गांधी के विचारों को भी तो बचाईये
महात्मा गांधी की निजी वस्तुओं को जिसमें उनका चश्मा, जेब घड़ी, चप्पलें, एक प्लेट और एक कटोरी शामिल है, को अमेरिकी में नीलामी किये जाने के खिलाफ भारत सरकार काफी प्रयत्न कर रही है कि किसी तरह ये नीलामी रुक जाये और गांधीजी की विरासत जो कि देश की धरोहर है देश में वापस आ जाये।
सरकार का और उस पर इस नीलामी को रोकने के लिये दबाब डालने नालों का ये प्रयास सराहनीय है लेकिन ये और भी सराहनीय होगा यदि सरकार और सब लोग मिल कर गांधीजी के विचारों को बचायें। हो ये रहा है कि गांधी जी की वस्तुयें बचाई जा रही हैं और उनके विचारों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
गांधी के विचारों को भी तो बचाईये
कमेंट मोडरेशन अब जरुरी है
लेकिन ये बात कि किसी भी ब्लॉग, साइट या फोरम पर होने वाले किसी भी कमेंट के लिये उस साइट, ब्लॉग को चलाने वाला जिम्मेदार माना जायेगा, बहुत ही खतरनाक है। इस तरह तो किसी भी चिठ्ठ् पर, वेबसाइट पर या फोरम साइट पर जो कुछ लोगो द्वारा लिख जा रहा है उसका जिम्मेदार उसको चलाने वाला माना जायेगा। अत: अब ये जरुरी हो गया है कि सभी चिठ्ठाकर अब अपने चिठ्ठे पर कमेंट मोडरेशन को लागू करें व सभी प्रकार की टिप्पणियों पर नजर रखें। वर्ना कभी भी किसी को लगा कि उसकी भावनायें आहत हो रही हैं तो वो परेशान कर सकता है।
कमेंट मोडरेशन अब जरुरी है
हमारे ये स्वयंभू ठेकेदार
ऐसे ही लोग अलग-अलग स्वयंभू ठेकेदारी की ऐसी कई दुकानें इन दिनों चल रही हैं :
- भारत की संस्कृति के ठेकेदार - इस तरह की ठेकेदारी की दुकान कई लोग चला रहे हैं। विश्व हिंदु परिषद, बजरंग दल, शिवसेना तथा आजकल चर्चा में श्रीराम सेना। भारत की संस्कृति की रक्षा ये लोग भारत की सभ्यता और संस्कृति की धज्जियां उड़ा कर करते हैं। इनको खुद को भारत की भारत की संस्कृति का ज्ञान नहीं है लेकिन भारत की संस्कृति के स्वयंभू ठेकेदार हैं।
- प्रगतिशीलता के स्वयंभू ठेकेदार - कुछ लोग भारत में प्रगतिशीलता और आधुनिकता के स्वयंभू ठेकेदार हैं जिनमें पत्रकार खास कर अंग्रेजी मीडिया के, पेज थ्री की सोशलाइट्स तथा वो लोग शामिल हैं जो भारत की परंपरागत सभ्यता, संस्कृति, भाषा आदि बिलकुल भी पसंद नहीं है। इस तरह के स्वयंभू प्रगतिशील लोग संस्कृति सभ्यता के ठेकेदारों का विरोध करने के लिये शराब, पब, कोकीन की रेव पार्टियां, कम कपड़े पहनने का रिवाज, समलैंगिकता इत्यादि किसी भी बात के जबर्दस्त समर्थन करते हैं, इनके लिये सामाजिक मान्यतायें इत्यादि कुछ मायने नहीं रकती हैं।
- धर्मनिरपेक्षता के स्वयंभू ठेकेदार - ये एक ऐसी ठेकेदारी है जिसे हर कोई करना चाहता है और हर कोई धर्मनिरपेक्षता का स्वयंभू ठेकेदार बना फिरता है और अपने को धर्मनिरपेक्षता का और दूसरों को सांप्रदायिक होने का प्रमाणपत्र फटाफट जारी कर देता है। लगभग सारे ही पत्रकार, वामपंथी पार्टियां, सभी जातिवादी दल, मौका परस्त दल इत्यादि इसमें हैं। भारत में ये सबसे बड़ी स्वयंभू ठेकेदारी है । आप कैसे भी घोटाले कीजिये, जातिवादी राजनीति करिये, दलबदल करिये, विशेष धर्म को आरक्षण की मांग करिये, विशेष धर्म की सारी सही-गलत बातों को मानिये आप धर्मनिरपेक्षता के स्वयंभू ठेकेदार बने रहेंगे।
- हिंदुओं के ठेकेदार – हिंदुओं के भी कई स्वयंभू ठेकेदार हैं। भाजपा, शिवसेना, विश्व हिंदु परिषद, बजरंग दल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, आर्य समाज इत्यादि हिंदुओं के स्व घोषित ठेकेदार हैं। इन्हें हिंदुओं के हित से ज्यादा दूसरे धर्मो इत्यादि के मामले में बोलने की आदत है। हाल ही में उड़ीसा के एक मंदिर मे एक मंत्री के दर्शन करने के बाद मंदिर को धोने जैसी कलंकित घटना पर इनकी जुबान नहीं चली और ऐसी घटना भविष्य में न हो, इसके लिये कोई प्रयास नहीं किया गया लेकिन दूसरे धर्म से संबंधित कोई बात हो फिर देखिये कैसे कैसे बयान आते हैं।
- मुस्लिमों के ठेकेदार – इस तरह के ठेकेदार मुसलमानो को हमेशा बताते रहते हैं कि देखो तुम्हारा भला हमारे साथ रहने में ही है वर्ना तुम खतरे में हो। मुसलमानों को ये कभी नहीं बताते कि अच्छी पढ़ाई लिखाई करो, जागरुक बनो, तरक्की करो, आर्थिक रुप से सक्षम बनो लेकिन उनको उर्दू के नाम पर, आरक्षण दिलाने के नाम और उनकी पहचान खत्म होने के खतरे के नाम पर बरगलाते रहते हैं।
- मानवाधिकारों के स्वयंभू ठेकेदार – इस तरह की ठेकेदारी के भी कई स्वयंभू ठेकेदार घूम रहे हैँ। इस तरह के ठेकेदारों की ठेकेदारी हमेशा अपराधियों, आतंकवादियो के मानवाधिकारों के नाम होती है। बटाला हाउस में हर ऐसा मानवाधिकारों का हर स्वयंभू ठेकेदार हो आया, लेकिन हाल ही में महाराष्ट्र के गढ़चिरोली में नक्सलियों द्वारा मारे गये 15 पुलिसवालों के लिये किसी मानवाधिकारी ने एक भी बयान नहीं दिया और न हीं कोई फैक्ट फाइंडिंग टीम भेजी। मानवाधिकारों की ठेकेदारी करने से अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त होते हैं और दुनिया भर में भाषण देने के लिये बुलाया जाता है।
- भारत-पाक की शांति के स्वयंभू ठेकेदार – भारत और पाकिस्तान की शांति की बाते करने की ठेकेदारी भी बड़ी मजेदार है। ऐसे लोग भारत-पाक की सीमा पर मोमबत्तियां जलाकर और एक दूसरे के देश में मुफ्त में प्रायोजित दौरे करते रहते हैं और बार बार बताते है कि दोनो देशों में कितनी समानतायें हैं, खाना एक है, बोली एक है, जुबान एक है इत्यादि- इत्यादि।
- कश्मीर के ठेकेदार – कश्मीर की जनता ने भले ही हाल के विधानसभा चुनावों में भारी मात्रा में भाग लेकर इनको नकार दिया हो लकिन ऑल पार्टी हुरियत कांफ्रेंस कश्मीर के सबसे बड़े स्वयंभू ठेकेदार हैं। इन्होने आजतक किसी भी चुनाव में भाग नहीं लिया लेकिन कश्मीर का जनता की नुमाइंदगी की पूरी ठेकेदारी इनकी है। ये भारत-पाकिस्तान के बीच के कश्मीर विवाद के स्वयंभू तीसरे पक्षकार हैं।
- युवाओं के स्वयंभू ठेकेदार - कांग्रेस के भावी प्रधानमंत्री राहुल गांधी आजकल युवाओं को आगे बढ़ाने के नाम पर युवाओं के नयें स्वयंभू नेता बन रहे हैं।
- जातियें के ठकेदार – कुछ लोग अपनी राजनीति की दुकान विभन्न जातियों के स्वयंभू नेता बन कर चलाते हैं। इस तरह के नेता उन जातियों के ऊले की कोई बात नहीं करते हैं, उनको आगे बढ़ाने की कोई कोशिश नहीं करते हैं लेकिन चुनाव में उनके थोक में वोट पाने के लिये उनको स्तेमाल करते हैं।
- ब्लागिंग के स्वयंभू – हिंदी और अंग्रेजी चिठ्ठाकारी में भी कई स्वयंभू घोषित लोग हैं, कोई भारत का पहला स्वयंभू प्रोफेशनल ब्लोगर है, कोई हिंदी का पहला स्वयंभू चिठ्ठाकार है, कोई रेल में बैठ कर चिठ्ठाकारी करने वाला पहला स्वयंभू ब्लोगर है, कोई हवाई जहाज से लिखने का पहला ब्लोगर है, कोई बताता है कि हिंदा चिठ्ठाकारी में स्तरीय लेखन नहीं होता है और बताता है कि कैसा लेखन होना चाहिये।
हमारे ये स्वयंभू ठेकेदार
मैकाले की शिक्षा का विकल्प क्या है?
मैकाले की शिक्षा का विकल्प क्या है?
गणित का प्रश्न : राजनीति में कौन किसके साथ है?
- समाजवादी पार्टी की कहना है कि भाजपा और बसपा मिले हुये हैं।
- बसपा का कहना है कि कांग्रेस, सपा और भाजपा मिले हुये हैं।
- भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस के इशारे पर बसपा वरुण गांधी पर रासुका लगा रही है।
- मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस से बिना समझौते के अलग चुनाव लड़ रही है लेकिन संयुक्त प्रगतिशील मोर्चे (संप्रग - UPA) को उसका समर्थन है और उसका कहना है कि देश में धर्मनिरपेक्षी सरकार बिना कांग्रेस के नही बन सकती।
- लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान के दल बिहार में कांग्रेस को हटाकर अलग से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन संप्रग के घटक दल हैं।
- लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान के दल संप्रग के घटक दल हैं लेकिन मुलायम सिंह यादव के साथ मिलकर एक नया चौथा मोर्चा भी बना लिया है
- अन्नाद्रमुक की जयललिता कांग्रेस के साथ जाना चाहती हैं और भाजपा को खुश करने के लिये कुछ कुछ हिन्दुत्व समर्थक बयान भी जारी कर देती हैं।
- शरद पवार का दल संप्रग का घटक दल है लेकिन वो खुद भी प्रधानमंत्री बनना चाहते है
- वामपंथी दल अब संप्रग के घटक दल नहीं हैं, अलग से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन चुनावों के बाद परिस्थितियों को देखते हुये सरकार में शामिल हो सकते हैं।
- मायावती की पार्टी तीसरे मोर्चे के साथ भी है और देश भर में अकेले चुनाव भी लड़ रही है।
मेरी तो समझ में नही आ रहा कि कौन किसके साथ है? कोई बता सकता है कि कौन सी पार्टी किस से मिली हुई है और किसके विरोध में है। यह एक गणित का प्रश्न का बन गया है कि राजनीति में कौन किसके साथ है।
गणित का प्रश्न : राजनीति में कौन किसके साथ है?
वॉग मैगजीन अब भारत में भी
अपनी पसंद की मैगजीन फेमिना लेने पास के ही स्टाल पर जाना हुआ तो देखा कि वॉग (Vogue) भी नई पत्रिकाओं की भीड़ में रखी है। बुक स्टाल वाले ने बताया कि ये अब यहां भी शुरु हो गई है।
वॉग मैगजीन अब भारत में भी
लोकसभा टीवी - एक स्तरीय समाचार चैनल
इन फिल्मों को देखने के दौरान और बाद में लोकसभा टीवी पर हमने कई और प्रोग्राम देखे। देखने के बाद पता चला कि लोकसभा टीवी दूरदर्शन की छाया से मुक्त है।
लोकसभा टीवी के कार्यक्रम वेबकास्ट के जरिये भी यहां देखे जा सकते हैं। कार्यक्रमों की समय-सारणी यहां उपलब्ध है।
लोकसभा टीवी - एक स्तरीय समाचार चैनल
जिंदगी कम करती शिफ्ट की नौकरी
जिंदगी कम करती शिफ्ट की नौकरी
भारतीय बचत नहीं करते
वैसे यह सर्वेक्षण पुरानी मान्यताओं को तोड़ता हुआ दिख रहा है। अभी तक को भारतीय अपनी आय में से कुछ न कुछ बचाने की कोशिश करते थे, खास कर व्यवसायी वर्ग तो बचत के लिये मशहूर हैं।
कड़ी : नेशनल काउंसिल फॉर अप्लाइड इकनोमिक रिसर्च की वेबसाइट
भारतीय बचत नहीं करते
गांव के इन नामों का क्या मतलब है?
खबर के इन गांवों के नामो को पढ़ कर लगा कि यह नाम किस आधार पर रखे गये होंगे। मैं कोई इतिहास की
छात्रा नहीं रही हूँ बल्कि मैं तो आई टी (IT) की छात्रा रही हूँ, लेकिन सामान्य जानकारी के अनुसार पुराने समय से ही गांवों, कस्बों व शहरों के नामों को रखने का कोई ठीक-ठीक सा कारण मालूम होता है। अत: यह एक कौतुहल का विषय है कि ऊपर लिखे नामों का क्या आधार रहा होगा। ये नाम गाजियाबाद जिले के एक विधानसभा क्षेत्र के हैं, यदि अन्य सभी जगहों का यदि अध्ययन किया जाये तो काफी नाम ऐसे मिलेंगे जो कौतुहल पैदा करेंगे।
गांवों, कस्बों व शहरों के नामों को रखने का आधार जितना मुझे समझ आया है उसके अनुसार नाम, खासकर गांवों और मुहल्लों के नाम अधिकतर किसी व्यक्ति या किसी जाति या किसी इलाके की ओर इशारा करते हैं। मसलन, जगतसिंहपुरा, टीकरी ब्राह्मणान, खटिकाना, सेवला जाट, पुरवियों का मोहल्ला, जटवाड़ा, मुहल्ला कायस्थान इत्यादि।
कुछ प्रचलित आधार ये हैं:
- पुर - किसी विशेष कारण, व्यकि विशेष, जाति इत्यादि के ऊपर रखे हुये नाम जैसे कि जयपुर, उदयपुर, बाजपुर, ईश्वरपुर, इस्लामपुर, आदि।
- बाद - अधिकांश मुस्लिम लोगों द्वारा या उनके नामों पर बसाये गये गांव, शहर जैसे हैदराबाद, उस्मानाबद, फिरोजाबाद, गाजियाबाद आदि।
- गढ़ी - अधिकांश वह जगह जहां पर छोटी सैनिक चौकी या छोटा-मोटा किला इत्यादि होता था, छोटे राजा, जमीदार या सामंतों का रहने की जगह क्योंकि उन्हें बड़े राजा, बादशाह, महाराणा इत्यादि के लिये यहां पर सैनिक रखने होते थे। जैसे गढ़ी भदौरिया, प्रह्लाद गढ़ी आदि।
- गढ़ - वह स्थान जहां कुछ बड़े किले या सैन्य व्यवस्था थी जैसे कि कुम्भलगढ़, सज्जनगढ़।
- सर - जहां पर पानी के बड़े तालाब इत्यादि थे, मसलन अमृतसर, मुक्तसर, गरड़ीसर आदि।
- डेरा - जहां पर किसी बडे फकीर या फौज के बड़े ओहदेदार का डेरा था जैसे कि डेरा बाबा फरीद खां, डेरा इस्माइल खां, डेरा गाजी आदि।
- नगर - किसी के नाम पर या किसी के द्वारा बसाया हुआ, रिहाइशी इलाका जैसे विजयनगर, श्रीनगर आदि।
- मंडी - नाम से ही पता चलता है कि ये मंडी होगी जैसे मंडी सईद खां, लोहा मंडी आदि।
इसके अलावा गांवों के नामों में इलाके के आधार पर भी कुछ वर्गीकरण है जैसे कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नाम के नगला शब्द प्रचलन में है जैसे कि नगला धनी, नगला छउआ, नगला पदी आदि, वहीं पश्चिमी राजस्थान के गांवों के नाम में वास और ढाणी का खूब प्रयोग होता है जैसे कि गैलावास, मीणावास, ठाकुरावास, ईश्वरसिंह की ढाणी, पटवारी की ढाणी आदि। गांवों के नाम के बारे में एक दिलचस्प बात ये है कि यदि नाम में खुर्द है तो एक गांव उसी नाम का कलां भी होगा जैसे कि अगर एक गांव है टीकरी खुर्द तो पड़ोस में एक गांव टीकरी कलां भी होगा।
अब आप लोग इस पृष्ठभूमि में बतायें कि विधायक साहब द्वारा घूमें गये गांवों के नामों का क्या आधार है? गांवों, कस्बों व शहरों के नामों को रखने के बारे में और जानकारी आप लोग यहां दे सकते हैं।
गांव के इन नामों का क्या मतलब है?
उफ यह गलत हिन्दी
- उत्तर भारत के अधिकांश ट्रकों के पीछे 'मां का आशीर्वाद' लिखा होता है। लेकिन यह हमेशा ही गलत रुप में 'मां का आर्शीवाद' लिखा होता है।
- अधिकांश दर्जियों की दुकानों पर हिंदी में 'शूट स्पेशलिस्ट' लिखा होता है, जबकि अंग्रेजी में हमेशा सही Suit Specialist लिखा होता है।
- खोमचे पर इडली-डोसा बेचने वालों की दुकानों पर 'इटली-डोसा' लिखा रहता है। कई बार यह और भी गलत रुप में इटली-डोशा लिखा होता है।
- सभी जगह पर सड़क (रोड - Raod) के लिये 'रोड़' लिखा रहता है।
- कई जगह जहां सड़क पर दुर्घटना होने की काफी संभावना रहती है, वहां लगाये हुये नोटिस बोर्ड पर अक्सर 'दुर्घटना संभावित क्षेत्र' की जगह 'दुर्घटना ग्रस्त क्षेत्र' लिखा रहता है। क्या उस क्षेत्र के साथ दुर्घटना होने की संभावना होती है?
उफ यह गलत हिन्दी
एक चिठ्ठी माननीय श्री शरद पवार, अध्यक्ष, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के नाम
यह चिठ्ठी एक अनाम भारतीय क्रिकेट प्रेमी की ओर से अध्यक्ष बीसीसीआई को लिखी जा रही है। इसे करोड़ो भारतीयों की तरफ से लिखा माना जाये।
आदरणीय शरद पवार जी,
सादर नमस्कार,
आज मैंने रात भर जाग कर भारत और श्रीलंका के बीच विश्व कप क्रिकेट 2007 के लिये हुये मुकाबले को देखा। जैसी करोंड़ो भारतीयों की इच्छा थी, उसके अनुसार न खेलते हुये भारत की टीम ने श्रीलंका के आगे घुटने टेक दिये।
मेरे अनुसार भारत की क्रिकेट टीम अक्सर ही ऐसा करती रहती है। इसलिये मैं आपके सामने यह प्रस्ताव रखना चाहता हूँ कि भारत की क्रिकेट टीम के वर्तमान खिलाड़ियों की जगह मुझे और मेरे मोहल्ले के तमाम लड़कों को भारतीय टीम में रखा जाना चाहिये। हमें भी मौका मिलना चाहिये।
वर्तमान भारतीय क्रिकेट टीम के एक एक सदस्य को 1 लाख रुपये प्रति वन डे मैच के हिसाब से मिलते हैं (शायद इससे ज्यादा ही मिलते हैं) , लेकिन फिर भी यह टीम हार जाती है। शरद जी, हम लोग यह काम 50 हजार में करने को तैयार हैं ।
यानी की आखिर टीम को हरवाना ही है तो हम 50 प्रतिशत डिस्काउंट पर टीम हराने को तैयार हैं। हम टीम को हरवाने की पूरी गारंटी लेंगे (अगर आप लोग चाहें तो इससे भी कम पर बात कर सकते हैं)।
जो काम भारत की टीम 50 ओवर में करती है, वो हम 25 ओवर में ही करवा देंगे। आप एक मौका तो दे कर देखिये।
शरदजी, यकीन जानिये इससे कई फायदे होंगे। आप देखेंगे कि इसमें सबका फायदा है, हमारा, आपका, आम जनता का और देश का। आइये, मैं आपको बताता हूँ कि ये सब फायदे कौन कौन से हैं।
सबसे पहला फायदा तो यह हमें ही होगा। हम भारत की टीम को परमानेंटली हरवाने के जो पैसे लेंगे उससे हमारी गरीबी दूर होगी। हम आम भारतीयों को भी क्रिकेट की ग्लैमर भरी दुनिया देखने को मिलेगी।
जनता का देखिये कितना फायदा होगा, जब हम गारंटी के साथ भारत की क्रिकेट टीम को हरवायेंगे तो अरबों-करोड़ों भारतीयों को जीत की कोई आशा ही नहीं होगी और फिर किसी भी भारतीय क्रिकेट प्रेमी का दिल नहीं टूटेगा।
हम आशा के अनुरुप ही प्रदर्शन करेंगे। जब दिल ही नहीं टूटेगा तो देश के लोग-बाग खुश रहेंगे और उनकी उत्पादकता बढ़ेगी। टीवी से लोग कम चिपकेंगे और काम के ऊपर ध्यान देंगे।
मुझे और मेरे साथियों या मेरे जैसे ही करोड़ों भारतीयों में से ही किसी को खिलाने से देश का भी बहुत फायदा है। जब हम गारंटी से हारेंगे तो देश में कहीं भी विरोध स्वरुप धरने प्रदर्शन नहीं होगा। देश की कानून व्यवस्था काबू में रहेगी।
हम 25 ओवर में ही भारत की क्रिकेट टीम को हरवायेंगे तो करोंड़ो भारतीय जो क्रिकेट टीवी पर देखते हैं वो टीवी को जल्द ही बंद कर देंगे इससे बिजली की कितनी बचत होगी आप अंदाज लगा सकते हैं।
हमारी आधी मैच फीस से भी देश को आर्थिक फायदा होगा।
अब मैं आपको बताता हूँ कि मुझे भारतीय क्रिकेट टीम में मौका देने में आपका कितना फायदा है।
अब ये तो सभी जानते हैं कि आप एक मंझे हुये राजनीति के खिलाड़ी हैं। आपकी हर चाल में राजनीतिक नफा-नुकसान का आंकलन होता है। मुझे मौका देने में आपका राजनीतिक फायदा भी बहुत है।
सर्वप्रथम तो आप मुझ जैसे आम आदमी को मौका देकर देस में यह प्रचार कर सकते हैं कि आप और आप की सरकार आम आदमी का कितना ध्यान रखती है।
"आपकी सरकार आम आदमी के साथ" यह नारा आप लगा सकते हैं।
हमारी गरीबी दूर होगी तो आप हल्ला कर सकते हैं कि आप का शासन में आम आदमी की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।
जब टीवी पर मैच ज्यादा देर तक न देखे जाने के कारण टीवी बंद होने का कारण बिजली की बचत होगी, देश में बिजली की उपलब्धता बढ़ेगी जिसे भी आप अपने पक्ष में भुना सकते हैं।
आप भी निश्चित होकर किसानों की समस्याओं की ओर ज्यादा दे पाओगे और विपक्षियों का मंह बंद कर पाओगे।
अत: आप से विनम्र निवेदन है कि एक बार मुझे क्रिकेट टीम में मौका जरूर दीजिये और आम आदमी के हाथ मजबूत कीजिये।
आपका,
एक भारतीय क्रिकेट प्रेमी - अ.ब.स.
एक चिठ्ठी बीसीसीआई के अध्यक्ष श्री शरद पवार के नाम
वैधानिक चेतावनी - कमजोर दिल वाले क्रिकेट मैच न देखें
एक खबर के अनुसार जामनगर में एक आदमी भारत की बंगलादेश के खिलाफ विश्व कप में हार के सदमे को बर्दाश्त न कर पाने के कारण दिल का दौरा पड़ने से मर गया। इस बात को ध्यान में रखकर मेरे ख्याल से एक वैधानिक चेतावनी भारत द्वारा खेलने वाले सभी क्रिकेट मैच प्रसारणों पर तुरंत प्रभाव से प्रसारित की जानी चाहिये।
यह प्रसारण एक हॉरर शो है। इसको कमजोर दिल वाले न देखें। बच्चे अपने माता-पिता के साथ देखें। इस मैच में कुछ भी हो सकता है। भले ही भारत की ओर से एक दीवार (Wall), एक नवाब, एक सुल्तान, एक महाराजा, एक युवराज, एक मास्टर-ब्लास्टर खेल रहे हों, या फिर कोई दो लीटर दूध पीने वाला खेल रहा हो, भारत कभी भी, कहीं भी, किसी से भी हार सकता है। भारत की टीम आम आदमी की तरह प्रदर्शन कर सकती है। इस चेतावनी के बाद भी अगर कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से मैच देखता है, तो अपने हर्जे-खर्जे का जिम्मेदार खुद होगा
वैधानिक चेतावनी - कमजोर दिल वाले क्रिकेट मैच न देखें
भरमाने वाले चित्र
कुछ चित्र ईमेल के जरिये अक्सर देखने को मिलते रहते हैं। इम बार किसी मित्र ने भरमाने वाले ऐसे चित्र भेजे कि देख कर सिर चकरा गया। हालांकि उस दिन होली थी और थोड़ी सी ठंडाई (भांग वाली) पी थी, लेकिन वो तो बहुत थोड़ी थी।
इसलिये पक्का करना पड़ा कि ये चित्र ही घुमावदार हैं। कुछ चित्र इनमें से पहले देखे हुये थे, लेकिन कुछ नये और अनदेखे हैं।
लिहाजा इनको चिठ्ठे में समाहित करके सार्वजनिक करने का इरादा कर लिया। तो आप सब भी इन चित्रों को देखिये और कुछ देर तक भ्रम की स्थिति में रहिये।
बैंगनी लाईने सीधी हैं या घूमी हुई? |
बीच का कौन सा गोला बड़ा है? |
चौकोरों के बीच में गोले किस रंग के हैं? |
आदमी का चेहरा और अंग्रेजी का L से शुरू होता शब्द |
क्या ये संभव है? |
भरमाने वाले चित्र
चिठ्ठा जगत ब्लॉगिंग के यक्ष प्रश्न
अब हिंदी चिठ्ठा जगत ब्लॉगिंग के पांच (कईयों के मामले में और भी ज्यादा) यक्ष प्रश्नों से कोई चिठ्ठाकार नहीं बच सका, यहां तक नीलिमा जी ने अपने वाद-संवाद में टैग कर के बताया कि मुजरिम हाजिर है और फिर डॉन ने अपने गुर्गो में हमारा नाम देकर गैंगवार में नाम शामिल कर एनकाउंटर का खतरा बढ़ा दिया है।
डॉन को तो पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है, लेकिन उसको गुर्गे तो पकड़े क्या एनकाउंटर में खलास भी हो जाते हैं।
तो एनकाउंटर से बचने के लिये जरूरी है कि जल्द से जल्द नीलिमा जी और डॉन के प्रश्नों के उत्तर दिये जायें।
बड़े बड़े नामी और वरिष्ठ चिठ्ठाकार भी इसकी चपेट में आ गये तो मुझ जैसी नई चिठ्ठाकार की बिसात ही क्या?
टैगियाने का यह बढ़ता हुआ छूत का रोग सबको गिरफ्त में लेता हुआ मेरे दरवाजे भी आ खड़ा हुआ।
पहले पहले मुजरिम बनने के कारण पूछे गये प्रश्न
प्रश्न : आपकी चिट्ठाकारी का भविष्य क्या है?
- मेरे विचार में मेरे द्वारा की गई हिंदी चिठ्ठाकारी का भविष्य बहुत ही उज्जवल है, हालांकि यह बात अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने वाली बात होगी परन्तु मेरा विचार तो यही है, क्योंकि हालांकि हिंदी चिठ्ठाकारी में नई ही हूं, फिर भी शुरुआत के दिनों और अबके दौर में बहुत फर्क आ गया है। आप सभी लोगों कि टिप्पणियां मेरे जैसे लोगों के लिये प्रोत्साहन का कार्य करती हैं, और अब आप सब के साथ मिल कर चिठ्ठाकारी करने में हिचक नहीं रही। अब जब भी कोई नई ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त होती है तो बस उसे सब लोगों के साथ बांटने बैठ जाती हूं। अब तो यह आलम है कि कहीं कोई समाचार, कोई आलेख, कोई घटना देख मन में यह ख्याल आता है कि अगर इसके ऊपर ब्लॉग पोस्ट बनाई जाये तो कैसा रहे? आप लोग भी अपनी टिप्पणियों द्वारा खूब प्रोत्साहित करते हैं तो आगे भी हिम्मत कर पाती हूं। हिंदी में लिखने के शुरूआता दौर में यही नहीम समझ में आता था कि क्या लिखूं? इसीलिये शुरुआती दौर में इधर-उधर से देखे शेर और दिल्ली की हमारा बदनाम ब्लू लाइन बसों में चिपके हुये ड्राइवरों के सड़कछाप शेर-डॉयलॉग इत्यादि लिख कर देखा कि हिंदी लिख भी सकते हैं कि नहीं। पर शुरुआती दिनों कि झिझक तो अब खैर नहीं रही बल्कि अब तो लगता है कि हिंदी चिठ्ठा जगत तो एक परिवार की तरह है । इसलिये मैं मानती हूं कि यदि हिंदी चिठ्ठा ग्रुप इसी तरह कार्यरत रहा तो हिंदी चिठ्ठाकारी का भविष्य बहुत ही उज्जवल रहेगा और अन्य नये लोग भी इन चिठ्ठों को पढ़कर प्रोत्साहित होंगे।
- सारे ही लोग टिप्पणी करके प्रोत्साहित करते हैं तो किसी विशेष का नाम लेना उचित नहीं होगा।
- दरअसल बात ये है कि आप सब लोग इस बात से परिचित होंगे कि हमारे किस्से कहानियों में और खास तौर से हिंदी फिल्मों में अक्सर दिखाया जाता है कि किसी प्रसिद्ध कहानीकार या शायर को चाहने वाली कई लड़कियां होती हैं, जो कई बार तो खाली शायर के नाम से ही प्यार करने लगती हैं। तो मैं अपने हिंदी जगत के प्रसिद्ध और पुराने या जो लोग आजकल जीत रहे हैं, उनसे पूछना चाहूंगी कि क्या उनकी कोई गुमनाम प्रशंसिकायें है जो कि चिठ्ठों पर टिप्पणी न करके सीधे ई-मेल भेजती हों?
- मेरे अपने जब किसी भी कारणवश परेशान होते हैं तो मैं बहुत ज्यादा परेशान हो जाती हूँ। उस समय लगता है कि कोई जादू की छड़ी होती सब सही कर देती, पर ऐसा कहां मुमकिन है। मेरे बच्चे, पति, रिश्तेदार, अड़ोस-पड़ोस इत्यादि में जब कोई परेशान होता है तो मैं परेशान हो जाती हूँ। यानी यदि कोई दूसरा परेशान होता है तो मैं भी परेशान हो जाती हूँ।
- यूँ तो मैं भगवान की कृपा से झूठ नहीं बोलती हूँ। लेकिन ये भी नहीं मैं आजकल के जमाने में सत्यवादी हरिश्चंद्र हूँ। एक बार मजाक में बोला गया झूठ काफी मजेदार है। हुआ यूँ कि मैंनें अपनी बिटिया के लिये एक नई ड्रेस खरीदी थी। उसने जब उस ड्रेस को पहना तो वो बड़ी खुश हुई और मेरे से बार-बार पूछने लगी कि कहां से खरीदा है। टालने की गरज से और मजाक में मैंने कह दिया कि भीख में लाये हैं। उसने अड़ोस-पड़ोस सब जगह खुशी-खुशी बता दिया कि मेरी मम्मी ये ड्रेस भीख में लाई हैं। यह बात याद करके आज भी हंसी आ जाती है।
और अब सीबीआई के वो प्रश्न जिनका जबाव देकर मैं क्वात्रोची की तरह बच जाउंगी।
प्रश्न : हिन्दी चिट्ठाकारी ही क्यों?
- हिंदी चिठ्ठाकारी इसलिये क्योंकि मैं हिंदी भाषी हूँ, हिंदी में ही सोचती हूँ और हिंदी की तरक्की चाहती हूँ।
- अपनी शादी पर। क्यों? कभी किसी पोस्ट में बताउंगी।
- अ-भारतीय
- अपना (हिंदीबात).. हा. हा... (श्रीशजी की तरह - रावण वाली हंसी) , सभी अच्छे चिठ्टे हैं , किसी एक का नाम पूछकर गैगवार छिड़ने का खतरा है और मेरा एनकाउंटर पक्का है।
- अभी तो फिलहाल हिंदी चिठ्ठाकारी के माध्यम से ही कुछ सेवा हो सकती है, बाकि जैसा आदेश हिन्दी चिट्ठाजगत के 'भाई' लोगों का हो।
चिठ्ठा जगत ब्लॉगिंग के यक्ष प्रश्न
शाबाश सौरव दादा!
शाबाश सौरव दादा!
आदिवासियों का वेलेंटाइन डे भगोरिया
इस भगोरिया को फसल पकने और होली की खुशी का भी प्रतीक माना जाता है। साल भर अलग-अलग स्थानों पर काम धंधा करने वाले आदिवासी भगोरिया पर्व पर अपने अपने घरों पर लौट आते हैं और गिले शिकवे भुलाकर मौज मस्ती के साथ इस पर्व को मनाते हैं।
कड़ियां:
आदिवासियों का वेलेंटाइन डे भगोरिया
राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन की सैर
भारत के राष्ट्रपति के निवास राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन को आम जनता के लिये खोल दिया गया है। मुगल गार्डन में स्थित स्परिचुअल गार्डन, हर्बल गार्डन एवं बैयोडाइवर्सिटी पार्क आदि को भी जनता के दर्शनार्थ खोला गया है।
मुगल गार्डन को सर एडविन लुटियन ने डिजाइन किया था। इस के डिजाइन की पेरणा उन्हें ताजमहल के बगीचों और जम्मू और कश्मीर के खूबसूरत मुगलिया बागों से मिली थी।
मुगल गार्डन 15 एकड़ में फैला हुआ है। मुगल गार्डन के तीन भाग हैं। पहले भाग में आयताकार गार्डन है जो कि राष्ट्रपति भवन की मुख्य इमारत से लगा हुआ है। इस गार्डन में चार कोने हैं जिसके हर ओर टैरेस गार्डन है।
मुगल गार्डन में 128 प्रकार के गुलाबों के फूल लगे हैं। अभी हाल ही में मुगल गार्डन में तीन नये फुव्वारे लगाये गये हैं। ये संगीतमय फुव्वारे हैं जो कि शहनाई और वंदेमातरम की धुनों पर घूमते हैं।
इस रविवार को मैं अपने परिवार के साथ मुगल गार्डन घूम कर आई हूं, यह एक बहुत ही अविस्मरणीय अनुभव रहा। अगर आपने अभी तक मुगल गार्डन नहीं देखा तो यह एक सुनहरी मौका है, 18 मार्च तक आप प्रोग्राम बना सकते हैं। मुगल गार्डन आपको हमेशा याद रहेगा।
मुगल गार्डन के बारे में और यहां पर जानें।
राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन की सैर
बॉस - एक भारतीय ऑपरेटिंग सिस्टम
फ्री/ ओपेन सोर्स सोफ्टवेयर के राष्ट्रीय संसाधन केन्द्र (National Resource Centre for Free/Open Source Software (NRCFOSS)) द्वारा तैयार किया गया लाइनक्स का एक संस्करण है। इसे खास तौर पर भारतीय परिस्थितियों के लिये तैयार किया गया है। इसमे एक सुन्दर डेस्कटॉप है, जिसमें भारतीय भाषाओं का खास समावेश किया गया है। इसके अलावा इसमें भारत के सरकारी क्षेत्र में प्रयोग होने वाले साफ्टवेयर पैकेजों को शामिल किया गया है।
विशेषतायें
- चित्रमय इंस्टालर
- सिस्टम की तेज शुरूआत और
- दोस्ताना जी-नोम (GNOME) डेस्कटाप
- वाडियो के लिये ज्यादा सहयोग
- 3D डेस्कटाप
- भारतीय-OO (Bharatheeyaa OO) - ओपेन ऑफिस 2.0.1 का भारतीय संस्करण (इस समय केवल हिंदी और तमिल में उपलब्ध)
- पेन ड्राइव, सीडी व अन्य मीडिया के लिये सहयोग
- लाइफेरिया (Liferea) – RSS/RDF रीडर
- टीवी ट्यूनर कार्ड सपोर्ट
- ब्लूटूथ (Bluetooth) सपोर्ट
- अच्छे इंटरनेट टूल – Firefox, Gaim, Xchat
- Input Method - SCIM with Remington Keyboard Layout for Tamil, Hindi, Punjabi,and Marati
- बोनफायर - एक CD/DVD Burning tool
बॉस बनाने वालों उद्देश्य इसे भारत की सभी 22 राष्ट्रीय भाषाओं में काम करनेलायक बनाना है ताकि अंग्रेजी न जानने वालों तक भी सूचना प्रौद्योगिकी का फायदा पहुंच सके, जो कि अभी तक नहीं पहुंच पाया है।
बॉस के बारे में और जानने के लिये इसके विकी पेज (BOSS Wiki) की यात्रा करें जहां आपको बॉस के चित्र तथा विवरण मिलेगा। आप अपने विचार भी व्यक्त कर सकते हैं।
कड़ियां:
बॉस - एक भारतीय ऑपरेटिंग सिस्टम
असली बॉस कौन है?
कल आशीष गुप्ता जी ने महिलाओं का रासायनिक विश्लेषण किया था। लेकिन उनको हम महिलाओं की सही पहचान नहीं है। हम रासायनिक ही नहीं बल्कि भौतिक रुप से भी पुरूषों पर भारी हैं। इस के लिये मैंने ढ़ूढ़कर ये चित्र निकाले हैं। अब इन चित्रों को आप भी देखिये। हास्य का जवाब हास्य से।