सुविधा के बारे में नहीं सोचा गया था।

इसके बाद हालांकि अब अब अलग बैंकों द्वारा अपनी चयन प्रकिया के लिये अपने अपने आवेदन मंगाने के झंझट से बचाने के लिये IBPS (The Institute of Banking Personnel Selection) द्वारा केंद्रीय चयन प्रक्रिया हो रही है। हालांकि स्टेट बैंक अभी भी अपनी अलग चयन प्रक्रिया का आवेदन मंगाता है।

आखिरकार सरकारी नौकरियों के असली वाहक संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) , कर्मचारी चयन आयोग (SSC) व कुछ राज्यों के लोक सेवा आयोगों (Public Service Commission) ने भी ऑनलाईन परीक्षा फार्म भरवाने की प्रक्रिया आरम्भ कर दी है। 

इसमें उम्मीदवार परीक्षा शुल्क नेट बैंकिग, क्रेडिट कार्ड व किसी बैंक के द्वारा या निर्धारित डाकघर के द्वारा पैसा जाम करा सकते हैं और साथ ही साथ प्रिंट करके  करके फार्म भी नहीं भेजने हैं यानी की परीक्षा फार्म भरने की पूरी प्रक्रिया का ठीक से कंप्यटरीकरण शुरू कर दिया गया है। 

अब अगले चरण में शायद ऑनलाईन परीक्षा के बारे में सोचा जायेगा।

वैसे सबसे पहले तो सभी संस्थानों की अपनी वेबसाइट होनी चाहिये और साथ ही सरकारी संस्थानों को ऑनलाईन फार्म भरवाना आवश्य़क कर देना चाहिये और आने वाले समय में जब यूनिक आइडेंटिफिकेशन का काम सरकार द्वारा कर लिया जाये तब ये परीक्षा फार्म भरने का पुराना ढंग बदल दिया जाना चाहिये और उम्मीदवार से सिर्फ उसका पहचान नंबर लेना चाहिये क्योंकि सारी की सारी जानकारी  तो सरकार के डेटाबेस में होगी ही।

Manisha मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

शादी है जी आपको परेशानी तो होगी ही


शादी का मौसम है। हर तरफ घुड़चड़ी और बैंडबाजों का माहौल है। लोग सड़कों पर पटाखे चला रहे हैं, और नाच रहे हैं। शहनाई का सुर खुशियों में इजाफा कर रहा है। सड़क पर जश्न ही जश्न है। 

Indian Marriage


लेकिन इस जश्न के पीछे गाड़ियों का एक लंबा काफिला ऐसे लोगों का है जो उस बारात का हिस्सा नहीं हैं। सड़क पर जश्न मना रहे लोगों के कारण जाम की जो स्थिति उपजी है, वो उसी जाम के शिकार हैं। खुशियों का माहौल उनके लिये शोर-शराबे से ज्यादा कुछ भी नहीं है। 

करें भी तो क्या करें! बस मन ही मन कुढ़न के अलावा और चारा भी तो नहीं हैं। सोच रहे हैं कि इन लोगों में जरा भी सिविक सेंस नहीं है। अपनी खुशी में दूसरों को परेशान करने का अधिकार इन्हें किसने दे दिया?

दिन बदला और शादी की बारातों का सीन भी बदल गया। आज वो लोग एक बारात का हिस्सा बन गये जो कल तक जाम में फंसे कुढ़ रहे थे। आज मौका इनकी खुशी का है तो भला कोई कमी कैसे छोड़ दें? 

आज वो सड़क पर नाच-गा रहे हैं, पटाखे जला रहे हैं और मस्ती में झूम रहे हैं, पटाखे जला रहे हैं और मस्ती में झूम रहे हैं। आज उन्हें बारात के पीछे खड़े गाड़ियों के काफिले की कोई चिंता नहीं है। 

आज उन्हें नागरिक दायित्व भी याद नहीं आ रहे। बस सड़क पर नाचना, जाम लगाना व आयोजन स्थल के पास की जगह को अपनी बपौती समझना आदि-आदि उनके अधिकार में शामिल हैं। कर्तव्य बोध से अनजान हैं। 

उन्हें पता है कि कल जब वह जाम में फंसे थे तो उनकी क्या मानसिक स्थिति थी। आज नहीं फंसे हैं। आज उनकी खुशी का दिन है तो दूसरों को दुख तो झेलना ही पड़ेगा।

रोज कुछ लोग झूमते हैं, और रोज कुछ लोग कुढ़ते हैं। आखिर सामाजिक दायित्वों को समझने की पहल कौन करेगा?

30-40 साल पहले का समय है। बारात लड़की वालों के यहां जानी है। सभी बारात की तैयारियों में व्यस्त हैं। बच्चे नये कपड़े मिलने की खुशी में आनन्दित हो रहे हैं। बड़े लोग करीने से कड़क कलफ लगी हुई प्रेस किये हुये कपड़े पहन रहे हैं। 

लड़के के पिताजी ने रिश्तेदारी में एवं अड़ोस पड़ोस सब जगह पहचान के लोगों को व्यक्तिगत तौर पर न्योत दिया है। सब लोग खुश हैं, बारात में जो जाना है, वहां आवभगत होगी, सत्कार होगा, इज्जत होगी। 

लेकिन ये क्या लड़के के मामाजी जरा नाराज नजर आ रहे हैं। क्या बात हो गई? अजी, बस उन्हें लग रहा है कि उन्हें ज्यादा पूछा नहीं जा रहा है। लड़के के पिता तुरंत उनको मनाने आते हैं । थोड़ी मान-मनौव्वल के बाद वो मान जाते हैं। 

ऐसे ही बारात में जाने से पहले कई रिश्तेदार और पास-पड़ोस के लोग थोड़े नखरे दिखाते हैं और लड़के वालों को उन्हें बारात में ले जाने के लिये मनाना पड़ता है। 

लड़की के घर बारात पहुंचने पर बारात का स्वागत होता है। लड़की के घर के बड़े रिश्तेदारों से लड़के पक्ष के रिश्तेदारों की पहचान और मिलनी कराई जाती है। बरातियों के खाने-पीने का इंतजाम घरातियों से अलग किया गया है। सब खुश हैं।

समय बदलता है, अब का मौडर्न समय आ गया है। अब किसी के पास समय नहीं है। लड़के वालों ने सभी जगह शादी के कार्ड भेज दिये हैं। कार्ड में साफ लिखा है "कृपया इस कार्ड को ही व्यक्तिगत बुलावे की मान्यता प्रदान करें" । 

अब कोई रूठ जाये या नाराज हो जाये किसी को परवाह नहीं है। मामाजी नाराज हो गये तो हो जाने दो। ये भी हमारे काम नहीं आते हैं। अड़ोस-पड़ोस वालों को तो कोई चाहता भी नहीं कि वो बारात में जायें। 

दहेज अब ज्यादा लिया जाता है लेकिन रिश्तेदारों और अड़ोस-पड़ोस वालों से छुपाकर। 

लड़की वाले भी अब बाराती और घराती सब का इंतजम एक जैसा और एक ही जगह करते है। अब लड़की वाले भी लड़के वालों की तरह सूटेड-बूटेड सजे-धजे नजर आते हैं। बारातियों के आने तक खाने-खिलाने का एक दौर पूरा हो चुका होता है। 

पता ही नहीं चलता कि कौन लड़की वाला है और कौन घर वाला। लड़के की शादी है कि लड़की की शादी है ये फर्क भी पता नहीं चलता। रुठने मनाने की तो कौन कहे, कोई पूछने वाला तो हो?

रिश्तों के इस गिरावट के दौर के लिये जिम्मेदार कौन है?

Manisha सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

समाचार माध्यमों को लगता है कि दिल्ली ही भारत है


कल दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में पहली बार मुसलाधार बारिश हुई जिसकी वजह से दिल्ली में अधिकांश जगह पानी भर गया और इसके कारण लोग बाग सड़कों पर जाम में फंस गये और घंटो बाद अपने घरों और गंतव्यों की ओर पहुंच पाये। 

News Media Delhi is India

हिंदी के अधिकांश टीवी समाचार चैनलों ने इसके ऊपर कार्यक्रम दिखाने शुरू करके सरकार को जमकर लताड़ लगाई। 

ये सब तो ठीक है और जिम्मेदार मीडिया को ऐसा ही करना चाहिये लेकिन क्या सिर्फ दिल्ली तक ही इस तरह की जागरुकता को सीमित रहना चाहिये? 

दरअसल, भारत के अधिकांश हिस्सों का हाल बारिश के दिनों में ऐसा ही हो जाता है बल्कि इस से भी बुरा हो जाता है, पर वहां के बारे में शायद ही कभी दिखाया या बताया जाता है। 

क्या भारत के अधिकांश शहरों में बारिश में पानी नहीं भरता है? क्या भारत के अधिकांश शहर बारिश में नारकीय दृश्य नहीं दिखाते हैं? तो फिर उनकी खोज खबर कौन लेगा? 

क्या माडिया के लिये शेष भारत कहीं है ही नही या फिर दिल्ली ही इन के लिये भारत है?

दिलचस्प बात ये है कि अधिकांश पत्रकार बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड या अन्य राज्यों के हैं जहां पर बिजली, सड़क, पानी की हालत खराब ही है। बारिश में वहां की हालत बहुत ही खराब जैसी स्थिति रहती है लेकिन ये लोग कभी इन राज्यों की चर्चा भी नहीं करते हैं। 

पर दिल्ली में अगर आधे घंटे बिजली जाने पर विशेष कार्यक्रम दिखाते हैं, लेख लिखते हैं, बारिश के दिनों में जाम लगने पर संपादकीय लिखते हैं, 26 जनवरी की परेड़ के कारण लगने वाले जाम की चर्चा करते हैं लेकिन शेष भारत की किसी समस्या के बारें बहुत ही कम बात करते हैं। 

क्या आपने अपने शहर की समस्या के बारे में मीडियी में कोई प्रोग्राम देखा?

Manisha रविवार, 7 फ़रवरी 2016

लोकतांत्रिक देश में धरने प्रदर्शनों के लिये कोई जगह नहीं


हम लोग कई बार जब दिल्ली में घूमने के लिये निकलते समय अगर कनॉट-प्लेस के पास स्थित जंतर मंतर पर पहुंच जाते हैं तब वहां पर देखते हैं कि वहां पर सड़क के दोनो ओर कई प्रकार के धरने और प्रदर्शन चल रहे होते हैं, जिन कई व्यक्ति और संगठन अपनी विभिन्न मांगो को लेकर धरने में शामिल रहते हैं। 

कई बार शाम को वहां पर लोग मोमबत्तियां जला कर भी अपना विरोध किसी बात पर व्यक्त कर रहे होते हैं। इन लोगों को की वजह से जंतर मंतर पर काफी गहमा गहमी रहती है और पुलिस की भी व्यवस्था रहती है। 


कई मीडिया कर्मी भी वहां इन धरने प्रदर्शनों को कवर करने के लिये आते रहते हैं। इस के अलावा कई बड़े लोग जैसे कि खिलाड़ी, फिल्मी कलाकार और राजनेता इन धरने प्रदर्शनों को अपना समर्थन देने आते रहते हैं। 

एक लोकतांत्रिक देश में ये सब होते ही रहना चाहिये क्योंकि इसी से पता चलता है कि लोग अपनी आस्था लोकतंत्र में बनाये रखते हैं और इस विश्वास में रहते हैं कि उनकी बात सुनी जायेगी।


Delhi Dharna Place Jantar Mantar


इसी के पास संसद मार्ग पर संसद मार्ग थाने के सामने संसद का घेराव और कई बड़े राजनैतिक प्रदर्शनों के लिये आये दिन कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं जिन कई बार बड़े-बड़े राजनेता भी पहुंचते हैं।

लेकिन इस सब में लोगो कई प्रकार की परेशानियां उठानी पड़ती हैं। संसद मार्ग और उसके आस पास बहुत सारे सरकारी, गैर सरकारी व मीडिया के कार्यालय हैं जिनमें काम करने वाले कर्मचारियों को इस तरह के आये दिन होने वाले धरने-प्रदर्शनों की वजह से रास्ता परिवर्तन व भीड़-भाड़ होने से काफी परेशानी उठानी पड़ती है। 

अक्सर इनकी वजह से जबर्दस्त जाम लग जाते हैं जिसकी वजह से लोग इन धरने प्रदर्शन वालों और नेताओं को कोसने लगते हैं। इसके अलावा जो लोग जंतर मंतर पर पर धरने के लिये आते हैं उनके लिये भी किसी भी प्रकार के कोई इंतजाम नहीं होते हैं।

इसलिये मेरा मानना है कि दिल्ली में और हो सके तो सभी राज्यों की राजधानियों में जहां कि अक्सर किसी न किसी बात को लेकर धरने प्रदर्शन होते रहते हे वहां पर लोकतंत्र के इस जीवंत रुप के लिये स्थायी रुप से बड़ी जगह निर्धारित की जानी चाहिये जैसे कि इंगलैंड में लंदन में हाइड पार्क में किया गया है। साथ ही साथ पूरे क्षेत्र में पुलिस सुरक्षा, पेयजल की व्यस्था, शौचालय की व्यवस्था, मेडिकल की सुविधा भी प्रदान की जानी चाहिये। 

धरने के बाद जाम न लगे इसके लिये भी तजाम किये जाने चाहिये। क्या ये अपने आप मे विचित्र नहीं लगता कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में आजादी के 70 से ज्यादा वर्षों के  बाद भी धरने-प्रदर्शनों के लिये कोई जगह नहीं हैं?

Manisha शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

चाउमीन भारतीय व्यंजन बन चुका है


ऐसा लगता है कि चाउमीन अब भारतीय व्यंजन बन चुका है। मैं जहां कहीं भी जाती हूं वहां पर चाउमीन  बिकता हुआ देखती हूं।  बड़े-बड़े रेस्तरां हों या  फिर पटरी बाजार चाउमीन सब जगह बिक रहा है। 

मैंने तो इसे गांव - देहातो के बाजारों में भी खूब धड़ल्ले से बिकते हुये देखा है। 5 रुपये से लेकर 100 रुपये तक की वेज चाउमीन कहीं भी मिल जाती है। 

गरीब से गरीब आदमी भी बाजार में चाउमीन  खाता हुआ दिख जाता है। 

Manisha मंगलवार, 18 अगस्त 2015

भारत में पोर्न बन्द नहीं हो सकता


भारत सरकार मे 857 पोर्न वेब साईटों को बन्द करने का आदेश क्या दिया, भारत में तुफान खड़ा हो गया
No Indecent thing about Porn in India

सब लोग विरोध में लगे हें। भारत सरकार डर कर वापस अपना आदेश वापस ले रही है।

जिस  देश में पोर्न की अभिनेत्री को पूजा जा रहा हो, इंटरनेट पर सबसे ज्यादा खोजा जा रहा हो, वहां पर बन्द नहीं हो सकता है पोर्न।

ध्यान देने की बात है कि अब कोई अश्लील सामग्री नहीं है अब केवल पोर्न है या बोल्ड है।

कामुकता और अश्लीलता अब पुराने जमाने की बातें हैं।

Manisha गुरुवार, 6 अगस्त 2015
आज बाबा साहब अंबेडकर जी के 125वें जन्मदिवस के अवसर पर गूगल भी शेष भारत की तरह अपनी ओर से श्रद्धांजली दे रहा है।  आज गूगल अपने लोगो में अंबेडकर जी की तस्वीर दिखा रहा है।

Ambedkar on Google Logo


Manisha मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

ब्लॉगरों को सर्विस टैक्स देना होगा


अच्छे दिनों के इंतेजार में बैठे लोगों को कुछ मिला या नहीं पर भारत के छोटे छोटे चिट्ठाकारों ब्लॉगरों का लगता है कि मोदी सरकार ने परेशान करने की ठान Bloggers to pay service taxली है|

वित्त मंत्री अरुण जैतली द्वारा पेश किए गए बजट के अनुसार ऑनलाइन विज्ञापन के लिए अपनी वैबसाइट पर जगह उपलब्ध करने पर अब सर्विस टैक्स देना होगा |

भारत में हजारों लोग अपनी छोटी मोटी वैबसाइट गूगल एडसेंस को विज्ञापन के लिए उपलब्ध कराते हैं |

हिन्दी मैं तो वैसे चिट्ठाकार ज्यादा नहीं कमाते हैं पर अँग्रेजी भाषा में लोग काफी कमा लेते हैं। ऐसे ब्लोगरों को सर्विस टैक्स देना होगा जबकि इनकम टैक्स तो पहले से देना ही पड़ रहा है |

यानी अब ऑनलाइन घर पर मेहनत करके कमाने के दिन भी गये और अपनी आय का 45.36 प्रतिशत कर के रूप में भारत सरकार का दे कर उनके दिन अच्छे करिये, अपने अच्छे दिन तो पहले ही नहीं थे |

Manisha शनिवार, 12 जुलाई 2014

आखिर किस को वोट दें? किसी पार्टी में कोई गुण है और किसी में कोई ओर गुण। अरविन्द केजरी में सरलता और
आखिर किस को वोट दें? Whom to Vote
ईमानदारी है, मुलायम सिंह यादव में हिंदी प्रियता है, मायावती में कड़क प्रशासन है, कांग्रेस में ऐसी कश्मीर नीति है जिसमें किसी से बात न करना ही ठीक है, मोदी में अच्छी गवर्नेंस है तो ममता में नीचे तक के लोगों से संपर्क।  

क्या ये सारे गुण मिलाकर कोई नहीे हो सकता जिसको हम अपना वोट द सकें?

Manisha मंगलवार, 8 अप्रैल 2014
Yesterday, across Rwanda, thousands are gathering in stadiums, churches, and community centers to take part in Kwibuka - Remembrance. 20 years ago marked the start of 100 of the darkest days in human history. 1 million people were killed in the Rwandan Genocide. I  stand with the survivors and will not let the million lost be forgotten.  Let us pray for them.

I am with Rawanda


Manisha

इस ब्लॉग का पहले का डोमेन नाम मेरे से असावधानी वश कब अपनी मियाद पूरी करके खत्म हो गया कुछ पता
https://www.HindiDiary.com
ही नहीं चला। मैंने बहुत कोशिश की कि मुझे पहले वाला डोमेन नाम वापस मिल जाये परन्तु ऐसा न हो सका । अतः हारकर अब नया डोमेन नाम https://www.HindiDiary.com लिया है । उम्मीद है कि अब इस हिंदी ब्लॉग पर लेखन निरंतर बना रहेगा ।

Manisha रविवार, 13 जनवरी 2013
जिस प्रकार हिंदी के अपने ब्लॉग के मैंने अपने खुद के डोमेन पर स्थापित कर लिया था इसी प्रकार अब मैंने अपने
https://www.SarkariNaukriBlog.com
सरकारी नौकरी वाले ब्लॉग को भी उसके खुद के डोमेन https://www.SarkariNaukriBlog.com पर स्थापित कर दिया है। You should visit www.SarkariNaukriBlog.com daily to know all the latest Government (Sarkari Naukri) Job information.

Manisha गुरुवार, 1 मार्च 2012

लूट के लिये बड़े आयोजन


राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर जो भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं उस बीच भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक [कैग] की रपट भ्रष्टाचार को प्रमाणित करती प्रतीत होती है। 

Big Events for Lootखुशी की बात है कि सर्वोच्च न्यायालय इस केस को देख रहा है और उम्मीद रखनी चाहिये कि सही निर्णय कर दोषियों को सजा दी जायेगी। 

राष्ट्रमंडल खेलों के भ्रष्टाचार पर नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक [कैग] की रपट कम से ये तो यकीन दिलाती है कि कहीं कोई तो है जो अपनी बात कह रहा है और गलत बात को पकड़ रहा है।

दूसरी बात ये है कि राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन के समय जो भ्रष्टाचार का खेल चला उस के बाद ये बिलकुल स्पष्ट है कि भारत में अगर कोई बड़ा आयोजन हो रहा है तो सिर्फ इसलिये कि अधिकारी और नेता लोग पैसे खा सकें। 

आपको बताया ये जायेगा कि ऐसे आयोजनों से खिलाड़ियों को सुविधायें मिलेंगी, नये स्टेडियम बनेंगे, शहर की हालत सुधरेगी आदि आदि लेकिन असल में सारा आयोजन बड़ें पैमाने जेब भरने के लिये होता है। 

हमें भारत में ओलम्पिक करने या विश्व कप फुटबाल का आयोजन करने के लिये की जाने वाली किसी भी मांग पर सतर्क हो जाना चाहिये।

Manisha शनिवार, 6 अगस्त 2011

भारत के क्रिकेट वर्ल्ड कप विजेता बनने पर बधाई


पिछले डेढ़ महाने से चल रहे क्रिकेट वर्ल्ड कप 2011 को भारत ने जीत लिया है और अब भारत क्रिकेट का नया विश्व विजेता है। सभी लोगों को इस बात के लिये बधाई।

आज भारत के अधिकांश लोगो में देशभक्ति जोर और हिलोरें मार रही है।

ऐसी ही देशभक्ति का जज्बा, जोश और जनून देश के लोग अब भ्रष्टाचार भारत की तमाम परेशानियों के लिये बने रखे ऐसी ही उम्मीद के साथ ऐक बार फिर क्रिकेट का नया विश्व विजेता बनने की बधाई।

Cricket World Cup 2011

Manisha रविवार, 3 अप्रैल 2011