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हिंदी ब्लॉगरों के लिये डॉट कॉम लाइफ स्टाइल अभी संभव नहीं


हिंदी ब्लॉगिंग अभी भी शैशव अवस्था में ही है। 2006-2009 के दौरान हिंदी में काफी ब्लॉग शुरू किये गये थे और हिंदी ब्लॉगिंग ने एक आंदोलन का रुप ले लिया था। ब्लॉग के लिये हिंदी में चिठ्ठा शब्द ईजाद किया गया जो कि अपने आप में काफी प्रचलित हुआ।

इसी दौरान अंग्रेजी में भी कई भारतीय और विदेशी ब्लॉगरों ने अलग अलग विषयों पर ब्लॉग बना कर ब्लॉगिंग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। इन लोगों ने ब्लॉगिंग की इस विधा को पूर्ण समय के लिये अपनाया और कइयों ने तो अपनी अच्छी खासी नौकरियां छोड़ कर ब्लॉगिंग को अपनाया और ब्लॉगिंग ने भी इनके निराश नहीं किया और इन सभी ब्लॉगरों को अच्छा खासा नाम और मिला और लाखों रुपये की मासिक आमदनी भी मिली।

ब्लॉगिंग के इस काम से ब्लॉगरों को कहीं भी कहीं भी काम करने की सुविधा मिली और अपने समय को वो लोग अपने परिवार और अपने शौक को दे पा रहे हैं। इसी से डॉट कॉम लाइफ स्टाइल शब्द ने जन्म लिया।

इस डॉट कॉम लाइफ स्टाइल में आदमी (ब्लॉगर) अपने समय का खुद मालिक है और अपने आराम करने और सोने के समय में भी पैसा कमा रहा है। अपने समय का अपने हिसाब से प्रयोग कर सकता है। हालांकि ऐसी स्थिति पाने के लिये अच्छी खासी मेहनत और किस्मत भी चाहिये।

Dot Com Lifestyle for Hindi Bloggers
Dot Com LifeStyle for Hindi Bloggers


पर हिंदी ब्लोगिंग वालो के लिये ये अभी बहुत दूर की कौड़ी है।

एक तो हिंदी ब्लॉगिंग में उच्च स्तरीय ब्लॉग नहीं हैं, वहीं ब्लॉग से पर्याप्त मात्रा में आय न हो पाना भी एक कारण है। दरअसल हिंदी ब्लगिंग की सबसे बड़ी समस्या अभी भी पाठकों की कम संख्या है।

कम ब्लॉग ट्रैफिक के कारण हिंदी ब्लॉगरों उतनी कमाई भी नहीं कर पाते है। साथ ही साथ हिंदी ब्लॉगरों ने पिछले 2-3 सालों में इन सब हालातों को देखते हुये सोशल मीडिया जैसे कि फेसबुक और ट्विटर पर अपने आपको स्थानान्तरित कर लिया है जहां पर तुरंत कमेंट और लाइक के द्वारा उनको पसंद किया जा रहा है ओर इस तरह हिदी ब्लॉगरों ने अपने आपको सोशल माडिया पर स्थापित कर लिया है।

अपने मोबाइल से हिंदी ब्लॉगर कहीं से भी अपनी बात लिख पा रहे हैं। इससे हिन्दी ब्लॉगरों को पाठक मिले हैं। लेकिन हिन्दी ब्लॉगिंग के विकास के लिये कोई ज्यादा अच्छी बात नहींं है। इस कारण हिंदी मे प्रोफेशनल या पेशेवराना ब्लॉगिंग का स्वतंत्र विकास नहीं हो पा रहा है। दरअसल सोशल मीडिया से पैसा कमाना तो अभी संभव नहीं है। भविष्य में शायद हो सकता है।

एक और अन्य बात ये है कि सोशल मीडिया में लिखे गये ब्लॉग को पेज खोजी इंजन जैसे कि गूगल और बिंग इत्यादि द्वारा नहीं सहेजा जाता है। जिसकी वजह से इंटरनेट संसार पर हिंदी के पेजों की संख्या अन्य भाषा के पेजों के मुकाबले में कम है। इसी वजह से विज्ञापन देने वाले संस्थान हिंदी के वेब पेजों पर अभी हिंदी में विज्ञापन नहीं दे रहे हैं। और इसी वजह से इंटरनेट पर विज्ञापनों का प्रबंधन करने वाली लगभग सभी कंपनियां हिंदी ब्लॉगरों को अपने विज्ञापन के लिये अयोग्य घोषित कर देती हैं।

हालंकि गूगल ऐडसेंस ने अब हिंदी के वेब पेजों के लिये अपना दरवाजा खोल दिया है। पर हिंदी विज्ञापन अभी भी न के बराबर हैं।

मार्च 2016 में गूगल ने गूगल ऐडसेंस के ऊपर एक कार्याशाला का आयोजन किया था, जिसमें मुझे भी जाने के लिये निमंत्रण मिला था। इस कार्यशाला में गूगल की एक प्रस्तुति हिंदी वेब पेजों के लिये थी। गूगल के अनुसार आने वाले समय में भारत में स्मार्ट फोन बढ़ने वाले हैं और ये बढ़ोत्तरी अधिकांशतया छोटे शहरों, कस्बों और ग्रामीण इलाकों में होने वाली है, ऐसे समय में वो अपनी भाषा यानी कि मुख्य रुप से हिंदी में ही इंटरनेट पर रहना चाहेंगे।

गूगल का ये मानना है कि इन भाषाओं में कंटेट की जबर्दस्त मांग आने वाली है। गूगल ने अपनी तरफ से इसके लिये काफी तैयारी कर रखी है। गूगल ऐडसेंस को पहले ही हिंदी के लिये खोल दिया गया है, और गूगल ने अनुवादक और टाइपिंग टूल दिये हैं।

अब गूगल ने अपने सर्च इंजन में भी हिंदी, हिंगलिश, अंग्रेजी हिंदी मिश्रित भाषा, अंग्रेजी में लिखी गई हिंदी को समझ कर उससे हिंदी को जानने वाले कलन विधि (अलगोरिदम) का विकास कर लिया है। लेकिन गूगल के अनुसार हिंदी में इटरनेट पर अभी कथन (कंटेंट) कम है और ये काम तो केवल हिंदी वाले ही कर सकते हैं।

गूगल की इस बात को पहले से स्थापित अंग्रेजी के कई बड़े और नामी विषय आधारित वाले ब्लॉगरों ने समझ लिया है और वो अपनी विषय सामग्री को ब्लॉग के हिंदी संस्करणों को भी शुरु कर रहे हैं या करने वाले हैं।

ऐसे में जब तक हिंदी ब्लॉगर इंटरनेट पर हिंदी में कथन का विकास नहीं करते तब तक हिंदी ब्लॉगरों की कमाई बढ़ने वाली नहीं है और हिंदी ब्लॉगरों के लिये डॉट कॉम लाइफ स्टाइल तब तक संभव नहीं है।

पर आने वाले समय में तय है। इसलिये हम सब हिंदी ब्लॉगरों को इंटरनेट पर खूब लिखना चाहिये और हिंदी के प्रसार प्रचार में योगदान देना चाहिये।

Manisha सोमवार, 13 जून 2016

तेंदुए के साथ रहना सीखना होगा


पिछले कुछ समय से भारत के तमाम शहरों, कस्बों और गांवो से तेंदुए के घरों में या लोगों की बस्तियों में घुस आने की खबरें आती रहती हैं। कुछ समय पहले बैंगलुरु के एक स्कूल में  तेंदुए के घुसने की खबर सुर्खी बनी थी। इससे पहले आगरा, मुम्बई, लखनऊ, देहरादून इत्यादि तमाम शहरों से  तेंदुए के लोगों के घरों और बस्तियों में घुस आने के समाचार रह रह कर आते रहते हैं। 

दरअसल रिहायशी इलाके लगातार बढ़ रहे हैं साथ ही साथ आधुनिक विकास ले लिये भी तमाम जमीन घेर ली जा रही है और जंगल क्षेत्र लगातार घट रहे हैं। इस वजह से छोटे जंगली जानवर भी कम होते जा रहे हैं और इन पर निर्भर बड़े जंगली जानवरों को अपनी भूख मिटाने के लिये बचे खुचे छोटे जंगली जानवर कम पड़ रहे हैं।

वनस्पतियों के कम होने से अन्य जानवर भी मानव बस्तियों में धावा बोलने लगे हैं। बंदर इसका एक उदाहरण है जो कि खाने की तलाश में मानव बस्तियों पर निर्भर हो गये हैं और तमाम शहर और कस्बे इन बंदरों से परेशान हैं।


बैंगलुरू के स्कूल में तेंदुआ


तो  तेंदुए भी खाने की तलाश में और सुरक्षित पनाहघर ढूंढने के लिये मानव बस्तियों की और आ रहे हैं और रोजाना हमको ये  तेंदुए के घरों में घुसने का समाचार मिलता है।

तेंदुए के साथ साथ रहना सीखना होगा (Living with Leopards -  लिविंग विद लियोपार्डस) 


तो समस्या ये है कि अब क्या किया जाये?  एक तो ये कर सकते हैं कि जैसे चल रहा है वैसे ही चलने दें और कोशिश की जाये कि तेंदुए मानव बस्तियों में ना आ पायें, दूसरा ये हो सकता है कि हम उनकी स्थिति को समझें और तेंदुओं के साथ सामन्जस्य बैठाया जाये। 

लोगों को तेंदुओं के खतरे को कम करने की व्यावहारिक सलाह दी जानी चाहिये । यह व्यावहारिक सलाह  उन सभी लोगों के लिये मुफीद रहेगी जो कि ऐसे इलाकों में रहते हैं जो तेंदुआ बहुल हैं और जहां से तेंदुओं के लोगों के घरों में घुसने के समाचार आते रहते हैं।  यहां लोगों के घरों में आए दिन तेंदुओं के घुसने के मामले सामने आते रहते हैं।

तेंदुओं के साथ रहते हुए खतरे को कम करने के व्यावहारिक उपाय

  • यह समझें कि तेंदुए इस इलाके स्वाभाविक निवासी हैं, और सिर्फ इनका दिखना खतरा नहीं है
  • तेंदुए हमारी बनाई हुई बाड़, वन क्षेत्र और कॉलोनियों को नहीं समझते।
  • यह सुनिश्चित करें कि अंधेरा होने के बाद बच्चे बड़ों की निगरानी में रहें। 
  • अंधेरा होने के बाद अकेले न निकलें। अगर जरूरी हो मोबाइल हो तो इस पर संगीत बजाएं। तेंदुओं को यह लगना चाहिए कि आसपास लोग हैं। तेंदुएं लोगों को संपर्क में आने से बचते हैं।
  • अगर कोई तेंदुआ दिख जाता है तो उसे चुपचाप वहां से जाने दें।
  • अगर कोई तेंदुआ दिख जाए तो उसके चारों ओर भीड़ न लगाएं। भीड़ लगने से वह डर जाएगा और भागने के क्रम में किसी को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • कूड़ा निपटान की सही व्यवस्था सुनिश्चित करें और कुत्तों को घर के अंदर रखें।
  • तेंदुओं से निपटने का एक मात्र अधिकार वन विभाग को है। किसी भी आपात स्थिति में कंट्रोल रूम को फोन करें।

Manisha शुक्रवार, 10 जून 2016

मसूरी की ऐतिहासिक इमारतें


उत्तराखंड के देहरादून जिले में स्थित प्रसिद्ध हिल स्टेशन मसूरी की स्थापना अंग्रेजों (कैप्टन यंग) द्वारा 1827 में की गई थी। 

यह पहाड़ी शहर उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून से 38 किलोमीटर दूर है। मसूरी में कई प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं और यहां का मौसम गर्मियोंं नें सुहावना और सर्दियों में ठंडा रहता है, जिसकी वजह से यहां साल भर पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है, खास तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लोगों द्वारा क्योंकि ये दिल्ली से सिर्फ 285 किलोमीटर है।  

चूकि मसूरी को अंग्रेजों द्वारा अपने रहने के स्थान पर विकसित किया गया था, आज भी यहां उनकी बनाई हुई पुरानी इमारते शान से खड़ीं है। 

पिछले दिनों हम भी मसूरी की यात्रा पर परिवार सहित गये थे। वहीं पर कुछ ऐसी ही कुछ इमारतों की फोटो हमने खींची थी, तो मसूरी की मनोरम फोटो के साथ वहां कि कुछ ऐतिहासिक इमारतों को भी दखिये।

मसूरी का मनोरम विहंगम दृश्य
मसूरी का मनोरम विहंगम दृश्य

मसूरी का मनोरम विहंगम दृश्य - कंपनी गार्डन
मसूरी का मनोरम विहंगम दृश्य - कंपनी गार्डन


मसूरी का सेंट जार्ज कॉलेज
मसूरी का सेंट जार्ज कॉलेज


मसूरी का मेथोडिस्ट चर्च
मसूरी का मेथोडिस्ट चर्च


मसूरी का मेथोडिस्ट चर्च
मसूरी का मेथोडिस्ट चर्च

मसूरी का रेलवे रिजर्वेशन आरक्षण केंद्र
मसूरी का रेलवे रिजर्वेशन आरक्षण केंद्र



मसूरी में महाराजा कपूरथला का महल
मसूरी में महाराजा कपूरथला का महल


मसूरी की एक्सचेंज बिल्डिंग Exchange Building Mussoorie



मसूरी की एक्सचेंज बिल्डिंग The-Exchange-Mussoorie



मसूरी लाइब्रेरी
मसूरी लाइब्रेरी

Manisha सोमवार, 6 जून 2016

स्मार्ट ट्रैवलर कैसे बनें?


गर्मियों का मौसम है और बच्चों की छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं। 
स्मार्ट ट्रैवलर कैसे बनें?

जब से भारत में औसत आय में बढ़ोतरी हुई है और
विभिन्न वेबसाइटों द्वारा ऑनलाइन होटल और रेल या हवाई यात्रा बुक करने की सुविधा हुई है, भारत में पर्यटन को जबर्दस्त बढ़ावा मिला है। 

भारतीय अब अधिक यात्रायें करने लगे हैंं। ऐसे में स्वाभाविक है कि गर्मियों की इन छुट्टियों में लोग कहीं न कहीं घूमने का कार्यक्रम बना ही रहे होंगे। 

लेकिन घूमनें का कार्यक्रम बनाने के लिये कई बातों का ध्यान रख कर आप  स्मार्ट ट्रैवलर बन सकते हैं।  


स्मार्ट ट्रैवलर बनने के लिये प्रमुख रूप से इन बातों का  ध्यान रखें : 
  • पहले से ही रेल या हवाई यात्रा और होटल को बुक करें -  पहले से आरक्षण कराने से आपको पैसे की भी बचत होगी और यात्रा में किसी प्रकार की परेशानी भी नहीं होगी। 
  • कम सामान पैक करें -  अगर आप ज्यादा समान ले जा सकते हैं तो ठीक है, पर कम सामान ही ले जाना बेहतर है। आपको कोशिश ये करनी चाहिये कि सामान आधा और धन दुगना लेकर यात्रा करें। दूसरी जगह पर कुछ सामान खरीद पर कुछ नया किया जा सकता है। आजकल शॉपिंग भी यात्राओं का जरुरी भाग है।    
  • स्लीप मास्क और ईयर प्लग रखें -  ये खास तौर पर हवाई जहाज, रेल या आपके होटल के कमरे में काम आ सकते हैं।  
  • सूटकेस का आदर्श उपयोग करें -  कपड़ों को को तह करके रखने के बजाय लपेट कर रखें। मोजे और अंडरवियर इत्यादि को जूतों के अंदर रखा जा सकता है। कोई भी जगह खाली न छोड़ें।  
  • एक शॉल रखें -  यह हवाई जहाज, रेल या फिर शाम को घूमते समय में आपको हल्की ठंड से बचाने में काम आ सकता है। सामान में रखने में भी हल्का होता है और कम जगह घेरता है।  
  • बैग रखें - किचन में सेैडविच रखने वाल छोटा लिफाफा और अन्य प्रकार के कई छोटे छोटे बैगआपकी यात्रा का कुछ सामान रखने में काम आ सकते हैं। इनको किसी भी बैग में रखा जा सकता है। जूते और गंदे कपड़े इत्यादि भी इन्हीं प्रकार के बैगों में रखे जा सकते हैं।   
  • हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन से खाने का समान न खरीदकर अपना खाने का सामान लेकर जायें -  आप अपने पैसे को इस प्रकार बचा सकते हैं और साथ ही साथ अगर रेल या हवाई जहाज के देर से चलने की स्थिति में ये खाना का सामान आपके काम आ सकता है।
  • सामान को अलग अलग पैक में रखें - अगर आप यात्रा में एक से अधिक शहरों में जा रहे हों तो सामान को अलग अलग इस प्रकार पैक करें कि आप को अलग अलग शहरों में सामान एक ही पैक में मिल जाये और आप को सारा सामान ऊपर नीचे न करना पड़े और कई बार पैकिंग न करनी पड़े।  साथ ही अगर आप दो या अधिक लोग जा रहे हैं तो सामान को एक दूसरे के सामान के साथ साझा कर सकते हैं इससे अगर कोई बैंग खो जाये तो आपका कुछ सामान दूसरे के बैग में मिल जायेगा।    
  • कई पोर्ट वाला एक्सटेंन्शन यूएसबी और बिजली का बोर्ड लेकर चलें अपने मोबाइल, टैबलेट और कैमरा के लिये कई पोर्ट वाला एक्सटेंन्शन य़ूएसबी और बिजली का बोर्ड लेकर चलें। ये तो आजकल के डिजिटल जीवन में तो सबसे आवश्यक है। इसके अलावा अगर हो सके तो अतिरिक्त बैटरी और डाटा कार्ड भी रखें।   
  • घर छोड़ने से पहले अपने कागजातों की फोटोकॉपी करें - अगर आप विदेश में जा रहें हैं तो अपने पासपोर्ट की दो फोटोकॉपी  करके रख लें। इसमें से एक कॉपी हमेशा अपने पास रखें।
  • पुराना सामान वहीं छोड़े - अपने पुराने टी-शर्ट, अंडरवीयर, मोजे और इसी तरह की छोड़ने लायक पुरानी वस्तुओं को पहनने के बाद उसी जगह पर अगर आप छोड़ कर आयेंगे तो एक तो पुराने पहनने वाले कपड़ों से छुटकारा पायेंगे साथ ही साथ आपके बैग का वजन भी कम हो जायेगा। 
तो सोचना क्या? ऊपर लिखी बातों पर अमल करें और अपनी यात्री की तैयारी करें और स्मार्ट ट्रैवलर बनें।

Manisha मंगलवार, 31 मई 2016

बचपन की ये लाइन्स याद कीजिये


Bachpan ki Lines बचपन कि ये लाइन्स

बचपन की ये लाइन्स.
जिन्हे हम दिल से गाते
गुनगुनाते थे...
और खेल खेलते थे ..!!
तो याद ताज़ा कर लीजिये ...!!


▶  मछली जल की रानी है,
       जीवन उसका पानी है।
       हाथ लगाओ डर जायेगी
       बाहर निकालो मर जायेगी।

**********
▶  पोशम्पा भाई पोशम्पा,
       सौ रुपये की घडी चुराई।
       अब तो जेल मे जाना पडेगा,
       जेल की रोटी खानी पडेगी,
       जेल का पानी पीना पडेगा।
**********
▶  आलू-कचालू बेटा कहाँ गये थे,
       बन्दर की झोपडी मे सो रहे थे।
       बन्दर ने लात मारी रो रहे थे,
       मम्मी ने पैसे दिये हंस रहे थे।
************
▶  आज सोमवार है,
       चूहे को बुखार है।
       चूहा गया डाक्टर के पास,
       डाक्टर ने लगायी सुई,
       चूहा बोला उईईईईई।
**********
▶  झूठ बोलना पाप है,
       नदी किनारे सांप है।
       काली माई आयेगी,
       तुमको उठा ले जायेगी।
**********
▶  चन्दा मामा दूर के,
       पूए पकाये भूर के।
       आप खाएं थाली मे,
       मुन्ने को दे प्याली में।
**********
▶  तितली उड़ी,
       बस मे चढी।
       सीट ना मिली,
       तो रोने लगी।
       ड्राईवर बोला,
       आजा मेरे पास,
       तितली बोली ” हट बदमाश “।
****************
▶  मोटू सेठ,
       पलंग पर लेट ,
       गाडी आई,
       फट गया पेट
******************

Manisha शनिवार, 28 मई 2016

लू लगने से मृत्यु क्यों होती है?


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देश में इन गर्मियों में तापमान औसत रुप से 45 डिग्री के आस पास पहुंच गया है और कई हिस्सों में में तो 47 से 51 डिग्री तक तापमान है। रोजाना तापमान के उच्चतम रिकार्ड बन रहे हैं।  

जोधपुर के फलोदी में तापमान 51 डिग्री सेल्सियस रहा जो कि देश में 1951 के बाद सबसे ज्यादा है।  

इस भयंकर गर्मी में जबर्दस्त लू चल रही है और दिल्ली से आंध्रप्रदेश तक सैकड़ो लोग लू लगने से मर रहे हैं। 

मौसम विभाग ने लोगों को सचेत करते हुये ऑरेंज एलर्ट जारी किया है और सुबह 11 बजे से दोपहर के बाद 3 बजे तक बाहर धूप में बहुत जरुरी होने पर ही बाहर सावधानी से निकलने की सलाह दी है।

हम सभी धूप में घूमते हैं फिर कुछ लोगो की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है? 

आइये देखें
  • हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है।
  • पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है।
  • पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है।( बंद कर देता है )
  • जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है।
  • शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त मे उपस्थित प्रोटीन पकने लगता है I( जैसे उबलते पानी में अंडा पकता है )
  • स्नायु कड़क होने लगते है इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं।
  • शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग (विशेषतः ब्रेन ) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है।
  • व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक- एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है।


लू से बचने के लिये क्या करें? 


  • गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिए लगातार थोडा थोडा पानी पीते रहना चाहिए, और हमारे शरीर का तापमान 37° मेन्टेन किस तरह रह पायेगा इस ओर ध्यान देना चाहिए।
  • कृपया 12 से 3 बजे के बीच ज्यादा से ज्यादा घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें।
  • कृपया स्वयं को और अपने जानने वालों को पानी की कमी से ग्रसित न होने दें।
  • किसी भी अवस्था मे कम से कम 3 ली. पानी जरूर पियें। किडनी की बीमारी वाले प्रति दिन कम से कम 6 से 8 ली. पानी जरूर लें।
  • जहां तक सम्भव हो ब्लड प्रेशर पर नजर रखें। किसी को भी हीट स्ट्रोक हो सकता है।
  • ठंडे पानी से नहाएं।
  • मांस का प्रयोग छोड़ें |
  • फल और सब्जियों को भोजन मे ज्यादा स्थान दें।
  • एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है तो ये गंभीर स्थिति है।
  • शयन कक्ष और अन्य कमरों मे 2 आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्रों को रख कर कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है।
  • अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें।

हीट वेव (लू) कोई मजाक नही है। बचाव में ही सावधानी है। कुछ दिन धूप में बाहर न निकलें।

Manisha शुक्रवार, 20 मई 2016

अपने बैंक से परेशान होने पर बैंकिंग लोकपाल योजना में शिकायत कीजिये


बैंकिंग  लोकपाल योजना
आम तौर पर हम भारतीयों की सरकार और सरकारी संस्थाओं से कोई खास उम्मीद नहीं होती है। 

इसी लिये सरकारी क्षेत्र के बैंकों में आम भारतीय अपना खाता खोल ले ये ही बड़ी बात होती थी और है, बाकि अच्छी सेवा उसे मिले और उसके भी कुछ अधिकार हैं, इसके बारे में कोई उम्मीद कोई नहीं रखता था।  

पिछली सदी के 90 के दशक के आरम्भ में भारतीय बैंको को प्रतियोगित्मक बनाया गया और भरत में कई विदेशी और निजी बैंकों ने अपनी सेवा  आरम्भ की। इन बैंकों ने अपनी विभिन्न नई प्रकार की सेवाओं और उत्पादों से ग्राहकों को तेजी से अपनी ओर खींचा।  

सरकारी क्षेत्र के बैंक अभी भी नहीं चेते और उनकी सेवाओं की हालत अभी भी खस्ता ही है, पर कुछ सुधार शुरू हुआ है।

ऐसे में ग्राहकों को बैंको द्वारा अच्छी सेवा न दी जाने की स्थिति में कोई शिकायत होने पर ग्राहक कहां जाये? क्या करे?   ये एक बड़ा सवाल था।   

बैक ग्राहकों को शिकायत  के लिये एक मंच देने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकिंग  लोकपाल योजना लागू की है। 

इस योजना मे अगर आपको अपने बैंक में बैंकिंग  लेन-देन और कारोबार के बारे  में कोई शिकायत है या आप बैंकिंग सेवाओं में कोई कमी महसूस करते हैं, जैसे कि
  • लिखित आश्वासनो को पूरा न करना
  • वित्तीय उत्पादों/सेवाओं के विक्रय के समय बैंक द्वारा प्रमुख शर्तों को उजागर न करना
  • बैंकिंग सेवाओं और अन्य वित्तीय उत्पादों से संबंधित प्रभारों और शर्तों को स्पष्ट रुप से न बताना
  • भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा निर्देशों का पालन ल करना
  • ग्राहकों के प्रति बैं की प्रतिबद्धता संबंधी संहिता, जैसे कि भारतीय बैंकिंग संहिता और मानक बोर्ड द्वारा जारी की गई है, का पालन न करना
तो कृपया अपनी शिकायत के निवारण के लिये पहले अपनें बैंक से सम्पर्क करें, यदि एक महीने में आपकी शिकायत का निवारण नहीं होता या आप बैंक से प्राप्त जवाब से संतुष्ट नहीं हैं तो आप अपने बैंक के लिये भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त किये गये बैंकिंग लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं। वे आपकी शिकायत के निवारण में सहायता करेंगे।  


बैंकिंग लोकपाल को  आप डाक/फैक्स द्वारा लिखित शिकायत करें। बैंकिंग लोकपाल को शिकायत करने में कुछ भी खर्चा नहीं करना पड़ता है।

ध्यान रहे कि बैंकिंग लोकपाल को शिकायत करते समय अपनी शिकायत से संबंधित ये बातें अवश्य बतायें - 

  1. नाम, पता, मोबाइल ऩंबर और ईमेल आईडी
  2. जिस बैंक के बारे में शिकायत है उसकी शाखा /  कार्यालय का नाम और पता
  3. पूरी शिकायत का विवरण
  4. इसके कारण हुये नुकसान का स्वरूप और इसकी मात्रा।

बैंकिंग लोकपाल के बारे में और जानने के लिये http://www.bankingombudsman.rbi.org.in पर अंग्रेजी  में जानकारी के लिये और https://www.rbi.org.in/commonman/Hindi/scripts/againstbank.aspx पर हिंदी में जानकारी के लिये जायें और अगर किसी बैक से कोई शिकायत हो तो इस पर जा कर अपनी शिकायत इलेक्ट्रानिक रुप से दर्ज कर सकते हैं।

Manisha सोमवार, 9 मई 2016

एक दिन में छह पैग शराब से जा सकती है जान


Sharab ke Peg
पहले भी हमने कई बार यहां इस ब्लॉग पर लिखा है कि कैसे भारत में  शराब का जबर्दस्त प्रभाव चल रहा है।  

गली गली में शराब की दुकानें और मयखाने खुल गये हैं। 


लेकिन क्या मजाल कि कोई शराब के दुष्प्रभाव के बारे ंमें कुछ बोले, इस पर चर्चा करे। अब तो हालत ये है कि शराब पीने में महिलायें भी पुरूषों की बराबरी कर रही हैं।  


बेचारे गांधीजी और कांग्रेस ने आजादी के आन्दोलन के समय शराब के खिलाफ कितना प्रचार किया, लोगों ने उसको माना भी और शराब छोड़ी भी। लेकिन अफसोस कि आजादी के बाद भारत में शराब का प्रचार और प्रसार बढ़ता ही जा रहा है। 

लोग शराब पीना शान की बात समझते हैं। शादी ब्याह पार्टी बिना शराब के पार्टी नहीं मानी जाती है। सरकार भी शराबियों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखती है

खैर जब अब शराब की अति हो गई है, तो कुछ लोगों को ध्यान आया और अब चार राज्यों - गुजरात, केरल, बिहार और नागालैंड में शराबबंदी की गई है।  

और अब तो एक नया अध्ययन जो कि दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स द्वारा किया गया में सामने आया है जिसमें बताया गया है कि अगर आप रोजाना 6 पैग शराब पीते हैं तो आपकी जान भी जा सकती है। 

इसमें यह बात निकलकर सामने आई कि यह धारणा बिल्कुल गलत है कि कम मात्रा में शराब का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

इसे एम्स के डॉक्टरों ने सिरे से खारिज कर दिया और बताया है कि शराब के सेवन से 200 तरह की बीमारियां होती हैं। जिन्हें पीने की लत हो उनके लिए तो शराब खतरनाक है ही, लेकिन जिन्हें पीने की लत नहीं है और किसी के बहकावे में आकर कभी-कभार इसका सेवन करते हैं उनके लिए ज्यादा घातक है। 

ऐसे लोग यदि साल में कभी एक बार शराब पीएं और एक ही दिन छह पैग या उससे ज्यादा ले लें तो मौके पर ही मौत हो सकती है। इसके कई कारण हो सकते हैं और ऐसे कई मामले देखे भी गए हैं।

एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एसके खंडेलवाल ने कहा कि यह देखा जा रहा है कि पहले के मुकाबले अब कम उम्र में शराब पीने की लगत बढ़ रही है। अब शहरों में 13 से 14 साल की उम्र में बच्चे शराब पीना शुरू कर देते हैं। सड़कों पर जीवन गुजारने वाले बच्चे 11-12 साल की अवस्था में शराब पीने लगते हैं। 

यूरोपीय देशों में इसका सेवन घट रहा है जबकि भारत में शराब का सेवन बढ़ रहा है। यह चिंताजनक स्थिति है क्योंकि शराब मस्तिष्क से लेकर शरीर के हर हिस्से को प्रभावित करती है। इसके सेवन से 200 तरह की बीमारियां होने का खतरा रहता है। इससे मस्तिष्क की सोचने समझने की शक्ति प्रभावित होती है और याददाश्त कमजोर होती है। 

एम्स के गैस्ट्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एसके आचार्या ने कहा कि लिवर की बीमारियों से पीड़ित करीब 50 फीसद मरीज शराब के सेवन के चलते बीमार पड़ते हैं।

Manisha सोमवार, 2 मई 2016

नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया को केंद्र सरकार पूरी तरह से ऑनलाइन करेगी


हाल के दिनों में मोदी सरकार ने  रोजगार से संबंधित खास कर सरकारी नौकरियों से संबंधित कई फैसले लिये हैं।
Online Government Recruitment
   
पहले लिये गये एक आदेश के अनुसार विकलांगों के लिये केन्द्र सरकार के सभी विभागों और उपक्रमों में विेशेष भर्ती अभियान चलाया गया, इसके बाद सरकार ने निश्चय किया कि अधिकारी स्तर की नौकरियों को छोड़कर बाकी सभी पदों की भर्ती के लिये कोई साक्षात्कार (इंटरव्यूह) नहीं लिया जायेगा, केवल परीक्षा परिणाम से ही भर्ती होगी।   


और फिर नया समाचार आया कि नौसेना में अब महिलाओंं स्थायी कमीशन दिया जायेगा तथा महिलाओं को भी नौसेना के लड़ाकू पोतों पर तैनात किया जायेगा।

सबसे सुखद समाचार यह था कि आने वाले दो वर्षों के दौरान केन्द्र सरकार करीब दो लाख नये सरकारी पद सृजित करेगी

अब नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया को केंद्र सरकार पूरी तरह से ऑनलाइन करने की योजना पर विचार कर रही है। यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी योजना डिजिटल इंडिया प्रोग्राम पर आधारित है। पहले हमने बताया था कि  सरकारी नौकरियों में  ऑनलाईन फार्म भरने शुरु हुये हैं, और बहुत कुछ होना बाकि है तभी उम्मीदवारों को वास्तविक फायदा होगा।

इस योजना के अनुसार सरकारी वैकेंसी को एक ही पोर्टल पर रखा जाएगा और वहीं से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे। 

इसको क्रियान्वित होने के बाद सरकारी नोकरियों के आवेदकों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने और जल्दी वेरिफिकेशन कराने के लिये रिश्वत देने के लिये बाध्य नहीं होना पड़ेगा साथ ही साथ बेवजह भटकना नहीं पड़ेगा। उम्मीदवारों को नौकरी के लिए आवेदन करने से लेकर ज्वॉइनिंग करने तक किसी सरकारी अधिकारी की जरूरत नहीं होगी.

आवेदन पत्र पर उम्मीदवारों को प्रत्यक्ष हस्ताक्षर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वे ई-साइन (e-sign) की मदद से अपना हस्ताक्षर कर सकेंगे। वहीं सरकारी पेमेंट पोर्टल की मदद से परीक्षा शुल्क का ऑनलाइन भुगतान भी कर सकेंगे।

हां, उम्मीदवारों के अनिवार्य रुप से आधार नंबर और कार्ड लेना पड़ेगा, उसी की मदद से सरकार उम्मीदवारो की पहचान कर पायेगी और कई प्रकार के पहचान के झंझटो को दूर किया जा सकेगा।

दरअसल पिछले साल भारत सरकार ने कई विषयों पर नये सुझावों व उन्हें कारगार रुप से लागू करने के लिये विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों के कई समूह बनाये थे जिसमें से एक समूह रोजगार से संबंधित था। इसी समूह ने भर्ती प्रक्रिया को ऑनलाईन करने की सिफारिश की है जिस पर सरकार विचार कर रही है।

इसके अलावा उम्मीदवारो को इसमें प्रमाणपत्रों की मूल या फोटोकॉपी भी देने की जरुरत नहीं रह जायेगी। वे अपने सर्टिफिकेट डिजिटल लॉकर में अपलोड कर सकेंगे जहां से जरूरत पड़ने पर सरकार को ये दस्तावेज ऑनलाईन मिल जायेंगे। इससे सारी प्रक्रिया स्वचालित हो जायेगी।

सबसे आखिर में पुलिस सत्यापन का काम होता है जिसके लिये अधिकांश उम्मीदवारों को पुलिस कर्मियों को घूस खिलानी पड़ती है। इससे बचने के लिये उम्मीदवारो को स्वघोषित शपथ पत्र देना पड़ेगा।

इसमे उम्मीदवारों को बताना होगा कि उनका कोई अपराधिक रिकार्ड नहीं है। इससे उनको तात्कालिक रुप से ज्वाइनिंग मिल जायेगी और उसे स्थायी तभी किया जायेगा जब पुलिस सत्यापन हो जायेगा।

Manisha रविवार, 1 मई 2016

टैक्स हैवेन बनाम टैक्स नर्क देश


हाल के दिनों में दुनिया के कई समाचार पत्रों द्वारा खोज कर निकाले गये रहस्योदघाटन के द्वारा पनामा में दुनिया के
टैक्स हैवेन बनाम टैक्स नर्क देश
कई लोगों द्वारा खोली गई और खरीदी गई कंपनियों के नामों के उजागर होने के बाद से एक शब्द 'टैक्स हैवेन (Tax Heaven) यानी की कर का स्वर्ग (ऐसा देश जहां कर कम है या बिलकुल नहीं लगता)' का बहुत प्रयोग होने लगा है। 

हालांकि अब इस शब्द के इस्तेमाल पर कई देशों की आपत्तियों को देखते हुये भारत सरकार अब अधिकारिक रुप से इस शब्द का इस्तेमाल नहीं करेगी। 


तो ऐसा क्यों है कि दुनिया के कई देशों को हम टैक्स हैवेन कहते है? आखिर हम क्यों नहीं करों को कम कर सकते। हमारे देश को अगर देखा जाये तो इसे टैक्स नर्क कह सकते हैं। जब टैक्स हैवेन (टैक्स स्वर्ग) है तो टैक्स नर्क (टैक्स हैल) क्यों नहीं हो सकता?

हमारे यहां इतनी तरह के टैक्स लगे हुये हैं कि इमानदारी से कमाने वाला व्यक्ति कर चुकानें में ही अपनी अधिकांश आय गंवा देता हैं। अपने देश को अगर सरकार टैक्स हैवेन नहीं बना सकती तो कम से कम टैक्स नरक तो न बनाये।

Manisha सोमवार, 18 अप्रैल 2016

भारत की सबसे तेज रेल गतिमान एक्सप्रेस 5 अप्रैल 2016 से शुरू


हाल के दिनों में भारतीय रेल से संचालन में कई नई बातें हुई हैं जैसे कि रेलो को समय पर चलाने का प्रयास, रेल में
गतिमान एक्सप्रेस का आरम्भ
खाने के लिये ऑनलाईन बुकिंग करना, चलती गाड़ी से ट्विटर द्वारा लोगों की शिकायतों व अनुरोधों को सुनना व उनका समाधान निकालना और भारत में बुलेट ट्रेन के संचालन के लिये प्रयास करना जिसकी अधिकतम गति 350 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।

इसी कड़ी में अब  रेलवे ंमंत्रालय ने भारत में सवारी गाड़ियों की गति को तेज करने का प्रयास शुरु किया है। 

5 अप्रैल 2016 से भारत की सबसे तेज रेल गाड़ी 'गतिमान एक्सप्रैस'  दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्टेशन से ताजमहल के लिये प्रसिद्ध आगरा के आगरा कैन्ट स्टेशन के बीच चलाई जा रही है।  

इसकी गति प्रारम्भ में 160 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।  1 घंटा 40 मिनट यानी केवल 100 मिनट में यह ट्रेन आपको दिल्ली से आगरा पहुंचा देगी। 

दिल्ली से आगरा होकर भोपाल जाने वाली 'शताब्दी एक्सप्रेस' से  यह गाड़ी 17 मिनट शीघ्र (जल्दी) आगरा पहुंचेगी।  गतिमान एक्सप्रेस दिल्ली के हजरत निजामु्द्दीन स्टेशन से रोजाना सुबह 8.10 बजे चलेगी और आगरा कैन्ट स्टेशन से शाम 5.50 बजे चलेगी।  

रास्ते में इसका कोई ठहराव नहीं होगा। शुक्रवार को छोड़कर यह सप्ताह में छह दिन चलेगी।

हवाई यात्रा की तरह इस ट्रेन में परिचारिका (होस्टेस) की तैनाती होगी, जो यात्रियो को गुलाब देकर स्वागत करेंगी। देश में पहली बार किसी ट्रेन में ट्रेन होस्टेस सुविधा मिलेगी।

इस ट्रेन में यात्रा करने के लिए शताब्दी एक्सप्रेस से 25 फीसद ज्यादा किराया चुकाना होगा। हजरत निजामुद्दीन से आगरा तक चेयरकार का किराया 690 रुपये तथा एग्जिक्यूविट क्लास का 1365 रुपये देना होगा, जबकि भोपाल शताब्दी का किराया 540 और 1040 रु. है। 

भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम ने भी विशेष पैकेज तैयार किया है। इसमें यात्री को ट्रेन में सफर के साथ ही आगरा में वातानुकूलित वाहन में घूमने और पांच सितारा होटल में रुकने की सुविधा मिलेगी। ट्रेन में आठ चेयरकार और दो एक्जिक्यूटिव क्लास के कोच हैं, जिसमें कुल 715 यात्री यात्र कर सकेंगे। 5400 हॉर्स पावर का इलेक्टिक इंजन लगेगा।

 उम्मीद की जाने चाहिये कि भारत का रेलवे अपना प्रबंधन ऐसे ही ठीक करता हुआ एक दिन दुनिया में अपना नाम करेगा।

Manisha रविवार, 3 अप्रैल 2016

सरकारी भर्ती परीक्षाओं के अंको को निजी क्षेत्र के साथ साझा किया जायेगा


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि सरकार और सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा ली जाने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के
सरकारी भर्ती परीक्षाओॆ के अंको को निजी क्षेत्र के साथ साझा किया जायेगा
नंबरों को निजी क्षेत्र के साथ साझा किया जायेगा ताकि वह भी अपनी पसंद के लोगो की भर्ती कर सकें। 

श्री मोदी ने कहा "सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कई भर्ती परीक्षाओं का आयोजन करते हैं। अभी तक इन परीक्षाओं में प्राप्तांकों को सरकार अपने पास रखती आई है। 

अब से हम इन परीक्षाओं के अंको को सभी नयोक्ताओं को उपलब्ध करायेंगे लेकिन यह काम केवल उन्हीं उम्मीदवारों के मामले में होगा जहां उनकी सहमति होगी। इससे सकारात्मक बाहरी वातावरण बनेगा।"

मेरे विचार में ये एक बहुत ही अच्छा कदम है जिससे सभी प्रकार के नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों की योग्यता का पैमाना समान हो जायेगा और निजी क्षेत्र को भी उम्मीदवारों को छाटनें में आसानी रहेगी।

प्रधान मंत्री का पूरा भाषण  आप यहां पढ़ सकते हैं।

Manisha मंगलवार, 29 मार्च 2016

फिर से छोटी डाकघर बचत योजनाओं पर ब्याज दर घटाई गईं


छोटी डाकघर बचत योजनायें
मार्च 2016 मे सरकार ने पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) और डाकघर  द्वारा चलाये जाने वाली छोटी बचत योजनाओं में दी जाने वाली ब्याज दरों में कुछ कटौती की है। 

पीपीएफ की अभी तक की दर 8.7% थी जो कि अब घटाकर 8.1% कर दी गई है वहीं किसान विकास  पत्र की वर्तमान दर 8.7% से घटाकर 7.8% कर दी गई है।

इसके अलावा अन्य छोटी बचत योजनाओं में इस प्रकार की कटौती की गई है :

  • डाकघर की 1 साल की जमा राशि पर 8.4% से घटाकर 7.1%
  • डाकघर की 2 साल की जमा राशि पर 8.4% से घटाकर 7.2%
  • डाकघर की 3 साल की जमा राशि पर 8.4% से घटाकर 7.4%
  • डाकघर की 5 साल की जमा राशि पर 8.5% से घटाकर 7.9%
  • डाकघर की 5 साल की राष्ट्रीय बचत पत्र पर  पर  घटाकर 8.1%
  •  5 साल की वरिष्ठ बचत योजना पर 9.3% से घटाकर 8.6%
  • बालिका बचत योजना पर  9.2% से घटाकर 8.6% 


पिछली बार की बाजपेयी जी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने भी छोटी बचत योजनाओं में कटौती की थी और जिसका खामियाजा उसको अगले आम चुनावों में हार कर भुगतना पड़ा था। 

आम लोग छोटी छोटी बचत करके उम्मीद करते हैं कि कुछ उनको इसका सही समय अच्छा रिटर्न प्राप्त होगा। लेकिन सरकार के ब्याज दरों को घटाने से लोगों की उम्मीदों को झटका लगता है। 

कई सेवानिवृत लोग इन बचत से  प्राप्त होने वाली ब्याज को मासिक तौर पर प्राप्त  करके अपना घर चलाते हैं। 

सरकार का ये कदम शायद राजकोषीय  घाटा कम करने के लिये उठाया गया है लेकिन इससे आम लोगो को बहुत परेशानी होती है।

इस कदम को सरकार को वापस लेना चाहिये।  

हर महीने लोग जब अपनी ब्याज को देखते हैं तब उनको बहुत खराब लगता है और यह बार बार हर महीने उनको वापस याद दिलाता है जिसका राजनैतिक खामियाजा बहुत ज्यादा होता है, सरकार को यह ध्यान रखना चाहिये।

Manisha शुक्रवार, 18 मार्च 2016

अपने घर में दो महीने का राशन हर समय रखना चाहिये


हरियाणा राज्य में जाटों के आरक्षण के चलते लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ी है। कई सरकारी इमारतों और संपत्तियों को जला दिया गया हैं। शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है और गांवो तक जाने के रास्ते भी बंद हो गये। इस हिंसा मे 12 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और सैकड़ो लोग घायल हुये हैं।

Unrest दंगा


हालांकि  अब सरकार ने जाट आंदोलनकारियों की मांगे मान ली हैं और हरियाणा के जाटों को आरक्षण मिलना अब तय है।

मेरा यहां पर ये सब बताने का उद्देश्य अलग हैं। मैं यह बताना चहती हुं कि भारत के किसी भी हिस्से में कहीं भी कभी भी ऐसा परिस्थिति आ सकती है जिसमें आप को कई दिनों तक घर में बंद रहना पड़े और आपको  सामान्य जीवन बिताने के लिये काम आने वाली वस्तुओं की किल्लत झेलनी पड़े। 

इसके लिये मेरे विचार में अपने घर में कम से कम दो महीने का राशन हर समय रखना चाहिये। पता नहीं कब किस कारण से सामान मिलना बंद हो जाये।

याद कीजिये इस से पहले चेन्नई में अचानक बाढ़ के कारण लोगों के कितनी परेशानी उठानी पड़ी थी। श्रीनगर (कश्मीर) और मुंबई में भी ऐसा हो चुका है।  

कब किस कारण से एकदम से कब बाजार से क्या गायब हो जाये कुछ कह नहीं सकते।

पहले जमाने में घर बड़े होते थे और सामान रखने के जगह होती थी, साथ ही साथ भारत का राजनीतिक वातावरण अस्थिर और अराजक था, इसलिये लोग घर में काफी सारा राशन इत्यादि घर में रखते थे कि पता नहीं कब परेशानी आ जाये। 

अब लोग छोटे घर और फ्लैटों में रहते हैं जिनमें ज्यादा सामान रखने की जगह नहीं होती है। 

इसके अलावा बाजार में पैकिंग मे सब सामान भी उपलब्ध रहता है इसलिये लोग बाग अपना घर में ज्यादा सामान नहीं रखते हैं। 

लेकिन अब जिस तरह का वातावरण हरियाण में बना और चेन्नई में हुआ उसको देखते हुये समझदारी इसी में है कि लोग अपने घर में लंबे समय के हिसाब से राशन रखें। कुछ नहीं तो दाल और चावल तो ज्यादा मात्रा में रखा ही जा सकता है।

संपादन - 1 (मई 2020)

अभी पूरे भारत में कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉकडाउन कर दिया गया है और इस की वजह से लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। गरीब लोगों को खाने के लाले पड़ गये हैं। 

ऐसे में मेरी पहले से ऊपर लिखी बात को बल मिलता है कि अगर सब कुछ छोड़ कर सबसे पहले अपने घर में खाने का राशन रखा हो तो तमाम विपरीत परिस्थितियां आराम से काटी जा सकती हैं।

Manisha सोमवार, 22 फ़रवरी 2016

ऐसा लगता है कि गोल्फ भारत का सबसे लोकप्रिय खेल है


अगर आप ने पिछले कुछ सालो में भारत के प्रमुख शहरों में बिल्डरों द्वारा बनाये जा रहे रिहायशी परियोजनायों  के लिये दिये जा रहे विज्ञापनों को अगर ध्यान से देखा हो तो आपने देखा होगा कि अधिकांश परियोजनायों में  गोल्फ कोर्स को आधार बनाया गया है। 

यानी कि एक गोल्फ कोर्स विकसित किया जाता है और उसके चारों ओर बहुमंजिली बिल्डिंग और विला बनाये जातो हैं। बड़े बड़े रंगीन विज्ञापनों में लोगों को गोल्फ खेलते हुये दिखाया जाता है। 

लोग इन  गोल्फ आधारित रिहायशी परियोजनायों को पसन्द भी कर रहे हैं। हालांकि और कोई खेल जैसे कि क्रिकेट और हॉकी के लिये कोई बिल्डर मैदान नहीं छोड़ता है और न हीं लोग बाग इसकी मांग ही करते हैं। ऐसा लगता हे कि गोल्फ भारत का सबसे लोकप्रिय खेल बन गया है।

Golf Course

Manisha गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

सरकारी नौकरियों में अब ठीक से ऑनलाईन फार्म भरने शुरु हुये हैं


सरकारी नौकरियों के बारे में जानकारी देने वाले अपने ब्लॉग को चलाने के पिछले कई वर्षों के दौरान मैंने देखा कि
Online Government Jobs Forms
अधिकांश सरकारी संस्थानों द्वारा नौकरी के लिये ऑनलाईन फार्म भरने की कोई सुविधा उम्मीदवारों को नहीं दी जाती है। 

कई सरकारी संस्थानों का तो अपनी वेबसाइट भी नहीं थी और कई की तो अभी तक नहीं है। ऐसे में कुछ सरकारी संस्थानों द्वारा  उम्मीदवारों को ऑनलाईन फार्म भरवा कर सुविधा देना संभव ही नहीं था। 

सबसे पहले कुछ सरकारी उपक्रमों (Public Sector Units) और सरकारी बैंकों द्वारा अपनी नौकरियों में इस तरह की सुविधा देने की कोशिश की गई थी। इस प्रक्रिया में उमीदवार को अपना फार्म को ऑनलाईन ही भरना होता था लेकिन उसके बाद उसको प्रिंट करके और मांगे गये परीक्षा शुल्क का बैंक ड्राफ्ट बनवाकर निर्धारित पते पर डाक द्वारा भेजना होता था। 

ये प्रकिया कहने को तो ऑनलाईन थी लेकिन उम्मीदवार को वो सारे काम करने पड़ते थे जो कि डाक द्वारा ऑफलाईन तरीके से फार्म भरने में करना पड़ता था साथ ही साथ किसी साइबर कैफे में जा कर ऑनलाईन फार्म भर कर उसे प्रिंट करने और अपना समय व पैसा खर्च करने का झंझट और रहता है।

कुछ सरकारी बैंको ने इसमें कुछ सुधार किया और कहा कि ऑनलाईन फार्म भरकर भेजने के साथ पैसा भेजने कि
  आवश्यकता नहीं है बल्कि संबंधित बैंक की किसी भी शाखा में जाकर जमा करा सकते हो और बस उसका रसीद नंबर, दिनांक और रकम को ऑनलाईन फार्म में भर दो और भेज दो। 

बैंकों ने अब कुछ समय के बाद और सुधार करते ये कहना शुरु कर दिया है कि उम्मीदवार को अपना ऑनलाईन फार्म भर कर भेजने की जरुरत नही हैं, बस उसको प्रिंट करके अपने पास रख लो और परीक्षा या साक्षात्कार के समय जमा कराना या दिखाना पड़ेगा। 

इससे उमीदवारों का कम से कम डाक से फार्म भेजने की परेशानी तो खत्म हो गई। लेकिन इसमें अभी भी ऑनलाईन तरीके से नेट बैंकिग या क्रेडिट कार्ड द्वारा पैसे लेने की को सुविधा के बारे में नहीं सोचा गया था।

इसके बाद हालांकि अब अब अलग बैंकों द्वारा अपनी चयन प्रकिया के लिये अपने अपने आवेदन मंगाने के झंझट से बचाने के लिये IBPS (The Institute of Banking Personnel Selection) द्वारा केंद्रीय चयन प्रक्रिया हो रही है। हालांकि स्टेट बैंक अभी भी अपनी अलग चयन प्रक्रिया का आवेदन मंगाता है।

आखिरकार सरकारी नौकरियों के असली वाहक संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) , कर्मचारी चयन आयोग (SSC) व कुछ राज्यों के लोक सेवा आयोगों (Public Service Commission) ने भी ऑनलाईन परीक्षा फार्म भरवाने की प्रक्रिया आरम्भ कर दी है। 

इसमें उम्मीदवार परीक्षा शुल्क नेट बैंकिग, क्रेडिट कार्ड व किसी बैंक के द्वारा या निर्धारित डाकघर के द्वारा पैसा जाम करा सकते हैं और साथ ही साथ प्रिंट करके  करके फार्म भी नहीं भेजने हैं यानी की परीक्षा फार्म भरने की पूरी प्रक्रिया का ठीक से कंप्यटरीकरण शुरू कर दिया गया है। 

अब अगले चरण में शायद ऑनलाईन परीक्षा के बारे में सोचा जायेगा।

वैसे सबसे पहले तो सभी संस्थानों की अपनी वेबसाइट होनी चाहिये और साथ ही सरकारी संस्थानों को ऑनलाईन फार्म भरवाना आवश्य़क कर देना चाहिये और आने वाले समय में जब यूनिक आइडेंटिफिकेशन का काम सरकार द्वारा कर लिया जाये तब ये परीक्षा फार्म भरने का पुराना ढंग बदल दिया जाना चाहिये और उम्मीदवार से सिर्फ उसका पहचान नंबर लेना चाहिये क्योंकि सारी की सारी जानकारी  तो सरकार के डेटाबेस में होगी ही।

Manisha मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

शादी है जी आपको परेशानी तो होगी ही


शादी का मौसम है। हर तरफ घुड़चड़ी और बैंडबाजों का माहौल है। लोग सड़कों पर पटाखे चला रहे हैं, और नाच रहे हैं। शहनाई का सुर खुशियों में इजाफा कर रहा है। सड़क पर जश्न ही जश्न है। 

Indian Marriage


लेकिन इस जश्न के पीछे गाड़ियों का एक लंबा काफिला ऐसे लोगों का है जो उस बारात का हिस्सा नहीं हैं। सड़क पर जश्न मना रहे लोगों के कारण जाम की जो स्थिति उपजी है, वो उसी जाम के शिकार हैं। खुशियों का माहौल उनके लिये शोर-शराबे से ज्यादा कुछ भी नहीं है। 

करें भी तो क्या करें! बस मन ही मन कुढ़न के अलावा और चारा भी तो नहीं हैं। सोच रहे हैं कि इन लोगों में जरा भी सिविक सेंस नहीं है। अपनी खुशी में दूसरों को परेशान करने का अधिकार इन्हें किसने दे दिया?

दिन बदला और शादी की बारातों का सीन भी बदल गया। आज वो लोग एक बारात का हिस्सा बन गये जो कल तक जाम में फंसे कुढ़ रहे थे। आज मौका इनकी खुशी का है तो भला कोई कमी कैसे छोड़ दें? 

आज वो सड़क पर नाच-गा रहे हैं, पटाखे जला रहे हैं और मस्ती में झूम रहे हैं, पटाखे जला रहे हैं और मस्ती में झूम रहे हैं। आज उन्हें बारात के पीछे खड़े गाड़ियों के काफिले की कोई चिंता नहीं है। 

आज उन्हें नागरिक दायित्व भी याद नहीं आ रहे। बस सड़क पर नाचना, जाम लगाना व आयोजन स्थल के पास की जगह को अपनी बपौती समझना आदि-आदि उनके अधिकार में शामिल हैं। कर्तव्य बोध से अनजान हैं। 

उन्हें पता है कि कल जब वह जाम में फंसे थे तो उनकी क्या मानसिक स्थिति थी। आज नहीं फंसे हैं। आज उनकी खुशी का दिन है तो दूसरों को दुख तो झेलना ही पड़ेगा।

रोज कुछ लोग झूमते हैं, और रोज कुछ लोग कुढ़ते हैं। आखिर सामाजिक दायित्वों को समझने की पहल कौन करेगा?

30-40 साल पहले का समय है। बारात लड़की वालों के यहां जानी है। सभी बारात की तैयारियों में व्यस्त हैं। बच्चे नये कपड़े मिलने की खुशी में आनन्दित हो रहे हैं। बड़े लोग करीने से कड़क कलफ लगी हुई प्रेस किये हुये कपड़े पहन रहे हैं। 

लड़के के पिताजी ने रिश्तेदारी में एवं अड़ोस पड़ोस सब जगह पहचान के लोगों को व्यक्तिगत तौर पर न्योत दिया है। सब लोग खुश हैं, बारात में जो जाना है, वहां आवभगत होगी, सत्कार होगा, इज्जत होगी। 

लेकिन ये क्या लड़के के मामाजी जरा नाराज नजर आ रहे हैं। क्या बात हो गई? अजी, बस उन्हें लग रहा है कि उन्हें ज्यादा पूछा नहीं जा रहा है। लड़के के पिता तुरंत उनको मनाने आते हैं । थोड़ी मान-मनौव्वल के बाद वो मान जाते हैं। 

ऐसे ही बारात में जाने से पहले कई रिश्तेदार और पास-पड़ोस के लोग थोड़े नखरे दिखाते हैं और लड़के वालों को उन्हें बारात में ले जाने के लिये मनाना पड़ता है। 

लड़की के घर बारात पहुंचने पर बारात का स्वागत होता है। लड़की के घर के बड़े रिश्तेदारों से लड़के पक्ष के रिश्तेदारों की पहचान और मिलनी कराई जाती है। बरातियों के खाने-पीने का इंतजाम घरातियों से अलग किया गया है। सब खुश हैं।

समय बदलता है, अब का मौडर्न समय आ गया है। अब किसी के पास समय नहीं है। लड़के वालों ने सभी जगह शादी के कार्ड भेज दिये हैं। कार्ड में साफ लिखा है "कृपया इस कार्ड को ही व्यक्तिगत बुलावे की मान्यता प्रदान करें" । 

अब कोई रूठ जाये या नाराज हो जाये किसी को परवाह नहीं है। मामाजी नाराज हो गये तो हो जाने दो। ये भी हमारे काम नहीं आते हैं। अड़ोस-पड़ोस वालों को तो कोई चाहता भी नहीं कि वो बारात में जायें। 

दहेज अब ज्यादा लिया जाता है लेकिन रिश्तेदारों और अड़ोस-पड़ोस वालों से छुपाकर। 

लड़की वाले भी अब बाराती और घराती सब का इंतजम एक जैसा और एक ही जगह करते है। अब लड़की वाले भी लड़के वालों की तरह सूटेड-बूटेड सजे-धजे नजर आते हैं। बारातियों के आने तक खाने-खिलाने का एक दौर पूरा हो चुका होता है। 

पता ही नहीं चलता कि कौन लड़की वाला है और कौन घर वाला। लड़के की शादी है कि लड़की की शादी है ये फर्क भी पता नहीं चलता। रुठने मनाने की तो कौन कहे, कोई पूछने वाला तो हो?

रिश्तों के इस गिरावट के दौर के लिये जिम्मेदार कौन है?

Manisha सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

समाचार माध्यमों को लगता है कि दिल्ली ही भारत है


कल दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में पहली बार मुसलाधार बारिश हुई जिसकी वजह से दिल्ली में अधिकांश जगह पानी भर गया और इसके कारण लोग बाग सड़कों पर जाम में फंस गये और घंटो बाद अपने घरों और गंतव्यों की ओर पहुंच पाये। 

News Media Delhi is India

हिंदी के अधिकांश टीवी समाचार चैनलों ने इसके ऊपर कार्यक्रम दिखाने शुरू करके सरकार को जमकर लताड़ लगाई। 

ये सब तो ठीक है और जिम्मेदार मीडिया को ऐसा ही करना चाहिये लेकिन क्या सिर्फ दिल्ली तक ही इस तरह की जागरुकता को सीमित रहना चाहिये? 

दरअसल, भारत के अधिकांश हिस्सों का हाल बारिश के दिनों में ऐसा ही हो जाता है बल्कि इस से भी बुरा हो जाता है, पर वहां के बारे में शायद ही कभी दिखाया या बताया जाता है। 

क्या भारत के अधिकांश शहरों में बारिश में पानी नहीं भरता है? क्या भारत के अधिकांश शहर बारिश में नारकीय दृश्य नहीं दिखाते हैं? तो फिर उनकी खोज खबर कौन लेगा? 

क्या माडिया के लिये शेष भारत कहीं है ही नही या फिर दिल्ली ही इन के लिये भारत है?

दिलचस्प बात ये है कि अधिकांश पत्रकार बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड या अन्य राज्यों के हैं जहां पर बिजली, सड़क, पानी की हालत खराब ही है। बारिश में वहां की हालत बहुत ही खराब जैसी स्थिति रहती है लेकिन ये लोग कभी इन राज्यों की चर्चा भी नहीं करते हैं। 

पर दिल्ली में अगर आधे घंटे बिजली जाने पर विशेष कार्यक्रम दिखाते हैं, लेख लिखते हैं, बारिश के दिनों में जाम लगने पर संपादकीय लिखते हैं, 26 जनवरी की परेड़ के कारण लगने वाले जाम की चर्चा करते हैं लेकिन शेष भारत की किसी समस्या के बारें बहुत ही कम बात करते हैं। 

क्या आपने अपने शहर की समस्या के बारे में मीडियी में कोई प्रोग्राम देखा?

Manisha रविवार, 7 फ़रवरी 2016

लोकतांत्रिक देश में धरने प्रदर्शनों के लिये कोई जगह नहीं


हम लोग कई बार जब दिल्ली में घूमने के लिये निकलते समय अगर कनॉट-प्लेस के पास स्थित जंतर मंतर पर पहुंच जाते हैं तब वहां पर देखते हैं कि वहां पर सड़क के दोनो ओर कई प्रकार के धरने और प्रदर्शन चल रहे होते हैं, जिन कई व्यक्ति और संगठन अपनी विभिन्न मांगो को लेकर धरने में शामिल रहते हैं। 

कई बार शाम को वहां पर लोग मोमबत्तियां जला कर भी अपना विरोध किसी बात पर व्यक्त कर रहे होते हैं। इन लोगों को की वजह से जंतर मंतर पर काफी गहमा गहमी रहती है और पुलिस की भी व्यवस्था रहती है। 


कई मीडिया कर्मी भी वहां इन धरने प्रदर्शनों को कवर करने के लिये आते रहते हैं। इस के अलावा कई बड़े लोग जैसे कि खिलाड़ी, फिल्मी कलाकार और राजनेता इन धरने प्रदर्शनों को अपना समर्थन देने आते रहते हैं। 

एक लोकतांत्रिक देश में ये सब होते ही रहना चाहिये क्योंकि इसी से पता चलता है कि लोग अपनी आस्था लोकतंत्र में बनाये रखते हैं और इस विश्वास में रहते हैं कि उनकी बात सुनी जायेगी।


Delhi Dharna Place Jantar Mantar


इसी के पास संसद मार्ग पर संसद मार्ग थाने के सामने संसद का घेराव और कई बड़े राजनैतिक प्रदर्शनों के लिये आये दिन कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं जिन कई बार बड़े-बड़े राजनेता भी पहुंचते हैं।

लेकिन इस सब में लोगो कई प्रकार की परेशानियां उठानी पड़ती हैं। संसद मार्ग और उसके आस पास बहुत सारे सरकारी, गैर सरकारी व मीडिया के कार्यालय हैं जिनमें काम करने वाले कर्मचारियों को इस तरह के आये दिन होने वाले धरने-प्रदर्शनों की वजह से रास्ता परिवर्तन व भीड़-भाड़ होने से काफी परेशानी उठानी पड़ती है। 

अक्सर इनकी वजह से जबर्दस्त जाम लग जाते हैं जिसकी वजह से लोग इन धरने प्रदर्शन वालों और नेताओं को कोसने लगते हैं। इसके अलावा जो लोग जंतर मंतर पर पर धरने के लिये आते हैं उनके लिये भी किसी भी प्रकार के कोई इंतजाम नहीं होते हैं।

इसलिये मेरा मानना है कि दिल्ली में और हो सके तो सभी राज्यों की राजधानियों में जहां कि अक्सर किसी न किसी बात को लेकर धरने प्रदर्शन होते रहते हे वहां पर लोकतंत्र के इस जीवंत रुप के लिये स्थायी रुप से बड़ी जगह निर्धारित की जानी चाहिये जैसे कि इंगलैंड में लंदन में हाइड पार्क में किया गया है। साथ ही साथ पूरे क्षेत्र में पुलिस सुरक्षा, पेयजल की व्यस्था, शौचालय की व्यवस्था, मेडिकल की सुविधा भी प्रदान की जानी चाहिये। 

धरने के बाद जाम न लगे इसके लिये भी तजाम किये जाने चाहिये। क्या ये अपने आप मे विचित्र नहीं लगता कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में आजादी के 70 से ज्यादा वर्षों के  बाद भी धरने-प्रदर्शनों के लिये कोई जगह नहीं हैं?

Manisha शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

चाउमीन भारतीय व्यंजन बन चुका है


ऐसा लगता है कि चाउमीन अब भारतीय व्यंजन बन चुका है। मैं जहां कहीं भी जाती हूं वहां पर चाउमीन  बिकता हुआ देखती हूं।  बड़े-बड़े रेस्तरां हों या  फिर पटरी बाजार चाउमीन सब जगह बिक रहा है। 

मैंने तो इसे गांव - देहातो के बाजारों में भी खूब धड़ल्ले से बिकते हुये देखा है। 5 रुपये से लेकर 100 रुपये तक की वेज चाउमीन कहीं भी मिल जाती है। 

गरीब से गरीब आदमी भी बाजार में चाउमीन  खाता हुआ दिख जाता है। 

Manisha मंगलवार, 18 अगस्त 2015

भारत में पोर्न बन्द नहीं हो सकता


भारत सरकार मे 857 पोर्न वेब साईटों को बन्द करने का आदेश क्या दिया, भारत में तुफान खड़ा हो गया
No Indecent thing about Porn in India

सब लोग विरोध में लगे हें। भारत सरकार डर कर वापस अपना आदेश वापस ले रही है।

जिस  देश में पोर्न की अभिनेत्री को पूजा जा रहा हो, इंटरनेट पर सबसे ज्यादा खोजा जा रहा हो, वहां पर बन्द नहीं हो सकता है पोर्न।

ध्यान देने की बात है कि अब कोई अश्लील सामग्री नहीं है अब केवल पोर्न है या बोल्ड है।

कामुकता और अश्लीलता अब पुराने जमाने की बातें हैं।

Manisha गुरुवार, 6 अगस्त 2015