भारतीय बचत नहीं करते
वैसे यह सर्वेक्षण पुरानी मान्यताओं को तोड़ता हुआ दिख रहा है। अभी तक को भारतीय अपनी आय में से कुछ न कुछ बचाने की कोशिश करते थे, खास कर व्यवसायी वर्ग तो बचत के लिये मशहूर हैं।
कड़ी : नेशनल काउंसिल फॉर अप्लाइड इकनोमिक रिसर्च की वेबसाइट
भारतीय बचत नहीं करते
गांव के इन नामों का क्या मतलब है?
खबर के इन गांवों के नामो को पढ़ कर लगा कि यह नाम किस आधार पर रखे गये होंगे। मैं कोई इतिहास की
छात्रा नहीं रही हूँ बल्कि मैं तो आई टी (IT) की छात्रा रही हूँ, लेकिन सामान्य जानकारी के अनुसार पुराने समय से ही गांवों, कस्बों व शहरों के नामों को रखने का कोई ठीक-ठीक सा कारण मालूम होता है। अत: यह एक कौतुहल का विषय है कि ऊपर लिखे नामों का क्या आधार रहा होगा। ये नाम गाजियाबाद जिले के एक विधानसभा क्षेत्र के हैं, यदि अन्य सभी जगहों का यदि अध्ययन किया जाये तो काफी नाम ऐसे मिलेंगे जो कौतुहल पैदा करेंगे।
गांवों, कस्बों व शहरों के नामों को रखने का आधार जितना मुझे समझ आया है उसके अनुसार नाम, खासकर गांवों और मुहल्लों के नाम अधिकतर किसी व्यक्ति या किसी जाति या किसी इलाके की ओर इशारा करते हैं। मसलन, जगतसिंहपुरा, टीकरी ब्राह्मणान, खटिकाना, सेवला जाट, पुरवियों का मोहल्ला, जटवाड़ा, मुहल्ला कायस्थान इत्यादि।
कुछ प्रचलित आधार ये हैं:
- पुर - किसी विशेष कारण, व्यकि विशेष, जाति इत्यादि के ऊपर रखे हुये नाम जैसे कि जयपुर, उदयपुर, बाजपुर, ईश्वरपुर, इस्लामपुर, आदि।
- बाद - अधिकांश मुस्लिम लोगों द्वारा या उनके नामों पर बसाये गये गांव, शहर जैसे हैदराबाद, उस्मानाबद, फिरोजाबाद, गाजियाबाद आदि।
- गढ़ी - अधिकांश वह जगह जहां पर छोटी सैनिक चौकी या छोटा-मोटा किला इत्यादि होता था, छोटे राजा, जमीदार या सामंतों का रहने की जगह क्योंकि उन्हें बड़े राजा, बादशाह, महाराणा इत्यादि के लिये यहां पर सैनिक रखने होते थे। जैसे गढ़ी भदौरिया, प्रह्लाद गढ़ी आदि।
- गढ़ - वह स्थान जहां कुछ बड़े किले या सैन्य व्यवस्था थी जैसे कि कुम्भलगढ़, सज्जनगढ़।
- सर - जहां पर पानी के बड़े तालाब इत्यादि थे, मसलन अमृतसर, मुक्तसर, गरड़ीसर आदि।
- डेरा - जहां पर किसी बडे फकीर या फौज के बड़े ओहदेदार का डेरा था जैसे कि डेरा बाबा फरीद खां, डेरा इस्माइल खां, डेरा गाजी आदि।
- नगर - किसी के नाम पर या किसी के द्वारा बसाया हुआ, रिहाइशी इलाका जैसे विजयनगर, श्रीनगर आदि।
- मंडी - नाम से ही पता चलता है कि ये मंडी होगी जैसे मंडी सईद खां, लोहा मंडी आदि।
इसके अलावा गांवों के नामों में इलाके के आधार पर भी कुछ वर्गीकरण है जैसे कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नाम के नगला शब्द प्रचलन में है जैसे कि नगला धनी, नगला छउआ, नगला पदी आदि, वहीं पश्चिमी राजस्थान के गांवों के नाम में वास और ढाणी का खूब प्रयोग होता है जैसे कि गैलावास, मीणावास, ठाकुरावास, ईश्वरसिंह की ढाणी, पटवारी की ढाणी आदि। गांवों के नाम के बारे में एक दिलचस्प बात ये है कि यदि नाम में खुर्द है तो एक गांव उसी नाम का कलां भी होगा जैसे कि अगर एक गांव है टीकरी खुर्द तो पड़ोस में एक गांव टीकरी कलां भी होगा।
अब आप लोग इस पृष्ठभूमि में बतायें कि विधायक साहब द्वारा घूमें गये गांवों के नामों का क्या आधार है? गांवों, कस्बों व शहरों के नामों को रखने के बारे में और जानकारी आप लोग यहां दे सकते हैं।
गांव के इन नामों का क्या मतलब है?
उफ यह गलत हिन्दी
- उत्तर भारत के अधिकांश ट्रकों के पीछे 'मां का आशीर्वाद' लिखा होता है। लेकिन यह हमेशा ही गलत रुप में 'मां का आर्शीवाद' लिखा होता है।
- अधिकांश दर्जियों की दुकानों पर हिंदी में 'शूट स्पेशलिस्ट' लिखा होता है, जबकि अंग्रेजी में हमेशा सही Suit Specialist लिखा होता है।
- खोमचे पर इडली-डोसा बेचने वालों की दुकानों पर 'इटली-डोसा' लिखा रहता है। कई बार यह और भी गलत रुप में इटली-डोशा लिखा होता है।
- सभी जगह पर सड़क (रोड - Raod) के लिये 'रोड़' लिखा रहता है।
- कई जगह जहां सड़क पर दुर्घटना होने की काफी संभावना रहती है, वहां लगाये हुये नोटिस बोर्ड पर अक्सर 'दुर्घटना संभावित क्षेत्र' की जगह 'दुर्घटना ग्रस्त क्षेत्र' लिखा रहता है। क्या उस क्षेत्र के साथ दुर्घटना होने की संभावना होती है?
उफ यह गलत हिन्दी
एक चिठ्ठी माननीय श्री शरद पवार, अध्यक्ष, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के नाम
यह चिठ्ठी एक अनाम भारतीय क्रिकेट प्रेमी की ओर से अध्यक्ष बीसीसीआई को लिखी जा रही है। इसे करोड़ो भारतीयों की तरफ से लिखा माना जाये।
आदरणीय शरद पवार जी,
सादर नमस्कार,
आज मैंने रात भर जाग कर भारत और श्रीलंका के बीच विश्व कप क्रिकेट 2007 के लिये हुये मुकाबले को देखा। जैसी करोंड़ो भारतीयों की इच्छा थी, उसके अनुसार न खेलते हुये भारत की टीम ने श्रीलंका के आगे घुटने टेक दिये।
मेरे अनुसार भारत की क्रिकेट टीम अक्सर ही ऐसा करती रहती है। इसलिये मैं आपके सामने यह प्रस्ताव रखना चाहता हूँ कि भारत की क्रिकेट टीम के वर्तमान खिलाड़ियों की जगह मुझे और मेरे मोहल्ले के तमाम लड़कों को भारतीय टीम में रखा जाना चाहिये। हमें भी मौका मिलना चाहिये।
वर्तमान भारतीय क्रिकेट टीम के एक एक सदस्य को 1 लाख रुपये प्रति वन डे मैच के हिसाब से मिलते हैं (शायद इससे ज्यादा ही मिलते हैं) , लेकिन फिर भी यह टीम हार जाती है। शरद जी, हम लोग यह काम 50 हजार में करने को तैयार हैं ।
यानी की आखिर टीम को हरवाना ही है तो हम 50 प्रतिशत डिस्काउंट पर टीम हराने को तैयार हैं। हम टीम को हरवाने की पूरी गारंटी लेंगे (अगर आप लोग चाहें तो इससे भी कम पर बात कर सकते हैं)।
जो काम भारत की टीम 50 ओवर में करती है, वो हम 25 ओवर में ही करवा देंगे। आप एक मौका तो दे कर देखिये।
शरदजी, यकीन जानिये इससे कई फायदे होंगे। आप देखेंगे कि इसमें सबका फायदा है, हमारा, आपका, आम जनता का और देश का। आइये, मैं आपको बताता हूँ कि ये सब फायदे कौन कौन से हैं।
सबसे पहला फायदा तो यह हमें ही होगा। हम भारत की टीम को परमानेंटली हरवाने के जो पैसे लेंगे उससे हमारी गरीबी दूर होगी। हम आम भारतीयों को भी क्रिकेट की ग्लैमर भरी दुनिया देखने को मिलेगी।
जनता का देखिये कितना फायदा होगा, जब हम गारंटी के साथ भारत की क्रिकेट टीम को हरवायेंगे तो अरबों-करोड़ों भारतीयों को जीत की कोई आशा ही नहीं होगी और फिर किसी भी भारतीय क्रिकेट प्रेमी का दिल नहीं टूटेगा।
हम आशा के अनुरुप ही प्रदर्शन करेंगे। जब दिल ही नहीं टूटेगा तो देश के लोग-बाग खुश रहेंगे और उनकी उत्पादकता बढ़ेगी। टीवी से लोग कम चिपकेंगे और काम के ऊपर ध्यान देंगे।
मुझे और मेरे साथियों या मेरे जैसे ही करोड़ों भारतीयों में से ही किसी को खिलाने से देश का भी बहुत फायदा है। जब हम गारंटी से हारेंगे तो देश में कहीं भी विरोध स्वरुप धरने प्रदर्शन नहीं होगा। देश की कानून व्यवस्था काबू में रहेगी।
हम 25 ओवर में ही भारत की क्रिकेट टीम को हरवायेंगे तो करोंड़ो भारतीय जो क्रिकेट टीवी पर देखते हैं वो टीवी को जल्द ही बंद कर देंगे इससे बिजली की कितनी बचत होगी आप अंदाज लगा सकते हैं।
हमारी आधी मैच फीस से भी देश को आर्थिक फायदा होगा।
अब मैं आपको बताता हूँ कि मुझे भारतीय क्रिकेट टीम में मौका देने में आपका कितना फायदा है।
अब ये तो सभी जानते हैं कि आप एक मंझे हुये राजनीति के खिलाड़ी हैं। आपकी हर चाल में राजनीतिक नफा-नुकसान का आंकलन होता है। मुझे मौका देने में आपका राजनीतिक फायदा भी बहुत है।
सर्वप्रथम तो आप मुझ जैसे आम आदमी को मौका देकर देस में यह प्रचार कर सकते हैं कि आप और आप की सरकार आम आदमी का कितना ध्यान रखती है।
"आपकी सरकार आम आदमी के साथ" यह नारा आप लगा सकते हैं।
हमारी गरीबी दूर होगी तो आप हल्ला कर सकते हैं कि आप का शासन में आम आदमी की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।
जब टीवी पर मैच ज्यादा देर तक न देखे जाने के कारण टीवी बंद होने का कारण बिजली की बचत होगी, देश में बिजली की उपलब्धता बढ़ेगी जिसे भी आप अपने पक्ष में भुना सकते हैं।
आप भी निश्चित होकर किसानों की समस्याओं की ओर ज्यादा दे पाओगे और विपक्षियों का मंह बंद कर पाओगे।
अत: आप से विनम्र निवेदन है कि एक बार मुझे क्रिकेट टीम में मौका जरूर दीजिये और आम आदमी के हाथ मजबूत कीजिये।
आपका,
एक भारतीय क्रिकेट प्रेमी - अ.ब.स.
एक चिठ्ठी बीसीसीआई के अध्यक्ष श्री शरद पवार के नाम
वैधानिक चेतावनी - कमजोर दिल वाले क्रिकेट मैच न देखें
एक खबर के अनुसार जामनगर में एक आदमी भारत की बंगलादेश के खिलाफ विश्व कप में हार के सदमे को बर्दाश्त न कर पाने के कारण दिल का दौरा पड़ने से मर गया। इस बात को ध्यान में रखकर मेरे ख्याल से एक वैधानिक चेतावनी भारत द्वारा खेलने वाले सभी क्रिकेट मैच प्रसारणों पर तुरंत प्रभाव से प्रसारित की जानी चाहिये।
यह प्रसारण एक हॉरर शो है। इसको कमजोर दिल वाले न देखें। बच्चे अपने माता-पिता के साथ देखें। इस मैच में कुछ भी हो सकता है। भले ही भारत की ओर से एक दीवार (Wall), एक नवाब, एक सुल्तान, एक महाराजा, एक युवराज, एक मास्टर-ब्लास्टर खेल रहे हों, या फिर कोई दो लीटर दूध पीने वाला खेल रहा हो, भारत कभी भी, कहीं भी, किसी से भी हार सकता है। भारत की टीम आम आदमी की तरह प्रदर्शन कर सकती है। इस चेतावनी के बाद भी अगर कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से मैच देखता है, तो अपने हर्जे-खर्जे का जिम्मेदार खुद होगा
वैधानिक चेतावनी - कमजोर दिल वाले क्रिकेट मैच न देखें
भरमाने वाले चित्र
कुछ चित्र ईमेल के जरिये अक्सर देखने को मिलते रहते हैं। इम बार किसी मित्र ने भरमाने वाले ऐसे चित्र भेजे कि देख कर सिर चकरा गया। हालांकि उस दिन होली थी और थोड़ी सी ठंडाई (भांग वाली) पी थी, लेकिन वो तो बहुत थोड़ी थी।
इसलिये पक्का करना पड़ा कि ये चित्र ही घुमावदार हैं। कुछ चित्र इनमें से पहले देखे हुये थे, लेकिन कुछ नये और अनदेखे हैं।
लिहाजा इनको चिठ्ठे में समाहित करके सार्वजनिक करने का इरादा कर लिया। तो आप सब भी इन चित्रों को देखिये और कुछ देर तक भ्रम की स्थिति में रहिये।
बैंगनी लाईने सीधी हैं या घूमी हुई? |
बीच का कौन सा गोला बड़ा है? |
चौकोरों के बीच में गोले किस रंग के हैं? |
आदमी का चेहरा और अंग्रेजी का L से शुरू होता शब्द |
क्या ये संभव है? |
भरमाने वाले चित्र
चिठ्ठा जगत ब्लॉगिंग के यक्ष प्रश्न
अब हिंदी चिठ्ठा जगत ब्लॉगिंग के पांच (कईयों के मामले में और भी ज्यादा) यक्ष प्रश्नों से कोई चिठ्ठाकार नहीं बच सका, यहां तक नीलिमा जी ने अपने वाद-संवाद में टैग कर के बताया कि मुजरिम हाजिर है और फिर डॉन ने अपने गुर्गो में हमारा नाम देकर गैंगवार में नाम शामिल कर एनकाउंटर का खतरा बढ़ा दिया है।
डॉन को तो पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है, लेकिन उसको गुर्गे तो पकड़े क्या एनकाउंटर में खलास भी हो जाते हैं।
तो एनकाउंटर से बचने के लिये जरूरी है कि जल्द से जल्द नीलिमा जी और डॉन के प्रश्नों के उत्तर दिये जायें।
बड़े बड़े नामी और वरिष्ठ चिठ्ठाकार भी इसकी चपेट में आ गये तो मुझ जैसी नई चिठ्ठाकार की बिसात ही क्या?
टैगियाने का यह बढ़ता हुआ छूत का रोग सबको गिरफ्त में लेता हुआ मेरे दरवाजे भी आ खड़ा हुआ।
पहले पहले मुजरिम बनने के कारण पूछे गये प्रश्न
प्रश्न : आपकी चिट्ठाकारी का भविष्य क्या है?
- मेरे विचार में मेरे द्वारा की गई हिंदी चिठ्ठाकारी का भविष्य बहुत ही उज्जवल है, हालांकि यह बात अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने वाली बात होगी परन्तु मेरा विचार तो यही है, क्योंकि हालांकि हिंदी चिठ्ठाकारी में नई ही हूं, फिर भी शुरुआत के दिनों और अबके दौर में बहुत फर्क आ गया है। आप सभी लोगों कि टिप्पणियां मेरे जैसे लोगों के लिये प्रोत्साहन का कार्य करती हैं, और अब आप सब के साथ मिल कर चिठ्ठाकारी करने में हिचक नहीं रही। अब जब भी कोई नई ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त होती है तो बस उसे सब लोगों के साथ बांटने बैठ जाती हूं। अब तो यह आलम है कि कहीं कोई समाचार, कोई आलेख, कोई घटना देख मन में यह ख्याल आता है कि अगर इसके ऊपर ब्लॉग पोस्ट बनाई जाये तो कैसा रहे? आप लोग भी अपनी टिप्पणियों द्वारा खूब प्रोत्साहित करते हैं तो आगे भी हिम्मत कर पाती हूं। हिंदी में लिखने के शुरूआता दौर में यही नहीम समझ में आता था कि क्या लिखूं? इसीलिये शुरुआती दौर में इधर-उधर से देखे शेर और दिल्ली की हमारा बदनाम ब्लू लाइन बसों में चिपके हुये ड्राइवरों के सड़कछाप शेर-डॉयलॉग इत्यादि लिख कर देखा कि हिंदी लिख भी सकते हैं कि नहीं। पर शुरुआती दिनों कि झिझक तो अब खैर नहीं रही बल्कि अब तो लगता है कि हिंदी चिठ्ठा जगत तो एक परिवार की तरह है । इसलिये मैं मानती हूं कि यदि हिंदी चिठ्ठा ग्रुप इसी तरह कार्यरत रहा तो हिंदी चिठ्ठाकारी का भविष्य बहुत ही उज्जवल रहेगा और अन्य नये लोग भी इन चिठ्ठों को पढ़कर प्रोत्साहित होंगे।
- सारे ही लोग टिप्पणी करके प्रोत्साहित करते हैं तो किसी विशेष का नाम लेना उचित नहीं होगा।
- दरअसल बात ये है कि आप सब लोग इस बात से परिचित होंगे कि हमारे किस्से कहानियों में और खास तौर से हिंदी फिल्मों में अक्सर दिखाया जाता है कि किसी प्रसिद्ध कहानीकार या शायर को चाहने वाली कई लड़कियां होती हैं, जो कई बार तो खाली शायर के नाम से ही प्यार करने लगती हैं। तो मैं अपने हिंदी जगत के प्रसिद्ध और पुराने या जो लोग आजकल जीत रहे हैं, उनसे पूछना चाहूंगी कि क्या उनकी कोई गुमनाम प्रशंसिकायें है जो कि चिठ्ठों पर टिप्पणी न करके सीधे ई-मेल भेजती हों?
- मेरे अपने जब किसी भी कारणवश परेशान होते हैं तो मैं बहुत ज्यादा परेशान हो जाती हूँ। उस समय लगता है कि कोई जादू की छड़ी होती सब सही कर देती, पर ऐसा कहां मुमकिन है। मेरे बच्चे, पति, रिश्तेदार, अड़ोस-पड़ोस इत्यादि में जब कोई परेशान होता है तो मैं परेशान हो जाती हूँ। यानी यदि कोई दूसरा परेशान होता है तो मैं भी परेशान हो जाती हूँ।
- यूँ तो मैं भगवान की कृपा से झूठ नहीं बोलती हूँ। लेकिन ये भी नहीं मैं आजकल के जमाने में सत्यवादी हरिश्चंद्र हूँ। एक बार मजाक में बोला गया झूठ काफी मजेदार है। हुआ यूँ कि मैंनें अपनी बिटिया के लिये एक नई ड्रेस खरीदी थी। उसने जब उस ड्रेस को पहना तो वो बड़ी खुश हुई और मेरे से बार-बार पूछने लगी कि कहां से खरीदा है। टालने की गरज से और मजाक में मैंने कह दिया कि भीख में लाये हैं। उसने अड़ोस-पड़ोस सब जगह खुशी-खुशी बता दिया कि मेरी मम्मी ये ड्रेस भीख में लाई हैं। यह बात याद करके आज भी हंसी आ जाती है।
और अब सीबीआई के वो प्रश्न जिनका जबाव देकर मैं क्वात्रोची की तरह बच जाउंगी।
प्रश्न : हिन्दी चिट्ठाकारी ही क्यों?
- हिंदी चिठ्ठाकारी इसलिये क्योंकि मैं हिंदी भाषी हूँ, हिंदी में ही सोचती हूँ और हिंदी की तरक्की चाहती हूँ।
- अपनी शादी पर। क्यों? कभी किसी पोस्ट में बताउंगी।
- अ-भारतीय
- अपना (हिंदीबात).. हा. हा... (श्रीशजी की तरह - रावण वाली हंसी) , सभी अच्छे चिठ्टे हैं , किसी एक का नाम पूछकर गैगवार छिड़ने का खतरा है और मेरा एनकाउंटर पक्का है।
- अभी तो फिलहाल हिंदी चिठ्ठाकारी के माध्यम से ही कुछ सेवा हो सकती है, बाकि जैसा आदेश हिन्दी चिट्ठाजगत के 'भाई' लोगों का हो।
चिठ्ठा जगत ब्लॉगिंग के यक्ष प्रश्न
शाबाश सौरव दादा!
शाबाश सौरव दादा!
आदिवासियों का वेलेंटाइन डे भगोरिया
इस भगोरिया को फसल पकने और होली की खुशी का भी प्रतीक माना जाता है। साल भर अलग-अलग स्थानों पर काम धंधा करने वाले आदिवासी भगोरिया पर्व पर अपने अपने घरों पर लौट आते हैं और गिले शिकवे भुलाकर मौज मस्ती के साथ इस पर्व को मनाते हैं।
कड़ियां:
आदिवासियों का वेलेंटाइन डे भगोरिया
राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन की सैर
भारत के राष्ट्रपति के निवास राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन को आम जनता के लिये खोल दिया गया है। मुगल गार्डन में स्थित स्परिचुअल गार्डन, हर्बल गार्डन एवं बैयोडाइवर्सिटी पार्क आदि को भी जनता के दर्शनार्थ खोला गया है।
मुगल गार्डन को सर एडविन लुटियन ने डिजाइन किया था। इस के डिजाइन की पेरणा उन्हें ताजमहल के बगीचों और जम्मू और कश्मीर के खूबसूरत मुगलिया बागों से मिली थी।
मुगल गार्डन 15 एकड़ में फैला हुआ है। मुगल गार्डन के तीन भाग हैं। पहले भाग में आयताकार गार्डन है जो कि राष्ट्रपति भवन की मुख्य इमारत से लगा हुआ है। इस गार्डन में चार कोने हैं जिसके हर ओर टैरेस गार्डन है।
मुगल गार्डन में 128 प्रकार के गुलाबों के फूल लगे हैं। अभी हाल ही में मुगल गार्डन में तीन नये फुव्वारे लगाये गये हैं। ये संगीतमय फुव्वारे हैं जो कि शहनाई और वंदेमातरम की धुनों पर घूमते हैं।
इस रविवार को मैं अपने परिवार के साथ मुगल गार्डन घूम कर आई हूं, यह एक बहुत ही अविस्मरणीय अनुभव रहा। अगर आपने अभी तक मुगल गार्डन नहीं देखा तो यह एक सुनहरी मौका है, 18 मार्च तक आप प्रोग्राम बना सकते हैं। मुगल गार्डन आपको हमेशा याद रहेगा।
मुगल गार्डन के बारे में और यहां पर जानें।
राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन की सैर
बॉस - एक भारतीय ऑपरेटिंग सिस्टम
फ्री/ ओपेन सोर्स सोफ्टवेयर के राष्ट्रीय संसाधन केन्द्र (National Resource Centre for Free/Open Source Software (NRCFOSS)) द्वारा तैयार किया गया लाइनक्स का एक संस्करण है। इसे खास तौर पर भारतीय परिस्थितियों के लिये तैयार किया गया है। इसमे एक सुन्दर डेस्कटॉप है, जिसमें भारतीय भाषाओं का खास समावेश किया गया है। इसके अलावा इसमें भारत के सरकारी क्षेत्र में प्रयोग होने वाले साफ्टवेयर पैकेजों को शामिल किया गया है।
विशेषतायें
- चित्रमय इंस्टालर
- सिस्टम की तेज शुरूआत और
- दोस्ताना जी-नोम (GNOME) डेस्कटाप
- वाडियो के लिये ज्यादा सहयोग
- 3D डेस्कटाप
- भारतीय-OO (Bharatheeyaa OO) - ओपेन ऑफिस 2.0.1 का भारतीय संस्करण (इस समय केवल हिंदी और तमिल में उपलब्ध)
- पेन ड्राइव, सीडी व अन्य मीडिया के लिये सहयोग
- लाइफेरिया (Liferea) – RSS/RDF रीडर
- टीवी ट्यूनर कार्ड सपोर्ट
- ब्लूटूथ (Bluetooth) सपोर्ट
- अच्छे इंटरनेट टूल – Firefox, Gaim, Xchat
- Input Method - SCIM with Remington Keyboard Layout for Tamil, Hindi, Punjabi,and Marati
- बोनफायर - एक CD/DVD Burning tool
बॉस बनाने वालों उद्देश्य इसे भारत की सभी 22 राष्ट्रीय भाषाओं में काम करनेलायक बनाना है ताकि अंग्रेजी न जानने वालों तक भी सूचना प्रौद्योगिकी का फायदा पहुंच सके, जो कि अभी तक नहीं पहुंच पाया है।
बॉस के बारे में और जानने के लिये इसके विकी पेज (BOSS Wiki) की यात्रा करें जहां आपको बॉस के चित्र तथा विवरण मिलेगा। आप अपने विचार भी व्यक्त कर सकते हैं।
कड़ियां:
बॉस - एक भारतीय ऑपरेटिंग सिस्टम
असली बॉस कौन है?
कल आशीष गुप्ता जी ने महिलाओं का रासायनिक विश्लेषण किया था। लेकिन उनको हम महिलाओं की सही पहचान नहीं है। हम रासायनिक ही नहीं बल्कि भौतिक रुप से भी पुरूषों पर भारी हैं। इस के लिये मैंने ढ़ूढ़कर ये चित्र निकाले हैं। अब इन चित्रों को आप भी देखिये। हास्य का जवाब हास्य से।
असली बॉस कौन है?
कुछ प्रसिद्ध हिंदी फिल्म सीन
कुछ प्रसिद्ध हिंदी फिल्म सीन
लाइव राइटर से पोस्ट होने लगी
जब से मैं अपने सभी चिठ्टों को नये ब्लॉगर पर ले गई थी, तभी एक परेशानी से मुझे दो-चार होना पड़ रहा था। मैं नये चिठ्टों को बनाने के लिये विंडोज लाइव राइटर का प्रयोग करती हूं।
लेकिन जब से नये ब्लोगर पर शिफ्ट किया था, तब से ही विंडोज लाइव राइटर से पोस्ट तो हो रहा था लेकिन ब्लॉगर पर पोस्ट नजर नहीं आती थी। हार कर खुद ही कॉपी करके पोस्ट करनी पड़ रही थी।
समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाये?
हिंदी जगत के अन्य सक्रिय चिट्टाकारो से सहयोग मांगा गया।
पंडितजी के ब्लॉग पर मिश्राजी ने बताया कि मुझे विंडोज लाइव राइटर को अपडेट करना चाहिये।
इसलिये मैंने कल विंडोज लाइव राइटर को दुबारा डाउनलोड किया और पुराने संस्करण के उपर ही इंस्टाल कर दिया।
इसके बाद अब विंडोज लाइव राइटर ठीक तरह से पोस्ट कर रहा है।
सहयोग करने वालों को धन्यवाद।
लाइव राइटर से पोस्ट होने लगी
सदाबहार हिंदी फिल्म डॉयलाग
हिंदी फिल्मों में संवाद अदायगी या डॉयलाग डिलीविरी पर काफी जोर रहा है। कई कलाकार तो अपनी संवाद डॉयलाग अदायगी के बल पर ही प्रसिद्धि पा गये।
पुराने जमाने में हिंदी फिल्मों में कलाकार मुख्यत: नाटकों व रंगमंच से ही आये थे, इस कारण उनकी संवाद अदायगी का तरीका थोड़ा नाटकीय था। सोहराब मोदी इस के उदाहरण हैं।
सदाबहार हिंदी फिल्म डॉयलाग
नवजोत सिद्धू की बातें - Siddhuism Navjot
Singh Siddu - Famous Indian cricketer and Member of Parliament of India is now commenting on regular cricket shows on the TV. He is famous for his utterness. His quotes are now very much in the news. Everybody hates it and enjoy it.
- कौवों के चिल्लाने से ढोल नहीं फटते ।
- That ball went so high it could have got an air hostess down with it.
- Experience is like a comb that life gives you when you are bald
- Statistics are like miniskirts, they reveal more than what they hide
- The Sri Lankan score is running like an Indian taxi meter
- चाची के मंछें होती तो उन्हें चाचा न कहते
नवजोत सिद्धू की बातें - Siddhuism
ये भी देखें - जिन्दगी की शायरी और शेर
ट्रकों पर की गई इस शायरी के कुछ शेर तो बहुत ही गहरी बात कह जाते हैं, वहीं कुछ शेर आपके चेहरे पर मुस्कान ला देते हैं। हमने यहां पर भारतीय ट्रकों की शेरो-शायरी को संकलित करा है। उम्मीद है कि ट्रक ड्राइवरों की ये शेर शायरी आपको पसंद आयेगी -
ट्रक ड्राइवरों के शेर शायरी और वाक्य
"आगे वाला कभी भी खड़ा हो सकता है।"
"तेरह के फूल सत्रह की माला, बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला।"
"सावधानी हटी, दुर्घटना घटी"
"सावधानी हटी, सब्जी पूड़ी बंटी"
"खूबसूरती देख कर नजरें ना हटाना,
"बुरी नजर वाले तेरे बच्चे जियें, बड़े होकर तेरा खून पियें।"
"बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला"
"बुरी नजर वाले नसबंदी करा ले"
"बुरी नजर वाले तू सौ साल जिये, तेरे बच्चे दारु पी पी कर मरें।"
"पहले जय शंकर की बोलो, फिर दरवाजा खोलो"
"हम तो दरिया हैं समंदर में जायेंगे, चमचों का क्या होगा वो कहां जायेंगे"
"मालिक तो महान है, चमचों से परेशान है"
"मालिक का पैसा, ड्राइवर का पसीना,
चलती है सड़क पर, बन कर हसीना।"
"13 मेरा 7"
"अपनी सवारी जान से प्यारी"
"चलती है गाड़ी तो उड़ती है धूल
जलते हैं कोंग्रेसी तो खिलते हैं फूल"
"ज़िंदगी है मुख़्तसर आहिस्ता चल,
कट ही जाएगा सफ़र आहिस्ता चल..."
"मुसीबतें लाख आएंगी जिंदगी की राहों में, रखना तू सबर,
मिल जाएगी तुझे मंजिल इक दिन, बस जारी रखना तू सफ़र।"
"उम्र बीत गयी लेकिन सफ़र ख़त्म न हुआ,
इन अजनबी सी राहों में जो, खुद को ढूँढने निकला।"
"जल्दी बुकिंग करो अपने सामान की, चाहे वह हल्का हो या भारी..
अभी ध्यान नहीं, बाद में लिखूंगा शायरी"
"मैं भर के चली जाऊंगी, तू देखते रहियो।"
ट्रक ड्राइवर शेर शायरी 👆 |
"धीरे चलोगे तो बार बार मिलोगे, तेज चलोगे तो हरिद्वार मिलोगे"
वर्ना देव दर्शन हो सकते हैं"
"हंस मत पगली, प्यार हो जायेगा"
"लोन भरना बाकी है थोड़ा दूरी बनाये रखे"
"राम युग में घी मिला, कृष्ण युग में घी, इस युग में दारु मिली, खूब दबा के पी।"
"ये नीम का पेड़, चन्दन से कम नहीं, हमारा लखनऊ लन्दन से कम नहीं"
"जिन्हें जल्दी थी वो चले गये, तुझे जल्दी है तो तू भी जा"
"ग़मों से चूर हूं फिर भी नसे से दूर हूं
बच कर चलता हूं इसलिए क्योंकि
मैं भी किसी की मांग का होने वाला सिंदूर हूँ"
"मत कर मोहब्बत ड्राइवर से, उनका ठिकाना दूर होता है
वो बेवफा नहीं होते उन्हें जाना जरूरी होता है।"
"नींद चुराती है होश उड़ाती है,
फलनवा की बेटी सपनवा में आती है।"
"बंगाल का रूट पसंद है, बिहार डरा देती है
भाई से प्यार होता है, भाभियां लड़ा देती हैं।"
"करोना, फ़ॉलो ना"
"जलो मत, बराबरी करो"
"अभी जाती हूं फिर आऊँगी"
"गड्डी जांदी आ छलांगा मारदी
जदों याद आवे सोहने यार दी..!"
"ना बोलूं मैं तो कलेजा फूंके, जो बोल दूँ तो ज़बाँ जले है.."
ट्रक ड्राइवरों के शेर शायरी👆 |
"रेशमी सलवार चप्पल बाटा की, छींक मारती जाये गाड़ी टाटा की"
"वक्त से पहले नसीब से ज्यादा कभी नहीं मिलता"
"मां मेरी दुनिया तेरे आंचल में"
"जरा कम पी मेरी रानी, बहुत मंहगा है इराक का पानी"
"Use Dipper at Night"
"भगवान बचाये तीनों से, डाक्टर पुलिस हसीनों से"
"ऐ मालिक क्यों बनाया गाड़ी बनाने वाले को, घर से बेघर कर दिया गाड़ी चलाने वाले को"
"फानूस बन कर जिसकी हिफाजत हवा करे, वो शमा क्या बुझेगी जिसे रोशन खुदा करे"
"नीयत तेरी अच्छी है तो, किस्मत तेरी दासी है। कर्म तेरे अच्छे हैं तो घर में मथुरा काशी है।।"
"हमारी चलती है, लोगों की जलती है"
"कीचड़ में पैर रखोगी तो धोना पड़ेगा,
ड्राइवर से शादी करोगी तो रोना पड़ेगा"
"अपनों से बचो गैरों से निपट लेंगे"
"क्यों मरते हो बेवफा सनम के लिये, दो गज जमीन मिलेगी दफन के लिये।
मरना है तो मरो वतन के लिये, हसीना भी दुपट्टा उतार देगी कफन के लिये।।"
"दुल्हन वही जो पिया मन भाये
पिया वही जो पी कर आये"
"मैं खूबसूरत हुं मुझे नजर न लगाना
जिन्दगी भर साथ दूंगी पीकर मत चलाना"
"गलत ओवरटेक से यमराज बहुत खुश होता है"
"जगह मिलने पर साइ़़ड दिया जायेगा"
"भूत प्रेत और मासूम बीवी मन का वहम है, ऐसा कुछ नहीं होता"
"घूमता हुँ गली गली मुझसे प्यार न करना
कभी भी गले मिल लूं बस सावधान ही रहना"
"कृपया हार्न न बजाऐं
साहब ने पहले से ही सबकी बजा रखी है..!"
"माई नेम इस मीनाकुमारी, मुझे चाहिए ब्यूटीफुल सवारी"
"मीना कुमारी का लाल दुपट्टा
गाड़ी को कोसने वाला उल्लू का पट्ठा"
"जलो मत दोस्तों, ये तो मीना की गड्डी है ऐसे ही चलेगी"
"दूरी बना के चल, वरना टपक जाएगा" "यारो सफर है सुहाना , चाल मेरी तूफानी,
खतरों से है खेलना, मैं झारखण्ड की रानी"
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ट्रकों पर कोरोना शायरी
"देखो मगर प्यार से….
कोरोना डरता है वैक्सीन की मार से"
"मैं खूबसूरत हूं मुझे नजर न लगाना
जिंदगी भर साथ दूंगी, वैक्सीन जरूर लगवाना"
"हंस मत पगली, प्यार हो जाएगा
टीका लगवा ले, कोरोना हार जाएगा"
"टीका लगवाओगे तो बार-बार मिलेंगे
लापरवाही करोगे तो हरिद्वार मिलेंगे"
"यदि करते रहना है सौंदर्य दर्शन रोज-रोज
तो पहले लगवा लो वैक्सीन के दोनों डोज"
"टीका नहीं लगवाने से यमराज बहुत खुश होता है।"
"चलती है गाड़ी, उड़ती है धूल
वैक्सीन लगवा लो वरना होगी बड़ी भूल"
"बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला
अच्छा होता है वैक्सीन लगवाने वाला"
"कोरोना से सावधानी हटी,
तो समझो सब्जी-पूड़ी बंटी"
"मालिक तो महान है, चमचो से परेशान है।
कोरोना से बचने का, टीका ही समाधान है।
ट्रक ड्राइवरों के शेर शायरी और वाक्य
पुरानी दुनिया की छुक-छुक रेलगाड़ी का आनंद
याद कीजिये बचपन के वो दिन जब रेलगाड़ी के सफर का मतलब आज की तरह तेज दौड़ती विद्युत या डीजल ट्रेन नहीं बल्कि कोयले से चलने वाली अपना ही एक आकर्षण लिये हुये छुक-छुक करती हुई एक रेलगाड़ी हुआ करती थी। आज भी सभी को वो छुक-छुक रेलगाड़ी का सफर और सफर के बीच सांसों से टकराती धीमे-धीमे जलते कोयले की महकती गंध तथा उस सबके बीच खिड़की वाली सीट पर बैठने का आनन्द याद आता है।
भाप वाला रेल इंजन |
बच्चों को तो आज भी रेलगाड़ी की आवाज छुक-छुक बतायी जाती है। तो वापस कुछ ऐसा ही अनुभव लोगों को, खासकर स्कूली बच्चों को देने के लिए उत्तर रेलवे ने सफदरजंग रेलवे स्टेशन (नई दिल्ली) से रिंग रेलवे लाइन पर शनिवार को हैरिटेज रेल शुरू किया।
रेल चलाने का मुख्य उद्देश्य उत्तर रेलवे द्वारा मनाए जा रहे हैरिटेज मंथ के तहत आने वाले पीढ़ी को बीते कल की कोयले से चलने वाली छुक-छुक रेलगाड़ी के अलावा रेल से जुड़े अन्य ऐतिहासिक महत्व से अवगत कराना है।
दिल्ली भ्रमण के लिए चलाई गई कोयले के इंजन से चलने वाली इस रेलगाड़ी के प्रमुख आकर्षण में से एक यह है कि यह इंजन वर्ष 1947 का बना है और वर्ष 1985 में इसे रिटायर कर दिया गया था। अब यह इंजन रेवाड़ी स्थित स्टीम इंजन शेड में ऐसे छह अन्य इंजन के साथ खड़ा होता है, जहां से इसे अधिकतर फिल्म की शूटिंग के लिए निकाला जाता है। इसके लिए फिल्मकारों से नब्बे हजार से एक लाख रुपये प्रतिदिन ली जाती है।
अंग्रेजों के कर्मचारियों के लिए बनाई गई जगह सफदरजंग रेलवे स्टेशन से इसका सफर शुरू होगा। इसके बाद यह मुसलमानों के पुराने शहर निजामुद्दीन, दिल्ली के नए विस्तार यमुनापार के इलाकों से होते हुए औरंगजेब के बेटों शाह और दारा की रियासतों शाह और दारा जिसे आज शाहदरा कहते हैं वहां जाएगी। वहां से यह असली दिल्ली कही जाने वाली पुरानी दिल्ली आएगी। उसके बाद इसका ठहराव नई दिल्ली होगा। इसके अलावा नई दिल्ली के रेलवे एक्सटेंशन के तौर पर बनाए गए तिलक ब्रिज से यह वापस सफदजंग रेलवे स्टेशन आएगी।
सफदरजंग से इसका सफर शुरू होने का समय हालांकि सवा दस बजे सुबह रखा गया है लेकिन उसमें बदलाव होने पर उसकी घोषणा की जाएगी। सफर के दौरान जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, पावर हाउस आईटीओ, आनंद विहार रेलवे स्टेशन, यमुना नदी, कनाट प्लेस के इलाके भी रेलगाड़ी की खिड़की से नजर आएंगे।
तो अगर आप इन दिनों में दिल्ली या उसके आस पास हैं तो इस पुरानी दुनिया की (Old world charm) छुक-छुक रेलगाड़ी का आनंद लीजिये।
पुरानी दुनिया की छुक-छुक रेलगाड़ी का आनंद लीजिये
सालाना 80 हजार घूस देता है हर ट्रक वाला
लीजिये भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार के ऊपर एक और मुहर लग गई। एक अध्ययन के अनुसार भारत में हर ट्रक वाला सालाना 80 हजार रुपये की रिश्वत विभिन्न सरकारी एजेंसियों के लोगों को देता है।
देश में तकरीबन 36 लाख ट्रक हैं। ऐसे में ट्रक ऑपरेटरों की करीब 22 हजार करोड़ की कमाई भ्रष्ट सरकारी अमले की भेंट चढ़ जाती है।
ट्रांसपोर्ट क्षेत्र की इस बदसूरत तस्वीर को उजागर किया है ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट ने।
रिपोर्ट के मुताबिक यदि इस भ्रष्टाचार पर काबू पा लिया जाए तो इससे सबसे ज्यादा फायदा उपभोक्ताओं को होगा, क्योंकि रिश्वत की यह राशि येन-केन-प्रकारेण अंतत: उन्हीं की जेब से वसूली जाती है।
श्रीराम समूह की वित्तीय मदद से एमडीआरए द्वारा कराए गए अध्ययन पर आधारित रिपोर्ट को ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की भारत शाखा के अध्यक्ष एडमिरल (सेवानिवृत्त) आरएच तहलियानी ने जारी किया।
उन्होंने कहा कि एक ट्रक ऑपरेटर रोजाना 211 से 266 रुपये की घूस टोल प्लाजा, चेक-प्वाइंट्स तथा राज्यों की सीमा चौकियों पर अदा करता है।
यह रिश्वत पुलिस, आरटीओ के अलावा वन विभाग, बिक्रीकर व चुंगी कर्मचारियों को दी जाती है। इसका मकसद चेकिंग से बचना होता है।
"काश भारत के लोग नैतिक रुप से श्रेष्ठ होते।"<
सालाना 80 हजार घूस देता है हर ट्रक वाला
गुरूजी - एक भारतीय सर्च इंजन
गुरूजी.कॉम - जी हां यह नाम है एक सर्च इंजन (search engine) का जो कि भारतीय लोगों द्वारा भारत के लोगों के लिये बनाया गया है ।
सर्च इंजन बनाने वालों का दावा है कि यह सर्च इंजन भारतीय सामग्री को दुनिया तक पहुंचायेगा। गुरूजी.कॉम जीवन से जुड़ी हर चीज तक पहुंजने में मदद का एक माध्यम बनना चाहा है।
गुरूजी.कॉम भारत और भारतीय सामग्री के लिये पहला क्रॉलर (crawler) आधारित सर्च इंजन है।
इसकी रचना (algorithm) इस प्रकार की गई है कि यह इंटरनेट पर भारत से संबंधित जानकारी और सामग्री को ढूंढ़ कर उसे इस प्रकार व्यवस्थित करता है कि सबसे नवीनतम सामग्री पहले प्रदर्शित होती है।
देखने वाली बात यह होगी की जब गूगल (google.com) ही सर्च इंजन का पर्यायवाची हो और हर व्यक्ति ढूंढ़ने के लिये गूगल की साईट पर जाता हो वहां यह सर्च इंजन कितना कामयाब हो पायेगा।